जैविक खेती | केंचुवों की सहायता से मिटटी को कैसे अच्छे बनाये | organic farming
प्रस्तावना –
जैविक खेती की समज और केंचुवों की सहायता से मिटटी को कैसे अच्छे बना सकते है
आज के समय मैं जैविक खेती के महत्व को सभी जानते है , पर जैविक खेती कोई नहीं करना चाहता , और जैविक खेती करना ही आने वाली पीढ़ी को वरदान होगा , अन्यथा रासायनिक खेती उनके लिए शाप बनकर रेहजाएगी, और वो हमें कोसेंगी । ऐसा नहीं की जैविक खेती कोई करता ही नहीं – जैविक खेती बोहत सारे किसान भाई करते है । और कुछ करना चाहते है , पर उनके पास ज्यादा जानकारी नहीं होती । तो आज इसी जैविक खेती और केंचुवों की सहायता से मिटटी को कैसे अच्छे बना सकते है ये जानेंगे ।
जैविक खेती
जैविक खेती ही भारत और मनुष्य की शुरवाती कड़ी रही है जो उसे अपना पेट भरने मैं मदद करती आ रही है । शुरवात से ही भारतवासी खेती पर ही अपना प्रपंच चलता आरहा है , पर समय की परत पर धन की चाहत ने इसे दूषित कर दिया । कहते है की जैविक खेती की यह परम्परागत खेती आजादी तक भारत में की जाती रही है। बाद जनसख्याँ विस्फोट कारण देश में उत्पादन बढ़ाने का दबाव बना जिसके कारण देश रासयनिक खेती की और अग्रसर हुआ और अब इसके बुरे परिणाम सामने आने लगे है । जैसे उम्र से पहले बूढ़े दिखना , 60 – 70 की आयु मैं ही मृत्यु होना । बच्चों की हाइट न बढ़ना , तरह तरह के रोग – बीमारिया होना । ये सब इसी की देन है । रासायनिक खेती हानिकारक के साथ-साथ बहुत महंगी भी पढ़ती है जिससे फसल उत्पादन के दाम बढ़ जाते हैं इसके लिए अब देश दोबारा से जैविक खेती की और अग्रसर हो रहा है क्योंकि जैविक खेती कृषि पद्धति रसायनिक कृषि की अपेक्षा सस्ती, स्वावलम्बी व स्थाई है।
केंचुआ और मिटटी का रिश्ता
हम सभी अच्छी तरह जानते हैं कि भूमि में पाये जाने वाले केंचुए मनुष्य के लिए बहुपयोगी होते हैं | भूमि में पाये जाने वाले केंचुए खेत में पढ़े हुए पेड़-पौधों के अवशेष एवं कार्बनिक पदार्थों को खा कर छोटी-छोटे गोलियों के रूप में परिवर्तित कर देते हैं जो पौधों के लिए देशी खाद का काम करती है | इस केंचुए से छोटे से स्थान में 2 माह में कई हैक्टेयर के लिए खाद तैयार किया जा सकता है | इस खाद को तैयार करने के लिए केंचुआ, मिटटी तथा खरपतवार की जरुरत पड़ती है , जो आसानी से मिल जाता है |
Note-: Some of this information is taken from internet. But it’s all True
Article By – Vikram Shinde