TomatoBhav_टमाटर के दाम क्यों गिरे? Tomato Rate: पिछले कुछ सालों में आई तेजी के चलते इस साल नासिक में टमाटर उत्पादकों में खासा उत्साह देखने को मिला। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन जारी है, पारंपरिक अंगूर उत्पादकों ने भी बागों को काटकर टमाटर की ओर रुख किया है। इसलिए टमाटर की खेती में निश्चित रूप से वृद्धि हुई। इस साल की भारी बारिश ने चित्रा नक्षत्र में बारिश की वापसी के साथ उत्साह को भी कम कर दिया। इस दौरान किसानों ने फसल बचाने के लिए पूरा प्रयास किया । इस साल दवा, खाद और श्रम की लागत डेढ़ से दो गुना बढ़ गई। इस स्थिति से बचे टमाटर उत्पादकों को भी राहत मिल रही थी क्योंकि उन्हें प्रति कैरेट 500 से 800 रुपये मिल रहे थे।पिछले पांच दिनों से इस उछाल पर भी रोख लग गया है। टमाटर के दाम अधिकतम 800 रुपये से घटकर 400 रुपये प्रति कैरेट पर आ गए हैं। किसान इस कीमत पर भी समाधानी है _ उनकी बस यही मन्शा है की इससे ज्यादा दाम ना गिरे – अगर इसी कीमत पर वे माल बेचेंगे तो कम से कम उनका खर्चा तो निकल ही आएगा। कीमतों में गिरावट के पीछे मुख्य कारण हाल ही में बैंगलोर सीजन की शुरुआत के साथ-साथ मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों से स्थानीय टमाटर का आगमन है। पिछले साल, महाराष्ट्र को छोड़कर अन्य राज्यों में टमाटर उत्पादक बेल्ट में भारी बारिश हुई थी। इस वजह से बैंगलोर का सीजन पहले ही खत्म हो चुका था। इसलिए, पूरे देश से, विशेष रूप से नासिक क्षेत्र से, महाराष्ट्र से टमाटर की मांग थी। नतीजतन, टमाटर को अंत में अच्छी कीमत मिली। पर इस वक्त वे दाम गिर गए है | दूसरी और पिछले साल की सीख लेते हुए बेंगलुरू क्षेत्र के उत्पादकों ने देर से बुवाई की। बंगलदेश मैं टोमेटो की निर्यात घटी Bangladesh: कर्नाटक क्षेत्र की अधिकांश लाल मिट्टी में उगने वाले स्थानीय टमाटर का रंग एक समान होता है। इसलिए उसे तरजीह दी जा रही है। साथ ही इसकी दरें नासिक के मुकाबले कुछ कम हैं। इसलिए नासिक क्षेत्र के टमाटर खरीदारों ने अपना रुख बेंगलुरू की ओर मोड़ दिया है।बांग्लादेश भारतीय टमाटर का सबसे महत्वपूर्ण खरीदार देश बना हुआ है। दोनों देशों के बीच व्यापार भी पिछले चार-पांच साल से मुश्किल में है। इसके पीछे मुख्य कारण बांग्लादेश द्वारा लगाया गया 34 प्रतिशत आयात शुल्क है। नतीजतन, टमाटर का निर्यात धीमा हो गया है। गिरणारे, पिंपलगांव बसवंत बाजार से बांग्लादेश को होने वाले निर्यात में 70 फीसदी की कमी आई है।इसी स्थिति मैं टोमेटो भारत के अन्य राज्यों में जैसे की गुजरात, मध्य प्रदेश मैं बेचने का विकल्प अपनाया जा रहा है। नतीजन टोमेटो को उतना दाम नहीं मिल पा रहा । सभी मार्किट भाव Article By. – VikramMarket. 1 ) सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय 2022 2 ) 40 हजार रुपए Kg बिकने वाला “मसाला”
Day: February 1, 2024
@Tomato_इस वजह से टमाटर के दाम गिरे
@Tomato_इस वजह से टमाटर के दाम गिरे #trend #Trend: पिछले महीने टमाटर की कीमत 80 से 100 रुपये प्रति किलो थी। टमाटर किसानों को दो पैसे बेहतर मिलने से संतोष का माहौल बना। लेकिन पिछले महीने हुई बिनमौसम भारी बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। अच्छे खासे टोमेटो बारिश से बर्बाद हो गए उनके साथ किसान भी। NashikNews: दिवाली के बाद किसानों को अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन हाल फ़िलहाल के टोमेटो दाम से किसान बोहत निराश हुए है । अचानक टोमेटो की अवाक् बढ़ गयी और टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट आई है। टोमेटो के आज के दिन भाव गिरकर 20 से 25 रुपये प्रति किलो हो गया है , जो की टोमेटो उत्पादक किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है। नासिक के विभिन्न बाजारों में दीपावली के बाद मार्किट मैं बोहत बड़े स्तर पर टोमेटो की आवक बढ़ गयी है। इस बीच देश भर में कर्नाटक और मध्य प्रदेश से बड़ी मात्रा में टमाटर की आवक मार्किट मैं पोहच रही है – जिससे नाशिक जिल्हे के मार्किट मैं टोमेटो के दाम काफी हदतक प्रभावित हुए है। Pimpalgon Tomato Market Rate: नासिक जिले में पिंपलगांव बाजार समिति, नासिक बाजार समिति, गिराने बाजार समिति में टमाटर उत्पादक किसानों की संख्या सबसे अधिक है।चूंकि जिल्हे मैं टमाटर के लिए तीन बढ़ी मार्किट है , तो यहाँ महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों से भी टोमेटो बढ़ी संख्या आते है , इसलिए व्यापारी भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं। बाजार में टमाटर की आवक ज्यादा होने से टमाटर की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। 80 से 100 रुपये के बीच कीमत सीधे 20 से 30 रुपये तक आ गई है। PIMPALGAON Mandi Bhav | पिंपलगाव मार्किट भाव पिंपलगाव मार्किट आवक ट्रॅक्टर – 405 जीप – 301 प्याज कम से कम ज्यादा से ज्यादा सरासरी गावठी कांदा 1500 4000 2600 गावठी कांदा गोलटि 700 2100 1700 दिनाक:-2/11/2022 | पिंपलगाव टोमेटो के भाव टोमेटो आवक-138628केरेट 61 401 261 Nashik Mandi Bhav Today | आज का नाशिक मंडी भाव !! नग !! 3-11-2022 / गुरुवार सब्जी कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव टोमॅटो 100 400 250 वांगी 200 750 550 फ्लावर 100 250 200 कोबी 100 225 190 डोबली मिर्ची 200 650 500 भोपळा 100 250 190 कारले 200 350 250 दोडका 200 450 350 Nashik Mandi Bhav गिलके 150 400 325 भेंडी 200 450 350 गवार 250 460 340 डांगर 90 130 100 ककड़ी 250 500 350 लिम्बु 150 400 350 !! Q !! सब्जी कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव केळी Q 700 1500 1100 कारली Q 1670 3165 2290 दुधी भोपळा Q 535 1335 1130 वांगी Q 3000 9000 7000 कोबी Q 960 2500 1875 गवार Q 2500 4600 3400 ढोवळी मिरची Q 5000 7500 6250 सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो कांदा Q 750 3100 2600 काकडी Q 1000 2250 1800 फ्लॉवर Q 720 2140 1430 डाळींब Q 600 12500 8500 लसूण Q 3500 10200 8500 भेडी Q 1670 3750 2910 लिंबू Q 750 2000 1750 मोसंबी Q 800 2500 1600 बटाटा Q 1500 2300 1950 दोडका (शिराळी Q 3335 4170 3750 शहाळे Q 2400 3800 3200 सभी मार्किट भाव Referring to – NashikMarket . Nashik Mandi Bhav Latest Update Today Nashik Mandi Bhav ( नाशिक मंडी भाव ) Nashik Mandi Bhav | Mandibhav Nashik Mandi Rates Online, Nashik Mandi Bhav App Nashik Mandi Bhav today | आज के नाशिक मंडी भाव Nashik Vegetable Price Today, Live Market Rate Fresh Vegetables in Nashik, ताजा सब्जियां, नासिक Vegetables Price in Nashik Today Agriculture Commodity Mandi prices in Nashik, Maharashtra आज का नाशिक मंडी भाव https://www.vikrammarket.com/2022/11/02/40-हजार-रुपए-kg-बिकने-वाला-मसा/ Pimpalgaon mandi bhav Today List (Nashik) | नासिक मंडी भाव PIMPALGAON BASAWANT Mandi Bhav पीपलगांव मंडी भाव | PIMPALGAON Mandi Bhav पिंपलगाव मार्किट भाव पिंपलगाव टोमेटो के भाव pimpalgon tomato pimpalgaon tomato market rate today टोमेटो भाव कृषी उत्पन्न बाजार समिती, पिंपळगांव बसवंत Pimpalgaon Baswant Onion Market Onion market price in Pimpalgaon today pimpalgaon onion market Market-Prices of Maharashtra-Nashik-Pimpalgaon Tomato in Nashik, टमाटर, नासिक Article By.- VikramMarket.
सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय 2022
Best highest milk-producing cattle breeds सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय 2022 -: 1} holstein friesian- होल्सटीन फ़्रिसियन गाय इस नसल का जन्म स्थान होलैंड है। यह दूध के उत्पादन में सबसे अच्छी नसल है। यह गाय प्रति ब्यांत में औसतन 5500-6500 किलो दूध देती है और दूध में 3.5-4.0 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है। हर रोज़ यह औसतन 25 लीटर दूध देती है। इस गाय की मिश्रित नसल रोज़ 10-15 लीटर दूध देती है। इस गाय का औसतन भार 580 किलो होता है। 2} Gir Cow– गिर गाय गिर गाय भारत की सबसे प्रसिध्द दूध देने वाली नस्ल के रूप में जानी जाती है. देश में यह गुजराज राज्य (gir cow gujarat) के वन क्षेत्र तथा राजस्थान के कुछ जिलों में पायी जाती है. विश्व इसके पालन के लिए विशेष रूप से ब्राजील मेक्सिको अमेरिका वैनेजुएला आदि अनेक देशों में अधिक संख्या में ले जाई गई है।गिर गाय एक दिन (gir cow milk per day) में लगभग 12 लीटर से अधिक दूश देने की क्षमता रखती है. जिसमें 4.5 प्रतिशत तक वसा पाया जाता है। 3} Jersey Cow– जर्सी गाय यह गाय यू. के., जर्सी द्वीप से है। इसके शरीर का रंग लाल हल्का पीला, कोणीय और सघन शरीर और माथा डिश के आकार का होता है। यह अन्य सभी नसलों में से सबसे छोटी नसल है। इसके भूरे रंग के शरीर पर लाल धब्बे होते है।। यह रोज़ 20 लीटर दूध देती है। 4} Rathi Cow– राठी गाय राठी राजस्थान के पश्चिमी भागों में मिलने वाली यह एक प्रमुख दूध देने वाली गौ प्रजाति है। राठी नस्ल दूशी गायो में सबसे सुन्दर, साहीबाल से गुण मिलते हैं। गाय की यह नस्ल काफी मेहनती होती है।राठी गाय कम खाने से भी अधिक दूध दे सकती है। राठी गाय की त्वचा बहुत आकर्षित होती है। यह गाय किसी भी क्षेत्र में रह सकती है। यह कम चारा में अच्छा दूध दे सकती है। 6-8 लीटर तक आसानी से। 5} Red Sindhi Cow– लाल सिंधी गाय लाल सिंधी गाय को अधिक दूध देने के लिए जाना जाता है। लाल रंग होने के कारण ही इसका नाम लाल सिंधी गाय पड़ा। इस गाय का रंग लाल बादामी भी होता है वहीं आकार में यह साहिवाल से लगभग मिलती जुलती है। लाल सिंधी गाय भी सालाना 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती हैं। 6} Guernsey cattle / Cow– ग्वेर्नसे गाय ग्वेर्नसे गायों को सुनहरे रंग का दूध देती है, क्योंकि दूध में बीटा-कैरोटीन की मात्रा अधिक होती है। ग्वेर्नसे गायें की ब्रीड मूल ब्रिटेन से है , लेकिन कई किसान मानते हैं कि ग्वेर्नसे गायों को दो फ्रांसीसी गायों की नस्लों का हायब्रिड है । ग्वेर्नसे गाय हाथ से दूध देने के लिए एकदम सही हैं और छोटे खेतों पर पसंदीदा हैं क्योंकि वे मिलनसार और विनम्र हैं। क्योंकि ग्वेर्नसे गायों को उनके छोटे आकार के कारण चरने के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। उन्हें स्वस्थ रखने और अच्छे दूध का उत्पादन करने के लिए कम फ़ीड की भी आवश्यकता होती है। एक ग्वेर्नसे गाय एक दिन में लगभग 22 लीटर दूध का उत्पादन करती है। Article By.- VikramMarket. पशुपालन
DHANIYA Price_धनिया 4 हजार रुपए शेकडा
CorianderPrice_धनिया 4 हजार रुपए शेकडा DHANIYA Price: मौजूदा समय में सब्जियों की कीमत पर गौर करें तो सब्जियां आम लोगों का आर्थिक बजट खराब कर रही हैं और सभी सब्जियों के दाम ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं। कीमत में इस बढ़ोतरी को माने तो महाराष्ट्र में अक्टूबर के महीने में हुई वापसी की बारिश ने काफी नुकसान किया जिससे कई सब्जियों की फसल कटाई के समय बारिश में फंस गई।एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इन बारिश से जो भी सब्जियां बची हैं, उनकी फसल दीवाली की छुट्टियों के दौरान रोख दी गयी , जिससे सब्जियों की आपूर्ति भी प्रभावित हुई. मौजूदा हालात पर विचार करें तो व्यापारी सीधे बांध पर धनिया खरीदने जा रहे हैं और कहीं कही जगह धनिया का बाजार भाव 4000 रुपये शेकडा तक जा रहा है। मांग के कारण बाजारों में धनिया की भारी कमी है ,और इससे धनिये का उत्पादन लेने वाले किसानों को फायदा हो रहा है क्योंकि बाजार भाव बढ़ रहा है। लेकिन इन सब्जियां अक्टूबर में हुई बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और इस बारिश में कई किसानों की धनिया और मेथी की फसल को नुकसान पहुंचा है. लेकिन जिन किसानों की फसल बारिश से बच गई। ऐसी फसलों की अब बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है और मेथी और धनिया का बाजार मूल्य बढ़ गया है। इसी बढ़ती मांग के चलते व्यापारी सीधे किसानों के खेत मैं जाकर धनिया खरीद रहे है। 02/11/2022 धनिया के मार्किट भाव अकलुज नग 10 15 13 कोल्हापूर क्विंटल 2500 7500 5000 पुणे-मांजरी नग 4 15 10 औरंगाबाद नग 500 800 650 पाटन नग 8 12 10 खेड-चाकण नग 1000 1800 1400 श्रीरामपूर नग 10 15 12 मंगळवेढा नग 5 20 13 राहता नग 25 35 30 कळमेश्वर क्विंटल 7050 8000 7520 रामटेक क्विंटल 8000 10000 9000 सोलापूर नग 500 1400 900 अमरावती- फळ आणि भाजीपाला क्विंटल 2500 3500 3000 जळगाव क्विंटल 3000 7000 5000 पुणे नग 600 1300 950 पुणे- खडकी नग 14 20 17 पुणे -पिंपरी नग 6 9 8 नागपूर क्विंटल 3000 4000 3750 मुंबई क्विंटल 1600 3500 2550 भुसावळ क्विंटल 5000 5000 5000 कामठी क्विंटल 3500 4500 4000 रत्नागिरी नग 18 20 19 Article By.- VikramMarket.
40 हजार रुपए Kg बिकने वाला “मसाला”
40 हजार रुपए Kg बिकने वाला “मसाला” Asafoetida Farming: यदि हम भारत में हिंग के उत्पादन पर विचार करें, तो हमारे पास बहुत कम उत्पादन होता है और हमारी हिंग की आवश्यकता आयात से पूरी होती है। यह स्थिति हींग की खेती के माध्यम से भारी धन कमाने का अवसर प्रदान कर रही है। यह एक मसालेदार व्यंजन है और खाना पकाने में हींग का उपयोग किया जाता है। हींग की खेती सबसे पहले भारत में हिमाचल प्रदेश से की गई थी। हींग के बाजार भाव पर गौर करें तो भारत में शुद्ध हींग की कीमत 35000 से 40 हजार रुपये प्रति किलो के बीच है। हींग एक मसाले के रूप में महत्वपूर्ण है लेकिन दुनिया के कई देशों में दवा के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।हींग की कुल वैश्विक खपत का लगभग 40% भारत में खपत होता है। तो हमारा भारत हिंग का एक बड़ा बाजार है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हिंग का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है । इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण और फायदेमंद होते हैं।भारत में 2020 में पहली बार हिमाचल प्रदेश से हींग की खेती शुरू हुई। हींग इतना महंगा क्यों है? hing ki kheti: हींग का पौधा गाजर और मूली के पौधों की श्रेणी में आता है. ठंडे और शुष्क वातावरण में इसका उत्पादन सबसे अच्छा होता है।पूरी दुनिया में हींग की क़रीब 130 किस्में हैं। इनमें से कुछ किस्में पंजाब, कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में उपजाई जाती है लेकिन इसकी मुख्य किस्म फेरुला एसाफोइटीडा भारत में नहीं पाई जाती है। हालांकि बीज बोने के बाद चार से पांच साल लगेंगे वास्तविक उपज पाने में. एक पौधे से क़रीब आधा किलो हींग निकलता है और इसमें क़रीब चार साल लगते हैं। इसलिए हींग की क़ीमत इतनी ज़्यादा होती है। हींग की क़ीमत इस पर भी निर्भर करती है कि इसे कैसे पैदा किया जा रहा है. भारत में शुद्ध हींग की क़ीमत अभी क़रीब 35 से 40 हज़ार रुपये है. हींग से कितना कमा सकते है ? हींग की खेती की लागत पर विचार करें तो एक हेक्टेयर के लिए तीन लाख रुपये खर्च होते हैं। अगले पांच वर्षों की आय पर विचार करें तो इस पद्धति से दस लाख रुपये तक का वित्तीय लाभ प्राप्त किया जा सकता है।इस माध्यम से प्राप्त होने वाली आर्थिक आय पर विचार करें तो बाजार में एक किलो हिंग की कीमत 35000 से 40 हजार रुपये प्रति किलो है। इस हिसाब से अगर आप महीने में पांच किलो हींग बेचते हैं तो भी आप आसानी से दो लाख रुपए कमा सकते हैं। Article By.- VikramMarket.
Solapur Onion_ प्याज 4000 रु प्रतिक्विंटल
Solapur Onion_ प्याज 4000 रु प्रतिक्विंटल Solapur Market Bhav: सोलापुर कृषि मंडी समिति के मार्किट में पिछले सप्ताह प्याज की आवक अपेक्षा से बोहत कम रही।लेकिन मांग के कारण अनियन के रेट में सुधार हुआ। प्याज की कीमत सबसे ज्यादा 4000 रुपये प्रति क्विंटल बताई जा रही थी।पिछले एक सप्ताह में मंडी समिति के परिसर में प्याज की आवक 100 से 200 कार प्रतिदिन थी। पिछले हफ्ते दिवाली की आवक में थोड़ी गिरावट आई। लेकिन यह लगातार बना रहा, और कीमत में भी सुधार हुआ क्योंकि मांग के मामले में कोई आमद नहीं थी। प्याज का सबसे ज्यादा आयात स्थानीय क्षेत्र से होता है। प्याज का न्यूनतम भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल, औसतन 2000 रुपये और अधिकतम 4000 रुपये प्रति क्विंटल हुआ। Solapur Vegetable Market :पिछले सप्ताह भी 200 रुपये से 400 रुपये प्रति क्विंटल के उतार-चढ़ाव को छोड़कर कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रहीं। इसके अलावा हरी मिर्च, बैगन और ओकरा की कीमतों में तेजी का सिलसिला भी जारी रहा। बैगन और हरी मिर्च की आवक 20 से 40 क्विंटल रही। जबकि ओकरा की आय 10 से 15 क्विंटल रही। हरी मिर्च कम से कम 1,500 रुपये प्रति क्विंटल, औसतन 2,000 रुपये और अधिकतम 3,000 रुपये प्रति क्विंटल, बैंगन कम से कम 1,000 रुपये प्रति क्विंटल, औसतन 3,500 रुपये और अधिकतम 7,000 रुपये और ओकरा प्राप्त हुआ। न्यूनतम 700 रुपये, औसत 2,000 रुपये और अधिकतम 3,500 रुपये प्रति क्विंटल। सोलापुर Mandi Bhav Today | आज का मंडी भाव – 31-10-2022 ( सोमवार ) Solapur Mandi Bhav Today | आज का सोलापुर मंडी भाव सब्जी कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरारी भाव कांदा लाल क्विं 100 4000 1800 टोमॅटो क्विं 1000 1800 1500 कारली क्विं 1000 4000 2000 वांगी क्विं 2500 5000 4000 कोबी क्विं 1000 1800 1400 मिरची (लाल) क्विं 5000 21600 16000 गवार क्विं 4000 6000 5000 कोथंबीर नग 800 1500 1270 सोलापुर मार्किट भाव काकडी क्विं 2000 4500 3000 सिताफळ क्विं 2000 10000 5000 फ्लॉवर नग 950 2000 1600 लसूण क्विं 1100 4500 2100 घेवडा क्विं 3000 5500 4000 मिरची (हिरवी) क्विं 2000 2500 2200 चाकवत नग 800 1000 900 अंबाडी भाजी नग 800 800 800 कांदा पात नग 600 800 700 भेडी क्विं 2000 3000 2500 नाशिक मार्किट के भाव देखे -: मुझे क्लीक करो लिंबू क्विं 900 5500 3000 मेथी भाजी नग 1000 1800 1300 मोसंबी क्विं 2000 5000 2500 बटाटा क्विं 800 3000 2000 डाळींब क्विं 1000 17500 4000 शेपू नग 800 1100 900 तांदूळ क्विं 3020 6400 3730 गहू क्विं 2310 3405 2720 पालक नग 800 1200 1000 कलिंगड क्विं 1000 2000 1500 सभी मार्किट भाव Referring to – SolapurMarket . https://www.vikrammarket.com/2022/10/31/भविष्य-मैं-गेहू-की-कमी_कीम/
भविष्य मैं गेहू की कमी_कीमते बढ़ेगी !
भविष्य मैं गेहू की कमी_कीमते बढ़ेगी ! Wheat: पांच दशक पहले देश में गेहूं और चावल की मांग में भारी अंतर था। 1970 में गेहूं की मांग 2.2 मिलियन टन थी, जबकि चावल की मांग 4.15 मिलियन टन थी। गेहूं की मांग मुख्य रूप से उत्तर भारत से है जबकि चावल की मांग पूर्व और दक्षिण भारत से है। वैश्वीकरण के बाद भारतीयों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है।बाहर खाने वालों की संख्या बढ़ी है। बिस्कुट, नूडल्स, बेकरी उत्पादों की भी मांग बढ़ी। इसके अलावा, उत्तर भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है क्योंकि जन्म दर दक्षिण भारत की तुलना में अधिक है। नतीजतन, गेहूं की वार्षिक मांग की दर चावल की तुलना में अधिक हो गई है। इस साल हमारी गेहूं की मांग 1097 लाख टन तक पहुंच गई है, जबकि चावल की 1095 लाख टन तक पहुंच गई है। धान की खेती खरीफ, रबी मौसम और यहां तक कि गर्मियों में देश के किसी भी हिस्से में प्रचुर मात्रा में पानी की आपूर्ति के साथ की जा सकती है। लेकिन गेहूं रबी में ही बोया जा सकता है। गेहूं की फसल के लिए ठंड लगती है। इसलिए, दक्षिणी राज्यों में गेहूं नहीं उगाया जा सकता है। महाराष्ट्र में भी गेहूँ केवल उत्तर के कुछ हिस्सों में ही उगाया जाता था।इसी तरह, चावल की तरह, गेहूँ के उत्पादन की गारंटी सिर्फ इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि फसल को सही समय पर पानी पिलाया जाता है और खाद दी जाती है। क्योंकि उर्वरक और पानी के साथ-साथ तापमान भी गेहूं की उत्पादकता को निर्धारित करता है। Wheat Shortage |गेहू का उत्पादन कम हुवा पिछले साल अच्छी बारिश के चलते किसानों ने गेहूं की बुवाई बढ़ा दी थी। पहले कुछ महीनों में फसल भी अच्छी थी। इसलिए केंद्र सरकार रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद पर दुनिया की भूख मिटाने की बात करने लगी. हालांकि, अनाज के पकने के समय तापमान में वृद्धि के कारण उपज में कमी आई थी। पिछले साल गेहूं का उत्पादन 1096 लाख टन था। केंद्र सरकार के मुताबिक इस साल 1068 लाख टन का उत्पादन हुआ।लेकिन यह सरकारी आंकड़ा है। खुले बाजार में उपलब्ध स्टॉक और केंद्र सरकार द्वारा गेहूं की खरीद को लगभग आधा करने के आधार पर, प्रमुख व्यापारिक घरानों ने गेहूं का उत्पादन 95 मिलियन टन तक गिरने का अनुमान लगाया है। स्थानीय मांग 1097 लाख टन है। यानी उत्पादन मांग से करीब 14.6 लाख टन कम है। गेहू की कीमते बढ़ रही है स्वाभाविक रूप से, कीमतें 30 प्रतिशत बढ़कर नई ऊंचाई पर पहुंच गईं। लेकिन पिछले साल केंद्र सरकार ने रिकॉर्ड 433 लाख टन गेहूं खरीदा था। इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी सीमित रही। नहीं तो कीमतें दोगुनी या तिगुनी हो जातीं। भारत ने सीजन की शुरुआत में कुछ देशों को गेहूं का निर्यात भी किया। हालांकि, उत्पादन में गिरावट के कारण निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का अचानक निर्णय लिया गया।सितंबर के मध्य में मानसून उत्तर भारत से वापस चला जाता है। हालांकि इस साल सितंबर के आखिरी हफ्ते में भी उत्तर भारत में मॉनसून की बारिश हो रही है। इससे कटाई के लिए तैयार खरीफ सीजन की फसल को नुकसान हो रहा है। अगर कुछ सप्ताह और बारिश जारी रही तो रबी फसलों की बुवाई में भी देरी होगी। फिर लोंबा गेंहू भरते समय ठंड नहीं लगेगी। तापमान में इजाफा होगा। इससे उत्पादन में कमी आ सकती है। इस साल पिछले साल के स्टॉक की शेष राशि के कारण इसे पूरा किया गया है। गेहू की कीमत देखे -: सभी मार्किट भाव गेहू आयात करना पढ़ेगा ? लेकिन अगले साल अगर उत्पादन में गिरावट आती है तो हमें गेहूं का आयात करना होगा। इससे पहले 2017 में 53 लाख टन गेहूं का आयात करना पड़ा था। लेकिन तब कई देशों में गेहूं का अधिशेष उत्पादन होता था। अब ऐसा नहीं है। भारत गेहूं उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। अक्सर हम निर्यात भी करते रहते है । लेकिन अगर हमें अगले साल 90 या 100 लाख टन गेहूं का आयात करना है, तो विश्व बाजार में कीमतें बहुत बढ़ जाएंगी। इसलिए भारत को तभी फायदा होगा जब रूस, यूक्रेन और अन्य देश अतिरिक्त गेहूं उगाएंगे। गेहू पर आनुवंशिक संशोधन नहीं हो रहा ! भारत में गेहूं की उत्पादकता वृद्धि लगभग जमी हुई है। हरित क्रांति में हम संकर बीजों की नई किस्मों की मदद से गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम थे। लेकिन अब ऐसा कोई ‘सफलता’ शोध हाथ में नहीं है। हम इस बात पर अड़े हैं कि हमें आनुवंशिक संशोधन (जीएम) के माध्यम से विकसित बीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए। हालांकि, विकल्प के रूप में नए संकर विकसित करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं कराया गया है। सिर्फ गेहूं ही नहीं, सभी फसलों पर अनुसंधान के लिए सरकार का समान उदासीन दृष्टिकोण है। बदलते मौसमी चक्र के कारण किसानों को नई किस्में उपलब्ध कराने की तत्काल आवश्यकता है। भारत की जलवायु के पूरक के लिए सूखे और अत्यधिक वर्षा के लिए अनुकूल कम अवधि वाली फसल किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता है। लेकिन उसके लिए फंडिंग बढ़ाने की बजाय शोध संस्थानों की फंडिंग में कटौती की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा बीज रॉयल्टी के मुद्दे पर बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियों पर दमनकारी शर्तें थोपने के कारण वे नई किस्मों पर शोध करने से भी कतरा रही हैं। Article By.- VIkramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/10/29/basmati_बासमती-धान-की-खेतीदाम/
Basmati_बासमती धान की खेती&दाम
Basmati_बासमती धान की खेती&दाम India: भारत एक कृषि प्रधान देश है, धान (चावल) यहां का महत्वपूर्ण फसल है और चावल लगभग आधे से ज्यादा भारतीय आबादी का मुख्य भोजन है। धान विश्व की तीन महत्वपूर्ण खाद्यान फसलों में से एक है इसकी खेती विश्व में लगभग 150 मिलियन हेक्टेयर और एशिया में 135 मिलियन हेक्टेयर में की जाती है। धान की बासमती (Basmati) किस्म की दुनिया भर में मांग है। विश्व के तकरीबन 25 फीसदी शेयर के साथ भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत प्रतिवर्ष 30 हजार करोड़ से भी ज्यादा का बासमती चावल निर्यात करता है। बासमती चावल किस्मे | Basmati Rice Varieties Basmati Rice: बासमती चावल, चावल की किस्म की उत्तम किस्मों में से एक है, यह चावल अपनी एक विशिष्टि सुगंध तथा स्वाद के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। बासमती चावल की भी कई किस्में होती है। जैसे की 1) पूसा बासमती 1637 2) पूसा बासमती 1509 _इन किस्मों के अलावा हमारे देश में धन की कई अन्य किस्मों की खेती भी की जाती है। जिनमे पूसा बासमती 6, पूसा- 44, पी एन आर- 546, पी एन आर- 381, वल्लभ बासमती 22, मालवीय -105, आदि किस्में शामिल हैं। भूमि चयन कैसे करे बासमती धान की खेती के लिए अच्छे जल धारण क्षमता वाली चिकनी या दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। धान की खेती के लिए 2 से 3 बार जुताई करना चाहिए। साथ ही खेतों की मजबूत मेड़बन्दी भी कर देनी चाहिए। इस प्रक्रिया से खेत में वर्षा का पानी अधिक समय के लिए संचित भी किया जा सकता है। वहीं अगर हरी खाद के रूप में ढैंचा/सनई ली जा रही है तो इसकी बुवाई के साथ ही फास्फोरस का भी प्रयोग कर लिया जाएगा। धान की बुवाई/रोपाई के लिए एक सप्ताह पूर्व खेत की सिंचाई कर देना चाहिए। वहीं खेत में खरपतवार होने के बाद इसके पश्चात ही बुआई के समय ही खेत में पानी भरकर जुताई कर दें। बासमती के दाम | Price Of Basmati Basmati dhan ki kheti :- इस बार बासमती धान की सभी वैरायटियों के भाव पिछले सीजन की समान अवधि की तुलना में करीब 300 रुपये तक ज्यादा मिल रहे हैं। इस बार खरीद सीजन शुरू की शुरुआत में ही किसानों को उनकी फसल के बंपर दाम मिल रहे हैं, जबकि पिछले सीजन में बासमती धान की कुछ वैरायटियों के भाव सीजन के अंत में जाकर उछले थे। तब तक अधिकतर किसान अपनी फसल बेच चुके थे। इस कटाई सीजन में इस बार बासमती 1509 वैरायटी का रेट 3300 रुपये प्रति क्विंटल खुला था। यह कम समय में पकने वाली किस्म है और सबसे पहले पककर मंडियों में आती है. 1509 धान का भाव अब हरियाणा की कई मंडियों में 3750 रुपये तक चल रहा है। इसी तरह बासमती 1718 अभी मंडियों में आनी ही शुरू हुई है और रेट 3700 रुपये तक हरियाणा में हो गया है। बासमती की ही एक और वैरायटी डीपी 1401 शुरुआत में ही 3700 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक चुका है। बासमती का रेट भी तेज है. अभी इसकी ज्यादा आवक नहीं है।1121 अभी तक 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकी है। Article By – VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/10/25/fish-farming_मछली-पालन-की-जानकारी/ सभी मार्किट भाव
#trend_टोमेटो-आलू का उत्पादन घटा
#trend_टोमेटो-आलू का उत्पादन घटा News:- इस साल देश में आलू और टमाटर का उत्पादन चार से पांच फीसदी घटने का अनुमान है, जबकि पिछले साल की तुलना में प्याज का उत्पादन बढ़ने की संभावना है. कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में बागवानी फसल उत्पादन अनुमानों की घोषणा की गई थी। टमाटर उत्पादन में चार फीसदी की गिरावट Tomato: इस बार टमाटर के उत्पादन में 4 फीसदी की कमी आने की संभावना है. इस साल टमाटर का उत्पादन करीब 2 करोड़ 3 लाख टन होने की संभावना है। पिछले साल टमाटर का उत्पादन करीब 2 करोड़ 11 करोड़ टन था। आलू का उपत्पादन घटा Potato: कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में आलू का उत्पादन 5 फीसदी घटकर करीब 5.33 मिलियन टन रह जाएगा। पिछले साल आलू का उत्पादन करीब 5 करोड़ 61 लाख टन था। केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक फसल वर्ष के लिए अलग-अलग समय पर अनुमान जारी किए जाते हैं। प्याज का उत्पादन बढ़ेगा Onion: कृषि मंत्रालय ने इस साल प्याज के उत्पादन में बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं। इस साल करीब 3 करोड़ 12 लाख टन प्याज का उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले साल करीब 2 करोड़ 66 लाख टन उत्पादन हुआ था। सब्जी और फलो का उत्पादन बढ़ा Vegetable: वहीं दूसरी ओर फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। इस साल देश में सब्जियों का उत्पादन करीब 20 करोड़ 48 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल उत्पादन करीब 20 करोड़ 4 लाख टन था. इस वर्ष फलों का उत्पादन लगभग 10 करोड़ 72 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल फलों का उत्पादन करीब 10 करोड़ 24 लाख टन था। Article By- VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/10/25/fish-farming_मछली-पालन-की-जानकारी/
पॉलीहाउस में सब्जियों के साथ “मधुमक्खी पालन”
पॉलीहाउस में सब्जियों के साथ “मधुमक्खी पालन“ Beekeeping:- भारत शुरवात से ही कृषी प्रधान देश बना रहा है। भारत में खेती अब पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीक से भी की जाती है। कृषि के क्षेत्र में हर दिन नए बदलाव हो रहे हैं। कृषि में मशीनीकरण गति पकड़ रहा है। इससे कृषि की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी। ऐसा ही एक आधुनिक विकल्प ICAR-IIHR के वैज्ञानिकों ने ईजाद किया है। जिसमें किसान फल, फूल और सब्जियों के साथ-साथ मधुमक्खियों से भी उपज प्राप्त कर सकते हैं। अब तक किसान खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन, मछली पालन आदि व्यवसाय कर अतिरिक्त पैसा कमा रहे थे। लेकिन अब किसान शहद बेचकर अतिरिक्त पैसा कमा सकते हैं। क्योंकि आईसीएआर-आईआईएचआर के वैज्ञानिकों ने पॉलीहाउस से फसलों से शहद पैदा करने का तरीका ढूंढ लिया है। इसके माध्यम से किसान मधुमक्खियों से शहद निकाल सकते हैं और अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। पॉलीहाउस मैं मधुमक्खी पालन कैसे संभव है ? beekeeping business: अब तक किसान खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन, मछली पालन आदि व्यवसाय कर अतिरिक्त पैसा कमा रहे थे। लेकिन अब किसान शहद बेचकर अतिरिक्त पैसा कमा सकते हैं। क्योंकि आईसीएआर और आईआईएचआर के वैज्ञानिकों ने पॉलीहाउस से फसलों से शहद पैदा करने का तरीका ढूंढ लिया है। इसके माध्यम से किसान मधुमक्खियों से शहद निकाल सकते हैं और अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। पॉलीहाउस को फसलों के लिए सुरक्षा कवच के रूप में जाना जाता है। क्योंकि पॉलीहाउस फसलों को बारिश, हवा, कीड़ों, बीमारियों से बचाता है। यह फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करता है। आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया ह। जिसमें खरबूजे और ककड़ी की फसलों के लिए एक पॉलीहाउस में ‘एपिस सेराना’ और डंक रहित मधुमक्खी ‘टेट्रागोनुला इरिडिपेनिस’ की एक युनिट लगाई गई थी। मधुमक्खी के छत्ते की युनिट इस तरह से स्थापित की गई थी कि मधुमक्खियों के लिए अंदर और बाहर निकलना आसान था। मधुमक्खी पालन युनिट कैसे स्थापित करें? | beekeeping India Polyhouse Farming: पॉलीहाउस मधुमक्खी पालन और फसल परागण पर शोध करने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने मधुमक्खी के डिब्बे को पॉलीहाउस की छत से लटका दिया और 8 फ्रेम बॉक्स इस तरह से लगा दिए कि मधुमक्खियां उसमें से आगे-पीछे हो सकें। इस समय मधुमक्खियां परागण शुरू करती हैं और शहद और मोम के छर्रों को बनाने के लिए छत्ते में लौट आती हैं। इस प्रकार मधुमक्खियां एक स्थान पर बंद रहते हुए शहद एकत्र करती हैं। मधुमक्खी पालन अब देश में लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि इसका किसान की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मधुमक्खियों के बारे मैं जानकारी | Information About Bees मधुमक्खी पालन से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। एक खेत में गर आप एक पेटी रखते हो तो , उसमैं से आप एक वर्ष में 50 किलो शहद और 2 से 3 मधुमक्खियों के बॉक्स भरकर कर नए मधुमक्खियों मिल सकती है। ये नई मधुमक्खियां से आप अपना मधुमक्खियों का व्यवसाय और बढ़ा सकते है। एक पेटी में कुल 3 तरह की मधुमक्खियां रखी जाती हैं। इन तीन प्रकार की मधुमक्खियों में रानी मधुमक्खियाँ, नर मधुमक्खियाँ और श्रमिक मधुमक्खियाँ शामिल हैं। एक बॉक्स में कार्यकर्ता मधुमक्खियों की संख्या 30,000 से 1 लाख तक होती है – ये वही मधुमक्की होती है जो शहद जमा कर के लाती है । नर मधुमक्खियों की संख्या लगभग 100 है। इसमें रानी मधुमक्खियों की संख्या मात्र 1 होती है। विभिन्न प्रकार की मधुमक्खियों का जीवन काल अलग-अलग होता है। एक रानी मधुमक्खी 1 वर्ष तक जीवित रहती है, एक नर मधुमक्खी 6 महीने तक जीवित रहती है और एक श्रमिक मधुमक्खी लगभग डेढ़ महीने तक जीवित रहती है। Article By.- VikramMarket.
Goat farming_ ३ बकरिया_अधिक मुनाफा
Goat farming_ ३ बकरिया_सबसे अधिक मुनाफा Bakriyan Ki Nassle: बकरी पालन व्यवसाय में अच्छा पैसा प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात बकरी पालन व्यवसाय शुरू करते समय बकरी पालन के लिए बकरियों की नस्ल का चयन करना। ज्यादातर लोग बकरी पालन व्यवसाय के शुरुवात में ही असफल हो जाते है; जिसका कारण बकरियों के नस्ल की गलत चुनाव। क्योकि बकरियों के नस्ल पर ही पूरा बकरी पालन व्यवसाय निर्भर करता है। अगर हम पूरे भारत को देखें तो हमारे पास बकरियों की बहुत सारी नस्लें हैं। लेकिन सबसे अच्छे नस्ल को आप नहीं चुनेंगे तो – बकरी पालन व्यवसाय से आप कुछ ज्यादा नहीं कमा पाएंगे । इसी लिए ये आर्टिकल पूरा पढ़िए और अपना नुकसान होने से बचिए । 1. Barbari goat बरबेरी बकरी – यह नस्ल उत्तर प्रदेश राज्य में पाई जाती है। यह उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़ और इटावा में पाया जाता है। यह नस्ल बकरी पालन में अधिक दूध देने वाली नस्ल के रूप में प्रसिद्ध है।इस नस्ल के नर का वजन 40 से 50 किलो और मादा बकरी का वजन 35 से 40 किलो के बीच होता है। यदि हम भौतिक विवरण पर विचार करें, तो यह सफेद रंग का होता है और शरीर पर काले धब्बे होते हैं। ये बकरियां आकार में ठूंठदार दिखती हैं क्योंकि इनके पैर पतले होते हैं। इस बकरी की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह दो या तीन बच्चों को जन्म देती है और 15 महीने की अवधि में ये दो बार माँ बनती है। अगर प्रति दिन दूध की मात्रा पर विचार करें तो औसतन प्रतिदिन डेढ़ से दो लीटर दूध मिलता है। 2. Sirohi goat सिरोही – बकरी की यह नस्ल मुख्य रूप से राजस्थान राज्य में पाई जाती है। सिरोही नस्ल की बकरियां ज्यादातर राजस्थान के सिरोही जिले में पाई जाती हैं तथा सिरोही जिले से लगे हुए कुछ जिले जैसे नागौर, सीकर, अजमेर, टोंक, उदयपुर, भीलवाड़ा इन जिलों में भी सिरोही नस्ल की बकरी का पालन किया जा रहा है । राजस्थान राज्य के साथ-साथ यह इससे लगे हुए राज्यों में भी पाई जाती है जैसे गुजरात उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और हरियाणा। यह बकरी राजस्थान में मुख्यता अरावली पर्वत श्रंखला के आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है। यह नस्ल मांस उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और ये बकरियां शरीर से काफी मजबूत होती हैं।इस नस्ल की बकरिया बड़े काले धब्बों के साथ हल्के भूरे रंग के होते हैं और सींग मध्यम आकार के होते हैं और पीछे की ओर मुड़े होते हैं। सिरोही नर का वजन 50 किलो और मादा का वजन 25 किलो होता है। सिरोही बकरी फार्म खोलने से पहले आप अपने इलाके में अगर किसी भी किसान के द्वारा सिरोही बकरी का पालन किया जा रहा है तो वहां विजिट जरूर करें और इसके बारे मैं सभी जानकारी ले । 3. Black Bengal Goat ब्लॅक बंगाल – बकरी की इस नस्ल पर विचार करें तो यह नस्ल पश्चिम बंगाल राज्यों में बड़ी संख्या में पाई जाती है।ब्लॅक बंगाल इस बकरी की नस्ल की कोमल त्वचा के कारण इस नस्ल की बकरी की भारत और विदेशों में काफी मांग है। यह नसल बिहार, उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल में पायी जाती है। यह मुख्यत: काले रंग की होती है। यह भूरे, सफेद और सलेटी रंग में पायी जाती है, लेकिन काले रंग की नसल सबसे आम है। इस नसल की त्वचा मीट उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। इस नसल की दूध उत्पादन की क्षमता अत्याधिक कम होती है। नर बकरी का भार 25-30 किलो और मादा बकरी का भार 20-25 किलो होता है। यह नसल प्रौढ़ की अवस्था पर जल्दी पहुंच जाती है और प्रत्येक ब्यांत में 2-3 बच्चों को जन्म देती है। ब्लॅक बंगाल इस बकरी को अन्य पशुधन की तुलना में रहने के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। इस नस्ल के साथ बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक पूंजी और निवेश बहुत कम है और यह सामान्य लोगों की क्षमता के भीतर है। Article By.- VikramMarket.
#trend_गेहूं-चावल-प्याज-दाल-तेल – दाम “कम” ज्यादा
इस आर्टिकल मैं हम बाजार मैं घट रही जानकारी कम शब्दों मैं आपको देंगे । #trend_गेहूं-चावल-प्याज-दाल-तेल – दाम “कम” ज्यादा Farmer Market Trend गेहूं सस्ता-चावल महंगा | Wheat: प्रतिबंध के बाद भी सनसुदी में गेहूं की कीमत में चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि बासमती चावल की कीमत में 12 फीसदी की कमी आई है. बासमती चावल को छोड़कर अन्य चावल पांच फीसदी सस्ते हुए हैं। प्याज के दाम ठीक ठाक | Onion OnionPrice: भंडारण क्षमता में सुधार के साथ-साथ उत्पादन में वृद्धि के कारण प्याज ने इस साल अक्टूबर-दिसंबर के दौरान प्याज लगाने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा कमा के दिया है। हलाकि किसानों की मनपसंद कीमत तो नहीं पर जितना अभी हाल फ़िलहाल प्याज के दाम है वे भी ठीक है। लासलगांव बाजार में प्याज के दाम पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी कम हैं। प्याज की मौजूदा कीमत 1,220 रुपये प्रति क्विंटल है। पिछले साल यह 2,354 रुपये था। दिवाली की वजह से दाल की कीमत मैं बढ़ोत्तरी Diwali: दिवाली से पहले दालों के दाम बढ़ गए हैं। अरहर दाल की कीमत में पिछले एक हफ्ते में चार से पांच रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही उड़ीद दाल और खाद्य तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। दाल कीमतों का असर थोक बाजार समेत खुदरा बाजार पर दिखने लगा है। देखा जा सकता है कि उत्पादन घटने की आशंका से दालों के दाम बढ़ रहे हैं। इस साल भारी बारिश से दाल वाली फसलों को काफी नुकसान हुआ है। संभावना है कि आने वाले समय में दाल उत्पादन में कमी आएगी। इसलिए दालों के दाम अभी से बढ़ना शुरू हो गए हैं। तुर दाल की कीमत बढ़ी Tur Dal: पिछले आठ दिनों में अरहर दाल के भाव में चार से पांच रुपए का इजाफा हुआ है। फिलहाल तुर दाल का थोक बाजार भाव 110 रुपये प्रति किलो है। खुदरा बाजार में अरहर दाल की कीमत 125 से 130 रुपये प्रति किलो हो गई है। उड़ीद दाल की कीमत बढ़ी Urad Dal: उड़ीद की दाल 97 से 100 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रही थी. लेकिन दिवाली से पहले उड़ी दाल की कीमत 105 रुपये से 110 रुपये तक पहुंच गई है। तेल की कीमत मैं बढ़ोतरी साथ ही खाद्य तेल की कीमतों में तेजी की भी आशंका है। खाद्य तेल 3 से 4 रुपए महंगा हो गया है। आशंका जताई जा रही है कि इसमें और इजाफा होगा। Article By.- VIkramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/10/07/goat-milk_बकरी-का-दूध-है-सेहतमंद/ Tag : The Trend Of Farmers’ Markets In India Indian Farming Market Farmers’ Markets – Agricultural Marketing kheti kheti news Farming News in Hindi खेती की ताज़ा खबरे हिन्दी में खेती News, खेती की ताज़ा ख़बर, खेती हिंदी न्यूज़ Latest Kheti Kisani News in Hindi खेती समाचार | खेती की ताजा खबर, लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट, खेती की ताज़ा ख़बर, ब्रेकिंग न्यूज़ एग्रीकल्चर न्यूज़ हिंदी में: कृषि की ताजा खबरें
Fish farm_मछली पालन की जानकारी
Fish farming_मछली पालन की जानकारीmachli palan ki jankari in hindi MACHHLI PALAN: मत्स्य विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर कई सारे युवा आज इस काम को कर रहे हैं। यदि किसान भाई मछली पालन का व्यवसाय शुरू करते हैं, तो इस माध्यम से कम अनुभव और अध्ययन के साथ बहुत अच्छा पैसा कमा सकते है । अगर आप भी मछली पालन करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको बस कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी योजनाएं चला रही हैं जिसकी मदद से आप कम से कम पैसे में इसकी शुरुआत कर सकते हैं. कम पानी और कम खर्च में अधिक से अधिक मछली उत्पादन करने के तरीकों के बारे में भी सरकार से आप जानकारी हासिल कर सकते हैं। भारत में मत्स्य पालन के प्रकार * समुद्री मित्स्यिकी समुद्री जल में कुल मत्स्य पालन का 40% उत्पादित होता है। इसके अंतर्गत प्रमुख उत्पादक क्षेत्र कच्छ, मालाबार एवं कोरोमंडल के तटीय क्षेत्र है। भारत में समुद्री जल में पाई जाने वाली प्रमुख मछलियां सरडाइन, हेरिग, ज्यूफिश, भारतीय सामन आदि है। * स्वच्छ जल या अन्तदेशीय मित्स्यिकी आंतरिक जलीय क्षेत्र को स्वच्छ जलीय क्षेत्र माना जाता है, जिसके अंतर्गत नदियां, नहरे, तालाब, झीले आदि आते है। इन क्षेत्रों में विशाल जनसंख्या को पूर्ण अथवा अल्प रोजगार प्राप्त होता है। स्वच्छ जल में कुल मत्स्य उत्पादन का 60 प्रतिशत उत्पादित होता है। रोहू, कतला, मशीर, मुरार आदि स्वच्छ जल में पाई जाने वाली मछलियां है। मछली प्रजातियां Mrigal carp_मृगल मछली Mrigal carp- मृगल इस प्रकार की मछली बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस मछली का मुंह चौड़ा और पतले होंठ होते हैं।तलाव की मिट्टी से निकले कार्बनिक पदार्थ , शैवाल और प्लवंग इस मछली का भोजन हैं और यह मछली एक वर्ष में 600 ग्राम तक बढ़ती है। यदि मछली को मस्त्य पालन के लिए चुना जाता है, तो यह निश्चित रूप से अधिक उत्पादन देगी और अच्छा आर्थिक लाभ भी देगी। Rohu fish _ रोहू मछली रोहू – मछली की इस प्रजाति का शरीर लंबा और शरीर पर शल्क होते हैं। यह पानी की मध्य परत में भोजन पर फ़ीड करता है। रोहू प्रजाति के होंठ के दाँतेदार किनारे होते हैं। इसका उपयोग वो पौधों को खींचने के लिए किया करता ह। इस मछली की वृद्धि प्रति वर्ष 1 किलो तक होती है। katla fish _ कटला मछली कटला- इस प्रकार की मछली का सिर बड़ा होता है और यह सतह पर रहने वाली मछली होती है। इसके शरीर पर शल्क होते हैं और इसका मुंह एक तरफ होता है।इस प्रकार की शारीरिक संरचना उसके लिए सतही भोजन खाना आसान बनाती है। इस मछली के होंठ मोटे होते हैं। यह मछली एक साल में 1 से 1.5 किलो तक बढ़ जाती है। मछली की अन्य प्रजातियों की तुलना में इनकी वृद्धि तेज होती है। Jinga Fish _झींगा मछली झींगे ( कोळंबी ) – झींगे का उपयोग मीठे पानी की मस्त्य पालन के लिए किया जाता है। मीठे पानी की जलीय कृषि पिछले कुछ वर्षों में बहुत लोकप्रिय हो गई है और महाराष्ट्र में कुल भूमि क्षेत्र को देखते हुए, पश्चिमी महाराष्ट्र में गन्ने के कारण भूमि की उत्पादकता में कमी आई है।इस जगह का भूमि उपयोग, यदि उपरोक्त सभी पहलुओं का प्रबंधन किया जाता है, तो मछली पालन के लिए फायदेमंद है और इसके लिए झींगा एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रजाति है। सिल्वर, ग्रास, भाकुर व नैना जैसे मछलियों का पालन भी आप आसानी से कर सकते हैं। इन मछलियों को 200 से 400 रुपये किलो तक बेचा जा सकता है। तालाब में मछली बीज डालने के 25 दिन बाद मछलिया बढ़ी होकर तैयार हो जाती है। मछली के बीज किसी भी हैचरी से खरीदे जा सकते हैं। हर जिले में मछली पालन विभाग होता है, जो मछली पालकों को हर तरह की मदद मुहैया करता है. नया काम शुरू करने वालों को मछली पालन की ट्रेनिंग भी दी जाती है। Article By.- VikramMarket.
महाराष्ट्रा मैं हरी मिर्च 1000 से 4000 kg
महाराष्ट्रा मैं हरी मिर्च 1000 से 4000 रुपये प्रति किलो Maharashtra: भारी बारिश के चलते महाराष्ट्र मैं सब्जियों की खेती बोहत बढे स्तर पर बर्बाद हो गयी है । सब्जियों की दाम आसमान छू रहे है , बाजार मैं सभी सब्जी की मांग काफी जयादा बढ़ गयी । इसी मैं दिवाली का त्यौहार भी कुछ ही दिन दूर है , और मार्किट मैं जितना चाइये उतने आवक नहीं आ पायी इस लिए अनुमान है की आने वाले दिनों मैं सब्जी मंडी मैं दाम और बढ़ेंगे । टोमेटो , गोबी – की साथ साथ अब हरी मिर्च की किम्मत बोहत बढे गयी है । Kolhapur -: कोल्हापुर की मंडी में हरी मिर्च 100 से 250 रुपये प्रति 10 किलो के भाव पर बिक रही है. मंडी समिति को 700 से 800 बोरी हरी मिर्च मिली। जिले में पिछले पंद्रह दिनों से भारी बारिश हो रही है जिससे मिर्च की कटाई में बड़ा व्यवधान आ रहा है. इस वजह से रोजाना मिर्च का की आयत कम और ज्यादा हो रही थी। मंडी समिति के सूत्रों ने बताया कि मिर्च के दाम में पिछले कुछ दिनों से तेजी आ रही है. वर्तमान में बेलगाव सीमा क्षेत्र से हरी मिर्च का आयात किया जा रहा है। Solapur-: पिछले सप्ताह सोलापुर कृषि उपज मंडी समिति परिसर में हरी मिर्च में फिर अच्छी तेजी आई। इससे हरी मिर्च के भाव भी स्थिर रहे। मंडी समिति के अनुसार मिर्च का सर्वाधिक भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटल रहा। Aurangabad-: गुरुवार तारीख २० को औरंगाबाद मंडी समिति में 58 क्विंटल हरी मिर्च बिकने के लिए आयी थी.बाजार समिति की ओर से जानकारी दी गई कि हरी मिर्च की कीमत 2500 रुपये से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल और औसत भाव 3250 रुपये के बीच है। Akola-: यहां के जनता भाजी बाजार में गुरुवार (20 तारीख) को हरी मिर्च 3000 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बिकी। एक किसान ने कहा कि बाजार में 40 क्विंटल से अधिक की आयत आई थी । चूंकि अकोला एक केंद्रीय बाजार है, इसलिए विभिन्न जिलों से सब्जियां और मिर्च आयात की जाती हैं। वर्तमान में मिर्च स्थानीय के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों से भी बिक रही है। Nagar -: तारीख २० गुरुवार को नगर में दादा पाटिल शेलके कृषि उपज मंडी समिति में 113 क्विंटल हरी मिर्च प्राप्त हुई। हरी मिर्च की कीमत 2,500 से 4,000 रुपये और औसतन 3,250 रुपये प्रति क्विंटल थी। 20-10-2022 – गुरुवार के हरी मिर्च के दाम बाजार समिती क्विं आवक कम से कम ज्यादा से ज्यादा सरासरी पुणे-मांजरी क्विं 2 2000 3500 2700 जुन्नर – नारायणगाव क्विं 67 1000 6800 5000 औरंगाबाद क्विं 58 2500 4000 3250 खेड-चाकण क्विं 216 2500 3500 3000 श्रीरामपूर क्विं 23 2500 3500 3000 भुसावळ क्विं 7 4000 4000 4000 मंगळवेढा क्विं 17 1500 3000 2000 राहता क्विं 8 2500 3200 2700 कल्याण क्विं 3 3000 5000 4000 कळमेश्वर क्विं 13 3555 4000 3725 मुंबई क्विं 2154 5000 6000 5500 जळगाव क्विं 75 1000 2000 1500 जळगाव क्विं 60 1500 2200 1800 पुणे क्विं 484 2000 4000 3000 पुणे- खडकी क्विं 4 2500 3500 3000 पुणे -पिंपरी क्विं 1 4000 4000 4000 पुणे-मोशी क्विं 134 3000 5000 4000 नागपूर क्विं 320 2500 2700 2650 रत्नागिरी क्विं 60 2000 2500 2200 इस्लामपूर क्विं 6 2000 3000 2600 कराड क्विं 36 2000 3000 3000 रामटेक क्विं 10 2400 2800 2600 कामठी क्विं 3 2500 3500 3000 वाई क्विं 12 2000 3500 2750 Article By.- VikramMarket.
Pearl millet_बाजरा खाने के फायदे
Pearl millet_बाजरा खाने के फायदे Bajra-: हाल ही में, ग्रामीण क्षेत्रों में भी गेहूं की खपत बढ़ रही है। नतीजतन, ज्वार, बाजरा, रागी जैसे अनाज की खपत में कमी आई है। ये फसलें पाचन तंत्र और समग्र स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। ठंड के दिनों में बाजरा के फायदे ज्यादा होते हैं। सभी अनाजों में सबसे अधिक ऊर्जा प्रदान करने वाले बाजरा को ठंड के दिनों में आहार में शामिल करना चाहिए। बाजरी बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि इसमें सल्फ्यूरस अमीनो एसिड होता है। हाल फिलहाल बच्चों के आहार में गेहूं और आटे से युक्त बेकरी उत्पाद तेजी से शामिल किए जा रहे हैं। इससे बच्चों में कब्ज, पेट साफ न होना जैसे रोग बढ़ गए हैं। महिलाओं में हीमोग्लोबिन में कमी और ग्लूटेन एलर्जी जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। इनसे बचने के लिए बाजरे को आहार में शामिल करना फायदेमंद होता है। एक अनोखा और बेहतरीन स्वाद देने के लिए बाजरा का इस्तेमाल विभिन्न खाद्य पदार्थों में किया जा सकता है। लघु उद्योग घरेलू स्तर पर किए जा सकते हैं। बाजरा के पोषण मूल्य से सेहत को बोहत फायदा होता है। Bajra Roti Benefits यह अधिक ऊर्जा प्रदान करता है, शारीरिक रूप से कार्य करने वाले लोगों के लिए बाजरा अधिक फायदेमंद होता है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है। नतीजतन, दिल से संबंधित बीमारियों के विकास का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, बाजरा मैग्नीशियम और पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। बाजरा सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है। पीला बाजरा कॅरोटीन और विटामिन ‘अ’ से भरपूर होता है। बाजरे की रोटी खाने से आप लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस करते हैं। नतीजतन, यह वजन घटाने में मददगार हो सकता है। Article By – VikramMarket.
Cherry tomatoes_चेरी टमाटर की खेती
Cherry tomatoes_चेरी टमाटर की खेती Cherry Tomato: चेरी टमाटर पारंपरिक टमाटर की तुलना में थोड़ा छोटा और मीठा होता है। वे दुनिया भर में टमाटर की एक लोकप्रिय किस्म हैं और उन्हें व्यंजनों की एक विस्तृत वर्गीकरण में पाया जा सकता है। उनकी उपज आसानी से हो जाती है और वे समशीतोष्ण क्षेत्रों में जल्दी परिपक्व होते हैं।चेरी टमाटर (Cherry Tomato) जितने दिखने में रंगीन और खाने में रसीले होते हैं उतने ही ये खेती के लिए आसान भी होते हैं. कई लोग हैं जो अपने खेत से लेकर घर तक में इसकी खेती करना चाहते हैं. आम तौर पर, चेरी टमाटर गर्मियों के महीनों में पीक सीजन के साथ साल भर उपलब्ध होते हैं। चेरी टमाटर के पौधे साल में कुल 210 से 240 दिनों तक पैदावार देते हैं; प्रत्येक पोधा अवधि में 3 से 4 किलोग्राम का उत्पादन करता है। एक एकड़ में चेरी टमाटर के पौधे 5,500 से 5,700 पौधे लगा सकते हैं। चेरी टमाटर की शेल्फ लाइफ 8 से 10 दिनों की होगी। प्रमुख चेरी टमाटर उत्पादक स्पेन, मोरक्को और चीन हैं; यूरोप और अमेरिका सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार हैं। cherry tomato farming: कई चेरी टमाटर एक अंगूठे की टीप (नोक) की लंबाई जितने होते हैं, और कभी-कभी थोडे बड़े होते हैं। वे अक्सर चेरी की लंबाई जितने होते हैं, इसलिए संभवत: छोटे टमाटरों को उनका नाम मिला है। वे गोल से अंडाकार आकृति के होते हैं और रंगों में हरी-लकीर वाले किस्म से लेकर चमकदार लाल तक हो सकते हैं। आकार में छोटे होने के बावजूद, चेरी टमाटर स्वादिष्ट होते हैं और वे अक्सर काफी मीठे भी होते हैं। प्रकृति मीठा बेल के चेरी टमाटर छोटे होते हैं और वजन में लगभग 20 ग्राम के होते हैं। चेरी टमाटर के पौधे की किस्मों में अनिश्चित विकास की आदत होती है। और इसका मतलब है कि वे तापमान और प्रकाश की अनुमति के रूप में लंबे समय तक बढ़ रहे हैं। वे अनिवार्य रूप से एक बेल हैं और सबसे अधिक फल का उत्पादन करते हैं जब सावधानी से छंटनी की जाती है और लंबवत प्रशिक्षित होती है। चेरी टमाटर के स्वास्थ्य लाभ Health benefits of cherry tomatoes: टमाटर की किस्मों में से एक चेरी टमाटर दिखने में छोटे, लाल और गोल-मटोल होते हैं। चेरी टमाटर दिखने में जितने आकर्षक होते हैं, उनके फायदे भी उतने ही हैं। हालांकि, पहले इस टमाटर के बारे में बहुत ही कम लोग जानते थे, परंतु अब इसके फायदों के बारे में जागरूक होने से इसके इस्तेमाल और खेती में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है।सामान्य टमाटर की तुलना में चेरी टमाटर में कम बीज तथा रस पाया जाता है। विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट इन दोनों गुणों से युक्त चेरी टमाटर को अपनी डाइट में शामिल करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। चेरी टमाटर (Cherry Tomato) पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है और शरीर में उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है. Cherry Tomato एक भरपूर सुपरफूड है जो कई शारीरिक प्रणालियों को लाभ प्रदान करता है. विटामिन ए को आपके नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक तत्व माना गया है। ऐसे में विटामिन ए युक्त चेरी टमाटर का सेवन आपकी आंखों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। चेरी टमाटर कैलोरी में कम लेकिन फाइबर, विटामिन ए और सी, और कैरोटीनॉयड एंटीऑक्सिडेंट जैसे ल्यूटिन, लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन में उच्च होते हैं. Cherry Tomato Varieties: चेरी टमाटर की किस्में काली चेरी (Black Cherry) चेरी रोमा (Cherry Roma) टोमेटो टो (Tomato Toe) कर्रेंट (Currant) इटालियन आइस चेरी टोमेटो ग्रीन एनवी चेरी टोमेटो येलो पियर (Yellow Pear) सन गोल्ड चेरी टोमेटो चेरिस जुबली चेरी टोमेटो Article By.- VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/10/06/ginger_%e0%a4%85%e0%a4%a6%e0%a4%b0%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%96%e0%a5%87%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3-%e0%a4%9c/ Tag: cherry tomato ki kheti
Goat Milk_बकरी का दूध है सेहतमंद ?
Goat Milk_बकरी का दूध है सेहतमंद Goat Milk: बकरी के दूध में विभिन्न पोषण, प्रतिरक्षा और औषधीय गुण होते हैं। इसलिए बकरी का हमारे लिए स्वस्थ होता है। बकरी के दूध में गाय के दूध की तुलना में कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन जैसे खनिज अधिक होते हैं। तो ‘कोलेस्ट्रॉल’ की मात्रा कम होती है।बकरी का दूध अन्य जानवरों की तुलना में पचने में 20% कम समय लेता है। अक्सर डॉक्टर उन बच्चों और वयस्कों को बकरी के दूध की सलाह देते हैं जिन्हें गाय के दूध को पचाना मुश्किल होता है। पेट के विकार वाले मरीजों को भी बकरी के दूध का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, बकरी का दूध वैज्ञानिक रूप से अस्थमा, पेट के अल्सर, अपच, यकृत और पित्ताशय की बीमारियों, एक्जिमा के कारण होने वाले माइग्रेन के रोगियों के लिए उपयोगी साबित हुआ है। Is Goat’s Milk Right for You? * बकरी के दूध में जिंक और सेलेनियम अच्छी मात्रा में होता है। जिंक स्वस्थ त्वचा को बनाए रखने और घावों को जल्दी भरने में मदद करता है जबकि सेलेनियम प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है। * दूध में मौजूद अल्फा 2 बीटा कैसिइन मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगी है। क्योंकि यह कारक इंसुलिन के स्तर को संतुलित रखने में मदद करता है। * दूध के नियमित सेवन से आंतों की सूजन कम होती है। पेट की अन्य बीमारियों में दूध फायदेमंद होता है। साथ ही मोटापा और गठिया को कम करने में मदद करता है। * आयुर्वेद ( ayurveda) के अनुसार, तपेदिक, खांसी और कुछ स्त्रीरोग संबंधी विकारों के लिए दूध के सेवन की सलाह दी जाती है। * दूध का उपयोग पेट के अल्सर के इलाज के लिए किया जाता है। * दूध में मौजूद स्वस्थ तत्व कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखकर हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। * बकरी के दूध में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है। कैल्शियम और फास्फोरस खनिज हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने में फायदेमंद होते हैं। पोटेशियम रक्तचाप के लिए फायदेमंद खनिज है जबकि मैग्नीशियम हृदय रोग को रोकने के लिए फायदेमंद है। * कैल्शियम और फास्फोरस खनिज नवजात शिशुओं के शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। इसलिए वे बच्चों के सामान्य विकास में मदद करते हैं। बकरी के दूध से बनने वाले पदार्थ | Goat Milk Products पनीर : पनीर बकरी के दूध से भी बनाया जा सकता है. आम तौर पर भारत में ‘बारबेरी’ बकरियों के दूध से 16.5% और ‘जमनापारी’ बकरियों से 14.6% पनीर का अर्क प्राप्त किया जाता है। घी: बकरी के दूध से घी के उत्पादन पर पर्याप्त शोध नहीं किया गया है। प्रौद्योगिकी में प्रगति ने विभिन्न उत्पादों के लिए बकरी के दूध का उपयोग करने और घी का उत्पादन करने का प्रयास किया, लेकिन परिणामी घी मलाईदार के बजाय मोमी था। हालांकि, बकरी के घी में शॉर्ट चेन फैटी एसिड की मात्रा कम होती है। इसलिए यह घी गाय-भैंस की तुलना में बोहत निचले स्तर का किस्म का माना जाता है। मेवा : बकरी के दूध से बना मेवा पीले रंग का, सतह पर नम और बनावट में थोड़ा सख्त होता है। बकरी के दूध में खनिज क्लोराइड की उच्च सांद्रता के कारण थोड़ा नमकीन स्वाद और गंध होता है। बकरी के दूध से मेवा बनाते समय अगर चीनी मिला दी जाए तो यह खारापन दूर हो सकता है। लेकिन ऐसा बना मेवा जैसा बनाना चाइये वैसे नहीं बन पाता। Article By .-VikramMarket https://www.vikrammarket.com/2022/03/13/dairy-business/ Tag : Benefits, Uses, and Everything About Goat Milk Goat Milk: Are There Health Benefits? What are the health benefits of goat milk goat milk benefits hindi बकरी के दूध के फायदे बकरी का दूध पीने से क्या लाभ होता है? बकरी के दूध के फायदे | Benefits of Goat Milk in Hindi बकरी के दूध के फायदे – Bakri ke dudh ke fayde
Ginger_अदरक की खेती की संपूर्ण जानकारी
Ginger_अदरक की खेती की संपूर्ण जानकारी Adrk Ki Kheti :अगर आपके पास जमीन है या आप खेती करना चाहते हैं तो यह आइडिया आपके लिए बेस्ट है। आप कम लागत में अत्यधिक उत्पादक अदरक की खेती करके लाखों रुपये कमा सकते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप इससे बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की लगभग 58 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। इस लिए खेती व्यवसाय हमेशा फायदेमंद रह सकता है , अगर आप मार्किट के हिसाब से खेती करते है तो । कहने का मतलब है की अगर आप ढंग से किसी फसल के बारे मैं जानकारी लेकर उसकी खेती करते है – तो मुनाफा जरूर होगा और आप खेत मैं क्या लगाना है यही सोच रह है तो – ये आर्टिकल आपके लिए ही है – आप बस इसे पूरा पढ़िए और आपको यह आइडिया ठीक लगे तो आप इसकी खेती कर सकते है और लाखों मैं कमा सकते है । Ginger Farming -अदरक की खेती कैसे करे Ginger Farming Business: अदरक का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में न केवल मसाले, औषधि के रूप में बल्कि कुछ सौंदर्य उत्पादों में भी किया जाता है। अदरक का महत्व वैदिक काल से ही चला आ रहा है। इसका इस्तेमाल चाय से लेकर सब्जी और अचार में हर चीज में किया जाता है। अदरक ढाई से तीन फुट लंबी, पीले रंग की जड़ होती है जो जमीन के अंदर उगती है। अदरक का पेस्ट ( सुंठ ) बनाने के लिए अदरक को धूप में सुखाया जाता है और कहीं दूध में भिगोया जाता है। अदरक का पेस्ट अदरक से ज्यादा उग्र होता है, सुंठ का तेल निकाला जाता है। गीली मिट्टी में अदरक रखने से लंबे समय तक टिका रहता है। अदरक को साल भर अच्छी मांग के साथ-साथ कीमतें भी अच्छी रहती हैं। सर्दियों और मानसून के दौरान इसकी अत्यधिक मांग होती है। इसमें आप नौकरी से ज्यादा कमा सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि इसकी खेती के लिए केंद्र सरकार से भी मदद मिलती है। Varieties of Ginger – अदरक की किस्मों Ginger Farming In Maharashtra : अदरक की खेती कंदों से की जाती है क्योंकि इसे बीजों से नहीं उगाया जा सकता। अदरक की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए पौधे का स्वस्थ होना आवश्यक है। अदरक की कटाई आम तौर पर दिसंबर के महीने में की जाती है और अगले सीजन के लिए रोपण अप्रैल-मई के महीने में होता है। तब तक इसे 4 से 5 महीने तक स्टोर करके रखना होता है। इस अवधि के दौरान, बेंत से वाष्पीकरण के कारण कंद सिकुड़ जाता है और कवक के कारण सड़ जाता है। लेकिन अगर कंद को सही तरीके से स्टोर किया जाए तो यह समस्या नहीं रहती है।स्टोर करने के बाद कंद को क्षति से बचाने के लिए स्वस्थ खेती से अदरक के पूर्ण परिपक्व कंदों का चयन किया जाना चाहिए। ऐसे में अच्छी अदरक की किस्में लगाने से किसानों को लाभ मिलता है। आज हम अपने किसान पाठक मित्रों के लिए महाराष्ट्र में उत्पादित अदरक की कुछ किस्मों के बारे में जानकारी देंगे माहिम: इस किस्म की खेती हमारे महाराष्ट्र में व्यापक रूप से की जाती है। विशेष रूप से यह किस्म महाराष्ट्र की जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होती है और किसानों को अच्छी आमदनी होती है। दोस्तों इस प्रकार की अदरक की फसल बोने के 210 दिन बाद उपज शुरू हो जाती है। यह मध्यम ऊंचाई की सीधी बढ़ने वाली किस्म है, अदरक का पौधा छह से बारह फीट का होता है। इस प्रकार के अदरक में 18.7 प्रतिशत सुंठ होती है। अदरक की यह किस्म 20 टन प्रति हेक्टेयर उपज देने में सक्षम है। ऐसा जानकारों का कहना है । वरदा : यह अदरक की उन्नत किस्म है और जानकारों का दावा है कि यह बुवाई के 200 दिनों के भीतर उत्पादन के लिए तैयार हो जाती है। अदरक की इस उन्नत किस्म की फाइबर सामग्री 3.29 से 4.50 प्रतिशत तक होती है। इस किस्म के अदरक से सोंठ या सनथ की मात्रा 20.7 प्रतिशत होती है। जानकारों का दावा है कि यह नस्ल 22 प्रति हेक्टेयर तक उपज देने में सक्षम है। महिमा : अदरक की यह किस्म विशेष रूप से अधिक उपज के लिए जानी जाती है। यह किस्म रोपण से 200 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की अदरक की फसल 12 से 13 फीट की होती है। यह किस्म नेमाटोड के लिए प्रतिरोधी है। सुंठ का प्रमाण 19 प्रतिशत है। इस किस्म का प्रति हेक्टेयर 23 टन उपज देने का दावा किया गया है। Ginger farming Hindi – अदरक की लागवड कैसे करे ? अदरक की उन्नत खेती: अदरक की खेती गर्म और दमट जगहों पर की जाती है। अदरक के बुवाई के समय अदरक की गांठ बनाने के लिए मध्यम वर्षा की आवश्यकता होती है। अदरक की खेती बारिश के पानी पर निर्भर करती है। इसे अकेले भी खेत मैं लगा सकते है या पपीते और अन्य बड़े पेड़ फसलों के साथ लगाकर दोगुना मुनाफा कमा सकते है । एक हेक्टेयर में बुवाई के लिए 2 से 3 क्विंटल अद्रक के बीज की आवश्यकता होती है। अदरक का रोपण बेड बनाकर करनी चाहिए। इसके अलावा बीच में नालियों से भी पानी आसानी से बह जाता है। जलभराव वाले खेतों में अदरक की खेती नहीं करनी चाहिए। अदरक कंद को 30 से 40 सेमी की दूरी पर एक पंक्ति में लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा आप चार से पांच सेंटीमीटर गहरे अदरक के कंद लगाना हैं, इसे बाद मिट्टी से ढक दें। अधिक पानी देना भी अदरक के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए सावधान रहें कि ऐसा न हो पाए।अदरक की खेती के दौरान आमतौर पर अदरक की कटाई में 8 से 9 महीने का समय लगता है। प्रति हेक्टेयर लगभग 150 से 200 क्विंटल अदरक की बुवाई करनी चाहिए। आपको प्रति हेक्टेयर 7 से 8 लाख रुपये खर्च करना पड़ सकता है। Benefits of Ginger – अदरक के फायदे 1. Digestive Disorders -पाचन विकार 2. Respiratory disorder – श्वसन
Marathwada_सात जिलों में 100 पशुओं की मौत
Marathwada_सात जिलों में 100 पशुओं की मौत Lumpy skin disease virus -: मराठवाड़ा के आठ में से सात जिलों में लम्पी डिजीज से पशुओं की मौत हुई है। इन सभी सात जिलों में रविवार याने २ तारीख तक करीब 103 जानवरों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा जानवरों की मौत औरंगाबाद जिले में हुई। मराठवाड़ा -: मराठवाड़ा में, लातूर में 15, औरंगाबाद में 48, बीड में 6, जालना जिले में 12, उस्मानाबाद में 4, नांदेड़ में 17, हिंगोली में 1, लुंपी में 1, गौशालाओं में साफ-सफाई का मुद्दा, स्वस्थ भोजन की कमी, शरीर में हीमोग्लोबिन कम करने वाली अन्य बीमारियों के संक्रमण पशुपालन से जानवर मर रहे हैं। राज्य में 2 अक्टूबर के अंत तक कुल 1748 पशुओं की मौत हो चुकी है। हालांकि इलाज से पशु ठीक हो रहे हैं, लेकिन बीमार जानवरों में मौतों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है, इसलिए पशु चिकित्सकों का कहना है कि अपने पशुओं की स्वच्छता बनाए रखने के अलावा, उन्हें स्वस्थ भोजन देने पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। Aurangabad :- औरंगाबाद जिले में सबसे ज्यादा 48 जानवरों की मौत मराठवाड़ा में लाम्पी की वजह से हुई है। औरंगाबाद जिले में संक्रमित पशुओं की संख्या 914 है। इनमें से 576 जानवर इलाज से ठीक हो चुके हैं और 278 संक्रमित पशुओं का इलाज चल रहा है। पशुपालन विभाग ने बताया कि इसमें सिल्लोड के 75, सोयागांव के 63, पैठण के 42, कन्नड़ के 47, फुलंबरी के 7, गंगापुर के 8, वैजापुर के 5 और खुल्ताबाद के 7 जानवर शामिल हैं. औरंगाबाद जिले के कुल 5 लाख 35 हजार मवेशियों में से 4 लाख 41 हजार 441 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है. इसमें विभिन्न सामाजिक संस्थाओं का भी योगदान रहा है। शुरुआत में सरकार द्वारा जिले को तीन लाख 95 हजार टीके उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन अब फिर से एक लाख 50 हजार वैक्सीन की मांग की गई है। जिला पशुपालन उपायुक्त डॉ. प्रदीप झोड ने कहा कि अगले कुछ दिनों में आवश्यक टीके उपलब्ध हो जाएंगे। Article By.- VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/08/10/telangana-%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%a4%e0%a5%87%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%96%e0%a5%87%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%8f%e0%a4%95-%e0%a4%85%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9b%e0%a4%be-%e0%a4%b5/
गेंदा फूल- मार्किट गुल_दिवाली तक यही दाम रहेंगे ?
गेंदा फूल- मार्किट गुल_दिवाली तक यही दाम रहेंगे ? गेंदा फूल के भाव- genda flower: इस साल लगातार बारिश के कारण गेंदे की खेती को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। दशहरा उत्सव से पहले उत्पादन कम होने से इस साल बाजार में गेंदे के फूलों की अच्छी कीमत मिली है। गेंदे का फूल पिछले दो वर्षों में किसानों ने लगाया था; लेकिन कोरोना केहर के वजह से बाजार में बड़े पैमाने पर बंदिशे लग गयी . इस साल 2022 में, गेंदे के फूल की मांगनी काफी बढ़ गयी है , और मांग बढ़ते ही इसके दाम भी लगातार बढ़ रहे है । और इसी महीने दिवाली भी है तो देखा है की क्या ये दाम दिवाली तक बने रहेंगे ? नाशिक के मार्किट मैं गेंदा फूल को अच्छा दाम Nashik Market: नासिक शहर के पंचवटी क्षेत्र में, संगमनेर से चांदवाड़, सटाणा, निफाड़, इगतपुरी, सिन्नार तालुका के साथ-साथ वाहनों की एक बढे स्तरपर गेंदे के फूलों की अवाक् बाजार मैं आयी। गेंदा उत्पादकों द्वारा सीधी बिक्री में 150 से 200 रुपये प्रति प्रतिक्रेट बेचा गया। खुदरा बिक्री में, प्रतिक्रेट १ रुपये नग के हिसाब में बेचा गया था। दसरा दिवाली मैं फूलों की मांग Marigold Rate: जिले में कई फूल उत्पादक दशहरा और दिवाली को सामने रखकर गेंदे के फूल की खेती करते है। इसकी व्यापक रूप से नासिक, कलवान, बगलान, चंदवाड़, डिंडोरी, सिन्नार और निफाड तालुकों में खेती की जाती है। आज के दिन मांग काफी ज्यादा बढ़ गयी है इस लिए कीमत भी अच्छी मिल रही है । चालू वर्ष में देखा गया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल किसानों को 30 रुपये से 35 रुपये प्रति किलो से अधिक का मूल्य मिलता है। बढ़ी मांग के चलते बाजार में गेंदा का फूल 60 रुपये से 100 रुपये के बीच बिक रहा था। जबकि खुदरा बिक्री में यह रेट 100 से 150 रुपये तक था। कहस कर पीले और नारंगी गेंदे की मांग ग्राहकों ने की थी नतीजन पीले और नारंगी गेंदे के फूल को अच्छी कीमत मिली। । मांग काफी ज्यादा होने से और मार्किट मैं गेंदे के फूल की अवाक् घटने से राजस्थान से भी गेंदे के फूलों की मांग है, यह बताया गया है कि नासिक फूल बाजार में गुणवत्ता वाले फूलों की कीमत 450 रुपये प्रति प्रतिक्रेट है। आगे क्या स्थिति रहेगी ? 5 तारीख को दसरा बढ़ा ही धूम दाम से मनाया गया और इसमें रौनक लाई गेंदे के फूल ने , आप ने भी हर जगह देखा होगा की बिना गेंदे के फूल के कोई भी त्योहार नहीं मनाया जाता । इस लिए इस साल गेंदे के फूल की मांग और कीमत दोन बढ़ रही थी । पिछले साल के मुकाबले फूल उत्पादक किसानों को अच्छा मुनाफा हुवा – अब उनकी निगाये दिवाली पर है । इनमें से कइयों का मानना है की गेंदा फूल के यही दर दिवाली तक बने रह सकते है , क्यों की लगातार बारिश हर जगह हो रही है और इससे फूलों की खेती ख़राब हो रही है । अगर मार्किट मैं दिवाली तक अवाक् नहीं बढ़ी तो – दिवाली मैं भी गेंदा फूल को अच्छा खासा दाम मिलेगा । Article By.- VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/10/06/ginger_%e0%a4%85%e0%a4%a6%e0%a4%b0%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%96%e0%a5%87%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3-%e0%a4%9c/
Today Farmer Market Trend #trend
इस आर्टिकल मैं हम बाजार मैं घट रही जानकारी कम शब्दों मैं आपको देंगे । Farmer Market Trend #trend | sheti batmya भारत से चीन को सबसे ज्यादा चावल एक्सोपर्ट India Chin: चीन को भारत का चावल निर्यात बढ़ा है। इस साल जनवरी से अगस्त के बीच भारत ने चीन को चावल की आपूर्ति करने में वियतनाम को पीछे छोड़ दिया। इस वर्ष भारत चीन को चावल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में आगे आया है। लेकिन 9 सितंबर को केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है. इसलिए भविष्य में निर्यात में कमी आ सकती है। टोमेटो प्याज | Tomato Market Price Tomato: बताया जा रहा है कि इस साल प्याज का उत्पादन बढ़ने से प्याज उत्पादक किसान संकट में हैं. वर्तमान में उत्पादन बढ़ा है, लेकिन मांग में कमी, उत्पादन लागत में वृद्धि, निर्यात पर दबाव और लगातार बारिश ने प्याज किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मौजूदा समय में टमाटर के रेट तो बढ़े हैं, लेकिन हर जगह बारिश से टमाटर की फसल को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. हल्दी की कीमत मैं गिरावट सोयाबीन (Soybean), मकई की फसल यानी साइड मार्केट में कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। इसका असर हल्दी के रेट पर पड़ा है। इसलिए हल्दी की कीमत 500 रुपये घटकर 1000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। इस समय देश में 45 लाख बोरी हल्दी स्टॉक है। हल्दी उद्योग के विशेषज्ञों ने अंदाजा है कि हल्दी की कीमत में वृद्धि की कोई संभावना कम है। फूल बाजार मैं उछाल | Flowers Market महाराष्ट्र के पुणे के फूल बाजार में 2000-2500 टन गेंदा की आमद शुरू में 50-60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती थी, लेकिन स्टॉक कम होने के साथ दरें बढ़कर औसतन 100 रुपये प्रति किलो हो गईं. जिससे किसानों में खासा उत्साह है. सभी मार्किट भाव नाशिक मार्किट के भाव देखे -: मुझे क्लीक करो Article By.- VikramMarket.
Peanut मूंगफली के छिलकों पर रिसर्च_ पशुखाद्य !
Peanut मूंगफली के छिलकों पर रिसर्च_ पशुखाद्य ! United States :- संयुक्त राज्य अमेरिका में मूंगफली का व्यापक रूप से सेवन किया जाता है। मूंगफली कुल सूखे मेवों का 65 प्रतिशत हिस्सा है। प्रति व्यक्ति प्रमाण मैं प्रति वर्ष 4 किलो है। तेल, भुना हुआ, नमकीन और विभिन्न संसाधित मूंगफली के निर्माण में खोल ( छिलका ) को छोड़ दिया जाता है। फेंके गए खोल ( छिलके ) का वजन 20 से 35 मिलियन किलोग्राम है।Raleigh (उत्तरी कैरोलिना) में कृषि अनुसंधान सेवा (Agricultural Research Service) के एक रसायनज्ञ ओन्डुल्ला टूमर ( Ondulla Tumor) ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि इन खोल ( छिलके ) का उपयोग कैसे किया जा सकता है। इससे अधिक पौष्टिक पशु चारा पैदा करने का प्रयास किया गया। Groundnut Shells :- मूंगफली के छिलके में मौजूद प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, खनिज और विटामिन फायदेमंद हो सकते हैं। इस खोल में बायोएक्टिव यौगिक भी महत्वपूर्ण होते हैं, जो कोशिका क्षति का कारण बनने वाले मुक्त कणों को बेअसर करने का काम करते हैं। वास्तव में, इसमें ग्रीन टी, अंगूर की खाल और अन्य स्रोतों के समान ही एंटीऑक्सीडेंट का स्तर होता है। पशु चारा स्तर पर, टूमर और उनके सहयोगियों ने पोल्ट्री फीड में मूंगफली के खोल पोषक तत्वों का इस्तेमाल किया है । फायदे -: शेल प्रोटीन खाने वाले मुर्गियों में साल्मोनेला का प्रसार कम पाया गया। यह जीवाणु मनुष्यों के लिए स्वाथ्यजनक बाब है। खोल ( छिलके ) के अलग-अलग रंग हमे दिखाई देते हैं। लाल, भूरे, सफेद, काले या धारीदार छिलकों में बायोएक्टिव यौगिकों की तीव्रता को भी तुलनात्मक रूप से मापा गया। मूंगफली के छिलके के पोषक रसायन और गुणों का पता लगाने और विभिन्न आहारों में इसके संभावित उपयोग को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही, ककड़ी, शकरकंद, मिर्च और गोभी की फसलों से अवशिष्ट पोषक तत्वों के उपयोग को अधिकतम करने के लिए शोध किया जा रहा है, ऐसा टूमर ने कहा। समस्या का समाधान प्रयोग करते समय मूंगफली के खोल में टैनिन की उच्च मात्रा प्रोटीन की पाचनशक्ति को कम कर देती है। इसलिए, कुल फ़ीड में कम से कम (चार प्रतिशत) उनका उपयोग करके प्रयोग किए गए थे। कुछ लोगों को मूंगफली से एलर्जी होती है। इसलिए, यह भी जांच की गई कि चिकन मांस या अंडे में एलर्जीनिक प्रोटीन घटक आता है या नहीं। हालांकि, यह पाया गया कि ऐसे एलर्जेनिक घटक उत्पाद में शामिल नहीं थे। Peanut – मूंगफली के छिलके बेचे जाते है आज के ज़माने मैं कुछ भी बेचा जाता है , और इस संसार मैं मौजूद कोई भी चीज़ बेकार नहीं होती । उसका कही न कही इस्तमाल हो ही जाता है – इसी कड़ी मैं मूंगफली के छिलके भी है , जिसे हम अक्सर खाने के बाद फेक देते है । पर आप जानकर हैरान होंगे की इसे भी बेचा जा सकता है , और इसे खरीदने वाले भी कई सारे ग्रहाक और कम्पनिया है जो इसका इस्तमाल अन्य चींजों के लिए करते है । अगर आप जानना चाहते है तो गूगल पर जाकर इसे सर्च कर सकते है आपको बोहत साडी वेबसाइट पर इसके बारे मैं जानकारी मिल जाएगी । – Groundnut Shells at Best Price in India – www.google.com Article By.- VikramMarket. SAHIWAL COW_साहिवाल गाय – लाखों की कमाई https://www.vikrammarket.com/2022/07/25/sahiwal-cow_साहि…गाय-लाखों-की-कमा/
Lumpy Skin Diseases_महाराष्ट्र मैं पशु बाजार बंद !
Lumpy Skin Diseases_महाराष्ट्र मैं पशु बाजार बंद ! Lumpy skin – लम्पी स्कीन रोग को फैलने से रोकने के लिए राज्य में पशु बाजारों को बंद कर दिया गया है। राज्य के पशुपालन एवं महसुलमंत्री मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल जी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अंतर-राज्यीय, अंतर-जिला, अंतर-तालुका स्तरों पर जानवरों के परिवहन को रोक दिया गया है। दिन ब दिन लम्पि रोग से गाय बैल बाधित हो रहे है , इसी को धायण मैं रखते हुए महाराष्ट्र राज्य सरकार ने ये निर्णय लिया , ऐसा मंत्री विखे पाटिल जी का कहना है । Maharashtra – वर्तमान में, राज्य के 17 जिलों में लम्पी स्कीन रोग की सूचना मिली है। विखे पाटिल ने बताया कि महाराष्ट्र में लम्पी स्कीन रोग से 32 औरसिर्फ जलगांव जिले में 12 पशुओं की मौत हुई है. मंत्री विखे पाटिल जी ने हाल ही में जलगांव जिले में समीक्षा बैठक की थी. इस बढे संकट पर उन्होंने अपील की सभी वरिष्ठ अधिकारी सीधे किसानों को दवा और अन्य सहायता प्रदान करें। गुजरात और राजस्थान से ही लम्पी स्कीन रोग महाराष्ट्र राज्य में दाखिल हुवा है। विखे पाटिल ने कहा हालांकि इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम है, लेकिन टीकाकरण को प्राथमिकता दी जा रही है। पशुओं में लम्पी स्कीन रोग के लक्षण पाये जाने पर पशुओं को शासकीय पशु चिकित्सालय लाया जाये। विखे पाटिल ने कहा कि पशु चिकित्सालय में जिला परिषद के माध्यम से आवश्यक पशु दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। Source- Agrowon ये भी पढ़िए – : @Cow_एक दिन मैं 50 -60 लीटर दूध देने वाली गाय लम्पी स्कीन रोग के लक्षण | Symptoms of lumpy skin disease लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी होती है, जो गाय-भैंसों में होती है। लम्पी स्किन डिज़ीज़ में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं, खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास। धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव बन जाता है। एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलता है। साथ ही ये दूषित पानी, लार और चारे के माध्यम से भी फैलता है। Article By – VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/08/08/aprajita_ऐसा-फूल-जिससे-बनती-है-चाय/
@TomatoPrice – टोमेटो के दाम बढ़ेंगे या घटेंगे ?
@TomatoPrice – टोमेटो के दाम बढ़ेंगे या घटेंगे ? Today Tomato Rate :- अगर आज पूरी दुनिया पर नज़र डाले तो , तो आप जानोगे की – पूरी दुनिया मैं सब्जी और धान की कितनी बढ़ी किल्लत है । रूस युक्रेन के युद्ध के परिणाम से आप सभी वाकिफ ही है । जैसे की अचानक गेहू , शक्कर और चावल की कमी ने पूरी दुनिया मैं दिखनी लगी । भारत ने भी गेहू की निर्यात बंद कर दी थी । उसके बाद अब सब्जियों की कमी भी सताने लगी है । बोहत सरे एसे देश है जो , बाकि के अन्य देशों पर सब्जी और धान के लिए निर्भर रहते है । और ये सायकल पिचले साल तक बिकुल सही चल रही थी , पर जब से रूस युक्रेन युद्ध शुरू हुवा – ये सायकल ब्रेक हो गई । और हाली मैं सब्जियों की मांग काफी बढ़ गयी है । अब देखना यह है की , एसे ही दाम कब तक स्थिर रहेंगे । इसमें टोमेटो का सीजन अभी शुर हुवा है , शुरवात मैं तो टोमेटो को ८०० रूपये से १००० रूपये के बिच दाम मिल रहे थे । पर जैसे ही अवाक् बढ़ी ये दाम गिरने शुरू हुए , बिच मैं बारिश ने भी दस्तक दे दी थी । बारिश के उग्र रूप के कारण भी बोहत टोमेटो का नुकसान हुवा , और ख़राब माल मार्किट मैं पोहचा । नतीजन इसका असर मार्किट भाव पर हुवा । अभी की स्थिति देखे तो मार्किट ३०० रूपये से ४५० रूपये के बिच जुल राह है । अब देखना यह है की टोमेटो के दर बढ़ेंगे या घटेंगे ? #TomatoBhav बांग्लादेश की अर्थ व्यवस्था Bangladesh : बांगलदेश को भारत से हर साल बड़े पैमाने पर टमाटर एक्सपोर्ट किये जाते । भारत से कुल टोमेटो के 63 % माल बांग्लादेश मैं बेजा जाता है । पर इस साल बंगलदेश की आर्थिक हालत काफी खराब है । बांग्लादेश के पास फॉरेन रिज़र्व बोहत ही कम बचे है , यु कहे की बंगालदेश एक महीने तक ही किसी अन्य देशों से कुछ सामान आयत कर सकता है । नतीजन बंगलादेश भारत से भी टोमेटो खरेदी कम करने का अंदाज जताया जा रहा है । अगर किसी तरह वर्ल्ड से उन्हें सहायता मिल जाती है , तो उनकी रिज़र्व मैं बढ़ोतरी बढ़ जाएगी । और वो सनी देशों से खाने का सामान ले पाएंगे – उसमें से भारत से भी टमाटर की आयत बढ़ जाएगी । श्रीलंका की भी हालात खस्ता Shri Lanka : श्रीलंका की आज किस स्थिति जग जाहिर है , पूरा देश और देश की अर्थ व्यवस्था गिर चुकी है । लोग सडक पर उतर आये है , उनके प्राइम मिनिस्टर अपना देश छोड़कर भाग खड़े हुए । उनके पास बाहर से आयत करने के लिए , फूटी कोड़ी भी नहीं बची । जिस कारण रोजमर्रा की जिंदगी मैं इस्तमाल होने वाली बोहत सी चीज़े वो बाहर से नहीं मंगा प् रहे । इसका असर भारत के टोमेटो मार्किट मैं भी दिखा है । भारत से ज्यादा नहीं पर कुछ पैमाने पर श्रीलंका भी टोमेटो आयात करता था । किन्तु इस साल उनसे ये उम्मीद करना बेकार है ।वैसे भारत सरकार अपनी तरफ से जितनी हो सकी उतनी मदत उन्हें भेज रही है । आज उनके देश की स्थिति यह है , की श्रीलंका के आम लोगों को खाने को भी नहीं मिल रहा । पाकिस्तान से नाता टूटा Pakistan : आर्टिकल 370 के हटाने के बाद से ही पाकिस्तान ने भारत से सरे ट्रेड बंद कर दिए थे । इससे भारत को तो ज्यादा कुछ नुकसान नहीं हुवा पर , पाकिस्तान को बोहत बड़ा ज़टका लगा था । पाकिस्तान टोमेटो के साथ साथ अन्य भाजीपाला भी बोःत बढे पैमाने पर भारत से आयत करता था । अचानक भारत से रिश्ता तोड़ने की वजह से , जो माल पाकिस्तान भारत से मंगा ता था , वाही अब दूर दराज के देशों से आयता करने लगा , वो भी दोगुनी कीमत पर । उसका आयत शुल्क भी भारत के मुकाबले ज्यादा देना पड़ा ,इससे उनकी अर्थ व्यवस्था दिन ब दिन कमजोर पड़ती गयी । हालिय स्थिति को तो आप देख ही सकते है । वैसे देखा जाय तो पाकिस्तान भारत से टोमेटो बोहत बड़े पैमाने पर आयत करता था । और जब भी पाकिस्तान और बंगालदेश की बॉर्डर टोमेटो एक्सपोर्ट के लिए खुलती थी , तो टोमेटो के दाम भारत मैं एक ही रात मैं अचानक बढ़ जाते थे । ताईवान और चीन के बिच तनाव Taiwan China : पिचले कुछ दिनों से चीन ताईवान के नजदीक अपनी बोहत बढ़ी फौज लाकर खड़ी कर दी है , जानकार बताते है की , शायद चीन ताईवान पर हाला कर देगा । चीन के लक्षण भी कुछ इसी प्रकार के दिख रहे है । इस वजह से फिर एक बार दुनिया भर मैं तनाव की स्थिति उत्पन हो गयी है । अगर चीन और ताईवान के बिच युद्ध हुवा , तो इसका असर बहरत के मार्किट मैं जरुर दिखेगा । शायद सभी चीजों के दर अचानक गिर सकते है । इसका असर सबसे ज्यादा टोमेटो मार्किट मैं दिखेगा ।क्यों एक्सपोर्ट लाइन खडित होने की संभवना बढ़ जायंगे । और वैसे भी चीन और ताईवान भारत के बगल मैं हि आते है । आग अगर बाजु के घर मैं लगेगी तो उसके लपटे अपने घर तक तो आएगी ही । Vikram Market App : मार्किट का अंदाजा लगाया जाय , तो विक्रम मार्किट टीम के हिसाब से यही दाम अगले कुछ दिनों तक स्थिर रहेंगे । शायद चीन और ताईवान के तनाव की वजह से ये और गिरेंगे ।पर जैसे ही अवाक घटेगी ये दाम और बढ़ जायेंगे । Article By.- VikramMarket.
नाशिक जिल्हे मैं प्याज की कीमतों मैं गिरावट !
@OnionRate नाशिक जिल्हे मैं प्याज की कीमतों मैं गिरावट ! Onion Rate Nashik -: गर्मियों के प्याज की बिक्री का मौसम शुरू होते ही बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। सड़कों की खराब स्थिति के कारण घरेलू और निर्यात किए जाने वाले प्याज के परिवहन की गति धीमी हो गई है। ऐसे में अजीबोगरीब हालात में प्याज की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता है। प्याज की मांग भी काफी घाट चुकी है , जिसका असर भी प्याज के दामों मैं साफ दिखाई दे रहा है । इसी वक्त दक्षिण में बारिश के कारण वहां प्याज के उत्पादन की स्थिति को लेकर किसान चिंतित हैं, वह पर भी बोहत बढे स्तर पर प्याज खेती का बढ़ा नुकसान हुवा है। मुंबई में प्रति क्विंटल की औसत कीमत 1,450 रुपये बनी हुई है। हालांकि जिले में स्थिरता बनाए रखना मुश्किल हो गया है। नासिक जिले के बाजारों में एक ही दिन में प्याज की कीमतों में औसतन 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। इससे पहले बुधवार को किसानों को पिछली कीमत से 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल कम पर बेचना पड़ रहा है । आज के प्याज के भाव क्या है? 22 – 7 -2022 के प्याज के भाव कुछ इस तरह है शहर जात/प्रत क्विं कम से कम ज्यादा से ज्यादा औसतन दर नाशिक उन्हाळी क्विंटल 260 1200 850 लासलगाव उन्हाळी क्विंटल 501 1491 1151 लासलगाव – निफाड उन्हाळी क्विंटल 300 1061 940 कळवण उन्हाळी क्विंटल 150 1300 1000 चाळीसगाव उन्हाळी क्विंटल 210 1098 850 चांदवड उन्हाळी क्विंटल 600 1450 900 मनमाड उन्हाळी क्विंटल 200 1218 950 सटाणा उन्हाळी क्विंटल 150 1360 1000 पिंपळगाव बसवंत उन्हाळी क्विंटल 300 1850 1250 देवळा उन्हाळी क्विंटल 100 1325 1100 Article By.- VikramMarket. प्याज के भाव
Sahiwal Cow_साहिवाल गाय – लाखों की कमाई
Sahiwal Cow_साहिवाल गाय – लाखों की कमाई Sahiwal Cow :- गाय एक पालतू पशु है, जिसे हिन्दू धर्म में गौमाता कर दर्जा दिया गया है | हमारे देश में तक़रीबन 30 से अधिक गाय की नस्ले पाई जाती है | जिसमें गीर, रेड सिंधी, थापारकर, देवनी, साहीवाल नस्ल की गाय शामिल है । उन मैं से ही आज साहीवाल गाय की जानकारी हम आपको देंगे ।साहीवाल भारत देसी गाय भी कहलाती है। Dairy Farming:- दुग्ध उत्पादन के मामले में साहिवाल गाय हमेशा से बढ़िया मानी जाती है। इस प्रजाति की गाय की कीमत भी काफी अधिक होती है। इस वजह से यह काफी ज़रूरी हो जाता है कि अगर आप इस गाय को पाल रहे हैं तो इसकी उचित देखभाल करें, अन्यथा कुछ रोगों से ग्रसित होने की दशा में आपके पशुधन को नुकसान पहुँच सकता है। वो भी जानेंगे उससे पहले हम साहीवाल गाय की विशेषता जान लेते है । साहीवाल गाय के विशेषता साहीवाल गाय एक बार ब्याने के पश्चात 10 माह तक दूध का उत्पादन दे देती है | यह गाय पहली बार 32-36 महीने में बच्चे को जन्म देती है, तथा प्रजनन अवधि का अंतराल 15 माह का होता है | इस गाय के दूध में प्रोटीन और वसा अधिक मात्रा में मौजूद होता है | देसी नस्ल की गाय होने के चलते इनके रख-रखाव और आहार में अधिक खर्च नहीं करना होता है | इस गाय में गर्मी सहने की क्षमता होती है, जिस वजह से यह गर्म इलाको में आसानी से रह लेती है | साहिवाल गाय को पीलिया रोग का खतरा साहिवाल गाय को पीलिया रोग से ग्रसित होने का खतरा अक्सर बना रहता है। इसलिए जिन पशुओं में लाग और खून के कीड़ों की बीमारी है, उनसे साहिवाल को दूर रखें। इसके अलावा गुलुकोज़ और नमक का घोल, कैल्सियम ग्लूकानेट, विटामिन ए और सी दें। साथ-साथ एंटीबायोटिक दवाइयां भी देते रहें। पशु को हरा चारा और चर्बी रहित खुराक के साथ लिवर टॉनिक देने से भी इस बीमारी का प्रभाव कम होता है। एनाप्लाज़मोसिस एनाप्लाज़मोसिस एक ऐसी बीमारी है जिससे साहिवाल गाय अक्सर ग्रसित होती है। यह एक संक्रमक बीमारी है, जो एनाप्लाज़मा मार्जिनल के कारण होती है। इसके कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है। पशु की नाक से गहरा तरल पदार्थ निकलता है। साथ ही उसमें खून की कमी, पीलिया और मुंह से लार गिरने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। इस बीमारी के इलाज के तौर पर आप परजीवी की संख्या की रोकथाम के उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप गाय को अकार्डीकल दवाई दें। इस बीमारी की जांच के लिए सीरोलॉंजिकल टेस्ट करवाएं। यदि परिणाम पॉज़िटिव आता है तो तुरंत पशु के किसी अच्छे डॉक्टर से दिखाएँ। एंथ्रैक्स बीमारी साहिवाल गाय के लिए एंथ्रैक्स बीमारी भी जानलेवा साबित होती है। यह एक तेज बुखार की बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर कीटाणु और दूषित पानी से होती है। यह बीमारी अचानक भी हो सकती है या कुछ समय भी ले सकती है। इसकी वजह से पशु को तेज बुखार होता है और वह मुश्किल से सांस ले पाता है। इस बीमारी से ग्रसित होने पर पशु टांगें मारता है और उसे दौरे पड़ते हैं। जानवर का शरीर अकड़ जाता है और चारों टांगे बाहर की ओर खिंच जाती हैं। इस बीमारी का अब तक कोई असरदायक इलाज नहीं मिल पाया है। लेकिन विशेष सावधानी अपनाते हुए आप हर वर्ष इसके बचाव के लिए टीके लगवा सकते हैं। साहीवाल गाय की कीमत – Sahiwal Cow Price Sahiwal Cow Price:- आजादी से पूर्व साहीवाल गाय पाकिस्तान में पाई जाती थी, नतीजन भारत में साहीवाल गाय की कीमत पाकिस्तान की तुलना में काफी अधिक है | साहीवाल गाय की कीमत निचे दिए गयी कुछ बातों की ध्यान मैं रखकर तय की जाती है | इन बातों में गाय का स्वास्थ, गाय बेचने वाली की स्थिति, दूध देने की क्षमता और स्तनपान की अवधि शामिल है |साहीवाल गाय की कीमत भारत के कुछ राज्यों में 40 से 60 हज़ार रूपए होती है, तथा कुछ राज्यों में गाय की कीमत कम या ज्यादा भी हो सकती है | Article By.- VikramMarket.
@Banana केले को सर्वाधिक दर
@Banana केले को सर्वाधिक दर |Banana Market Price Today Banana Rate-: इस साल मई से केले का सीजन शुरू हो गया है। सीजन की शुरुआत में केले की कीमत 1,600 रुपये से 1,700 रुपये प्रति क्विंटल थी। इसलिए, किसान मूल्य वृद्धि को लेकर आशा थी। इसके अलावा, व्यापारियों की मांग में वृद्धि हुई थी। जून में कीमत 1,800 से 2,000 थी, जबकि जुलाई में केले की कीमत 2,000 से 2,500 तक आ गई है। इसीलिए किसानों का कहना है की – दो साल के संघर्ष के बाद केला उत्पादन मैं सामधान और मुनाफा मिल रहा है। इस साल पहली बार केले की रिकॉर्ड कीमत मिल रही है। अब तक रेट बढ़ते बढ़ते जाने के बाद 2 हजार से 2 हजार 100 से ज्यादा का रेट मिला है। हालांकि, उत्तर भारत में मांग बढ़ने से भाव 2,500 रुपये प्रति क्विंटल तक दाम मिल रहे हैं। किसानों का कहना है कि केले लगाने के बाद पहली बार उन्हें इतना दर मिला है। वहीं दूसरी ओर श्रावण मास में कीमतों में और इजाफा होने की भी संभावना जताई जा रही है। सीजन की शुरुआत के बाद से केले का रेट अच्छा मिला है। पिछले दो वर्षों में केले से होने वाली आय की तो बात ही छोड़ दें, जो खर्चा हुआ है, वह किसानों को वापस नहीं मिल पाया है। कोरोना काल के कारण मांग में गिरावट और केले उत्पादकों को केले को सस्ते दामों पर बेचना पड़ा, वहीं कोरोना के साथ-साथ केले के बागों में भी संक्रमण हो गया। इसलिए केला उत्पादक उत्पादन में गिरावट और ऊंची कीमतों के दोहरे संकट में थे। केले की मांग साल भर रहती है लेकिन कोरोना और बाजार की स्थिति के कारण किसानों को निराशा ही हाथ लगी। कई लोगों ने केले के बागानों को भी तोड़ डाला था। इसी कारन राज्य मैं उत्पादन घटने से मांग बढ़ रही है। व्यापारियों का कहना है कि इस बदलाव की वजह यही है, की केले के दाम बढ़ रहे है । श्रावण महीने मैं और बढ़ेंगी मांग | केले की खेती banana farming :- इस साल केले को 2 हजार 500 रुपए प्रति क्विंटल दाम मिल रहा है। और इतना दर पहली बार मिल रहा है , ऐसा किसानों का कहना है । यदि इसी तरह मांग बरकरार रही,तो दर और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है । जैसे-जैसे श्रावण का महीना शुरू हो रहा है, वैसे-वैसे मांग बढ़ती जा रही है। Article By – : VikramMarket.
Market Report_टोमेटो और प्याज की आवक बढ़ी- दाम गिरे
@Farmers Market Report_टोमेटो और प्याज की आवक बढ़ी- दाम गिर कृषि :- जुलाई के महीने में मक्का, मूंग और तूर के दाम बढ़ रहे थे। कपास, चना, सोयाबीन, प्याज और टमाटर की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। 4 फरवरी से देश में कपास के आयात में गिरावट आ रही है। हल्दी, चना और अरहर की अवाक् भी मार्किट मैं लगातार बढ़ रही है। 3 जून से मक्का की आवक लगातार बढ़ रही है। मूंग की आवक 8 जुलाई तक बढ़ रही थी, जिसके बाद यह नीचे आ रही है। 13 मई से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के बाद से निवेश में तेजी आई है। प्याज की साप्ताहिक आवक 22 अप्रैल के बाद तीन से चार लाख टन पर बनी हुई है। 6 मई के बाद टमाटर की आवक लगातार बढ़ रही है। Tomato Market Rates टोमेटो की आवक -: टमाटर की कीमतों में एक बार फिर गिरावट शुरू हो गई है। टमाटर की आवक जून और जुलाई के महीनों में बढ़ रही है। इसका प्रमुख स्रोत कर्नाटक (40 प्रतिशत) है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की भागीदारी 10-10 प्रतिशत की है। #AgricultureNewsToday Onion Market Price Today प्याज के भाव और आवक -: पिछले सप्ताह प्याज का मुख्य भाव पिंपलगांव जो प्याज का बोहत बड़ा मार्किट है , उस मैं 1,३०० रु. था। इस सप्ताह यह दर 1.3 प्रतिशत गिरकर रु. 1,238 आ गया है। जुलाई के महीने में प्याज की कीमतों में गिरावट आती दिखाई दी है , अब देखना यह है ,”की” इस महीने याने ऑगस्ट मैं ये और गिरेंगे या बढ़ेंगे ? सभी मार्किट भाव Soybean Market Price सोयाबीन के भाव और आवक -: सोयाबीन का मुख्य भाव जून में गिर रहा था। जुलाई के महीने में भी गिरावट का सिलसिला जारी रहा । इस सप्ताह सोयाबीन की कीमत रु. 6,451 मि रहा है। सोयाबीन की गारंटीड ( तय कीमत ) कीमत रु. 4,300 की घोषणा की गई है। व्यापरियों का कहना है , यह दर कुछ दिनों तक स्थिर रहेंगे। Corn Market Price मक्का के भाव और अवाक -: मक्का की जून मैं कीमते बढ़ती रही । जुलाई के महीने में भी मक्का का भाव बढ़ रहा था । इस सप्ताह हाजिर कीमतें रु. 2,300 पर स्थिर हैं। फ्यूचर्स (अगस्त डिलीवरी) की कीमतें रु. 2,307 आए हैं। अक्टूबर वायदा भाव रु. 2,328 आए हैं। मक्का प्रति क्विंटल का गारंटीड मूल्य रु. 1,962 है। ये भी पढ़िए – Sahiwal Cow_साहिवाल गाय – लाखों की कमाई Article By .- VikramMarket.
@आँवला की खेती करो-लाखों कमाओ_55 साल तक फल देता है
Indian Gooseberry Farming:- विश्व में एक ही ऐसा फल है जिसे ‘अमृत’ समान माना जाता है।आंवला को औषधीय गुणों की खान कहा जाता है। इसके सेवन की सलाह डॉक्टर कई तरह की बीमारियों में देते हैं। कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, विटामिन ए, विटामिन ई जैसे पोषक तत्व आपको स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसी कारण बाजार में आंवला की अच्छी मांग है।ऐसी स्थिति में इसकी खेती करने से किसानों को अच्छा मुनाफा कमाने का मौका भी मिल सकता है। avala ki kheti : आंवला की खेती जुलाई से सितंबर के बीच की जाती है। मानसून के दौरान इसकी खेती बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इसका पौधा 4-5 साल में फल देना शुरू कर देता है। 8-9 वर्षों के बाद एक पेड़ प्रति वर्ष औसतन 1 क्विंटल फल देता है। बाजार में एक किलो 25 रुपये में बिकता है। एक किसान को एक पेड़ से सालाना 1500 से 2000 रुपये मिल सकते हैं। यदि एक हेक्टेयर में 200 से अधिक पेड़ लगाए जाते हैं, तो प्रति वर्ष 5 से 6 लाख रुपये कमा सकते हैं। उचित देखभाल के साथ, प्रत्येक आंवले का पेड़ 55-60 वर्षों तक फल देता है। यानी अगर आप एक बार आंवला के पौधे लगाएंगे तो आप जीवन भर कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा आप इस फसल से पेड़ों के बीच और भी कई फसलें लगाकर दोगुना कमी कर सकते है। आंवला के पेड़ को गर्मी या पाले से कोई नुकसान नहीं होता है। इसकी देखभाल के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं होती है। इससे किसान अपनी अन्य फसल पर ज्यादा ध्यान दे सकता है। @कृषि आंवला के फायदे Amla Benefits in Hindi आवला खाने के बोहत फायदे होते है । कुछ फायदों से शायद आप वाकिफ होंगे , किन्तु सरे नहीं – निचे सरे फायदों के बारे मैं जानकारी दी गयी है । आंवला खून को साफ करता है। अमला आंखों की रोशनी को भी बेहतर करता है। आंवला दस्त, मधुमेह, जलन की परेशानी में लाभ पहुंचाता है। वात-पित्त के साथ-साथ बवासीर या हेमोराइड में भी फायदेमंद होता है। यह दर्द निवारक दवा के रूप में भी काम करता है। यह सांसों की बीमारी, खांसी और कफ संबंधी रोगों से राहत दिलाने में सहायता करता है। यह मल त्याग करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। आंवला, पीपल और हरड़, सभी तरह के बुखार से राहत दिलाने में सहायता करता है। Article By.- VikramMarket.
@Agriculture_News अरहर के दाम तेजी मैं
@Agriculture_News अरहर के दाम तेजी मैं Pigeon pea Price – इस समय अरहर दाल ( तुर ) की कीमतों में काफी बढ़ोतरी देखि गयी है। सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में अरहर दाल के आयात के कारण कीमतों स्थिर करने का प्रयास किया लेकिन पिछले महीने अरहर की कीमत में करीब एक हजार रुपये का सुधार हुआ। फिलहाल अरहर की बाजार में औसत कीमत 6,500 रुपये से 7,200 रुपये है। त्योहारों के दौरान तुरी की मांग बढ़ जाएगी। इससे विशेषज्ञों का अनुमान है कि यही दाम और दिन स्थिर रहेगा । अरहर की कीमत में सुधार फसल के नुकसान के कारण हुआ है। एक तरफ महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों में अरहर की खेती में कमी आई है। वहीं, लगातार बारिश से फसल को भी नुकसान पहुंचा है। अरहर उत्पादन में महत्वपूर्ण इन तीनों राज्यों में जुलाई के महीने में लगातार बारिश हुई। इससे फसल प्रभावित हुई। शुरुआती अनुमानों के मुताबिक देश में अरहर का नुकसान 20 फीसदी तक हुवा है । अरहर दाल की कीमते – एक अन्य महत्वपूर्ण वजह गारंटीकृत मूल्य (एमएसपी) भी है। सरकार ने इस साल तुरी के लिए 6,600 रुपये प्रति क्विंटल की गारंटी कीमत की घोषणा की है। जबकि मूंग की गारंटीड कीमत 7 हजार 755 रुपए तक ली गई थी। पिछले सीजन में बाजार में अरहर के मुकाबले मूंग और अन्य दालों के दाम अच्छे थे। यह भी एक वजह थी की किसान अरहर को छोड़कर मग की तरफ बढे। देश में अब तक 36 लाख 11 हजार हेक्टेयर में अरहर की खेती की जा चुकी है। पिछले साल इसी अवधि में 41 लाख 75 हजार हेक्टेयर में खेती हुई थी। यानी इस साल अरहर की खेती में 13.51 फीसदी की कमी आई है। Article By.- VikramMarket.
@Banana_ श्रावण में केले के भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर
@Banana_ श्रावण में केले के भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर जलगांव :- जलगांव के साथ ही उत्तर भारत और स्थानीय स्थानों से अन्य क्षेत्रों से केले की मांग बढ़ गई है। आने वाले महीने में कई धार्मिक कार्यक्रम की वजह से मांग बढ़ने वाली है। चूंकि इस समय केले की खेती काफी कम हो गयी है, इसलिए व्यपारियों का अनुमान है ,कि आगे चलकर केले की कीमते और बढ़ेगी । Banana Price – इस साल पश्चिमी महाराष्ट्र में एक दो एकड़ केले के लिए 50 से 100 किलोमीटर की यात्रा करने वाले केले व्यापारियों की एक दुर्लभ तस्वीर है। केले की मात्रा कम होने के कारण व्यापारी उस स्थान पर जाकर केले उठा रहे हैं जहां केले उपलब्ध हैं और सीधे भुगतान कर रहे हैं। चूंकि पूरे राज्य में केला नहीं है, इसलिए इस साल और अगले साल केले की लगातार मांग बनी रहेगी।इस गर्मी, मार्च और अप्रैल में 122 वर्षों में सबसे अधिक तापमान देखा गया। इससे केले के बागान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कई बाग सूख गए। अधिकांश स्थानों पर केले की खेती कम हो गई थी। उसके बाद विभिन्न प्रकार के कीट और रोगों का प्रकोप हुआ। नतीजतन, चालू सीजन में केले के उत्पादन में कमी आई है। जानकारों का कहना है कि इससे कीमत में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। कोरोना काल मैं संभावित नुकसान के चलते केला उत्पादकों ने केले के बागानों को हटा दिया। वहीं से रेट बढ़ने शुरू हो गए । हर महीने टन भार में दो से तीन हजार रुपये की वृद्धि हुई। केले की खेती नहीं होने से भाव के बढ़ते दर रहे। श्रवण के मद्देनजर दरें बढ़ने की संभावना थी और अब यह सच हो गया है।केले का कारोबार काफी हद तक कम हो गया है। खरीदने के लिए ग्राहक होने के बावजूद 25 प्रतिशत तक सप्लाई हो रही है क्योंकि केले नहीं मिल रहे हैं। इसके कारण दर में काफी उच्चांक आया है । #Banana price today Article By.- VikramMarket
@Cow_एक दिन मैं 50 -60 लीटर दूध देने वाली गाय
Dairy farming_एक दिन मैं 50 -60 लीटर दूध देने वाली गाय Dairy Farming In India : अगर आप दूध व्यवसाय करते है , तो ये जानकारी आपके लिए किसी कुबेर के खजाने से कम नहीं होगी । आज हम ऐसी गाय के बारे मैं बतायंगे जो एक दिन 50 – 60 लीटर तक दूध दे सकती है । कभी सुना है ऐसी गाय के बारे मैं – यह गाय की नस्ल हमारे भारत की ही खोज है । Hardhenu Cow : आपको एक ऐसी नस्ल के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसे आपके गोशाला मैं लाने पर आपका मुनाफा कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगा।इस गाय का नाम है हरधेनु।इस प्रजाति का नाम कामधेनू गाय के नाम पर रखा है। शास्त्रों में कहतें है कि कामधेनु गाय सबकी कामनाओं की पूर्ति करती है इसलिए इसी तर्ज पर इसका नाम हरधेनू रखा गया है. नाम के शुरुआत में ‘हर’ लगाने के कारण हरियाणा की भी पहचान हो सकती है ।वैज्ञानिको द्वारा विकसित हरधेनू गाय ने आयरलैंड की ‘जर्सी’ नस्ल को पीछे छोड़ दिया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह गाय जर्सी की तुलना में अधिक दूध देने की क्षमता रखती है। बता दें कि हरधेनु गाय रोजाना 50-55 लीटर दूध आराम से देती है. इस गाय को हरियाणा के लाला लाजपत राय पशु-चिकित्सा एंव पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के वैज्ञानिकों ने तीन नस्लों के मेल से तैयार किया गया था. विशेषज्ञों के अनुसार, यह हरधेनु नस्ल उत्तरी-अमेरीकी (होल्स्टीन फ्रीजन), देसी हरियाणा और साहीवाल नस्ल की क्रॅास ब्रीड से ख़ास तैयार की गयी है।तीन नस्लों के मेल से तैयार हुए गाय के बच्चे को ‘हरधेनू ‘ नाम दिया गया। एक दिन मैं 50 -60 लीटर दूध सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय की नस्ल : हरधेनु गाय की अगर बात की जाए तो इस नस्ल की दूध क्षमता अन्य नस्लों की गायों से काफी अधिक है। इसके दूध का रंग अन्य गायों के मुकाबले अधिक सफेद होता है। अन्य गाय औसतन एक दिन में 5-6 लीटर दूध देने की क्षमता होती हैं, लेकिन हरधेनू गाय के साथ ऐसा नहीं होता है। हरधेनू गाय एक दिन में औसतन 15 से 16 लीटर दूध देती है। वहीं अगर आप इसकी खुराक अच्छी रखेंगे तो यह गाय एक दिन में 55-60 लीटर तक दूध देने में सक्षम है। सरकार का पशुपालन मैं साथ भारत मैं खेती के बाद किसानों के लिए पशुपालन आय का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत मन जाता है। पशुपालन के व्यवसाय से अधिक किसान जुड़े सरकार भी इसके लिए किसानों को लगातार प्रयास कर रही है। गाय पालन को लेकर सरकार की तरफ से किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। कार्यक्रमों के जरिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है, कि किस नस्ल का पालन कर वह बढ़िया मुनाफा कमाएंगे। इसके अलावा गायों के खुराक और देखभाल को लेकर भी विशेषज्ञों के माध्यम से किसानों को जानकारी दी जा रही है। कई राज्य सरकार गाय पालन के लिए अनुदान भी दे रही है । हरधेनु गाय की विशेषता डेरी फार्मिंग : हरधेनु नाम से विकसित की गयी गाय में 62.5 प्रतिशत हॉस्टेन फ्रिजन, 27.5 प्रतिशत साहीवाल और 10 प्रतिशत हरियाणा नस्ल का मिश्रण है। यह गाय 48 डिग्री सेल्सियस तापमान तक अच्छा दूध उत्पादन देती है। इसका काविंग इंटरवेल की अवधि सबसे कम 13 माह है। यानिकि हर 13 माह में यह नई बियांत दे देती है। इसके दूध में 3.8 प्रतिशत फेट है जबकि हॉस्टेन फ्रिजन में यह मात्र 3 प्रतिशत ही है। इस गाय का अब तक का रिकॉर्ड दूध उत्पादन 5560 लीटर (300 दिन में) है जो अब छह हजार के पास होने की संभावना है। लाला लाजपत राय पशु विश्वविद्यालय के विस्तार विभाग में संपर्क कर सकतें हैं… फोन : 0166 225 6065 Article By.- VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2021/04/26/डेयरी-फार्मिंग-शुरू-से-ले/
@Aprajita_ऐसा फूल जिससे बनती है चाय , लाखों मैं कमाई
@Aprajita_ऐसा फूल जिससे बनती है चाय , लाखों मैं कमाई | Asian pigeonwings Farming Aparajita Cultivation: औषधीय फसलों की खेती देश में किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय हो रही है। वाजह भी साफ है – अन्य फसलों के मुकाबले औषधीय फसलों मैं अधिक मुनाफा मिल रहा है। और इसमें ज्यादा मात्रा मैं फ़र्टिलाइज़र भी इस्तमाल नहीं होता , जिसे की उनकी खेती मैं लगने वाला खर्च कम भी कम आता है । तो आयी आज हम आपको ऐसे फसल के बारे मैं बतायनेगे , जिसे करकर आपकी आय दुगुनी हो जाएँगी । Aprajita Flower Farming : इस औषिधीय वनस्पति का नाम अपराजिता है ।अपराजिता याने की तितली मटर एक औषधीय फसल होने के साथ-साथ दलहनी और चारा फसल भी है । इसके-मटर और फलियां जहां भोजन बनाने में काम आती हैं। वहीं, इसके फूलों से ब्लू टी यानी नीली चाय बनाई जाती है। इस नीली चाय को डायबिटीज जैसी बीमारियों के खिलाफ फायदेमंद है। वहीं, इस पौधे के बाकी बचे भाग को आप पशु चारे के तौर पर उपयोग कर सकते हैं. यानी एक फसल तीन काम और तीन गुना ज्यादा मुनाफा। अपराजिता खेती कैसे की जाती है ? World Famous Blue Tea :- अपराजिता यानी तितली मटर एक सदाबहार औषधीय फसल है, जो सर्दी, गर्मी या सूखे जैसी परिस्थितियों में बढिया उत्पादन देती है. मौसम की अनिश्चितताओं, जोखिमों और खारी जमीन में भी ये विकसित हो जाती है।अपराजिता की फसल गर्मी से लेकर सूखे जैसी स्थितियों में भी बढ़िया तरीके से विकास करती हैं। मिट्टी और जलवायु का इसपर कोई खास असर नहीं पड़ता है। इसकी खेती से पहले बीजों का उपचार कर लेना चाहिये. विशेषज्ञों के अनुसार, बुवाई 20 से 25 × 08 या 10 सेमी की दूरी एवं ढ़ाई से तीन सेमी की गहराई पर करनी चाहिए। इसकी फलियों की तुड़ाई वक्त रहते कर लें, वरना इसकी फलियां जमीन पर गिरकर खराब हो जाती हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं तो आराम से 1 से 3 टन सूखा चारा और 100 से 150 किलो बीज प्रति हेक्टेयर का उत्पादन हासिल कर सकते हैं। वहीं, सिंचाई वाले इलाकों में इसके उत्पादन में 8 से 10 टन सूखा चारा और 500 से 600 किलो बीजों का उत्पादन लिया जा सकता है. कई देशों में इसके फूलों और प्रोडक्ट की निर्यात भी किया जाता है. ऐसे में किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा हासिल कर सकता है। बोहत सरे देशों मैं अपराजिता की खेती की जाती है Asian Pigeonwings Farming :- आपके जानकारी के लिए बता दें कि भारत के अलावा इसकी खेती अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों में बड़े पैमाने पर की जाती है। Article By. – VikramMarket.
@Telangana : पाम तेल की खेती, एक अच्छा विकल्प
Telangana : पाम तेल की खेती, एक अच्छा विकल्प Palm Cultivation: भारत में हर साल 230 से 235 लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है। लेकिन भारत को अपने खाद्य तेल की आवश्यकता का 65 प्रतिशत आयात करना पड़ता है। भारत हर साल 130 से 14 करोड़ टन खाद्य तेल का आयात करता है। इसमें करीब 85 लाख टन पाम ऑयल शामिल है। वर्तमान में भारत में 3 लाख टन से भी कम पाम तेल का उत्पादन होता है। इसलिए, भारत को आवश्यकता को पूरा करने के लिए इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड पर निर्भर रहना पड़ता है। Telangana Government :- तेलंगाना सरकार ने अगले चार साल में 20 लाख एकड़ में पाम तेल के पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है। अगर ऐसा होता है तो तेलंगाना दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक क्षेत्र बन जाएगा। लेकिन तेलंगाना के लिए इस लक्ष्य को हासिल करना इतना आसान नहीं है। तेलंगाना को भी कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पाम तेल के आयात को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने पाम तेल उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। तेलंगाना सरकार ने इसमें पहल की है। तेलंगाना का लक्ष्य अगले 4 वर्षों में 20 लाख एकड़ में पाम तेल के पेड़ लगाने का है। तेलंगाना सरकार भी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तैयार है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि बड़े बांध बनाए गए हैं, ताड़ की फसलों की सिंचाई के लिए नहरें बनाई गई हैं और यहां तक कि अंकुरित बीजों को भी आयात किया गया है। Palm Oil :- पाम तेल की खेती के लिए सब्सिडी और अन्य फसलों की तुलना में अधिक आय की संभावना के कारण किसान भी पाम तेल की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। पांच एकड़ में पाम तेल के पेड़ लगाने वाले एक किसान ने कहा कि कुछ साल पहले ताड़ के पेड़ लगाने वाले किसानों को एक एकड़ से दो लाख तक की आमदनी हो रही थी। दूसरी तरफ धान के खेत में काफी मेहनत करने के बाद उन्हें 40 हजार रुपये भी नहीं मिलते है। पिछले कुछ महीनों में पाम तेल की कीमतों में भारी उछाल आया है। इसलिए पाम तेल के फल बेचने वाले किसानों को धान की कीमतों के मुकाबले अच्छी कीमत मिली। India :- देश में पाम तेल की खेती पिछले कुछ वर्षों से किसानो ने करनी शुरू की है । हालांकि, कीमतों में उतार-चढ़ाव, पानी की कमी और लगभग चार साल की फल आने का इंतजार के कारण देश में पाम की खेती करने मैं किसानों ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। देश में अभी तक सिर्फ 10 लाख एकड़ में ही खेती हुई है। इनमें से अधिकांश बिजरोपण आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में हुए। लेकिन वर्तमान में तेलंगाना में पाम की खेती नहीं की जाती है। लेकिन तेलंगाना दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा राज्य बनने का सपना देखता है। और इसी की और अपने कदम बड़ा रहा है । . -एल वेंकटराम, सचिव, फलोत्पादन विभाग, तेलंगणा Article By.- VikramMarket.
@Onion_देश में घट सकती है प्याज की खेती !
@Onion_देश में घट सकती है प्याज की खेती ! | Onion Price :- संभावना है कि इस साल देश में खरीफ प्याज के उत्पादन में गिरावट आएगी। महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में खरीफ प्याज की खेती में गिरावट आई है। महाराष्ट्र में जून में संतोषजनक बारिश नहीं हुई, लेकिन जुलाई में बारिश फिर से शुरू होने के लिए तैयार नहीं है। बारिश से प्याज की नर्सरी को काफी नुकसान हुआ है। प्रदेश में प्याज की खेती घटने की संभावना है। देश में प्याज के उत्पादन में महाराष्ट्र का योगदान 33 प्रतिशत है। इसलिए, अगर महाराष्ट्र में खेती कम हो जाती है, तो देश में प्याज की कुल उपलब्धता घट जाएगी। खेती में 20 फीसदी की कमी आई है। गुजरात में प्याज के बीज की मांग में 30 फीसदी की कमी आई है. इस साल खरीफ प्याज की आपूर्ति खलती रहेगी। उम्मीद की जा रही थी कि इससे किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे। लेकिन केंद्र सरकार ने ढाई लाख टन प्याज का बफर स्टॉक कर दिया है। अगर ये सामान अगस्त से दिसंबर के बीच बाजार में आता है तो कीमतों पर असर पड़ेगा। आज का प्याज़ का भाव | Onion Rate Today| Aaj Ka Pyaj Ka Bhav 19 -7 -2022 मंगलवार प्याज के भाव #pyajekebhav बाजार समिती जात/प्रत कमीत कमी दर जास्तीत जास्त दर सर्वसाधारण दर लासलगाव उन्हाळी 500 1451 1140 नाशिक उन्हाळी 350 1400 1000 औरंगाबाद — 200 1300 750 मुंबई – कांदा बटाटा मार्केट — 1000 1700 1350 खेड-चाकण — 1000 1500 1250 लासूर स्टेशन — 445 1305 995 सातारा — 1200 1500 1350 जुन्नर -आळेफाटा चिंचवड 1150 1750 1400 कराड हालवा 300 1500 1500 फलटण हायब्रीड 200 1400 900 सोलापूर लाल 100 2000 1000 जळगाव लाल 400 1100 700 पंढरपूर लाल 200 1600 1100 नागपूर लाल 1100 1500 1400 साक्री लाल 400 1300 950 अमरावती- फळ आणि भाजीपाला लोकल 100 1000 550 पुणे लोकल 500 1600 1050 कामठी लोकल 1000 1600 1400 संगमनेर नं. १ 1400 1700 1550 कल्याण नं. १ 1500 1600 1550 संगमनेर नं. २ 1000 1400 1200 कल्याण नं. २ 1700 1800 1750 संगमनेर नं. ३ 500 1000 750 कल्याण नं. ३ 700 800 750 नागपूर पांढरा 1100 1500 1350 चंद्रपूर – गंजवड पांढरा 1200 1500 1300 येवला -आंदरसूल उन्हाळी 100 1176 970 कोल्हापूर — 700 1700 1000 लासलगाव – विंचूर उन्हाळी 500 1450 1151 मालेगाव-मुंगसे उन्हाळी 300 1340 1150 अकोले उन्हाळी 150 1611 1400 चाळीसगाव उन्हाळी 200 1171 950 चांदवड उन्हाळी 700 1260 1025 मनमाड उन्हाळी 200 1217 1000 सटाणा उन्हाळी 200 1455 1225 कोपरगाव उन्हाळी 500 1389 1050 कोपरगाव उन्हाळी 301 1255 1050 पिंपळगाव बसवंत उन्हाळी 350 1605 1300 पिंपळगाव(ब) – सायखेडा उन्हाळी 350 1301 1000 वैजापूर उन्हाळी 300 1255 1050 देवळा उन्हाळी 100 1350 1150 उमराणे उन्हाळी 851 1400 1250 नामपूर उन्हाळी 100 1505 1200 Article By.- VikramMarekt.
@कृषी -अनाज और दालों पर 5% GST
अनाज और दालों पर 5% GST | व्यापरियों का कड़ा विरोद GST On Food :- भारत सरकार ने सोमवार (18 तारीख) से नॉन-ब्रांडेड दालों और अन्य खाद्यान्नों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया है। छोटे व्यापारियों के लिए यह फैसला बढ़ा ही हानिकारक साबित हो सकता है। नॉन-ब्रांडेड अनाज और दालों पर जीएसटी लगाने के केंद्र सरकार के फैसले का हर तरफ से विरोध हो रहा है। केंद्र के इस फैसले से पांच हजार से ज्यादा छोटे व्यापारी बाजार से बाहर हो जाने की आशंका जताते हुए दाल मिल एसोसिएशन ने इस फैसले को रद्द करने की मांग की है। क्या क्या बदलेगा ? केंद्र सरकार द्वारा पहले से पंजीकृत ब्रांडेड याने ( नोंदणीकृत ब्रँडेड ) अनाज पर जीएसटी लगाया जाता था । अब अगर नॉन -ब्रांडेड खाद्यान्न पर भी जीएसटी लगाया जाता है, तो खाद्यान्न का व्यापार धीरे-धीरे कम हो जाएगा। देश में 85 प्रतिशत छोटे व्यवसायी ब्रांडेड और नॉन-ब्रांडेड खाद्यान्नों का सौदा करते हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले से उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।डालमिल एसोसिएशन ने भविष्यवाणी की है कि इससे कम से कम पांच करोड़ व्यवसायी प्रभावित होंगे। बड़ी कंपनियों द्वारा एकाधिकार बढ़ेगा, इससे छोटे व्यपारियों को अस्तित्व ही ख़त्म हो जायेगा । केंद्र सरकार का बदला निर्णय ? Narendra Modi :- 2017 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया। उस समय उन्होंने दैनिक आवश्यक खाद्यान्न और दालों को कर मुक्त करने की घोषणा की थी। सिर्फ चार साल में केंद्र सरकार अपनी नीति बदल रही है और व्यापार विरोधी रुख अपना रही है। व्यापरियों का कड़ा विरोद सरकार के इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र के साथ साथ अन्य राज्यों के व्यापारी एकजुट हो गए है । ‘जीएसटी’ की शर्त को वापस लिया जाए नहीं तो भविष्य में जोरदार आंदोलन होगा, ऐसा संकेत व्यपारियों ने दिया है। इससे किसानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए पूर्व के निर्णय को कायम रखते हुए किसानों व व्यापारियों को इससे छूट दी जाए, अन्यथा राज्य भर में आंदोलन किया जाएगा , ऐसा सूचक इशारा व्यपारियों की और से आया है। शनिवार को राज्य भर में अनाज मंडियां बंद रहेंगी। इसमें बाजार समितियों के साथ-साथ छोटे मोठे व्यापारी भी भाग लेंगे। ऑल इंडिया डालमिल एसोसिएशन ने इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसी के अनुरूप भारत सरकार ने सोमवार (18 तारीख) से नॉन-ब्रांडेड दालों और अन्य खाद्यान्नों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया है। यह फैसला छोटे व्यापारियों के लिए घातक है। इसलिए इसे तुरंत वापस लिया जाए।ऐसी विनती की है। Article By.- VikramMarket.
Maize Price_कुछ दिनों मैं मक्का ३००० रूपये ?
Makka Rate Today_कुछ दिनों मैं मक्का ३००० रूपये ? MAIZE मक्का देश में लगातार दूसरे साल रिकॉर्ड मक्का उत्पादन हासिल किया गया। अच्छी बारिश और उपजाऊ वातावरण के कारण मक्का का उत्पादन बढ़ा। फसल वर्ष में जुलाई 2020 से जून 2021 तक देश में 331 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यहां आपूर्ति बंद कर दी गई । सोयाबीन की कीमतों में तेजी रही। नतीजतन, पोल्ट्री और पशु चारा में मक्का का उपयोग बढ़ गया। नतीजतन, मक्का की मांग बढ़ गयी और कीमतों मैं बढ़ोत्तरी हुयी। सरकार ने मक्का के लिए 1870 रुपये हमीभाव की घोषणा की है।हालांकि, मक्का खुले बाजार में 2,500 रुपये से 2,600 रुपये के बीच बेचा जा रहा है। क्या मक्का के दाम और बढ़ेंगे ? Maize Mandi prices Maize Rate-: अगर रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते और कुछ दिनों तक मक्का की कमी रही , तो दरें और बढ़ सकती हैं। पहले गेहू , फिर चावल और अब मक्का की दुनिया भर मैं कमी _ बोहत बढ़ी भुखमरी की और विश्व की राह तय कर रही है । ऐसा ही चलता रहा तो बोहत जल्द खाने के लिए जंगे होने लगेगी , और इनके परिणाम बोहत भयनंकर होंगे । हाल फ़िलहाल मक्का की स्थिति को देखकर, विशेषज्ञों ने संभावना जताई है कि अगले कुछ महीनों में दरें 2,800 रुपये से 3,000 रुपये तक पहुंच जाएंगी। अगर ऐसा होता है तो देश के मक्का उत्पादकों को फायदा हो सकता है। रूस और उक्रैन युद्ध का मक्का पर भी असर Russia Ukrain War Impact :- यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका समेत कुछ देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन इसके बावजूद रूस तुर्की के जरिए गेहूं और मक्का का निर्यात कर रहा है। विश्व बाजार में मक्का की मांग है। इसलिए रूस ने 13 से 19 जुलाई की अवधि के लिए मक्का निर्यात शुल्क में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। पहले मक्के के निर्यात पर निर्यात शुल्क 2 हजार 196 रूबल प्रति टन था। अब इसे बढ़ाकर 3 हजार 75 रूबल कर दिया गया है। रूबल रूस की मुद्रा है। ( 1 रूबल यानि =1.37 भारतीय रुपया )| Article.By- VikramMarket
Tomato Prices_टमाटर 500 रूपये ?
टमाटर की कीमतों में गिरावट | Tomato Prices_टमाटर 500 रूपये ? टोमॅटो बाजार भाव :- जुलाई महीने की शुरवात से ही बारिश ने अपना रौद्र रूप देखना शुरू कर दिया है , नतीजन इससे सबसे ज्यादा खेती और सब्जी माल ज्यादा प्रभावित होगया है । टमाटर की भी मार्किट मैं आवक बढ़नी शुरू हो गई है । डिमांड और सफ्लाय मार्किट का नियम है – जो की अवाक् बढ़ गयी है तो , ( Tomato ) टमाटर के दाम भी धीरे धीरे कम होने लगे है । पर गौर करने की बात ये है की ‘ मार्किट मैं आने वाला माल बारिश से काफी ख़राब हो चुका है ! तो सम्भवना है की जैसे ही मार्किट मैं अच्छा माल आएगा – उससे अच्छा दाम मिल सकता है । मुंबई मार्किट का असर Mumbai market :- राज्य भर में जारी मूसलाधार बारिश ने सब्जी व्यापार पर बढ़ा असर किया है। हरी बीन्स, अमरूद और टमाटर सहित अन्य सब्जियों की कीमतों में गिरावट आई है क्योंकि बाजार समिति से कम आय और ग्रहाक ने खरीद से मुंह मोड़ लिया है। बारिश के कारण 10 से 15 फीसदी सब्जियां खराब होने के कारण फेंकनी पड़ती हैं। बारिश ने विक्रेताओं को सड़क पर अपना कारोबार बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है। नतीजतन, वे सब्जियां खरीदने के लिए बाजार नहीं आए, जिसके परिणामस्वरूप बाजार की कीमतें कम हो गईं। ( Farmer ) महाराष्ट्र भर से ज्यादा तर टमाटर मुंबई को भेजा जाता है , और मुंबई मार्किट का दर और परिस्तिया टमाटर मार्किट मैं काफी हदतक असर करती है । ये भी पढ़िए – @tomato टोमॅटो के दाम मैं गिरावट – नाशिक के कल के टोमेटो के भाव – Tomato Bajar Bhav Today दिनांक दिन सब्जी कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव 7-7-22 नाशिक टोमॅटो 150 425 350 7-7-22 ओझर टोमॅटो 100 450 325 7-7-22 चांदवड टोमॅटो 225 500 350 Article By.- VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/07/04/टोमेटो-के-दाम-गिरावट/
Weather Today_ 15 जुलाई तक रेड अलर्ट
15 जुलाई तक रेड अलर्ट | Today Maharashtra Weather Weather Today :- पिछले 10 दिनों से राज्य में शुरू हुई बारिश से उन्हें कब राहत मिलेगी, हर कोई यही सोच रहा है. लेकिन मौजूदा मूसलाधार बारिश से राहत पाने के लिए आपको और 3 दिन इंतजार करना होगा। क्योंकि मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का वातावरण तैयार हुवा है, जबकि पश्चिमी तट पर द्रोणिय की स्थिति राज्य में मानसून को प्रभावित करेगी। इसलिए 15 जुलाई तक रेड अलर्ट जारी किया गया है। 11 Jul,बंगालच्या उपसागरातील कमी दाबाचे क्षेत्र,पश्चिम किनार्यावरील द्रोणिय स्थिती,20°N पूर्व-पश्चिम शियर,मान्सून ट्रफ त्याच्या सामान्य स्थितीच्या दक्षिणेकडे स्थित;परिणामी ह्या ४-५ दिवसात कोकण (मुंबई ठाण्यासह),मध्य महाराष्ट्र व विदर्भात काही ठिकाणी मुसळधार पाउस,मराठवाड्यातही जोर pic.twitter.com/mYMZNxDk9U — K S Hosalikar (@Hosalikar_KS) July 11, 2022 महाराष्ट्र प्रदेश के चारों भागों में अब मानसून सक्रिय है। न केवल सक्रिय बल्कि मौसम विभाग द्वारा किए गए पूर्वानुमान के अनुसार भी जुलाई में बारिश ने अपना अंदाज भी बदल लिया है। हालांकि जून में मानसून अनिश्चित देखा गया, सभी जुलाई में राज्य में भारी बारिश हो रही है। अगले तीन से चार दिनों तक यही स्थिति रहने की संभावना है। Maharashtra Manson Report कोंकण, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों और पूर्वी विदर्भ में भारी बारिश हो रही है। अन्य जगहों पर हल्की बारिश हो रही है। बारिश ने कुछ जगहों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है और नदियां उफान पर हैं। मौसम विभाग ने आज और कल कोंकण, मध्य महाराष्ट्र और पूर्वी विदर्भ में भारी बारिश की चेतावनी दी है । Article By.- VikramMarket.
@NashikMarket कौन कौन सी सब्जियों को अच्छा दाम?
@NashikMarket कौन कौन सी सब्जियों को अच्छा दाम? बारिश की वजह से खेत का बोहत सा माल ख़राब हो गया है , जिस कारन मार्किट मैं अच्छा स्तर का माल नहीं आ पाया । इस कारन मार्किट का ऊपर निचे होना स्वाभाविक है , सब्जियों का खासा दाम स्थिर रहा है । बिच बिच मैं इनके दाम भी बोहत बढ़ गए थे , अगर आप विक्रम मार्किट को रोजाना यूज़ करते होने तो आपको पता होगा की ‘ कब मार्किट मैं भाव बढे थे और कब नहीं । Onion Price :- प्याज ( Onion rate ) के दाम मैं काफी सुधर आया है – प्याज के भाव जो 1300 से 1400 सों के बिच जुल रहे थे , वे अब 1800 सो के करीब है । सब्जियों का देखा जाय तो इनके दाम मैं और बढ़ने के आशा की जा रही है । 2 या 3 सब्जियों को छोड़कर किसी अन्य सब्जी का दाम 500 रूपये नहीं है , ये बोहत निराशाजनक है । Tomato Price -: टोमेटो के दाम मैं भी एक गिरावट के बाद स्थिरता देखि गयी है । पिछले महीने के शुरवाती हफ्ते मैं इसके दाम 800 से 900 रूपये थे , किन्तु महीने के आखिर तक ये गिरकर 400 से 500 रूपये के बिच आगये । व्यपारियों का कहना है की कुछ दिन के अवकाश के बाद शायद इन मैं सूधार आएगा । आप निचे दिए गए कल के मार्किट भाव देखकर आप अंदाजा लगा सकते है मार्किट चढ़ उतार के बारे मैं ! नाशिक मार्किट के कल के दाम – Nashik Market Price – Nashik Sabji Mandi Bhav नासिक मंडी भाव – 12-7-2022 ( मंगलवार ) Nashik Mandi Bhav Today | आज का नाशिक मंडी भाव !! नग !! सब्जी कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव टोमॅटो 125 450 350 वांगी 250 475 390 फ्लावर 100 175 150 कोबी 90 170 140 डोबली मिर्ची 350 500 400 भोपळा 150 450 350 कारले 100 550 450 दोडका 400 675 550 Nashik Mandi Bhav गिलके 200 450 325 भेंडी 150 400 300 गवार 200 450 350 डांगर 60 80 70 ककड़ी 200 400 300 लिम्बु 125 300 250 !! Q !! सब्जी कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव उन्हाळी कांदा Q 350 1500 1200 केळी Q 800 1500 1250 कारली Q 2000 3200 2335 दुधी भोपळा Q 935 3400 2335 वांगी Q 2000 4100 3250 कोबी Q 660 1875 1290 ढोवळी मिरची Q 5000 6875 5750 लिंबू Q 625 1500 1250 सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो गवार Q 2000 4500 3500 काकडी Q 1000 2500 2000 फ्लॉवर Q 720 1430 1070 लसूण Q 2500 10000 8000 पेरु Q 0 0 0 भेडी Q 1250 3330 2500 पपई Q 600 1200 900 बटाटा Q 1250 2200 1950 डाळींब Q 300 8250 5500 दोडका (शिराळी Q 5835 8335 7085 शहाळे Q 0 0 0 Article By. – VikramMarket.
इस पेड़ के खेती_ आपको करोड़पति बना देगी
Sagwan ki kheti – इस पेड़ के खेती_ आपको करोड़पति बना देगी Sagwan ki kheti -: सागवन के पौधों के लिए किसी खास मिट्टी की जरूरत नहीं रहती है। इसके पौधों को उस जगह उगाएं जहां जल जमाव नहीं हो। सागवन की लकड़ी में दीमक लगने का खतरा नहीं रहता है।इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल प्लाईवुड, जहाज़, रेल के डिब्बे और और फर्नीचर्स बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा सागवान की छाल और पत्तियों से कई तरह की शक्तिवर्धक दवाओं को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। सागवन की लकड़ी में कई तरह के खास गुण पाए जाते हैं। लिहाजा इन पेड़ों की डिमांड बाजार में हमेशा बनी रहती है। * साग पेड़ के फायदे – Teak wood Tree Sagwan Farming :- चंदन के बाद सागा की लकड़ी अपने विशेष गुणों के कारण मूल्यवान है। यह लकड़ी बहुत टिकाऊ होती है। लकड़ी सूखे, फफूंदी और मौसम से प्रभावित नहीं होती है। यह लकड़ी फूटती नहीं है।इसमें दरार नहीं आती। लकड़ी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस लकड़ी का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इस लकड़ी का उपयोग सदियों से जहाज निर्माण में किया जाता रहा है। इसके अलावा, धान के खेतों में काम करने वाले मजदूर खुद को बारिश से बचाने के लिए इस पत्ते से ‘अर्ल’ बनाते हैं। इन पत्तों का उपयोग झोपड़ियां बनाने में किया जाता है। साली का उपयोग ब्रोंकाइटिस में औषधीय रूप से किया जाता है। लार से ऑक्सालिक अम्ल को अलग करता है। लकड़ी की छीलन से प्रभावित चारकोल ( कोयला ) बनाता है। सागा के पौधे में औषधीय गुण होते हैं। फूलों का उपयोग पित्त संबंधी ब्रोंकाइटिस और मूत्र विकारों में किया जाता है। बीज पेशाब को साफ करते हैं। पत्ती का अर्क टीबी के कीटाणुओं के विकास को रोकता है। पत्ते लाल या पीले रंग के होते हैं और कपास, रेशम और ऊन को रंगने के लिए उपयोग किए जाते हैं। सागा के पत्ते बहुत बड़े होते हैं जिन्हे पत्तियों और द्रोण बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। ( Sagwan ) * साग लकड़ी की बढे पैमाने पर मांग – teak wood Demand देश में कुल मांग की अपेक्षा मात्र 5 प्रतिशत ही सागवान का उत्पादन हो पाता है। देश में सागवान की मांग 180 करोड़ क्यूबिक फिट है। लेकिन इसके विपरीत उत्पादन मात्र 9 कारोड़ क्यूबिक फिट ही हो रहा है। ऐसे में किसान अगर सागवान की खेती करता है तो उसे पर्याप्त लाभ मिलता है। बहुत से लोगों ने अपने खेतों के किनारे सागवान की खेती शुरू कर दी है कुछ किसान तो पारम्परिक खेती को छोड़ कर अपने पुरे खेत में सागवान के ही पौधों को लगा दिया है। * करोड़ों की कमाई – sagwan ki kimat teak wood Price -: अगर सागवान के पौधों की सही ढंग से देखभाल की जाये तो वह मत्र 10 से 12 वर्ष में पूरी तरह तैयार हो जाते हैं। एक तैयार पेड़ की कीमत करीब 25 से 30 हजार रूपये होती है। एक्सपोर्ट्स करने वाले किसानों का कहना है की , एक एकड़ खेत मैं 120 पेड़ लगा सकते है । ऐसे में किसान एक एकड में सागवान की खेती कर 10 से 12 वर्ष में करोड़ों रूपये कमा सकते हैं। कटाई के बाद भी सागौन का पेड़ बडी आसानी के साथ दोबारा तैयार हो जाता है। किसान को केवल यह देखना होता है कि नई शाखाएं आने पर केवल एक ही शाखा को बढने दिया जाय। अन्य शाखा को तोड़ देना चाहिए। Article By.- VikramMarket.
Arhar_तुर को सोयाबीन से ज्यादा भाव
तुअर/अरहर भाव |Tur/Arhar Market Rate | Arhar_तुर को सोयाबीन से ज्यादा भाव Tur bhav today :- पिछले साल के खरीफ के अरहर ( Pigeon pea) और सोयाबीन फिलहाल बाजार में आ रहे हैं। हालांकि, तुर की कीमत में बड़ी वृद्धि हुई है। 6,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर चल रही तुर अब 6,700 रुपये हो गई है। नैफेड द्वारा शुरू किए गए खरेदी केंद्र में तुर ( अरहर दाल ) दर 6,300 थी। उम्मीद की जा रही थी कि खरेदी केंद्र के बंद होने के बाद तुर की कीमत कम हो जाएगी, लेकिन इसके विपरीत तुर की कीमत बढ़ गई। तुर को सोयाबीन से ज्यादा दाम मिल रहे है। खरीफ के लिए किसानों को पैसों की जरूरत है। इसलिए किसान भंडारित माल बेच रहे हैं , वर्तमान में मुख्य फसल सोयाबीन का औसत भाव 6,100 रुपये प्रति क्विंटल है। तो तुर की कीमत में वृद्धि होकर भाव 6700 रुपये प्रति क्विंटल है। रब्बी सीजन के दौरान चने की कीमतों में कुछ सुधार हुआ है। चना 4,600 की दर से मिल रहा है। आज तूर बाजार भाव 08 जुलै 2022 बाजार समिती परिमाण कम से कम ज्यादा से ज्यादा सामान्य दर पैठण क्विंटल 6000 6000 6000 कारंजा क्विंटल 5750 6905 6500 हिंगोली क्विंटल 6690 7105 6897 मुरुम क्विंटल 6769 7007 6888 लातूर क्विंटल 5201 7150 6860 अकोला क्विंटल 6150 6800 6500 अमरावती क्विंटल 6500 6825 6662 धुळे क्विंटल 5405 6000 5800 परभणी क्विंटल 5600 6300 6000 चिखली क्विंटल 5800 6550 6175 नागपूर क्विंटल 6250 6725 6606 अक्कलकोट क्विंटल 5600 6300 5800 चाळीसगाव क्विंटल 4001 5700 5000 जिंतूर क्विंटल 6525 6525 6525 सेलु क्विंटल 6201 6590 6400 मेहकर क्विंटल 6000 6750 6500 उमरगा क्विंटल 6300 6500 6500 पालम क्विंटल 6151 6151 6151 दुधणी क्विंटल 6200 6820 6510 वर्धा क्विंटल 6480 6500 6490 जालना क्विंटल 5600 6675 6425 माजलगाव क्विंटल 5900 6635 6500 बीड क्विंटल 5450 6710 6387 गेवराई क्विंटल 5800 6665 6400 सेलु क्विंटल 6301 6550 6501 सभी मार्किट भाव Article By.- VikramMarket. अरहर ( तुवर ) Mandi Bhav | तुवर का भाव आज का 2022 अरहर का भाव What is tur rate? आज तूर बाजार भाव 08 जुलै 2022
Agriculture सोने के बदले धान
Future सोने के बदले धान | Agriculture News future of agriculture in India :- हमारे देश में हर दिन दो हजार एकड़ कृषि में गिरावट आ रही है। अभी जो दुनिया मैं धान की कमकरता दिख रही है, इससे यही प्रतीत होता है की भविष्य मैं ये और बढ़ ने वाली है । खेती के दिन बदलने वाले हैं। भविष्य मैं आगे चलकर खेती करने वालों की संख्या बोहत कम हो जाएगी , इसके पीछे बेमौसम बारिश – बढ़ती गर्मीऔर अन्य नैसर्गिक कारण होंगे’ – साथ साथ बढ़ते फ़र्टिलाइज़र के चलते मिटटी की कम होती सुपिक्ता भी एक प्रमुख वजह है । और ये संकट धीरे धीरे अपना भीषण रूप धारण करके पुरे भूखंड को निगल लेगा । अभी पूरी दुनिया मैं गेहू , चावल , की बढ़ी पैमाने पर कमकरता महसूस हो रही है । हमारे भारत का ही उदहारण देख लीजिये ; हमने अभी से गेहू का एक्सपोर्ट बंद कर दिया है । जिससे हमारे देश मैं गेहू की कमी न हो । रूस दुनिया का सबसे बढ़ा गेहू निर्यातक देश है , किन्तु रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से पाचात्य देशों ने उसपर निर्भंध लगा दिए है । इसी की वजह पूरी दुनिया मैं गेहू की कमी दिखी गयी है । दुनिया मैं ऐसे कई देश है , जहा गेहू की खेती नहीं की जाती – जो की अन्य देशों पर निर्भर करते है । बदलता मौसम ( weather ) पिछले कुछ सालों धरती का तापमान कुछ हद से ज्यादा बढ़ गया है – और बढ़ता ही जा रहा है । बेमौसम बारिश _ धरती मैं कम होती पानी का स्तर ये साफ दर्शाता है की , बोहत जल्द धरती की बोहत से उपजाऊ जमीन बंजर होने वाली है ( soil decline) । जिसका मतलब ये है की खाने के लाले और बढ़ेंगे । सोने के बदले धान भविष्य मैं खेती को सबसे अधिक महत्व रहने वाला है । एक दिन ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी कि आप मुट्ठी भर ‘ सोना लेकर अनाज का एक थैला’ दिया जायेगा। क्योंकि भविष्य मैं खेती के लिए उपजाऊ जमीं ना के बराबर होगी । इसी लिए जितना हो सके उतना ऑर्गनिक खेती ( Organic Farming ) करने का संभव प्रयत्न अवश्य करे , जिससे आने वाला हमारा भविष्य महफूज़ रहे । किन्तु इन सभी बातों को मध्यनज़र रखकर देखे , तो – इस बात मैं कोई दोराय नहीं की भविष्य मैं जिसके पास खेती और धान होगा , वो सबसे धनवान होगा । Article By.- VikramMarket.
दूध फॅट कम क्यों होता है?_कैसे बढ़ाये ?
दूध फॅट कम क्यों होता है?_कैसे बढ़ाये ? _ Milk Fat Milk :- सभी दुग्ध उत्पादक इस बात पर ध्यान देते हैं कि गाय के दूध में वसा (फॅट) और एसएनएफ ( SNF ) की मात्रा कैसे बढ़ाई जाए क्योंकि जब आप किसी दुग्ध डेयरी में जाते हैं, तो आपको अपने दूध का सही मूल्य फॅट देखकर मिलता है। गाय के दूध में 3.5% और भैंस के दूध में 5% फॅट होता है। फॅट सामग्री के मामले में जानवर की आनुवंशिकता या नस्ल महत्वपूर्ण है जर्सी गाय के दूध में 5% फॅट होता है, जबकि होल्स्टीन फ्राइज़ियन दूध में 3 से 3.5% फॅट होता है। पशुओं का आहार संतुलित होना चाहिए। पशुओं के चारे में गन्ने के अत्यधिक सेवन से पशुओं के चारे में चीनी की मात्रा बढ़ जाती है और दूध में फॅट की मात्रा कम हो जाती है। दूध का फैट कैसे बढ़ाये ? how to increase milk FAT 1 ) गाय-भैंस को भोजन के रूप में पर्याप्त मात्रा में खाद्य तेल का आटा, मक्का, भरदा, अरहर, चना, मुगचुनी, गेहूं की भूसी आदि दी जानी चाहिए। बारीक पिसा हुआ अनाज या तेल न दें। 2 ) पशुओं के आहार में ऊर्जा, वसा एवं प्रोटीन की मात्रा शामिल करें। 3 ) गाय को 70 प्रतिशत हरा चारा और 30 प्रतिशत सूखा चारा खिलाना चाहिए ताकि गाय को समय-समय पर पानी पीना पड़े और इससे उसकी गाय के दूध के साथ-साथ दूध की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। 4 ) कई बार हरा चारा नहीं मिलने पर पशुपालक पशुओं को दिए जाने वाले आहार में पानी मिला देते हैं। 5 ) इसके सेवन से पशु जुगाली कम करते हैं और उनके दूध में वसा की मात्रा कम हो जाती है। 6 ) गाभिन पशुओं की नाद कभी भी खाली नहीं रहनी चाहिए। 7 ) पशुओं की खुराक में अचानक परिवर्तन नहीं करना चाहिए। 8 ) पशुओं को दिए जाने वाले आहार के आकार पर भी विशेष ध्यान दें। 9 ) एक इंच से कम आकार का चारा खिलाने पर पशुओं के दूध में वसा की कमी हो जाती है। 10 ) दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दें। Article By.- VikramMarket.
@tomato टोमॅटो के दाम मैं गिरावट
@Tomato टोमॅटो के दाम मैं गिरावट | Tomato Price Tomato Bhav -: पिछले कुछ दिनों से टोमेटो के भाव मैं काफी गिरवाट देखि गयी है । मतलब के टोमेटो के 2 /3 दिन पहले भाव 1000 रूपये से 800 रूपये के बिच थे , वो अचानक 400 रूपये से 500 रूपये के बिच आगये है । और ये किसानों के लिए काफी चिंताजनक बाब है , क्यों की अभी तक तो पुरे ढंग से सभी किसानों के टमाटर खेत मैं तैयार भी नहीं हुए की उससे पहले मार्किट गिर गया । हलाकि मार्किट 500 रूपये तक भी रहा तो भी किसानों को अच्छा खासा मुनाफा मिल जाता है । किन्तु आशंका है की मार्किट और भी कम हो सकता है , कुछ दिनों के लिए । नाशिक मार्किट के पिछले कुछ दिनों के टोमेटो भाव – Tomato Price Today @nashikmarket दिनांक दिन सब्जी कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव 29 – 6 -22 बुधवार टोमॅटो 250 900 700 1 – 7 – 22 शुक्रवार टोमॅटो 150 700 600 2 – 7- 22 शनिवार टोमॅटो 150 575 450 3 – 7 – 22 रविवार टोमॅटो 100 425 275 टोमेटो के भाव क्यों कम हुए ? Tomato ke daam Tomato Price-: पिछले 20 दिनों से टोमेटो के भाव 1000 रूपये से 700 रूपये के बिच झूल रहे थे , जो की किसानों के लिए काफी अच्छी बात थी । और इसका पहले से ही हमे अनुमान हो गया था , की ये दाम और कुछ दिन थिर रहेंगे ” किन्तु ” पिछले 3 दिनों से ये भाव कम होते जा रहे है । इसके पीछे की वजह जानने की हमे कोशिश की तब हमे पता चला की महाराष्ट्र मैं बारिश के मौसम ने अपनी पकड़ मजबूत करली है – और वो अपना शिकंजा कसता है जा रहहि है । इसका असर हमे खेत मैं पक रहे टमाटर पर दिखने लगा है। अधिक बारिश की वजह से टोमेटो ख़राब होने लगे है, इसी के साथ रोगराई और बीमारिया भी बढ़ गयी है – जो फसल को नुकसान पोहचा रही है । और वही माल हाल फिलहाल मार्किट मैं लाया जा रहा है , यकायक मार्किट मैं खराब टोमेटो आने के चलते , उनके दाम गिरने शुरू हो गए । जिसका परिणाम हम पिछले 3 दिनों से देख रहे है । इसमें एक बात ये भी है की अभी जो टमाटर( Tomato ) मार्किट मैं आ रहे है वो किसानों के पहले प्लॉट के थे , जिनकी कॉलिटी और आकार समय के साथ कम होते जा रहे है । ये भी एक वजह है । टोमेटो के भाव कब बढ़ेंगे ? -When will tomato prices increase? Nashik Market Tomato -: हमारे अनुमान से और हालिया मार्किट की स्थिति देखकर तो यही कहा जा सकता है की – आने वाले कुछ दिनों तक- तो 500 रूपये तक मार्किट बना रहेगा । इससे कम भी हो सकता है , पर इससे आगे बढ़ने की संभावना कम है ! _ है पर जैसे ही मार्किट मैं अच्छे कॉलिटी का माल आएगा ; मार्किट बढ़ने की संभावना बढ़ जाएगी । इस साल टोमेटो की मांग शायद ही कम हो ! क्योंकि पूरी दुनिया मैं फ़ूड क्राइसेस (food crises) \ याने की खाने लायक सभी चीज़ों की कमी है । तो सम्भावना इस साल टमाटर आपको अच्छी कमाई करके दे । नाशिक मार्किट के भाव देखे -: मुझे क्लीक करो Major Tomato Producing Countries In The World | विश्व में प्रमुख टमाटर उत्पादक देश Rank Countries देश 1 China चीन 2 India भारत 3 U S A अमेरिका 4 Turkey तुर्की 5 Egypt ईजिप्त 6 Italy इटली 7 iran ईरान 8 spain स्पेन 9 mexico मेक्सिको 10 brazil ब्राज़ील Article By.- VikramMarket https://www.vikrammarket.com/2022/07/02/onion_प्याज-की-बढ़ी-मांग_क्या-भा/
#Onion_प्याज की बढ़ी मांग_क्या भाव बढ़ेंगे?
बांग्लादेश और नेपाल से बढ़ी भारतीय प्याज की मांग? Indian Onion onion price _भारतीय प्याज को नेपाल और बांग्लादेश से मांग बढ़ गयी है । बांग्लादेश –बांग्लादेश ( Bangladesh) भारतीय प्याज का सबसे बढ़ा खरीददार है , शुरू से ही वो हमारा हम पार्टनर रहा है । बांग्लादेश ने 2021-22 मैं 6.58 लाख टन प्याज भारत से ख़रीदा था, जो की पिछले साल की तुलना मैं 19 % से ज्यादा ख़रीदा गया । इससे भारत को 73% ज्यादा फायदा हुवा । मलेशिया – मलेशिया ये देश बंगलादेश के बाद भारत का दूसरा प्याज का निर्यातक देश है । किन्तु इस साल प्याज खरीदने के मामले मैं मलेशिया (Malaysia) के अकड़े कुछ खास नहीं है , मलेशिया के प्याज खरीदने के मामले मैं 14 % घट हुई है । 2021-22 मैं मलेशिया ने भारत से 1.70 लाख टन प्याज ख़रीदा था । पिछले साल याने 2020-21 मैं 1.98 % लाख टन प्याज ख़रीदा था । श्रीलंका – उसी के साथ श्रीलंका भी प्याज के मामले मैं भारत का काफी बढ़ा ग्राहक है – इस साल श्रीलंका ( Sri Lanka) प्याज निर्यात मैं 12.5% से बढ़ोतरी देखि गयी है । नेपाल – इस साल नेपाल मैं भारतीय प्याज की पसंद और निर्यात के अनुमान से 48 % बढ़ोतरी हुयी है । (Nepal )और इससे भारत की आयत मालमत्त 67 % से बढ़ गयी है । INDIAN ONION DEMAND –आज की स्थिति देखि जाय तो भारत का रुपया काफी गिर गया है – जिससे बाकि की देशों को भारत से प्याज खरीदने मैं काफी फायदा मिलता है ,और इससे आम किसान को अच्छा पैसा मिल जाता है । इसका मतलब यह नहीं की रूपये का गिरना अच्छी बात है , ये बोहत घातक है । देखा जाय तो आज के दिन भारत के प्याज को दुनिया भर मैं ठीक ठाक मांग है । ( pyaj ka bhav ) china & Egypt Onion Enter Market – चीन और इजिप्त का प्याज भी तैयार हो चूका है , वो भी जल्द ही मार्किट मैं आजायेगा । किन्तु इससे भारत को ज्यादा कुछ नुकसान नहीं होगा , क्यों की हमारे पुराने प्याज खरीदने वाले देश ज्यादा तर हमसे ही प्याज खरीदना पसंद करते है । और हालिया सरकार की फॉरन पॉलिसी को देखते हुए यही लगता है की अनन्य देश भी हमसे अधिक मात्रा मैं प्याज खरीद सकते है । @onionprice भारत से किन देशों को अधिक प्याज भेजा जाता है ? प्याज़ भारत से कई देशों में निर्यात होता है, जैसे कि नेपाल , पाकिस्तान , श्रीलंका , बांग्लादेश , इत्यादि। प्याज चार्ट देश का प्याज उत्पादन जुलाई, 2022 से शुरू होने वाले फसल वर्ष में 16.81 प्रतिशत बढ़कर 3.11 करोड़ टन रहने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि देश में 2021-22 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में प्याज उत्पादन उत्पादन 2.66 करोड़ टन रहने का अनुमान है। मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2022-23 के फसल वर्ष में प्याज का बुवाई क्षेत्र बढ़कर 19.1 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान है। 2021-22 में यह 16.2 लाख हेक्टेयर है। लासलगांव मार्किट भाव – देखे :- https://www.vikrammarket.com/2022/07/01/लासलगांव-mandi-b…आज-का-मंडी-भाव-9/ https://www.vikrammarket.com/2022/06/26/beekeeping-मधुमक्खी-पालन/ Article By. – VikramMarket
Beekeeping मधुमक्खी पालन
Beekeeping मधुमक्खी पालन Madhumakhi-: भारत एक कृषि प्रधान देश है और महाराष्ट्र में कृषि भी एक प्रमुख व्यवसाय है। महाराष्ट्र में कई किसानों ने अपनी आजीविका में सुधार के लिए मधुमक्खी पालन को एक साइड बिजनेस के रूप में शुरू किया है। शहद और मोम दो आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मधुमक्खी पालन उत्पाद हैं। मधुमक्खी पालन उद्योग से किसानों को बोहत अच्छा लाभ होता है। मधुमक्खी पालन 9,000 साल पुराना है और पारंपरिक रूप से शहद के लिए किया जाता था। 20वीं सदी से इसमें गिरावट आ रही है। मधुमक्खी पालन कैसे शुरवात करे – Madhumakhi Business Beekeeping-: आप अगर चाहें तो 10 बॉक्स लेकर भी मधुमक्खी पालन कर सकते हैं।अगर 40 किलोग्राम प्रति बॉक्स शहद मिले तो कुल शहद 400 किलो मिलेगा। 350 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 400 किलो बेचने पर 1 लाख 40 हजार रुपये की कमाई होगी।यदि प्रति बॉक्स खर्च 3500 रुपये आता है तो कुल खर्च 35 हजार रुपये होगा और शुद्ध लाभ 1,05,000 रुपये होगा। यह व्यापार हर साल मधुमक्खियों की संख्या के बढ़ने के साथ 3 गुना अधिक बढ़ जाता है।अर्थात 10 पेटी से शुरू किया गया व्यापार 1 साल में 25 से 30 पेटी भी हो सकता है। मधुमक्खी पालन का अर्थशास्त्र Beekeeping-: मधुमक्खी पालन का अर्थशास्त्र उसके स्तर पर निर्भर करता है। एक डिब्बे मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले 50 किलो कच्चा शहद को अक्सर 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. इसलिए प्रत्येक डिब्बे से आपको 5 हजार रुपये प्राप्त होते हैं।बड़े पैमाने पर इस व्यापार को करने से प्रति महीने 1 लाख 15 हजार रुपये तक का लाभ हो सकता है।बड़े पैमाने पर व्यापार के लिए तैयार किए गए मधु का मूल्य औसतन 250 रुपये प्रति किलो के आसपास होता है। बाजार में पुराने शहद की मांग काफी रहती है जो बहुत ही कम मिलता है । शहद के फायदे – Shahad ke Fayde सूक्ष्म लाभ ऊर्जा, सौंदर्य, स्वास्थ्य, चिकित्सा और स्वाद प्रदान करते हैं जबकि शहद कार्बोहाइड्रेट का एक समृद्ध स्रोत है। कई आहार विशेषज्ञों द्वारा मांसपेशियों को उतेजना प्रदान करने हेतु शहद लेने की सिफारिश की जाती है (शारीरिक गतिविधियों से पूर्व एक चम्मच शहद गतिविधि में प्राप्त होने वाले प्रदर्शन को एक इष्टतम स्तर तक पहुंचा सकता है)। सुंदरता बनाए रखने में भी यह महत्वपूर्ण है (विभिन्न सौंदर्य उत्पाद अपने निर्माण की प्रक्रिया में शहद का उपयोग कर्ते हैं। यह रोगाणुरोधी है और मनुष्य की त्वचा को मॉइस्चराइज़ करने और स्वास्थ्य का एक प्राकृतिक स्रोत भी है) (हनी एक पूर्ण संतुलित आहार है। यह खनिज, विटामिन और एंजाइम से भरपूर है)। शहद एक उत्कृष्ट प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। कई नियमित के लिए एक प्राकृतिक उपचार होने से लेकर और नियमित रूप से रोग नाशक दवाई बनाने तक, शहद सबसे प्राकृतिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा उपचारों में से एक है, इसके अलावा यह साबित करना कि किसी को स्वास्थ्य के लिए स्वाद से समझौता नहीं करना होगा। चाहे एक मसाला या एक घटक के रूप में शहद उपयोग किया जाए यह भोजन के स्वाद को बढ़ाता है। Article By.- VikramMarket. मधुमक्खी पालन कैसे शुरू करें? How to Start Honey Bee Farming मधुमक्खी पालन की शुरुआत कैसे करें मधुमक्खी पालन उद्योग
लाल मूली की खेती-सफ़ेद की तुलना मैं ज्यादामांग
लाल मूली की खेती Red Radish Farming भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान) द्वारा विकसित लाल मूली की ओर कदम बढ़ाया ,क्योंकि यह सफेद मूल्य से अधिक महंगा बेचा जाता है और स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह आंखों की रोशनी के लिए अच्छा है कैंसर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होने का दावा किया जाता है। यह विटामिन से भरपूर होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, लाल मूली में सफेद की तुलना में लगभग 50-125% अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। बांध पर किसी भी फसल के साथ बुवाई की जा सकती है। लाल मूली की खेती करके किसान अधिक कमा सकते हैं। क्योंकि इसे बाजार में सफेद मूली से ज्यादा दाम मैं बेचा जा रहा है। यह किस्म सिर्फ 40-45 दिनों में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर बांध पर बुवाई के लिए लगभग 8-10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसकी पत्तियों के साथ प्रति हेक्टेयर कुल उपज लगभग 600-700 प्रति क्विंटल है। शरद ऋतु में लाल मूली के लिए बलुई दोमट मिट्टी कारगर होती है। बांध पर किसी भी फसल के साथ बुवाई की जा सकती है। इस मूली में पेलार्गोनिडिन नामक एंथोसायनिन होता है, जो इसे लाल बनाता है। यह स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक खजाना है। इसका उपयोग सलाद में किया जाता ह। इसमें पाए जाने वाले बायोकेमिकल एंथोसायनिन कई तरह की बीमारियों से लड़ने में भी उपयोगी होते हैं। मूली खाने का फायदा – Radish: Health Benefits, Nutrition हम पहले ही मूली का सलाद, मूली की सब्जियां, मूली के परांठे का स्वाद चख चुके हैं। लेकिन कई लोगों को मूली पसंद नहीं होती है। लेकिन मूली खाने के फायदे बहुत हैं।अन्य सब्जियों की तरह आपको भी यह सब्जियां खानी चाहिए। इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। लेकिन मूली खाने के कई फायदे हैं जो हम जानेंगे। मूली को पीलिया का प्राकृतिक उपचार माना जाता है। इसका एक मजबूत विषहरण प्रभाव होता है, जो रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। पीलिया से पीड़ित लोगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाकर लाल रक्त कोशिका (आरबीसी) की क्षति को रोकना। कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद करता है। यह लाल मूली सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं बल्कि आपकी खूबसूरती को बढ़ाने वाली त्वचा के लिए भी फायदेमंद होती है। त्वचा संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में मूली भी उतनी ही फायदेमंद होती है। Article By.- VikramMarket.
टोमेटो खेती TomatoFarming
Tomato Farming भारत में टमाटर की खेती व्यापक रूप से की जाती है। कई किसान टमाटर की खेती कर भारी मुनाफा कमाते हैं। भारत टमाटर का निर्यात करता है। इसलिए भारतीय बाजार में इस सब्जी की मांग हर मौसम में ज्यादा रहती है। यह एक ऐसी फसल है जिससे किसान को ज्यादा नुकसान नही उठाना पड़ता। टोमेटो की खेती क्यों करनी चाइये टमाटर एक बारहमासी मांग वाली और अधिक उपज देने वाली फसल है। टमाटर का घरेलू और होटल व्यवसाय में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। टमाटर में कई औषधीय गुण होते हैं। इसलिए इसकी काफी डिमांड है। टमाटर से कई प्रोसेस्ड फूड बनाए जाते हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए टमाटर की खेती से होने वाले फायदों का अंदाजा लगाया जा सकता है। टोमेटो लगाते समय देने वाली बाते टमाटर को पूरे वर्ष उगाया जा सकता है, लेकिन सर्दियों में उन्हें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है क्योंकि सर्दियों के ठंढ फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। टमाटर की खेती के लिए मानक तापमान की आवश्यकता होती है, टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (मुलायम मिट्टी) की आवश्यकता होती है। यदि आप टमाटर लगाने जा रहे हैं और आप अधिक उपज चाहते हैं, तो आपको दो पौधों के बीच की दूरी का विशेष ध्यान रखना होगा। टमाटर की बुवाई करते समय मृदा परीक्षण के अनुसार उर्वरकों एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। अच्छी उपज के लिए खेत की तैयारी करते समय 25 से 30 टन गोबर खत या वर्मीकम्पोस्ट ( गांडूळ खत ) का प्रयोग करें। मिट्टी Tomato:- टमाटर को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसके लिए रेतीली मिट्टी, लाल और काली मिट्टी लगाई जा सकती है। बस एक बात याद रखें, आपके खेत में चाहे कितनी भी मिट्टी क्यों न हो, उसमें जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। टमाटर के लिए आवश्यक जलवायु को ध्यान में रखते हुए, जलवायु शुष्क, स्वच्छ और कम आर्द्रता और अच्छे तापमान के साथ फसल अच्छी होती है। हालांकि, कम आर्द्रता, उच्च तापमान और शुष्क हवाएं टमाटर की फसल को अंकुरित कर सकती हैं। उचित तापमान और उर्वरकों के उचित उपयोग से टमाटर के फल की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है , इसीलिए टमाटर को एक सामान लगाना चाइये। ये भी पढ़े – Aeroponic Farming : हवा में भी आलू उगा पाएंगे किसान भारत से टोमेटो की निर्यात किन देशों को होती है ? भारत से टमाटर मुख्य रूप से पाकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, बांग्लादेश, सऊदी अरब, ओमान, नेपाल, मालदीव, बहरीन मलावी और भी अन्य देशों को टमाटर की निर्यात किए जाते हैं। प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्य बिहार महाराष्ट्र कर्नाटक उत्तर प्रदेश ओडिशा आंध्र प्रदेश मध्य प्रदेश पश्चिम बंगाल पंजाब अमृतसर रोपड़ जालंधर टोमेटो के भाव देखे – मुझे क्लिक करो Article By.- VikramMarket. Tomato Bhav Today | Aaj ka tamatar ka rate | टमाटर मंडी भाव टमाटर भाव |Tomato Market Rate Tomato Farming (टमाटर की खेती)
काजू फल जानकारी Cashews Health
काजू फल : काजू खाने के 8 कमाल के फायदे – Farming महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा एवं पं. बंगाल में काजू की खेती की जाती है । महाराष्ट्र में, काजू व्यापक रूप से कोंकण में उगाया जाता है। काजू एक निर्यात फल है। काजू की भारत और विदेशों में काफी मांग है। भारत दुनिया के काजू का लगभग 60% निर्यात करता है। काजू के उपयोग और महत्व को समझते हुए भविष्य में काजू का निर्यात बढ़ेगा। काजू के नाम – kaju Name काजू को अंग्रेजी मैं कश्यु ( Cashew ) हिंदी में “हिज्जली बादाम कन्नड़ में “गेरू मलयालम में “कचुमक” तेलुगु में “जिदिमा मिडी” कहा जाता है। काजू के व्यंजन और इस्तमाल काजू से कई तरह की वाइन और जूस बनाया जा सकता है। जिसमें गोवा की “काजू फेनी” बहुत प्रसिद्ध है। गोवा काजू उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। काजू से काजू तेल निकाला जाता है। यह तेल सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोगी है। काजू तेल भी भारत से बढे पैमाने पर निर्यात किया जाता है। काजू को सूखे मेवे के रूप में माना जाता है, इसलिए इसे लड्डू, शिरा, पुलाव आदि जैसे व्यंजनों में शामिल किया जाता ह। काजू सभी मिठाइयों में इस्तेमाल किया जाता हैं। काजू के पेड़ – Cashew Tree Nut – काजू का पेड़ एक बहुत हीं तीव्रता से बढ़ने वाला उष्णकटिबंधीय वृक्ष होता है । काजू का पेड़ पतला और मोटा होता है। इस पौधे का विस्तार अधिक है। पत्ते बड़े और अंडाकार होते हैं। काजू के दो भाग होते हैं, बोंडू और काजू। बोंडू एक पीला कवक और रसदार फल है। काजू एक आम के कुल का पेड़ है और इसका शास्त्रीय नाम एनाकार्डियम ऑक्सीडेंटल है। इतिहासकारों का कहना है की पुर्तगाली इसे भारत ले आए, काजू शब्द भी पुर्तगाली है। सन 1563 से लेकर 1570 के बीच पुर्तगाली ही इसे सबसे पहले गोवा ले कर आये और वहां इसका प्रोडक्शन शुरू करवाया । काजू खाने के फायदे – Cashews For Health * प्रत्येक 100 ग्राम काजू 590 कैलोरी प्रदान करता है। * काजू के सेवन से हमारी हड्डिया और भी मजबूत होती है | * काजू हृदय रोग और मधुमेह को रोकने में मददगार है * काजू खाने से हमारी त्वचा चमकदार और मुलायम रहती है | * काजू के नियमित सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। * काजू का सेवन आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। * काजू में फाइबर की मात्रा मौजूद होने से ये हमारे पाचन को सुधारने का काम कर सकता है. काजू खाने से गैस और कब्ज की समस्या से भी राहत मिल सकती है। Article By.- VikramMarket
टमाटर 80 से 100 रुपए किलो_Tomato Rate
टोमेटो के दाम क्यों बढ़ रहे है ? _ Tomato Price 2022 फिलहाल तस्वीर यह है कि बाजार में टमाटर के अच्छे दाम मिल रहे हैं। महाराष्ट्र के कई शहरों में टमाटर का भाव 80 रुपये किलो तक पहुंच गया है. टमाटर की बढ़ती कीमतों से किसानों को राहत मिली है। टमाटर की कीमतों में तेजी से किसानों को फायदा हो रहा है। दक्षिणी राज्यों की बात करें तो एक किलो टमाटर के लिए 100 रुपए चुकाने पड़ते हैं। महाराष्ट्र में प्री-मानसून बारिश ने टमाटर की कटाई को कम कर दिया है,इसके चलते टमाटर की कीमतों में तेजी आई है। Tomato Kheti :- टूटा एब्सलुटा वर्तमान में टमाटर की फसल पर एक प्रकार के कीट का हमला हो रहा है। इस कीट का नाम टुटा एब्सोल्यूट (Tuta absoluta) है। पिछले तीन साल से यह बीमारी टमाटर को प्रभावित कर रही है। चिंता की बात यह है की ,अभी तक इस पर कोई इलाज नहीं है। एक बार जब यह कीट खेत में टमाटरों पर आक्रमण कर देता है, तो यह सभी टमाटरों को खराब कर देता है। इससे टमाटर का उत्पादन कम होने और दाम बढ़ने की संभावना है। किसी भी कंपनी के टमाटर के बीज से उगाए गए टमाटर पर इस कीट का हमला होता है। Tomato Rate :- गर्मियों का असर उत्तर प्रदेश में टमाटर उगाने वाले जिलों में इस साल उच्च तापमान के कारण उत्पादन में गिरावट देखी गई है। उत्पादन घटने के कारण इस साल बाजार में टमाटर की आवक कम है। इससे टमाटर की कीमतों में भारी उछाल आया है। जिन किसानों के पास वर्तमान में बिक्री के लिए टमाटर हैं, वे इसका लाभ उठा रहे हैं। Tomato Farming :- अनियमित अवाक् वर्तमान में टमाटर का भाव सौ के पार पहुंच गया है। इसका फायदा किसानों को हो रहा है। टमाटर को स्टोअर नहीं किया जा सकता है। इसलिए इसे तुरंत बेचना होता है । इसलिए व्यापारी इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। इसका सीधा फायदा किसानों को हो रहा है। दरों में बढ़ोतरी की वजह मार्च में खेती में आई गिरावट थी।इस साल टमाटर 10 फीसदी भी नहीं लगाए गए। साथ ही, गर्मियों में बीमारियों का प्रभाव ज्यादा होता है , इसी वजह से किसानों ने टमाटर की खेती कम कर दी है जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। Tomato News :- ईंधन दर का असर ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण इस साल सब्जियां भी महंगी हो गई हैं। यह सब्जियों के एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन की दर में वृद्धि के कारण है। यह भी एक प्रमुख वजह है सब्जियों के दाम बढ़ने के । Date:- 05/28/2022 Article By .- Vikram Market https://www.vikrammarket.com/2022/05/20/टोमॅटो-लागवड-2022-_-टमाटर-की-खेत/
टोमॅटो लागवड 2022 _ टमाटर की खेती _Tomato Farming
टोमॅटो लागवड 2022 _ टमाटर की खेती _Tomato Farming In India महाराष्ट्र का वातावरण टमाटर की खेती के लिए काफी अच्छा है ।अगर जलवायु, पानी और मिट्टी का अध्ययन किया जाए, तो किसान अपने टमाटर की बेहतर तरीके से योजना बना सकते हैं। और हद से ज्यादा उत्पादन लेकर मुनाफा कमा सकते है । टमाटर महाराष्ट्र में उगाई जाने वाली एक बारहमासी फसल है, हालांकि यह एक गर्म फसल है। बहुत अधिक ठण्ड टमाटर के पौधे को बढ़ने नहीं देती । ( Tomato Farming ) महाराष्ट्र ( Maharashtra) लगभग 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 12 लाख टन का उत्पादन करता है। साथ ही अन्य राज्यों की तुलना में टोमेटो की खेती मैं महाराष्ट्र सबसे आगे है ।Tomato खाने के फायदे – टमाटर विटामिन ए, बी, और सी, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन से भी भरपूर होते हैं। ( Tomatoes contain vitamins A, B, and C, calcium, phosphorus ) टमाटर से सूप, सॉस, केचप, जैम, जूस, चटनी आदि बनाए जा सकते हैं। इससे टमाटर का औद्योगिक महत्व बढ़ गया है। टमाटर की खेती टमाटर के लिए आवश्यक जलवायु को ध्यान में रखते हुए, जलवायु शुष्क, स्वच्छ और कम आर्द्रता और अच्छे तापमान के साथ फसल अच्छी होती है। हालांकि, कम आर्द्रता, उच्च तापमान और शुष्क हवाएं टमाटर की फसल को अंकुरित कर सकती हैं। उचित तापमान और उर्वरकों के उचित उपयोग से टमाटर के फल की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है , इसीलिए टमाटर को एक सामान लगाना चाइये जमीन का चुनाव – Land required for tomato crop टमाटर की खेती के लिए मध्यम और भारी मिट्टी उपयुक्त होती है। लेकिन ऐसी मिट्टी को जैविक खाद की बहुत अधिक आवश्यकता होती है, इस की वजह से फसल अच्छी तरह से बढ़ती है। फसल की बार-बार सिंचाई करनी चाहिए हल्की मिट्टी में फसल जल्दी निकल जाती है लेकिन भारी मिट्टी में फल देर से लगते हैं, परन्तु यह अधिक उत्पादन देती है । अधिक काली मिट्टी वाली जमीं मैं टमाटर लगाना टालना चाइये , गर्मियों में टमाटर को हल्की मिट्टी में नहीं उगाना चाहिए। क्षारयुक्त भूमि में जल निकासी की कमी के कारण ऐसी मिट्टी में फसल अच्छी तरह से विकसित नहीं होती है। याद रखे इससे पहले इस जमीं पर बैंगन मिर्च आधी की फसले न ली हो तो बेहतर होगा । किसानों को अधिकतम वर्षा वाले क्षेत्रों में हल्की से मध्यम मिट्टी का चयन करना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि बारिश का पानी खड़ी फसल में जमा न हो। टमाटर रोपण भूमि की तैयारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसके लिए किसानों को भूमि की जुताई करनी चाहिए। टमाटर की फसल के लिए काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। वैसे टमाटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है। हल्की मिट्टी में भी टमाटर की खेती अच्छी होती है। टमाटर रोपण – Planting of tomato seedlings टमाटर की पौध तैयार होने के बाद, रोपाई से 8 से 10 दिन पहले रोपाई वाले वाफों को पानी दें और उन्हें भाप की स्थिति में रखें। उत्तरी मैदानों में तीन फसलें ली जाती हैं लेकिन ठंढ प्रभावित क्षेत्र में रबी की फसल फलदार नहीं होती है। खरीफ की फसल को जुलाई में, रबी की फसल को अक्टूबर – नवंबर में और फरवरी के महीनों में जायद की फसल में रोपाई की जाती है। रोपण के 30 से 35 दिनों के बाद, शाखाएं और टहनियां जोर से बढ़ती हैं, इसलिए पेड़ को बांस, सुतली और तार से बांधकर उनको आधार दिया जाता है। पेड़ की ऊंचाई 30 सेमी जब हो जाए, तो पेड़ के तने में एक सुतली बांधें और उसे तार से बांध दें। किड व उर्वरक फल उत्पादन और गुणवत्ता पोषक तत्वों की उपलब्धता और उर्वरक अनुप्रयोग पर निर्भर करता है, इसलिए आवश्यकता के अनुसार संतुलन उर्वरक लागू होते हैं। इसलिए आप कृषि तदन्य से सला-मशवरा कर ले । टमाटर फल की कटाई – Harvesting of tomato पूरी तरह से पके और लाल फलों को तोड़ लें। लेकिन बाजार के लिए जरूरी यह है, की फलों को आधा लाल और आधा हरा तोडना होता है । ना ज्यादा लाल और नाही ज्यादा हरा _ ऐसा फल मार्किट मैं ले जाओगे तो ही अच्छी कीमत मिलेगी । ज्यादा लाल फल को भी तोड़ लेना क्यों की इनकी भी मांग होती है पर इनको इतना भाव नहीं मिलता । कुछ नहीं समजे तो जो किसान टोमेटो की खेती करते है – उनका मार्गदर्शन ले सकते है । और फिर भी ना समजे या आपको इस विषय मैं कोई और जानकारी चाइये तो आप हमे संपर्क करे । Article By. – VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/05/07/कृषि-से-संबंधित-ये-टॉप-5-बिज/
Aeroponic Farming : हवा में भी आलू उगा पाएंगे किसान
Aeroponic Farming : हवा में भी आलू उगा पाएंगे किसान Potato Farming :- सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन अब आलू हवा में उगाए जा सकेंगे और यह संभव हुआ है । Aeroponic Potato Farming तकनीक से। इस तकनीक के जरिए आलू उगाने के लिए अब जमीन और मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी। ICAR_ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR के अंतर्गत केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान पिछले कई साल से आलू के बीज उत्पादन की इस तकनीक पर अनुसंधान कर रहा था। इस तकनीक का नाम ‘एरोपोनिक फार्मिंग’ है। एरोपोनिक फार्मिंग में बीजों के अंकुरित होने के बाद उसे बनाए गए छोटे-छोटे खांचों में रख दिया जाता है जिसकी जड़ें नीचे हवा में झूलती हैं। इन जड़ों पर पोषक तत्वों का छिड़काव मिस्टिंग के रूप में किया जाता है जिससे आलू की फसल खराब नहीं होती और पैदावार अच्छी होती है। बता दें इस अनुबंध पर केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र काफी वक्त से इस तकनीक पर काम कर रहा था। अब इस अनुबंध के साथ मध्य प्रदेश बागवानी विभाग को इस तकनीक का लाइसेंस देने का अधिकार दिया है. जिसके बाद आलू उत्पादन के क्षेत्र में अच्छा-खासा विकास देखने की उम्मीद जताई जा रही है। क्या है एरोपोनिक तकनीक? What Is Aeroponic Farming बहुत से लोग अक्सर एरोपोनिक खेती और हाइड्रोपोनिक खेती को एक जैसा समझते है। हालांकि खेती के ये दोनों रूप हाल-फिलहाल के सालों में ही काफी लोकप्रिय हुए हैं। दोनों विधियां समान हैं, क्योंकि इनमें मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन जिस तरह से इन विधियों में पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचाया जाता है वह बहुत अलग है। हाइड्रोपोनिक में, पौधों को पूरे समय पानी में रखा जाता है, जबकि Aeroponic Potato Farming में पानी स्प्रे करके पोषक तत्व दिए जाते हैं। हवा में किया जाएगा आलू बीज का उत्पादन आलू के पौधे को एक बंद वातावरण में उगाया जाता है, जिसमें पौधा ऊपर की ओर रहता है और जड़ें नीचे की और अँधेरे में रहती हैं। नीचे की और पानी के फव्वारे लगे रहते हैं, जिससे पानी में न्यूट्रीएंट्स मिलाकर जड़ों तक पहुंचाए जाते हैं। यानी ऊपर पौधे को सूरज की रौशनी मिलती है और नीचे से पोषक तत्व और इससे पौधे का विकास होता रहता है।” एरोपोनिक तकनीक के माध्यम से पोषक तत्वों को धुंध के रूप में जड़ों में छिड़का जाता है. पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा और प्रकाश में रहता है. इस तकनीक से आलू उगाने के दौरान मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाता है. ऐसे में फसल में मिट्टी जनित रोगों के लगने की संभावना भी कम रहती है, जिससे किसानों का नुकसान काफी हद तक कम हो सकता है. Minister of Agriculture India केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी का कहना है _ कि यह नई तकनीक आलू के बीज की आवश्यकता को महत्वपूर्ण रूप से पूरा करेगी साथ ही देश में आलू के उत्पादन में वृद्धि भी होगी । केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने हवा में आलू के बीज उत्पादन की यह अनूठी तकनीक विकसित की है। इसके अंतर्गत ग्वालियर में म.प्र. की पहली लैब स्थापित होगी। Article By.- VikramMarket Tag.- Agriculture News in हिंदी – Aeroponic Potato फार्मिंग – Agriculture की ताज़ा खबरे हिन्दी में | ब्रेकिंग
केरल में होती है इस अनोखे फल की खेती _1 किलो की कीमत 1000 रूपये मिलती है – पढ़िए _Gac Fruit
चार रंग बदलने वाले इस फल को – 1 किलो की कीमत 1000 रूपये मिलती है – पढ़िए _Gac Fruit ऐसा फल जो पकने के बाद 4 रंग मैं बदलता है , ऐसा फल जो सवर्गीय फल से जाना जाता है , एसा फल जिसके 1 किलो की कीमत 1000 रूपये है । क्या कभी सुना है ऐसे फल के बारे मैं ? __ नहीं…. तो जान लेते है । गॅक फल _Gac Fruit गॅक फल की पैदावार वियतनाम, मलेशिया और थाईलैंड जैसे देशों से है । यह फल स्वर्गीय फल के नाम से भी जाना जाता है , फल तरबूज फल परिवार से संबंधित है ,और फल की बाहरी परत पर छोटे कशेरुक होते हैं। केरल (Kerala farmer ) में हमारे कई किसान हैं जिन्होंने इस विदेशी फल की सफलतापूर्वक खेती की है। जब इस फल का रंग चमकीले लाल रंग में बदल जाता है, तो इसका मतलब होता है की यह फल अब तैयार हो चूका है । केरल में, कुछ किसानों ने प्रयोगात्मक आधार पर फल उगाए हैं और यह सफल रहा है। ये फल स्वास्थ्य फल के नाम से भी मशहूर है जैसे की ओमेगा 6 और 3 फॅटी एसिड के साथ-साथ बीटा कॅरोटीन का एक अच्छा स्रोत मन जाता है । इस फल की सबसे खास बात यह है कि यह पकने पर चार रंग बदलता है। पकने के बाद रंग बदलने वाले इस फल का उपयोग चीन और वियतनाम में पारंपरिक चिकित्सा में भी किया जाता है। केरल राज्य मैं कासरगोड, कोझीकोड आदि में किसान गॅक फल की खेती सफलता पूर्वक कर रहे हैं। इस फल को लगाते समय नर और मादा दोनों के पौधे लगाने चाहिए क्योंकि यह परागण के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फल द्विगुणित होता है। गॅक फलों ( Gac Fruit) को प्राकृतिक कीट परागण के बजाय मैन्युअल परागण द्वारा अच्छी पैदावार मिल सकती है । किसानों के मुताबिक इस फल का बाजार भाव करीब 1000 रुपये प्रति किलो है। साथ ही बाजार में इस फल की अच्छी मांग के चलते कई किसान इस फल की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। Farming Article By – VikramMarket. Tag: Breaking Agriculture Live News | Agriculture News | kheti ki jankari | Latest Kheti Kisani News in Hindi | Agriculture | कृषि | Agriculture News in Hindi: कृषि Latest News
फर्टिलाइजर ( खादों ) की कीमतों मैं बढ़ोतरी | Russia Ukraine War Impact On Fertilizer
फर्टिलाइजर की कीमतों में आ सकता है तेज उछाल | Russia Ukraine War Impact Fertilizer * किसानों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से उर्वरकों खादों ( Fertilizer) कीमतों में 10 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। रशिया दुनिया का एक प्रमुख (Fertilizer Suppliers ) फर्टिलाइजर सप्लायर है , यूक्रेन के साथ युद्ध करने के चलते अमेरिका सहित अन्य देशों ने रूस पर काफी ज्यादा हाडा तक प्रतिबंद लगा दिए है । इसका सीधा असर ऑइल, पेट्रोल , इ. चीज़ों पर देखा जा सकता है , इसमें फ़र्टिलाइज़र ( Agriculture_Farming) भी शामिल है , जो हम बड़े पैमाने पर रूस से मंगवाते है । रूस – यूक्रेन युद्ध (russia Rkraine War )के चलते उर्वरकों ( खादों ) की सप्लाई बाधित हो रही है। * रशिया सालाना 5 करोड़ टन उर्वरक का उत्पादन करता है , जो दुनिया के कुल उत्पादन का लगभग 13 प्रतिशत है। रूस सिंथेटिक फर्टिलाइजर ( synthetic fertilizer) का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक ( Exporter) है, जो यूरिया (urea) के पांचवें हिस्से से अधिक की आपूर्ति करता है। * भारत सरकार ने उर्वरक सब्सिडी पर 19 अरब डॉलर खर्च करती है , भारत में अधिकांश उर्वरक रूस से आते हैं । रूस दुनिया में उर्वरक का सबसे बड़ा निर्यातक (exporter )है . उर्वरक बनाने के लिए आपको प्राकृतिक गैस ( natural gas )की आवश्यकता होती है – और वै ज्यादातर रूस में है। * उर्वरक के उत्पादन में पोटाश ( potash) की एक बड़ी भूमिका होती है। भारत बड़ा मात्रा में पोटाश का आयात करता है, रूस ( russia) , यूक्रेन ( Ukrain )और बेलारूस पोटाश के सबसे बड़े निर्यातक हैं। युद्ध के कारण इन देशों से पोटाश की सप्लाई ठप पड़ी है, भारत अपने कुल उर्वरक आयात का 10-12 फीसदी हिस्सा रूस, यूक्रेन और बेलारूस से मंगवाता है। इसके अलावा पोटाश उत्पादन करने वाले अन्य देश जैसे कनाडा अपना उत्पादन बढ़ाने को सहमत नहीं हैं और इसी कारण वैश्विक बाजार में इसके दाम अधिक हैं. Fertilizer Rates : जानकार बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष में पोटाश का आयात करीब 280 डॉलर प्रति मिट्रिक टन के दाम पर किया जा रहा है, आपूर्ति संकट के कारण इसके दाम 500 से 600 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो सकते हैं , अब यह दाम काफी बढ़ गया है, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। इस साल भारत सरकार फ़र्टिलाइज़र की मैं 40 बिलियन डॉलर की सब्सिडी बढ़ाने वाला था , पर अब शायद किसानों के लिए ये सब्सिडी मिला कर भी खादों के दाम काफी ज्यादा होंगे । Article By.- VikramMarket. Tag:- Agriculture News | sheti batamya in marathi | Agriculture Latest News | Agriculture News in Hindi | Breaking Agriculture Live News Update | इफको डीएपी की कीमत 2022 | Kheti kisani Samachar | Kheti kisani Samachar खेती किसानी की जानकारी और ख़बरें | खेती News, खेती की ताज़ा ख़बर, खेती हिंदी न्यूज़
उर्वरक की कीमतों में बढ़ोतरी – fertilizer prices
खतों की कीमतों मैं बढ़ोतरी – fertilizer prices In India किसानों के लिए बढ़ी ही चिंताजनक न्यूज़ है , उर्वरक की कीमतों में पिछले साल से लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इससे कंपोस्टिंग की लागत बढ़ गई है, नतीजतन कई कंपनियों ने पिछले साल उर्वरक कीमते बढ़ा दी है ।किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए खरीफ सीजन के दौरान डीएपी उर्वरक का इस्तमाल करना पसंद करते हैं। किसानों का कहना है कि यह खाद सभी फसलों के लिए संतुलित है। इसलिए हर साल इस उर्वरक ( fertilizer ) की मांग अधिक होती है। एक ही खाद का प्रयोग ज्यादातर खरीफ सोयाबीन, कपास, उड़द, मूग, तुर, चना और गेहूं के लिए किया जाता है। डीएपी खतों की कीमत हर साल बढ़ रही है। कोनसे खत की कितनी कीमत – fertilizer prices EFCO ने पिछले महीने डीएपी उर्वरक की कीमत में 150 रुपये की बढ़ोतरी की थी। डीएपी दरों को 1,200 रुपये से बढ़ाकर 1,350 रुपये कर दिया गया है। एनपीके की दर 1290 रुपये से बढ़ाकर 1400 रुपये की गई। वैश्विक बाजार में कच्चे माल की कीमतों में तेजी के बाद केंद्र सरकार ने पिछले साल डीएपी उर्वरक के लिए सब्सिडी में वृद्धि की थी। डीएपी अनुदान में सरकार ने इसे 700 रुपये बढ़ाकर 1,200 रुपये कर दिया। हालांकि, फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरक की कीमत फिर से बढ़ गई है। ये भी पढ़िए – Russia Ukraine War Impact On Fertilizer Russia Ukrain War Impact रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रासायनिक उर्वरकों के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति समय पर नहीं हो पाती थी। इसके अलावा, भारत को आपूर्ति किए जाने वाले अधिकांश उर्वरक रूस से हैं। लेकिन इस साल युद्ध की स्थिति ने आयात को प्रभावित किया है। खरीफ सीजन में अभी कुछ ही महीने बाकी हैं, लेकिन खाद की कमकरता अभी से महसूस हो रही है। वर्तमान में जो जमा की है , वह खाद शासन द्वारा जिलेवार उपलब्ध करायी जाती है। Referance_By.- Agrowon Article By.- VikramMarket Tag-: Agricultural Fertilizers Latest Price agriculture news
भारतीय कॉफी निर्यात 1 अरब रुपये | agriculture News
भारतीय कॉफी Indian coffee भारत में कॉफी उद्योग हाल के दशकों में तेजी से बढ़ा है, इसके निर्यात में हर साल तेजी से वृद्धि हुई है,भारतीय कॉफी की मांग बढ़ती ही जा रही है । कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे दक्षिण भारतीय राज्य कॉफी के प्रमुख उत्पादक हैं, जो कुल कॉफी उत्पादन का 71% हिस्सा हैं। कॉफी निर्यात वित्तीय वर्ष 2021-22 में, भारतीय कॉफी निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया और पहली बार कॉफी का निर्यात 1 अरब रुपये तक पहुंच गया। बढ़ती मांग और रूस-यूक्रेन युद्ध ने निर्यात को प्रभावित किया है। ऐसी चुनौतियों के बावजूद भारत से बड़ी मात्रा में कॉफी का निर्यात किया गया है। बिजनेस लाइन ने यह जानकारी दी। ब्राजील और कोलंबिया में कमी ने कॉफी की कीमतों को बढ़ा दिया है। पिछले दो वर्षों में भारत के उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। निर्यात की बाधाओं को दूर करने और कॉफी को बढ़ावा देने के लिए, कॉफी बोर्ड ने कई देशों के साथ बिक्री बैठकें कीं। कई चुनौतियों और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों और कोरोना के बाद की मांग के कारण निर्यात में वृद्धि हुई है। कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश राजा ने कहा कि निर्यात बेहतर हो सकता था, लेकिन बढ़ती माल दरों, कंटेनर की कमी, आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं और रूस-यूक्रेन संकट ने तत्काल कॉफी खंड को प्रभावित किया है। भारत से कोण कोण खरीदता है कॉफी इस बीच रूस भारतीय इंस्टेंट कॉफी का सबसे बड़ा खरीदार है। रूस कुल शिपमेंट का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा है। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने तत्काल कॉफी निर्यात को बोहत नुकसान हुवा है । भारतीय कॉफी के प्रमुख खरीदार – जर्मनी, रूसी संघ, बेल्जियम, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और तुर्की हैं। लोकप्रिय भारतीय कॉफी किस्में, अर्थात् अरेबिका और रोबस्टा, प्रकृति की घनी छतरी के नीचे पूर्वी और पश्चिमी घाटों की समृद्ध और जैव विविधता में उगाई जाती हैं। Article By. – Vikram Market.
नींबू की बढ़ी मांग, घटा उत्पादन | Lemon Price
नींबू की बढ़ी मांग, घटा उत्पादन गर्मी शुरू होते ही आम आदमी को महंगाई का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। दैनिक जीवन की सभी आवश्यकताओं की कीमतें बढ़ रही हैं। हालांकि, पिछले 13 दिनों में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर सब्जियों की कीमतों पर पड़ा है। कई क्षेत्रों में केवल कृषि उपज के परिवहन की लागत में वृद्धि हुई है। इससे किसानों को नहीं बल्कि विक्रेताओं को फायदा हो रहा है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का सबसे ज्यादा असर मिर्च और नींबू पर पड़ा है। पिछले कुछ दिनों में माल भाड़ा आसमान छू रहा है। इसलिए सब्जियों का खरीद मूल्य भी बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर बढ़ती कीमतों के कारण पर्याप्त मात्रा में सब्जियां नहीं बिक रही हैं। यह 22 मार्च से पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की कीमतों में बढ़ोतरी का परिणाम है। यह इस तथ्य के कारण है कि जलवायु परिवर्तन के कारण नींबू (Lemon price )के बाग नष्ट हो गए हैं। उत्पादन में गिरावट से नींबू की कीमतों में तेजी आई है। दक्षिण भारत में हरी मिर्च की आपूर्ति पिछले डेढ़ महीने से घट रही है। गुजरात में एक नींबू की कीमत 18 से 25 रुपये है, जबकि दिल्ली में एक ही नींबू की कीमत 10 से 12 रुपये है। गर्मियों में नींबू की मांग बढ़ने के बावजूद महाराष्ट्र के मुख्य बाजार में एक नींबू की कीमत 8 से 10 रुपये है। हैदराबाद में एएनआई के मुताबिक, एक कैरेट नींबू की कीमत कुछ दिन पहले 700 रुपये से बढ़कर अब 3,500 रुपये हो गई है। रेट सात गुना बढ़ गए हैं। इसका कारण नींबू उत्पादन में गिरावट और मांग ज्यादा होना । इस साल पहली बार नींबू को रिकॉर्ड रेट मिला है। अवाक् घटने से नींबू की कीमत सीधे 250 रुपये पर पहुंच गई है। पुणे मार्केट कमेटी में 15 किलो का एक बोरा 250 से 500 रुपये में बिक रहा है. तो नींबू 700 से 800 गोना ही है। Article By.- VikramMarket
हापुस आम – करोड़ों की निर्यात – Alphonso Mango
हापुस आम – करोड़ों की निर्यात – Alphonso Mango | Mango Farming भीषण गर्मी के दिनों में आप हर जगह आम देख सकते हैं। सड़क के किनारे बाजार में आम की महक और उसका रंग जरूर मन मोह लेता है। हापुस आम की अत्यधिक मांग है और यही इसका कारण है – आम का स्वाद मीठा और स्वादिष्ट होता है। “हापुस आम (Alphonso)फलों का राजा है” उसका नाम सुनते ही बच्चों और बड़ों के मुंह से पानी निकल आता है। । हापुस आम में एक अनूठा स्वाद होता है , और इसके गुण अन्य फलों की तुलना में अधिक विशिष्ट बनताहैं । इसलिए इसे फलों का राजा कहा जाता है इसलिए और इसी लिए इसे राष्ट्रीय फल का दर्जा दिया गया है। वैसे जानकारी के लिए बता दे की हापुस का दूसरा नाम अल्फांसो है (Alphonso)। फलों के राजा हापुस आम का महाराष्ट्र में सबसे अधिक हापुस आम (Hapus Mango ) का उत्पादन होता है, महाराष्ट्र के बाद गुजरात के जूनागढ़ का नंबर आता है। हापुस का सबसे महंगा और मीठा स्वाद अब अमेरिका के साथ-साथ जापान के नागरिकों को पर भी इसकी जादू चल गयी है। एग्रीकल्चर अँड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्टस् एक्स्पोर्ट डेव्हलपमेंट अथॉरिटीने (APEDA) द्वारा मुंबई से जापान को हापुस (Alphonso) और केसर आम का निर्यात किया जा रहा है। आम के निर्यात की पहली खेप अभी अभी जापान पोह्ची है। स्वतंत्रता के अमृत को पर्व पर जापान ( Japan) के टोकियो में एक उत्सव का आयोजन किया गया है। यहां विभिन्न स्टालों पर विभिन्न देशों के आमों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। देश से हर साल 400 करोड़ रुपये के आम निर्यात किए जाते हैं। इसमें जापान का योगदान बहुत छोटा है। देश से आम का सबसे बड़ा निर्यातक संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) में है। इसके अलावा आम का निर्यात इंग्लैंड, अमेरिका, सऊदी अरब, हांगकांग, इटली और स्विटजरलैंड को भी बढे पैमाने पर किया जाता है। अल्फांसो आम कहाँ पाया जाता है? हापुस व्यापक रूप से महाराष्ट्र में उगाया जाता है। केसर का उत्पादन महाराष्ट्र ( Maharashtra Mango)और गुजरात के जूनागढ़ में अधिक होता है। हापुस आम कोंकण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। यह रत्नागिरी और रायगढ़ में भी उगाया जाता है। यह कर्नाटक और गुजरात में भी उगाया जाता है। हालांकि, महाराष्ट्र आम का सबसे बड़ा निर्यातक है। हापुस आम कितने रुपए किलो है? हापुस किलो की जगह दर्जनों में बिकता है। इस सीजन में कीमत डेढ़ से दो हजार रुपये दर्जन के बीच है। हापस अपने विशिष्ट स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। 1} दशहरी, 2} चौसा, 3} लंगड़ा, 4} हापुस जैसे आमों की यहां से काफी मांग होती है। आम ( Mango) दुनिया भर के लगभग 111 देशों में उगाया जाता है। इसमें से, भारत में आम उत्पादन का 45% हिस्सा है। भारत हर साल कुल 870 मिलियन टन आम का उत्पादन करता है और 50 देशों को निर्यात करता है। Article By. – VikramMarket.
सूरजमुखी तेल की भारी कमी – Shortage of सुंफ्लोवेर oil | Agriculture की खबरें
सूरजमुखी तेल की कमी | Sunflower Seed Oil Latest Price भारत में हर साल करीब 220 से 225 लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है। यह 25 लाख टन से अधिक सूरजमुखी तेल की खपत करता है। खाद्य तेल की टोकरी में सूरजमुखी का तेल पाम तेल, सोयाबीन तेल और सरसों के तेल के बाद चौथे स्थान पर है। हर साल 22 से 25 लाख टन सूरजमुखी तेल की जरूरत होती है। इसमें से देश केवल 50,000 टन के बीच उत्पादन करता है। बाकी का सूरजमुखी तेल आयत किया जाता है। ( Indian Sunflower Oil ) रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व स्तर पर सूरजमुखी के तेल की भारी कमी पैदा कर दी है। जैसा कि आप जानते हैं, यूक्रेन सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है और रूस दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। हालांकि, युद्ध ने दोनों देशों के बीच निर्यात को बाधित किया। यूक्रेन के अधिकांश बंदरगाहों को निर्यात ठप है। यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूरजमुखी के तेल की कमी है। भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देश संकट में हैं। दुनिया भर के सुपरमार्केट सूरजमुखी के तेल की कमी का सामना कर रहे हैं। जिन क्षेत्रों में सूरजमुखी तेल उपलब्ध है, वहां दरें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। सूरजमुखी के तेल की दक्षिण भारत में भी काफी मांग है लेकिन वर्तमान में यहां सूरजमुखी का तेल भी उपलब्ध नहीं है। ब्रिटेन में सूरजमुखी के तेल की कमी के कारण उपभोक्ता खरीद सीमित थी। यहां के दाम बढ़ने से उपभोक्ता भी परेशान हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया। इससे पहले देश में तेल टैंकर मार्च में पहुंचे थे। इसलिए मार्च में सूरजमुखी के तेल की कोई कमी नहीं रही। भारत ने मार्च में 200,000 टन सूरजमुखी तेल का आयात किया। हालांकि अप्रैल में आयात 1 लाख टन से कम हो सकता है। इसलिए देश में खाद्य तेल की कीमतों में मई में और सुधार हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक रूस-यूक्रेन युद्ध बंद नहीं होगा, सूरजमुखी की आपूर्ति नहीं बढ़ेगी। शिया-यूक्रेन युद्ध ( Russia Ukrain War ) ने विश्व स्तर पर सूरजमुखी के तेल की भारी कमी पैदा कर दी है। भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देश संकट में हैं। Article By.- VikramMarket
… इस दिन से शुरू होगी बारिश _ बारिश कब आएगी – जानिए | barish kab hogi
इस साल के बारिश मौसम की तारीख पता चल गया | When Will The Rain Come 2022 बारिश देश के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन इसका आना कई चीजों के लिए भी जरूरी है। अभी बारिश का मौसम शुरू नहीं हुआ है, ये तो सिर्फ अनुमान लगाया जा रहा हैं। पिछले कुछ दिनों से देश का हर नागरिक बारिश आने को लेकर उत्सुक हो गया है, दो दिन पहले, स्काईमेट ने भविष्यवाणी की है ; कि इस साल मानसून औसत से ऊपर रहेगा, लेकिन विशेष रूप से, यह तय समय पर ही आएगा । ( rainy season) स्काईमेट वेदर भारत की सबसे बड़ी मौसम विज्ञान और कृषि-जोखिम समाधान कंपनी है। स्काईमेट वेदर भारत में एकमात्र निजी मौसम पूर्वानुमान कंपनी है, जिसकी स्थापना 2003 में हुई थी बारिश कब होगी 2022 ? – rainy season Date स्काईमेट संस्था के अनुसार _ 1 जून _बारिश के मौसम का आगमन होगा , याने हर साल की तरह इस साल भी बारिश 1 जून से ही बरसनी शुरू हो जाएगी । और तो और इस साल हद ज्यादा गिरने वाली है । यह लगातार चौथा साल है जब पिछले कई सालों से मानसून अपने चरम पर पहुंच गया है। कृषि व्यवसाय की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि, हर साल बारिश का आगमन और उसके बाद उसका अचानक काम हो जाना, इस जोखिम से किसानों को दोहरी बुवाई का खतरा होता है, इसलिए मानसून के मामले में सब कुछ महत्वपूर्ण है। लेकिन इस साल अंतर यह है कि स्काईमेट ( skymetweather ) के अनुसार बारिश का मौसम समय पर पोहच जायेगा। ” जून से सितंबर ” इन चार महीनों के दौरान बारिश होगी लेकिन, इस साल औसत से 98 प्रतिशत या अधिक बारिश होगी। इस साल नियमित समय पर या इससे पहले बारिश शुरू हो जाने की सम्भावना जताई गयी है। औसत या अधिक वर्षा होगी , इससे किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। मानसून 1 जून से नियमित अंतराल पर शुरू होने की उम्मीद है , ऐसा स्काईमेट ने कहा है। केरल मैं बारिश की शुरवात ( kerala ) केरल में मानसून की शुरुआत मुख्य रूप से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों में समुद्री परिस्थितियों के कारण होती है। हाल ही में आए चक्रवात ‘असनी’ ने बंगाल की खाड़ी में मानसून के प्रवाह को सामान्य से पहले ही रोक दिया था। इस संयुक्त प्रभाव ने मानसून की लहरों को बढ़ावा देते हुए अरब सागर के बीच में एंटीसाइक्लोन का सफाया कर दिया है।यह बारिश को बढ़ने के लिए आवश्यक था। केरल में मौसमी बारिश से पहले की बारिश बढे ही जोर से होगी – स्काईमेट के अनुमान के मुताबिक, इस साल केरल में दक्षिण पश्चिम 26 मई को मानसून आने की संभावना है । https://www.vikrammarket.com/2022/05/07/कृषि-से-संबंधित-ये-टॉप-5-बिज/ Article By.- VikramMarket
कृषि से संबंधित ये टॉप 5 बिजनेस देंगे बंपर कमाई_Farming Business ideas
5 Top Successful Farming Business Ideas in India कृषि से संबंधित ये टॉप 5 बिजनेस देंगे बंपर कमाई | farming business ideas कोई भी कारोबार शुरू करने से पहले यह जरुरी हो जाता है, कि आपके पास उसकी संपूर्ण जानकारी हो आमतौर पर यह देखा गया है कि जब हमारे पास किसी भी कारोबार की जानकारी नहीं होती है, तो हमें इसमें नुकसान का सामना ही करना पड़ता है। इसी लिए आज हम आपको 5 कृषि संबंधित व्यवसाय की जानकारी देंगे । जिन्हे कर के आप लाखों मैं कमा सकते है । 1. डेयरी व्यवसाय Dairy farming : भारत में दूध हर घर की मूलभूत आवश्यकता है। ज्यादातर लोगों के लिए, सुबह का एक कप चाय या कॉफी या एक गिलास दूध के बिना अधूरी होती है। डेयरी फार्म व्यवसाय एक परम्परागत व्यवसाय है। जिसमे पशु पालन के माध्यम से लोग अच्छे व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं दूध से दही, छाछ, घी, पनीर जैसे उत्पाद बनाकर विक्रय किए जा सकते हैं। डेयरी व्यवसाय खोलने के लिए सरकार की ओर से बैंक लोन पर सब्सिडी भी दिया जाता है। 2. पोल्ट्री फॉर्म Poultry farming : अगर आप कोई कारोबार करने की सोच रहे हैं, तो पोल्ट्री फॉर्म बिजनेस आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।इसे कुक्कुट पालन भी कहते हैं – बाजार में चिकन और अंडे की मांग काफी ज्यादा है , इसे व्यवसायिक दृष्टि से किया जाए तो इससे काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। पोल्ट्री फार्मिंग एक ऐसा काम है जो कम लागत में अच्छा मुनाफा देता है। इस व्यवसाय को किसान भाई अपने खेती के काम के साथ भी कर सकते हैं। खेत के पास यदि थोड़ी खाली जगह है तो आप वहां मुर्गी पालन कर सकते हैं। मुर्गी पालन व्यवसाय यानि पोल्ट्री फॉर्म खोलने के लिए भी सरकार से सहायता मिलती है। 3. बकरी पालन Goat farming : बकरी पालन प्राचीन काल से ही पशुपालन का एक अभिन्न अंग रहा है। बकरी का दूध कई बीमारियों में काम आता है । विश्व की कुल बकरी संख्या का 20 प्रतिशत भारत में ही पाया जाता है। बकरी पालन (bakari palan) किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली व्यवसाय है। जो किसान गाय-भैंस पालन करने में असमर्थ हैं वे छोटे स्तर पर बकरी पालन (Goat farming) की शुरूआत कर सकते हैं। बकरी पालन एक सस्ता और टिकाऊ व्यवसाय है जिसमें पालन का खर्च कम होने के कारण आप ज्यादा से ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं। बकरी पालन पर कई राज्य सरकार 90 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान करती हैं। इस व्यवसाय को खोलने के लिए बैंक लोन मिलता है और इस पर सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। 4. फूलों का बिजनेस Flower Business : फूलों का बिजनेस ऐसा है जिससे आप कम लागत में ज्यादा कमाई कर सकते हैं । फूलों का बिजनेस आज काफी लोकप्रिय बिजनेस में से एक माना जाने लगा है। शादी-विवाह, जन्मदिन और कई धार्मिक आयोजनों में फूलों की मांग रहती है। आप फूलों का बिजनेस करके भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। आज कई लोग फूलों के बुगे, फूलों से डेकोरेशन का काम करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। वहीं सूखे फूलों के पाउडर की भी बाजार में मांग रहती है। 5. मछली पालन Fish farming : यदि आपके खेत में तालाब है तो आप बड़ी ही आसानी से मछलीपालन कर सकते हैं। यदि आपके पास तालाब नहीं है तो भी कोई परेशानी नहीं है। आप टेंक में मछलीपालन करके इसके जरिए से कोई भी इंसान लाखों रुपये की हर महीने कमाई कर सकते है। जैसा कि बाजार में नानवेज की मांग को देखते हुए ये व्यवसाय काफी चल रहा है। कई किसान मछली पालन करके अपनी आमदनी में इजाफा कर रहे हैं। सरकार की ओर से मछली पालन का प्रशिक्षण और सहायता भी दी जाती है। मछलीपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से सरकार की ओर से ऋण भी प्रदान किया जाता है। Article By.- Vikrammarket. Sheep Farming_भेड़ पालन जानकारी Hindi जाफराबादी भैंस की पूरी जानकारी
एसी खेती जो आपको मालामाल कर देगी | AloeVera Farming Hindi
एसी खेती जो आपको मालामाल कर देगी | AloeVera Farming Hindi: आज हम आपको बातएंगे एलोवेरा के खेती के बारे मैं जिसे करने पर आप बोहत सारा पैसा कमा सकते है ! अगर आप अच्छे से करे तो । इस मैं ज्यादा खर्च भी नहीं होता – मुफा अधिक होता है । —————————– * एलोवेरा की खेती – Aloe Vera Cultivation एलोवेरा यह वनस्पति का नाम किसको नहीं पता , विश्वविख्यात औषदि वनस्पति का ताज इस के सर पर ही है । इसकी उत्पति दक्षिणी यूरोप एशिया या अफ्रीका के सूखे क्षेत्रों में मानी जाती है। घृत कुमारी या अलो वेरा/एलोवेरा, जिसे क्वारगंदल, या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है , मराठी मैं इसे कोरपड कहते है । एलोवेरा की बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। हर्बल और कास्मेटिक्स में इसकी मांग बड़े स्तर पर है, और बढ़ती ही जा रही है। इन प्रोडक्टसों में अधिकांशत: एलोवेरा का ही उपयोग किया जाता है। सौंदर्य प्रसाधन के सामान में इसका सर्वाधिक उपयोग होता है। वहीं हर्बल उत्पाद व दवाओं में भी इसका प्रचुर मात्रा में उपयोग किया जाता है। आज बाजार में एलोवेरा से बने उत्पादों की मांग काफी बढ़ी हुई है। एलोवेरा फेस वॉश, एलोवेरा क्रीम, एलोवेरा फेस पैक और भी कितने प्रोक्ट्स है जिनकी मार्केट मेें डिमांड है। इसी कारण आज हर्बल व कास्मेटिक्स उत्पाद व दवाएं बनाने वाली कंपनियां इसे काफी खरीदती है। कई कंपनियां तो इसकी कॉन्टे्रक्ट किसानों से करके खेती करती है । एलोवेरा की खेती व्यवसायिक तरीके से की जाए तो इसकी खेती से सालाना 8-11 लाख रुपए तक कमाई की जा सकती है। प्रकार वैज्ञानिकों के शोध से पता चला है कि एलोवेरा की तक़रीबन 300 प्रजाति है । इसमें 284 किस्म के एलो वेरा में 0 से 15 प्रतिशत औषधीय गुण होते हैं। 11 प्रकार के पौधे जहरीले होते हैं । बाकी बचे पांच विशेष प्रकार में से एक पौधा है जिसका नाम एलो बारबाडेन्सिस मिलर है जिसमें 100 प्रतिशत औषधि व दवाई दोनों के गुण पाए गए हैं। अगर आपको इसके बारे मैं शुरू से लेकर आखिर तक जानकारी चाहते है तो , निचे कमेंट कर देना – हम आपके लिए पूरी जानकारी बताएँगे । पढ़िए – भारत की 5 सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय Article By.- Vikram Market
कब तक है बारिश – महाराष्ट्र के कोनसे हिस्से मैं बारिश
Agriculture News In Hindi फिलहाल राज्य के कई हिस्सों में चना और गेहूं निकालने की तैयारी चल रही है. बारिश इस काम में बाधा डाल सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक ७ तारीख से 10 तारीख तक राज्य में बारिश की संभावना है. गरज के साथ बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के प्रमुख का Tweet मराठी का अनुवाद: देश के मध्य भाग में पूर्वी हवाओं के संगम और पूर्वी हवाओं में गर्त के कारण: महाराष्ट्र, गुजरात में 7 से 10 मार्च, पश्चिम. राजस्थान और पूर्वी मध्य प्रदेश में गरज के साथ हवा के झोंके और गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश। 8 और 9 मार्च: मध्य महाराष्ट्र में मूसलधार बारिश की संभावना है। * 8 और 9 मार्च – धुले, जलगांव, नंदुरबार, नासिक, औरंगाबाद, अहमदनगर, पुणे, सतारा, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग, बुलढाणा, परभणी, जालना, बीड, परभणी, वाशिम, हिंगोली, अकोला, अमरावती, यवतमाल, वर्धा, नागपुर, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, भंडारा और गोंदिया जिले में भारी बारिश की संभावना है। * 10 मार्च – बुलढाणा, अकोला, वाशिम, यवतमाल, अमरावती, वर्धा, नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा, गोंदिया और गढ़चिरौली जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है। जलगांव, औरंगाबाद, अहमदनगर, पुणे, सतारा, नासिक, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग और धुले में हल्की बारिश की संभावना है। इस बीच, महाराष्ट्र, गुजरात, पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश में तारीख 7 से 10 तारीख तक कुछ इलाकों में हल्की बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ेंगी। * Nashik News in Hindi इस अनचाही बारिश की वजह से नाशिक मैं अंगूर के बागों का बोहत ही बढ़ी हानि हो सकती है । पहले ही बोहत दिक्क्तों से अंगूर उत्पादक किसान गुजर रहे है , और अब बारिश भी दस्तक दे रही है । ऐसा पिछले 4 साल से हो रहा है , सब परशानी से जूझकर किसान अंगूर तो संभाल लेता है पर बारिश का क्या मुकाबला …. ऐसा ही चलता रहा तो अंगूर उत्पादक किसान बचेगा ही नहीं – हर साल उसके ऊपर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है – वे फल तो फुला लेते है पर उनके जेब मैं कुछ नहीं आता । लाखों का माल आँखों के सामने बारिश मैं बह जाता है , और साथ साथ उम्मीद भी । सरकार को इस विषय मैं ध्यान देने की जरुरत है , कर्ज माफ़ करने की जरुरत है , इनके लिए योजनाए लाने की जरुरत है । अगर ऐसा नहीं हुवा तो इनकी हालत बद से बद्द्तर हो जायगी । Writer -: Vikram Shinde ArticleBy- VikramMarket.
10 – मार्च – 2022 प्याज को कोनसे मार्किट मैं कितना भाव | Onion Price
महाराष्ट्र मैं आज प्याज का भाव कितना है ? !! Q !! सोयाबीन कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव लासलगाव उन्हाळी 700 1780 1375 नाशिक उन्हाळी 650 1900 1350 सातारा 1000 1500 1250 राहता 400 1800 1350 सोलापूर 100 2180 1050 येवला 250 1534 1200 धुळे 100 1500 1300 जळगाव 450 1500 1190 सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो मालेगाव-मुंगसे 300 1501 1275 पंढरपूर 200 1821 1300 नागपूर 1400 1700 1625 राहूरी -वांबोरी 200 1700 900 कळवण 400 1555 1200 चांदवड 800 1658 1350 मनमाड 300 1509 1300 कोपरगाव 500 1581 1350 वैजापूर 300 1700 1250 सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो देवळा 100 1555 1400 उमराणे 900 1550 1300 पुणे 500 1700 1100 मलकापूर 725 1400 1000 कल्याण 1600 2800 2400 नागपूर 1200 1400 1350 पिंपळगाव बसवंत 400 1775 1400 कोल्हापूर 400 1800 1400 अकोले उन्हाळी 150 1775 1446 कळवण उन्हाळी 400 1600 1350 संगमनेर उन्हाळी 200 1911 1055 रामटेक उन्हाळी 1800 2000 1900 पुणे-मोशी 400 1600 1000 औरंगाबाद 100 1100 600 मुंबई – कांदा 1300 1800 1550 मंचर 625 1510 855 कराड 1000 1700 1700 धुळे लाल 150 1630 1320 धन्यवाद सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो Article By – : VikramMarket
Maharashtra Budget 2022 | किसानों को लिए क्या – क्या मिला ? | वित्त मंत्रीअजित पवार
Maharashtra Farmers Budget 2022 आज महाराष्ट्र सरकार ने 2022 का बजट पेश किये इस मैं किसान के लिए बढे पैमाने पर निधि दिया गया है । अर्थमंत्री अजित पवार जी ने बजट की शुरवात कृषि निधि से ही की – तो चलिए जान लेते है की इस बार किसान को क्या मिला । खेत तलाव सब्सिडी में 50% की वृद्धि – खेत मैं तलाव बनवाने मैं अनुदान जाहिर करने के बाद तलाव की संख्य काफी बढ़ गयी है । इस वजह से पानी का मसला काफी हद तक दूर हुवा है , इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री निधि योजना के तहत खेत तलाव के लिए सब्सिडी 75,000 रुपये तक बढ़ा दी गई है। जो जो किसान अपना कर्ज वक्त पर बैंक मैं जमा करते है उनको 50 हजार रूपये प्रोत्साहन पर हेतु दिए जायेंगे । इस वर्ष राज्य के 20 लाख किसानों को राशि की आपूर्ति की जाएगी। इस पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। भुविकास बैंक के 34 हजार 788 कर्जदारों को 964 करोड़ 15 लाख का कर्ज दिया जाएगा। नाशिक मार्किट के भाव देखे -: मुझे क्लीक करो फसल बीमा योजना वर्तमान में केंद्र के माध्यम से लागू की जा रही है। हालांकि इसमें कही खामिया है, अगर इसे नहीं बदला जाता है, तो राज्य सरकार एक अलग विकल्प चुनेगी। गुजरात और अन्य कही राज्य इस योजना से बाहर होने का विकल्प चुना है – गठबंधन सरकार भी कुछ ऐसा ही सोच रही है. महिला किसान : महाविकास अघाड़ी सरकार इस वर्ष महिला किसानों के सशक्तिकरण के लिए प्रयास करेगी। इस योजना में महिला किसानों की भागीदारी जो अब तक 30 प्रतिशत थी, उसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाएगा। इसलिए कृषि व्यवसाय में महिलाओं का योगदान बढ़ेगा। पूर्व सैनिकों के लिए प्रावधान का 3 प्रतिशत प्रदान किया जाएगा। भारत की 5 सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय | Dairy Farming Business खरीफ फसल कार्य योजना के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस बढ़ी हुई उत्पादकता को संबोधित करने के लिए एक विशेष कार्य योजना लागू की जाएगी, जिसके माध्यम से बाजारों और उत्पादकता को बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए एक हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पशु चिकित्सालय को 10 करोड़- प्रदेश में बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति से अब जिलेवार सपर्धाओं का आयोजन किया जा रहा है. नतीजतन बैलों का महत्व बढ़ गया है और अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है। बैलों के स्वास्थ्य के लिए मुंबई के बुल वेटेरिनरी हॉस्पिटल को 10 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। बाजार समिति का सुदृढ़ीकरण : पिछले वर्ष महाराष्ट्र में कृषि उपज मंडी समितियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 2,000 करोड़ रुपये का निधि दिया गया था। इस साल इसे बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। सभी मार्किट भाव Information – Maharashtra Government Article By – Vikrammarket.
तुलसी की खेती कैसे करे – Tulsi Cultivation Hindi
तुलसी इस पौधे से आप भलीभांति वाकिफ होंगे ! और इसके औषधिये गुणधर्मोनसे भी । क्या अपने कभी सोचा नहीं के , अगर इसके इतने फायदे है – तो इसकी मांग भी कितनी होगी । और हाल फ़िलहाल इसकी खेती गिने चुने लोग ही करते है । जरा सोचिये _ अगर आप ने इसकी खेती की तो आप कितना कमा सकते है ? — बोहत जयदा । ………. बशर्ते आपको इसकी सही और पूरी जानकारी होनी चाइये । इसी लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए – तुलसी की खेती कैसे करे ? _Tulsi Farming_ tulsi ki kheti तुलसी एक औषधि पौधा ये तो आप जानते ही है, और यह बहुत ही फायदेमंद होता है। वैसे यह एक ऐसा पौधा है, जिसके सभी भाग को किसी न किसी रूप में उपयोग में लाया जाता है – ( तना, फूल, पत्ती, जड़, बीज ) |वैसे तुलसी भारत मैं कई नामों से जनि जाती है जैसे की – ग्राम्या, पुरसा, बहुमंजरी सुलभा, तथा होली बेसिल के नाम से जनि जाती है । इसकी खेती करके लाखों करोड़ों रुपए कमाए जा सकते हैं। तुलसी की फसल किसी भी प्रकार से खराब नहीं होती है, बस उसकी थोड़ी देखभाल की आवश्यकता होती है। खेती करने में प्रजाति का ज्ञान रहने से इसकी कीमत अधिक मिल सकती है। विश्व बाजार में विभिन्न प्रजाति के तेल की कीमत 2000/- से 8000/- किलो हैं। तुलसी की ओसिमम बेसीलीकम प्रजाति को तेल उत्पादन के लिए उगाया जाता है।तुलसी की कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स के साथ ही दवाई बनाने वाली सभी कंपनियों को जरूरत होती है। तुलसी के फायदे – Tulsi Benefits भारत के घरों में आसानी से मिलने वाला तुलसी का पौधा साधारण से बुखार, कफ और गले में इन्फ़ैकशन में सहायक होता है तुलसी का पौधा रत मैं भी ऑक्सीजन देता है तुलसी हमारे हृदय को स्वस्थ रखने में भी सहायक है यह केंसर में भी लाभकारी है. पौधे को ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती तुलसी हमारे त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने में भी सहायक है आपको सर मैं दर्द है, तब आपके लिए तुलसी से बनी चाय बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है । लागवड तुलसी की खेती मुख्य रूप से जून – जुलाई के महा मैं की जाती है । तुलसी के पौधे बारिश के मौसम मैं बढे अच्छे से बढ़ते है , तुलसी की फसल के लिए आपको सर्वप्रथम अपने खेतों में जुताई करवाकर उसे समतल कर लेना चाहिए । उचित जल निकासी वाली भूमि में भी इसके पौधे आसानी से वृद्धि कर सकते है |तुलसी का पौधा सामान्य मिट्टी में अच्छी तरह से पनपता है। तुलसी के पौधों को वृद्धि करने के लिए किसी खास तापमान की आवश्यकता नहीं होती है, इसके पौधे सामान्य तापमान में आसानी से विकास करते है | तुलसी का पूर्ण विकसित पौधा तीन वर्ष तक पैदावार देता है| कटाई जब पौधों की पत्तियां बड़ी हो जाती हैं तभी इनकी कटाई शुरू हो जाती है. सही समय पर कटाई करना जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो इसका तेल की मात्रा पर असर होता है। पौधे पर फूल आने की वजह से भी तेल की मात्रा कम हो जाती है । जब पौधे में पूरी तरह से फुल आ जाये तथा नीचे के पत्ते पीले पड़ने लगे तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए । रोपाई के 10-12 सप्ताह के बाद यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है। खेती के लिए प्रजाति श्याम या कृष्ण तुलसी अमृता तुलसी कर्पूर तुलसी रामा तुलसी बाबई तुलसी बीज ( seeds of tulsi)तुलसी तुलसी की फसल तैयार करने के लिए इसे डाइरैक्ट खेतो में नहीं लगाया जाता, बल्कि पहले इसके बीजों से नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते है, और बाद मैं उन्हे खेतो में लगाया जाता है, और फसल तैयार की जाती है। व्यपार ( तुलसी कहाँ बेचे? ) अब अगर हम तुलसी के खेती का व्यापार चाहते है, तो इसमें हम दो तरह से व्यपार कर सकते है 1) तुलसी का तेल बेचकर – तुलसी का तेल इसकी पत्तियों से तैयार किया जाता है। और दूसरा 2) तुलसी के बीज बेचकर । इन आयुर्वेद कंपनी को आप माल बेच सकते है आर्गेनिक इंडिया ( organic India ) , पतंजलि ( Patanjali ) , ममाअर्थ ( mamaearth ) और भी बोहत है । अगर आप गूगल ( Google ) पर जाकर Tulsi Buyer Company In India सर्च करेंगे , तो आपको बोहत सारि कंपनी की लिस्ट मिल जाएगी । किन्तु ध्यान रहे – किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा मत करिये XXX 1} पहले उनसे बात करो 2} क्या उन्हें तुलसी की जरुरत है ? ये पूछो ! 3} अगर हां है तो _ उन्हें बताइये की आप तुलसी की खेती करना कहते है – क्या वे आप से माल लेंगे ? 4} अगर वो हा बोलते है तो उनसे मिलाकर एक अग्रीमेंट ( Ageriment ) जरूर बनवाना , ताकि वो आपको धोखा न दे सके । 5} जो किसान इसकी खेती करते है , उनसे पहले जाकर मिलिए और जानकारी हासिल कीजिये । _Article By.- VikramMarket.
garmi ki kheti: गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियों और फल
garmi ki kheti: गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियों और फल : गर्मियों के मौसम मैं आप निचे दिए गए सब्जिया और फल लगाके बोहत पैसे कमा सकते है । गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियों और फल | अप्रैल में कौन सी सब्जी लगाना चाहिए? | गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियां कौनसी हैं? | मार्च-अप्रैल में कौन सी सब्जी लगाएं अच्छी कमाई के लिए तरबूज – Watermelon | ककड़ी – कुकुम्बर | धनिया – कोथिंबीर- Coriander| खरबूज – Muskmelon तरबूज – Watermelon तरबूज खास कर गर्मियों के मौसम के वक्त ही लगाया जाता है , क्यों की गर्मियों मैं इसकी मांग पुरे भारत भर से रहती है ।यह फसल गर्म और शुष्क जलवायु के अनुकूल होती है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मियों का असर कम करने के लिए तरबूज का सेवन किया जाता है। इस बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों ने तरबूज को कम लगने वाला खर्च, कम पानी और कम अवधि की फसल के कारण बड़े पैमाने पर इसकी खेती शुरू कर दी है। ककड़ी – Cucumber ककड़ी एक ऐसी फसल है जिसे खरीफ, रबी और गर्मी के तीन मौसमों में लिया जा सकता है ,और कम समय में अधिक मुनाफा कमा के सकते है। ककड़ी मैं प्रोटीन, खनिज और विटामिन की भरमार होती है । ककड़ी मल्चिंग पेपर पर लगाने से आपको ज्यादा मुनाफा मिल सकता है । यह फसल लगभग सभी जिलों में व्यापक रूप से उगाई जाती है। पानी की मात्रा अधिक होने के कारण गर्मियों में ककड़ी की बहुत मांग होती है। धनिया – कोथिंबीर- Coriander धनिया की पूरे साल काफी मांग रहती है क्योंकि इसका व्यापक रूप से घरों, होटलों, शादियों और अन्य कार्यक्रमों में खाना पकाने के लिए उपयोग किया जाता है। घर मैं बनने वाले खाने मैं ज्यादातर धनिया का इस्तमाल किया जाता है , हालांकि गर्मियों में धनिया की पैदावार कम होती है, लेकिन भारी मांग के कारण बाजार में अच्छे दाम मिल जाते हैं, इसलिए कई किसान इसकी खेती गर्मियों मैं कर के अच्छा खासा मुनफा कमा लेते है । खरबूज – Muskmelon खरबूज ये मनो गर्मियों के मौसम के लिए ही बना है – गर्मियों के मौसम मैं सबसे ज्यादा खाये जाने वाले फलोंमें ये अव्वल स्थान पर आता है , सोचिये इसकी मांग कितनी होगी । ये फल न केवल किसानों की आय बढ़ाते हैं बल्कि खरबूजे के विभिन्न औषधीय लाभ भी होते हैं। खरबूजा एक बहुत ही स्वादिष्ट और सेहतमंद फल है । खरबूजे का फल मीठा होता है और बाजार में इसकी अच्छी मांग होती है क्योंकि इसमें ए, बी, सी जैसे कुछ विटामिन होते हैं। इसलिए किसान गर्मियों के मौसम मैं अच्छी तरह से इसकी खेती करके अच्छा मुनफा कमा सकते हैं। * तुलसी की खेती कैसे करे – Tulsi Cultivation Hindi * एसी खेती जो आपको मालामाल कर देगी | AloeVera Farming Hindi Article_By.- VikramMarket. सभी मार्किट भाव Home Onion Price : सस्ता और मेहेंगा प्याज किस देश मैं है Peru ki kheti: अमरूद की खेती कैसे करे PM: 2 सरकारी योजना, होगा पैसों का लाभ डेयरी फार्मिंग [ शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी ] डेयरी फार्म बिज़नेस | Dairy farming
आज प्याज को कोनसे मार्किट मैं कितना भाव | Today Onion Price Maharashtra | कांदा भाव
महाराष्ट्र मैं आज प्याज का भाव कितना है ? | Today Onion Price Maharashtra !! Q !! DATE – २१ -३ -२०२२ – सोमवार KANDA BHAV सोयाबीन कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव लासलगाव उन्हाळी 700 1340 1000 लासलगाव लाल 400 852 700 सातारा 500 1500 1000 राहता 200 1200 850 सोलापूर लाल 100 1700 900 येवला लाल 250 1070 700 देवळा लाल 100 1100 875 जळगाव लाल 500 927 700 सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो सटाणा 450 1295 975 उमराणे 551 1111 815 नागपूर सफ़ेद 800 1200 1100 पुणे लोकल 400 1400 900 कळवण उन्हाळी 400 1150 800 कोल्हापूर 400 1400 1000 औरंगाबाद 200 1300 750 मुंबई 1000 1400 1200 जळगाव लाल 500 927 700 आज महाराष्ट्र मैं प्याज (Onion Price ) के दाम काफी कम है , दो हफ्ते पहले लाल और उन्हाल प्याज को अच्छा दाम था । पर पिछले 10 दिन से ये भाव काफी निचे आये है , शायद ये दाम इस हफ्ते मैं स्थिर रहेंगे । Kanda_Bhav धन्यवाद सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो Tag.- What is the onion price in Nashik? What is the rate of onion in Mandi? ONION प्याज | Maharashtra ONION Daily Mandi Bhav मंडी भाव Nashik Mandi Bhav – आज का नाशिक मंडी मंडी का भाव प्याज का भाव News सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो Article By – : VikramMarket
Dairy Business – बीटल बकरी _ सबसे ज्यादा दूध
बीटल बकरी (Beetal goat) हमारा भारत देश आज की तारीख मैं सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश है । और आप भी दूध का व्यवसाय करना चाहते है ‘ पर आपके पास गाय और भैस लेने के पैसे नहीं है तो बकरी पालन ( Goat Farm ) से अपना धंदा शुरू कर सकते है _Like ( चाह है तो राह है ) तय कर लिया ? तो आगे पढ़िए —– ( Dairy Business) तो हम आपको एक ऐसी बकरी के बारे मैं बताएँगे जिसे आप दूध व्यापर के लिए ले सकते है – बीटल बकरी ( Beetal Goat ) बीटल प्रजाति की बकरियां बड़ी एवं लंबी होती हैं । Beetal बकरी दूध के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। इनका रंग काला होता है और शरीर पर सफेद धब्बे होते हैं। बीटल नस्ल मादा का वजन लगभग 40 से 50 किलोग्राम और नर का वजन 50 से 80 किलोग्राम होता है। कान लंबे लटके हुए और अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं। एक बछड़े में दूध का उत्पादन 5 से 7 लीटर तक होता है। बीटल बकरी की उत्पत्ति पंजाब के गुरुदास हैं। ये बकरिया goat farm के लिए अच्छी मानी जाती है । बीटल बकरियों की कीमत बाजार में लगभग तीन हजार रूपए प्रति मेमना होती है। एक ही ब्यांत से आपको 150 200 किलो तक दूध दे सकती है. यह बकरियां और बकरों का शारीरिक विकास अन्य नस्लों की तुलना में बहुत जल्दी होता है। इस नस्ल की बकरियों के बच्चा देने की क्षमता की बात करें तो 40% एक बच्चा, 54% दो बच्चे, तथा 6% तीन बच्चे देने की क्षमता होती है। हमे आशा है की आपको बीटल बकरी के बारे मैं काफी जानकारी मिली होगी । आपको बकरी पालन के बारे मैं और जानना चाहते हो तो – निचे कमेंट कर देना ।
भारत की 5 सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय | Dairy Farming Business
Dairy Farming Business भारत की 5 सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय | Dairy Farming Business: आप पशुपालन (Dairy Farming) के बारे मैं सोच रहे है तो आप बिलकुल सही जगह पर है , अगर आप को सही गे के बारे मैं जानकारी मिल गई तो आप दूध बेचकर मालामाल हो सकते है ।अगर आकंड़ों की बात करें तो भारत में करीब 50 से अधिक गायों की प्रजातियां पाई जाती है। ज्यादा दूध देने वाली गाय (Cow) की नस्लों से ही आपको दूध मिलेगा। भारत में पाई जाने वाली गाय बाहर देशों के मुकाबले कम दूध देती है ,पर गाय का दूध विटामिन से भरपूर होता है जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। रोजगार की दृष्टि से देखा जाए, तो अच्छी नस्ल की गाय से दूध के अलावा गौमूत्र और गोबर भी किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। भारत की 5 सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय 1 साहिवाल गाय – Sahiwal Cow भारत में साहीवाल नस्ल के पशुओं को सबसे ज्यादा दूध देना वाला माना जाता है । चौड़े सिर वाली साहीवाल गाय पशुपालकों की पहली पसंद है। भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों- उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश में साहीवाल गाय काफी मशहूर है। साहीवाल गाय दिनभर में 10-20 लीटर और सालभर में 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है। साहीवाल गाय के दूध में फैट और दूसरे पोषक तत्व की मात्रा अधिक पाई जाती है। गाय की ये नस्ल भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी बहुत मशहूर है। व्यवासायी इन्हें काफी पसंद करते हैं, यह गाय एक मार मां बनने पर करीब 10 महीने तक दूध देती है। वैज्ञानिक ब्रीडिंग के ज़रिए देसी गायों की नस्ल सुधार कर उन्हें साहीवाल नस्ल में बदल जा रहा है। कीमत – इस गाय की कीमत इसके दूध उत्पादन की क्षमता, उम्र, स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करती है. इन्ही बातों को ध्यान में रखकर कीमत का सही अनुमान लगाया जा सकता है. वैसे साहीवाल गाय लगभग 40 हजार से 60 हजार के बीच में खरीदी जा सकती है. 2 गिर गाय – Gir Cow गिर गाय को देश का सबसे दुधारू गाय माना जाता है, लाल रंग की बड़े थन वाली गिर गाय के कान लटकदार और लंबे होते हैं। यह गाय 10-15 लीटर तक दूध देती है। यह गाय गुजरात के गीर जंगलों में पाई जाती है , जिसकी वजह से इनका नाम गीर गाय पड़ गया। भारत के अलावा इस गाय की विदेशों में भी काफी मांग है। इजराइल और ब्राजील में भी मुख्य रुप से इन्हीं गायों का पाला जाता है। इसे पालना भी काफी आसान है, इसलिए दूध की उत्पादकता को देखते हुए गिर गाय को लोग खूब पालते हैं और दूध का व्यवसाय करते हैं। गिर गाय के बारे में अतिशयोक्ति बहुत है। कई लोग 50 लीटर तक दूध देने की बात कहते हैं लेकिन इसमें सच्चाई कम है। कीमत – गिर गाय की कीमत 90 हजार रुपये से 3.50 लाख रुपये तक है। हालांकि, कोरोना महामारी में आर्थिक संकट के चलते हाल गिर गाय 45 से 60 हजार रुपये में भी बेची जा रही है. इस गाय की कीमत इसके दूध उत्पादन की क्षमता, उम्र, स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करती है. इन्ही बातों को ध्यान में रखकर कीमत का सही अनुमान लगाया जाता है । 3 लाल सिंधी गाय – Red Sindhi Cow बेहतर दूध उत्पादन और रखरखाव के मामले में लाल सिंधी गाय का नाम भी शामिल है। यह गाय पहले , सिर्फ सिंध इलाके में पाई जाती थीं। लाल रंग होने के कारण इनका नाम लाल सिंधी गाय पड़ गया। इसके सींग जड़ों के पास से काफी मोटे होता है और बाहर की ओर निकले हुए अंत में ऊपर की ओर उठे हुए होते हैं। शरीर की तुलना में इसके कूबड़ बड़े आकर या यूँ कहें तो बैलों के समान होते हैं। अब यह गाय पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा में भी पायी जाती हैं। साहिवाल गायों की तरह लाल सिंधी गाय भी सालाना 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती हैं। कीमत – लाल सिंधी गाय की कीमत 30,000 से 50,000 रुपए तक होती हैं। 4 कांकरेज गाय – Kankrej Cow कांकरेज नस्ल की गाय मुख्यरूप से गुजरात और राजस्थान के इलाकों में पाली जाती है। इस नस्ल की गाय प्रतिदिन 8-10 लीटर तक दूध देती है , और सालभर में 1800-2000 लीटर दूध मिल जाता है। हालांकि कांकरेज गाय की चाल थोड़ी अटपती होती है, इस नसल के जानवर बड़े आकार के होते हैं। इस गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। यह उच्च तापमान को आसानी से सहन कर लेती हैं। इसका मुंह छोटा और चौड़ा होता है।यह गाय बड़ी होती है और इसके लंबे सींग होते हैं। लेकिन इसकी डिमांड विदेशों में भी काफी हद तक बढ़ गई है। कांकरेज नस्ल के बैलों को भी काफी मेहनती माना जाता है। कीमत – कांकरेज भैंस अच्छे नस्ल की दुधारी भैंस मानी जाती है। वर्तमान में, इसकी कीमत भारतीय रुपये में करीब 1 लाख के आसपास रहती है। बाजार में इसकी मांग को देखते हुआ लगता है की आने वाले दिनों में इसकी कीमत और बढ़ती रहेगी। 5 राठी गाय – Rathi Cow राठी गाय मुख्यरूप से राजस्थान के बीकानेर और श्रीगंगानगर में पाई जाती है। आजकल गुजरात में भी इन गायों का पाला जाने लगा है। राठी गाय की खासियत हैं कि ये खाती कम है और हर जलवायु में आसानी से ढल जाती है । राठी गाय की नस्ल ज्यादा दूध देने के लिए प्रसिद्ध है। यह गाय प्रतिदन 6 -8 लीटर दूध देती है। कहीं-कहीं इसे रोजाना 15 लीटर तक दूध देते हुए देखा गया है। वयस्क राठी गाय का वजन लगभग 280 – 300 किलोग्राम होता है। कीमत – राठी गाय की कीमत 12000 से 90000 रुपए तक होती हैं। Article By – VikramMarket. सभी मार्किट भाव Home Onion Price : सस्ता और मेहेंगा प्याज किस देश मैं है Peru ki kheti: अमरूद की खेती कैसे करे PM: 2 सरकारी योजना, होगा पैसों का लाभ डेयरी फार्मिंग [ शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी ] डेयरी फार्म बिज़नेस | Dairy farming
आखिरकार अंगूर चले विदेश | नाशिक के अंगूर दो देशों की मांग ? | Grapes Export
आखिरकार अंगूर की पहली गाडी निकली परदेस …… इस साल वरुण देवता अंगूर की खेती करने वाले किसानों पर ज्यादा खुश नहीं थे , फिर भी किसानों ने हार नहीं मानी और अपने अंगूर के बाग़ काफी अच्छे बनाये । अंगूर की खेती आसान नहीं , पहले दिन से ही खासा दयान देना पड़ता है । जैसे तैसे अंगूर बड़े मुश्किल से बनाकर बेचने का वक्त आता ही_ है” ‘ तो मौसम धावा बोल देता है । साल भर की मेहनत बर्बाद हो जाती है , इसी महीने याने जनवरी को नाशिक जो अंगूर उत्पादन का गड मानी जाती है , वह पर जनवरी से ही अंगूर उत्पादन शुरू हो जाता है । जो की इस साल भी हुवा , किन्तु मौसम उनकी परीक्षा ले रहा है । महीने 2 बार महाराष्ट्र मैं बारिश हो चुकी है – और यही हालत आगे भी जारी है । Grapes Export किसानों की इतनीही इच्छा है की जल्द से जल्द अच्छे दामों मैं अंगूर के बाग़ खली हो जाये । और उनके जोली मैं कुछ रूपये आये , और आज इसी का आगाज हुवा । अंगूर को अच्छा दाम तभी मिलता है जब उनके अंगूर बाहर के देशों मैं जाये । और ये मांग भी पूरी होने जा रही है , मतलब की आज सवेरे ही नासिक जिले से नीदरलैंड और बेल्जियम को 7 कंटेनरों से 89 मीट्रिक टन अंगूर का निर्यात किया है। इसलिए साल भर संकट में फंसे किसानों को थोड़ी राहत मिली है। विदेशी मुद्रा से अधिक लाभ कमाने की आशा में निर्यात किया जाता है। हालांकि इस साल अनुकूल माहौल नहीं रहा। फसल कटाई तक बेमौसम बारिश के खतरे से किसान चिंतित थे और आखिरकार अंगूर की निर्यात शुरू हो गई है। पिछले साल 2020-21 – : 2 लाख 46 हजार 107 मीट्रिक टन 2 हजार 298 करोड़ का एक्सपोर्ट किया गया था , किसानों को आशा है की इस साल भी इससे अधिक अंगूर की निर्यात किया जाये । Article By. – Vikram Market .
लाल प्याज के गिरते दाम | Onion price latest update | Onion in Lasalgaon, pimpalgaon|
!! लाल प्याज के भाव मैं गिरावट !! प्याज के भाव आज | प्याज का भाव न्यूज़ | प्याज का भाव की ताज़ा ख़बर | आज प्याज का मंडी भाव 2021 – India Mandi Rates| पिछले हफ्ते हमने ही आपको जानकारी दी थी , की लाल प्याज को अच्छा भाव मिल रहा था । किन्तु इस हफ्ते मैं किसानो की बड़ी मात्रा मैं प्याज बनकर तैयार हुवा , और मार्किट मैं लाल प्याज की आवक बढ़ गयी और सीधा असर उनके दामों मैं दिखा । आप निचे पिंपलगाव ( pimpalgaon onion market ) और लासलगॉंव ( lasalgaon onion market ) के कल के भाव देख सकते है . लासलगांव शुक्रवार मंडी भाव – 17-12-2021 शुक्रवार कांदा / कम से कम ज्यादा से ज्यादा सरासरी लाल कांदा 701 1599 1551 पिंपलगाव शुक्रवार मंडी भाव – 17-12-2021 कांदा / कम से कम ज्यादा से ज्यादा सरासरी लाल कांदा 1000 2680 1951 प्याज के दामों मैं गिरावट की शुरवात 15 तारीख से शुरवात हुई , 16 तारीख को मार्किट थोड़ा सा ऊपर निचे हुवा – और कल याने शुक्रवार को स्थिर रहा । इसकी वजह किसान खुद है , गिरते दामों को देख बाकि प्याज उत्त्पादक किसान घबरा गए और तुरंत अपना माल वो मार्किट लेके आये , मार्किट मैं निर्यात से ज्यादा आयत बढ़ गयी और भाव और निचे आये । किसानो को थोड़ा धीरज रखना चाइये , और धीरे धीरे माल मार्किट मैं लाना किये । एक साथ सभी किसान अपने प्याज मार्किट मैं लेके आएंगे तो कवडियों के मोल दाम मिलेगा । मानते है की लाल प्याज ज्यादा दिनों तक नहीं रख सकते , पर इसका मतलब ये भी नहीं की निकालो और सीधे मार्किट ले जाओं – इससे सभी का नुकसान होगा । हमारा अंदाजा है की इस हफ्ते और अगले हफ्ते मैं शायद प्याज के दाम ज्यादा नहीं बढ़ेंगे , किन्तु महीने के आखिर मैं काफी हद तक दाम मैं बढ़ोतरी होने की समभावना है । आपको सिर्फ अपडेट रहना होगा की कोनसे दिन मार्किट मैं कितनी आवक है और दाम क्या है – ये सब जानकरी हमारे ऍप विक्रम मार्किट ( Vikram Market App ) के जरिये आपको हर दिन मिलती रहेगी । आप बस हर दिन आकर भाव देख लिया करो और सही समय पर बेच दो । | आपको ये जानकारी पसंद आयी हो तो अपने किसान भाइयों के साथ जरूर शेयर करे | धन्यवाद । VikramMarekt.
सोयाबीन को कोनसे मार्किट मैं कितना भाव |Soybean Price
बाजार समिति दो दिन बंद रहने के बाद आज सोयाबीन का भाव कितना है, इसको लेकर उत्सुकता सोयाबीन कम से कम भाव ज्यादा से ज्यादा भाव सरासरी भाव लासलगाव 6300 7701 7561 लासलगाव – विंचूर 2000 7500 7400 जळगाव 7050 7050 7050 शहादा 7082 7551 7376 औरंगाबाद 4000 7051 5525 राहूरी -वांबोरी 7100 7100 7100 कारंजा 6000 7275 6850 राहता 7076 7416 7350 धुळे 6700 6700 6700 सोलापूर 6400 7300 7175 नागपूर 6000 7500 7125 कोपरगाव 6100 7460 7331 मेहकर 5900 7750 7200 लासलगाव – निफाड 6900 7600 7550 चाळीसगाव 6000 7000 6500 जालना 7000 7450 7300 अकोला 5600 8000 7000 सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो यवतमाळ 6000 7400 6700 चिखली 6450 7500 6975 हिंगणघाट 6500 7600 7080 पैठण 6881 6881 6881 भोकर 6709 7250 6979 अजनगाव सुर्जी 6000 7200 6600 गंगाखेड 7400 7700 7400 नांदगाव 3000 7500 6500 तासगाव 6200 6400 6300 गंगापूर 4800 6811 6500 मुखेड 7400 7500 7400 आखाडाबाळापूर 7000 7300 7150 सेनगाव 6500 7300 7000 उमरखेड 5900 6100 6000 उमरखेड-डांकी 5900 6100 6000 सिल्लोड 6900 7200 7000 soon … soon … soon … soon … soon … soon … soon … soon … सबसे पहले जानते है की सोयाबीन के दाम इतने क्यों बढ़ रहे है ? सोयाबीन ( today soyabean rate ) के उत्पादन में गिरावट, मांग में वृद्धि और रूस-यूक्रेन की मौजूदा स्थिति ने सोयाबीन के दाम मैं भारी उछाल दिखा । पिछले 15 दिनों में सोयाबीन की कीमतों में कैसे बदलाव आया है, इस पर किसानों और व्यापारियों को खुद ही विश्वास ही नहीं हो रहा। ( Soyabean Today’s Market price in Maharashtra ) दूसरी ओर रूस और यूक्रेन से खाद्य तेल का आयात बंद कर दिया है। नतीजतन, तेल के लिए घरेलू बाजार में सोयाबीन की मांग बढ़ गई है। इसका सीधा असर रेट पर दिख रहा है। फिलहाल सोयाबीन में सीजन का सबसे ज्यादा रेट देखने को मिल रहा है – धन्यवाद सभी मार्किट भाव – मुझे क्लिक करो Article By – : VikramMarket
1 लाख , 11 हजार की बकरियां | बोअर बकरी, Boer goat | बकरी पालन
1 लाख , 11 हजार की बकरियां | अफ्रीकी बोअर प्रजाति | Nashik कोई भी व्यापर अगर दिमाग से किया जाए , तो उसमें मुनाफा होना ही होना है । ऐसा ही एक उदहारण हमें आज जानने को मिलेगा । बकरी पालन मैं ज्यादा लोगों की दिलचस्पी नहीं होती , उनको लगता है की बकरिया बेचकर कितनाही कमा लोगे ? तो उनके लिया बता दे की हल फ़िलहाल 4 अफ्रीकी बोअर प्रजाति की बकरिया बैची गयी और उनका दाम सुनके आपके होश उड़ जायेंगे – 1 लाख , 11 हजार | बोअर बकरी “Boer” नाम डच शब्द (अफ्रीकी) से लिया गया है जिसका अर्थ है “किसान“। सन १९०० के दशक में Boer नस्ल की बकरी को दक्षिण अफ्रीका में विकसित किया गया । मतलब Boar बकरिया से इंसानों व्दारा विकसित की गयी प्रजाति है । तो चलिए जान लेते है क्या है पूरा वाक्या ? … पशुपालन भारत के साथ-साथ राज्य में कृषि का एक पूरक व्यवसाय है। पशुपालन में मुख्य रूप से बकरी पालन, मुर्गी पालन, सुअर पालन, मधुमक्खी पालन, गाय पालन शामिल हैं। कई पशुपालक पशुपालन से अच्छा पैसा कमाते हैं। नासिक जिले के माडसांगवी गांव के निवासी बापू कर्वे जी ने भी बकरी पालन से अच्छी कमाई की है।बापू कर्वे दवा उद्योग में काम करते हैं। उन्होंने 2016 में बकरियां पालना शुरू किया था। शुरुआत में बापू ने शिरोही और कोटा नस्ल की बकरियां पाला। बापू ने बोअर नस्ल की बकरियों को वैज्ञानिक तरीके से पाला, उचित प्रबंधन से उन्होंने इससे अच्छा लाभ कमाया। हाल ही में, बापू ने चार बोअर बकरियों ( Boer goat) की बिक्री के लिए लाया, जिन्हें अहमदनगर और जालना जिलों के पशुपालकों ने 1 लाख ,11 हजार की कीमत में खरीदा था। बापू के अनुसार उनके पास जो बकरी है वह प्रजनन के लिए अच्छी नस्ल है, इसलिए इन बकरियों को इतना एक लाख ,११ हजार का बाजार मूल्य मिला। बापू 2016 से अब तक लगभग पांच वर्षों से सफलतापूर्वक बकरी पालन का व्यवसाय चला रहे हैं, वे वैज्ञानिक तरीके से बकरियां पालते हैं। बापू अक्सर अपने काम के सिलसिले में विदेश जाते रहते थे, वहीं विदेश में उन्होंने कई बकरी फार्मों का दौरा किया है और यहीं से उन्हें बकरी पालन के कारोबार की बारीकियों में अच्छे से महारत हासिल है। african Boer goat यही ज्ञान और मार्केटिंग स्किल का उपयोग करके उन्होंने अपने व्यपार को बढ़ाया ,और अच्छा मुनाफा कमाया । आज युवां के सामने उनका एक अच्छा उदाहरण है , कोई भी व्यवसाय करो तो दिगमग से , कुछ अलग करो , और सबसे एहम बात शुरवात करो ……. आर्टिकल पढ़ने के लिए विक्रम मार्किट आपका शुक्रगुजार है । -VikramMarket
खेत से विदेश _ खुद का माल खुद बेचो – सब्जियों की विदेश मैं निर्यात कैसे करे | Agricultural Exports
Export Of Vegetables अकसर हमने देखा है की किसान मार्किट से लौटते वक्त उनकी आँखे नम रहती है , वजह है _ अपने माल को अच्छा दाम न मिलना । क्योंकि खेत से मार्किट तक ही उनका बस चलता है , उसके आगे उनके हात मैं जो भी दाम थमाया जाता है ,उसेही असली कीमत मनके घर चले जाते है । किन्तु कहानी यही ख़त्म नहीं होती किसान भाइयों जो माल आप से मार्किट मैं लिया जाता है , उसकी असल कीमत आपको नहीं मिलती। वही माल को विदेश मैं 3 गुने दाम मैं बेचा जाता है । ये बात सभी जानते है पर कौन ये चिक-च्याक करे यही मान के किसान जो मिले उस दाम को लेके चले जाते है । पर कोई एक बार भी प्रयास नहीं करता की खुद माल बेच सके , इसकी वजह है सही जानकारी का न होना ,और जिन व्यपारियों को पता है वो आपको बताएँगे नहीं ” किन्तु घबराई नहीं विक्रम मार्किट ( VikramMarket ) है ना ” । हम आपको बताएँगे की आप अपने माल को सीधे खेत से विदेश मैं माल भेज सकते है और दोगुणा मुनाफा कमा सकते है ( import export ) । इसलिए हर एक किसान को यह जानना आवश्यक है, ‘कि सब्जियों का निर्यात कैसे किया जाता है ? और क्या – क्या चाइये होता है ? खेती माल की निर्यात के कितने प्रकार है ? खेती माल निर्यात के प्रमुखता दो प्रकार है – 1 } बिना प्रक्रिया का खेती माल जैसे की – फल , सब्जियां , अनाज , पैदा , कलम , फसल का बीज अदि इत्यादि होते है । 2 } दूसरा प्रकार मैं खेती माल पर प्रक्रिया करके उससे बनने वाले पदार्थ जैसी की – माँगो पल्प , काजू , अचार इत्यादि शामिल होते है । कृषि माल निर्यात कौन – कौन कर सकता है ? ( agriculture export ) कृषि माल की निर्यात खेती उत्पादक , किसान , सहयोगी संस्था , प्राइवेट कंपनिया , और बाकि भी कर सकते है । पर जो भी व्यक्ति अथवा कंपनी निर्यात करना चाहते है , उनके पास आयत निर्यात क्रमांक होना आवश्यक है । कैसे निर्यात करे पहली बार माल निर्यात करने से पहले आपको कुछ दस्तावेज की जरुरत पड़ेगी । ( Agriculture Export Policy ) एक संपत्ति फर्म ( प्रोपरायटी फर्म ) / संस्था / कंपनी की स्थापना एक राष्ट्रीयकृत बैंक में एक चालू खाता होना जिसके नाम पर कृषि उत्पादों का निर्यात किया जाना है। पैन कार्ड आयत निर्यात कोड नंबर ( आयइसी कोड नंबर ) अपेडा रजिस्ट्रेशन इत्यादि दस्तावेज आपके पास होने चाइये माल की निर्यात करने के लिए । कृषि माल की सुरक्षा गारंटी यदि आप विदेश में कृषि उत्पादों का निर्यात करना चाहते हैं, तो दूसरा सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज यह गारंटी है कि कृषि उत्पाद सुरक्षित हैं। अब इस गारंटी को जारी करने के लिए कुछ दस्तावेजों की भी जरूरत होती है। इसमें हेल्थ सर्टिफिकेट, पैक हाउस सर्टिफिकेट, सेनेटरी सर्टिफिकेट, ग्लोबल गैप सर्टिफिकेट आदि दस्तावेज शामिल हैं। इन दस्तावेजों को आयात-निर्यात एजेंसी को जमा करना और लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। खेती माल को आप कैसे विदेश भेज सकते है ? अपने कृषि माल की निर्यात आप मुख्यता समुन्दर के रास्ते_ जहाजोंद्वारा , विमान , कुरियर के द्वारा , या रास्तों से निर्यात कर सकते है । आपको निर्यात की हर एक जानकारी चाइये हो तो आप हमे बता दीजिये , आपको हम छोटी से छोटी जानकारी देने के लिए ‘ और एक पोस्ट’ लिखेंगे । Source – : http://krishi.maharashtra.gov.in धन्यवाद . Article By – VikramMarket
ऑर्गेनिक टमाटर – 400 से 600 रूपये किलो, के “12 माह ” के टोमेटो
ऑर्गेनिक टोमेटो – ORGANIC TOMATO आपने चेरी और अंगूर जैसे स्वाद वाले टमाटरों का स्वाद चखा है? जी हां यह संभव है लेकिन जैविक खेती से। और इसकी मांग भी काफी है , कीमत 400 से 600 रूपये प्रति किलो है । यकीं नहीं होता ना ! पर ये सच और संभव भी , चेरी टमाटर की खेती मध्यप्रदेश के जबलपुर रहिवासी अंबिका पटेल जी ने इसका अविष्कार किया है ,और वो 12 माह टमाटर की फसल लेकर बोहत ही अच्छा मुनाफा कमा रहे है । अंबिका पटेल कई साल से चेरी टमाटर की खेती कर रहे है , उन्होंने ने ही इस प्रजाति का इजात किया है , उनका ये माल भारत के साथ साथ अमेरिका और दुबई मैं भी किया जाता है । ये पूरी तरह से जैविक है और विटामिन युक्त है , इसलिए इसकी दिन ब दिन मांग बढ़ती ही जा रही है । अंबिका पटेल जी का कहना है की आम टमाटर के मुकाबले इस चेरी टमाटर का बीज काफी छोटा होता है , इसलिए मुख्यता इसे कोको पिट वाले ट्रे मैं सिंचाई ड्राप विधि के साथ ही लगाना चाइये । चेरी टमाटर के फायदे | Cultivation of cherry tomato पटेल जी ने इस पर बड़ी मेहनत और शोध किये , फिर जाकर इस बीज की निर्मिति हुई । उनका मानना है की ये बाकि टमाटर के से अधिक विटामिन युक्त है , और साथ ही ये पूरा पिक जैविक है । इस टमाटर का स्वाद भी चेरी और अंगूर जैसा आता है । ( Organic Farming ) कैसे लगाए जाये ? अंबिका पटेल एक पॉलीहाउस मैं टमाटर ( Tomato ) का उत्पादन करते है जो बारह महीने के लिए 400 से 600 रुपये प्रति किलो बेचा जाता है। ये टमाटर पॉलीहाउस मैं ही तैयार किया जाता है , पटेल जी का कहना है की इसकी खेती करना बोहत ही आसान है ! इसे कोको पिट वाले ट्रे मैं अंकुरित कर सकते है । फसल की पर्याप्त नमी के लिए जरुरी सिंचाई या फिर ड्राप स्रिप्कलिंग के सहारे इसकी खेती कर सकते है । इस टमाटर के पौधों की रोपाई 6 पतियों वाली करनी चाइये , पौधों की दुरी तक़रीबन 60 cm. रखनी चाइये और पंक्तियाँ की दुरी दो से डेढ़ मीटर तो रखनी चाइये । और खास कर टमाटर पौधों की रोपाई के बाद तुरंत सिचाई करनी चाइये । पैकिंग कैसे की जाती है ? ये फल जितना अनोखा और दिलचस्प है उतनाही इसकी पैकिंग भी । इसे अंगूर की पैकिंग जैसे की जाते है ठीक उसी तरह उसकी भी या फिर उससे अधिक ध्यान से करनी पड़ती है । इस टमाटर की फसल लेना काफी आसान है किन्तु इसे ठीक तरह से निर्यात करना हो तो बोहत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है , जैसे की गड्डे ‘ गड्डों मैं गाड़ी जाने से टमाटर क्रैक जा सकता है । Thank You For Reed . Article By – VikramMarket .
ठंड का अंगूर पर गहरा असर | Nashik Grapes News
ठंड का अंगूर पर गहरा असर जनवरी महीने मैं ठंड काफी हद तक बढ़ गयी है , या यु कहे की अपने चरण पर है । और ये वातावरण अंगूर के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है ! खास कर नासिक ( nashik grapes ) के अंगूर के लिए , नासिक को अंगूर का कैपिटल माना जाता है। तो इसका असर अंगूर के उत्पादन पर पड़ेगा । नासिक के कुछ हिस्सों में अंगूर की कटाई का काम शुरू हो चूका है , तो कहीं अंगूर की खेती अंतिम चरण में है। बढ़ते ठण्ड के कारण परिपक्व अंगूरों से पानी रिसने का खतरा रहता है। इसलिए किसान रात में ठंड बढ़ने पर अपने बगीचों में जगह जगह आग जलाते हैं, ताकि अंगूर को ठण्ड काम लगे और मणि क्रैक न हो सके। और सुबह सुबह किसान ड्रिप के जरिये अपने बग़ीचों को पानी देते है ताकि कोशिकाओं को कार्यशील रख सके। ज्यादा ठंड के चलते बोहत से किसानों के अंगूर क्रैक होने लगे है , मतलब की साल भर हर एक समस्या से जूझकर अपने अंगूर तैयार करो और बस अब बेचने का समय आया तो — आँखों के सामने क्रैक होकर बे मोल हो रहा है । और इस पर हाल फ़िलहाल किसी का बस भी नहीं है , क्योंकि ठंड को कौन ही रोख सकता है । हा पर जगह जगह हमने पाया है की किसान भाई अपने अंगूर के बाग़ों मैं आंग जलाकर गर्माहट निर्माण कर रहे है ‘ इससे थोड़ा बोहत फायदा हो जाता है । पर ठंड का असर अंगूर के मणि तो क्रैक होही रहे है ‘ साथ साथ उनकी साइज़ बढ़नी भी थम जाती है ‘ याने की जितना खर्च किया है वो भी वापस नहीं मिल पायेगा , और मेहनत का तो कोई मोल ही नहीं , दुःखद है पर सत्य है ।
Nashik strawberry Market _ नाशिक मार्किट मैं स्ट्रॉबेरी की मांग | स्ट्रॉबेरी से माला माल
नाशिक स्टॉबेरी मार्किट Nashik strawberry Market Nashik – नमस्कार किसान भाइयों – स्ट्रॉबेरी (strawberry) का फल भी आपको अच्छा मुनफा दे सकता है , अगर आप पारम्परिक खेती से हट कर कुछ नया प्रयोग करना चाहते है तो ‘ स्ट्रॉबेरी ‘ एक अच्छा और बोहत ही फायदे मंद ऑप्शन है । हाल फ़िलहाल इसकी खेती बोहत ही कम लोग कर रहे है और इसकी मांग बढ़ी जा रही है । नाशिक मार्किट मैं स्ट्रॉबेरी की मांग काफी ज्यादा है , और अवाक् बोहत ही कम। नाशिक मार्किट मैं अभी सिर्फ 1 या 2 ही गावों से कुछ 6 -7 गाड़िया आतीहै । जो कटोरी भरकर स्ट्रॉबेरी लाते है । एक कटोरी मैं लगभग 6 से 7 किलो के स्ट्रॉबेरी फल होते है , जिनको आज के तारीख मैं पर कटोरी 500 रूपये से 600 रूपये है ‘ जोकि बोहत ही अच्छा है । नाशिक मार्किट ( Nashik strawberry Market ) मैं स्ट्रॉबेरी का लिलाव शाम को 5 बजे से शुरू होकर 8 बजे तक चलता है । हमने स्ट्रॉबेरी उत्पादक किसान से बात की तब पता चला की अधिकांश स्ट्रॉबेरी उत्पादक किसान एक ही तालुका से थे – कळवण । मतलब के अभी नाशिक मार्किट मैं जो भी स्ट्रॉबेरी आ रही है वो इसी तालुके से आ रही है । स्ट्रॉबेरी की खेती ज्यादा किसान करते नहीं , जिससे मार्किट मैं ज्यादा माल आता नहीं , और तो कुछ किसानों का कंपनी के साथ टायप रहता है जिसे से वो अपना माल सीधे कंपनी को भेजते है । तो मार्किट मैं माल आता ही नहीं , तो किसान भाइयों आपक लिए ये मौका है । नाशिक मार्किट ( Nashik Vegetable market ) मैं स्ट्रॉबेरी लेने वाले व्यपारियों मैं हमेशा चढ़ा ओढ़ रहती है – ज्यादा माल लेने के लिए । पर उतना माल है ही नहीं मार्किट मैं । इसका एक और कारण ये भी है की ज्यादा तर किसान भाइयों को पता भी नहीं की स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे की जाती है । अगर आप इसकी खेती करना चाहते है तो जहा से हो सके वहा से जानकरी ले और इसे आजमा सकते है । या फिर आप हमें बतायेंगे तो हम भी आपके लिए जानकारी इक्कठा कर सकते है और आपको दे सकते है _ इसके लिए आपको निचे दिए गए कमेंट मैं जाकर बताना होगा । Strawberry in Nashik, स्ट्रॉबेरी, नासिक – Latest Price & Mandi Article By – VikramMarket.
काले गन्ने की खेती | Black Sugarcane Cultivation
काले गन्ने की खेती | Sugarcane गन्ना महाराष्ट्र में व्यापक रूप से उगाया जाता है। राज्य में कई किसान गन्ने की खेती करते हैं। गन्ना ( Sugarcane) राज्य के पश्चिमी और विदर्भ क्षेत्रों में व्यापक रूप से उगाया जाता है। पिछले साल की तुलना में इस साल राज्य में गन्ने की खेती में इजाफा हुआ है । भारत मैं बढे सत्तर पर इसकी खेती की जाती है और इसके के लिए मिल भी चाइये होती है – जो की पिछले साल राज्य में 190 चीनी मिलें शुरू हुई थीं, लेकिन इस साल राज्य में 194 चीनी मिलें शुरू हो चुकी हैं । शायद आप ने भी कभी न कभी गन्ने की फसल ली होगी , या लेते होंगे । पर क्या आपने आज तक कभी काले गन्ने के बारे मैं सुना है ? , जी है काला गन्ना जिसे आज के दिन बाजार मैं काफी मांग है । वाशिम राज्य का एक ऐसा गांव है जहां विदेशी काला गन्ना उगाया जाता है। मौजे काटा महाराष्ट्र राज्य के वाशिम शहर से 5 किमी की दूरी पर स्थित एक बढ़ा ही खूबसूरत गाँव है , जहाँ काले गन्ने की खेती की जाती है। महाराष्ट्र में यह गांव काले गन्ने की खेती के लिए बढ़ा प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र में यह गांव काले गन्ने लागवड की खेती के लिए प्रसिद्ध है। मौजे काटा गांव की खेती सिर्फ विदर्भ तक ही सिमित नहीं , बल्कि राज्य में भी काले गन्ने ( Black Sugarcane Farming ) की खेती के लिए जाना जाता है। 18वीं शताब्दी में मुंबई के निर्माता प्रसिद्ध जगन्नाथ उर्फ नाना शंकर सेठ ने विदेशों से काले गन्ने केबीज आयात किया था। नाना शंकर सेठ विशेष रूप से मॉरीशस से काले गन्ने की किस्में लाए थे। समय के साथ काटा गांव के तत्कालीन किसानों ने उसी किस्म का अधिग्रहण कर लिया और उन्होंने गन्ने की खेती शुरू कर दी। इसलिए इसे मॉरीशस गन्ना ( Mauritius black sugarcane) भी कहा जाता है। समय के साथ, क्षेत्र बढ़ता गया क्योंकि अधिक लोगों ने इसे लगाया। महाराष्ट्र के साथ-साथ मध्य प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात में भी काले गन्ने की काफी मांग है। यह काला गन्ना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है इसलिए इस काले गन्ने की कई राज्यों से भारी मांग मिल रही है। वाशिम शहर के मौजे काटा गांव में बड़ी मात्रा में काले गन्ने की खेती होती है। काटों की उपजाऊ मिट्टी में उगने वाला यह काला बेंत हजारों मेहनतकश किसानों के जीवन में सुख-समृद्धि का प्रकाश चमका रहा है। काले गन्ने की मांग ज्यादा होने से किसानों को अच्छी कीमत मिल रही है। धन्यवाद । Article By.- VikramMarket
सूरजमुखी की खेती | सुर्यफुल की खेती | Sunflower
सूरजमुखी की खेती | सुर्यफुल की खेती | Sunflower: सूरजमुखी खेती की सबसे बढ़िया बात ये है की आप इसको साल के 3 सीज़न मैं बढे अच्छे से खेती कर सकते है। sunflower farming के अनेक फायदे है – जैसे की सूरजमुखी के पौधों से आने वाले फूल और बीज को बेचकर अधिक से अधिक कमाई कर सकते है, इसी वजह से यह पिक नकदी फसल के रूप मैं जाना जाता है । आप सूरजमुखी की खेती जायद , खरीब और रबी इन तीनो मौसम मैं ले सकते है , ” किन्तु ” खरीप के मौसम मैं सूरजमुखी पर अनेक तरह तरह के कीटकों का हमला होता रहता है , इसी वजह से इसके ज्यादातर फूल छोटे रह जाते है । * सूरजमुखी (Helianthus ) खेती कैसे करे ? सूरजमुखी ( Sunflower Farming ) की खेती 1. रबी 2. खरीफ 3.जायद इन तीनो मौसम में कर सकते है। ज्यादातर जायद और रबी के मौसम को सूरजमुखी फसल के लिए योग्य माना जाता है | इस दौरान इसके पौधों में बहुत ही कम रोग देखने को मिलते है। सुर्यफुल की खेती के लिए ऐसी जमीन होनी चाहिए जिससे पानी की निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। ज्यादा तर इसके खेती के लिए कोई भी मिटटी चल जाती है , लेकिन दोमट भूमि सर्वोतम मानी जाती है । sunflower की खेती करने के लिए पहले जमीन को अच्छे से 2_ 3 बार जोत लेना चाहिए। इससे मिटटी अच्छी हो जाती है सूरजमुखी को उगने के लिए। सूरजमुखी की फसल लेने से पहले तापमान का भी ध्यान रखना पड़ता है, सूरजमुखी बीजों की रोपाई के समय पर खास कर 15 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, क्योकि अधिक तापमान होने से इसके बीजों का अच्छे से अंकुरण नहीं हो पाते है | पौधों की वृद्धि के दौरान सामान्य तापमान तथा फूलो को पकने के लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है | * फायदे सूरजमुखी के फूलों और बीजों में बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं। यह दिल को स्वस्थ रखता है । कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से भी बचाता है। इससे लीवर भी सही रहता है। इसके सेवन से ऑस्टियोपरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारी में भी बचाव होता है। सूरजमुखी के हमारी स्किन निखरती है, और तो हमारे सर के बाल भी अधिक मजबूत होते हैं। * मुनाफा / सूरजमुखी का भाव 2022 सुरजमुखी का बाज़ारी भाव 4,000 रूपए प्रति क्विंटल होता है | sunflower के पौधों को तैयार होने में लगभग 90 दिन का समय लग जाता है | बाद मैं सूरजमुखी के फूलो की तुड़ाई कर ली जाती है | फूलो की तुड़ाई के बाद उन्हें एकत्रित कर छायादार जगह पर सुखा लिया जाता है | सुखाने के बाद मशीन द्वारा सूरजमुखी के फूलो से बीज को निकाला जाता है | Article By. – VikramMarket सभी मार्किट भाव Home Onion Price : सस्ता और मेहेंगा प्याज किस देश मैं है Peru ki kheti: अमरूद की खेती कैसे करे PM: 2 सरकारी योजना, होगा पैसों का लाभ डेयरी फार्मिंग [ शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी ] डेयरी फार्म बिज़नेस | Dairy farming
मिल्किंग मशीन की जानकारी_ Milking machine | Dairy farming
नमस्कार किसान भाइयों – आज हम आपको जानकारी देने जा रहे मिल्किंग मशीन ( milking machine) के बारे मैं । हम इंसान सदियों से हात से ही दूध निकलते आरहे है , इस क्रिया मैं शारीरिक श्रम ज्यादा लगता है । एक या दो गाय है तो आप आसानी से दूध निकल सकते है किन्तु अगर आप पशुपालन ( Dairy Farmer) करते है तो आपके लिए ये काम बढ़ा ही मुश्किल हो जाता है , साथ समय और मनुष्य बल भी अधिक लगते है । इससे बचने के लिए ही मिल्किंग मशीन की रचना की गयी है , ये दौर आधुनिक यंत्र और टेक्नोलॉजी का है । इसी की बदोलत हम आज दूध निकलने वाला मशीन देख सकते है , मिल्किंग मशीन की शुरुआत डेनमार्क और नीदरलैंड से हुई, लेकिन आज यह तकनीक दुनियाभर में अपनाई जा रही है. पर इस मशीन के बारे मैं भारत वासियों को ज्यादा जानकारी नहीं है – इस कारण से ही हम आज इसका इस्तमाल , इसके फायदे और इसकी कीमत के बारे मैं तपशील से जानेंगे । मिल्किंग मशीने के फायदे मिल्किंग मशीन से दूध निकालना काफी आसान होता है, साथ ही दूध का उत्पादन लगभग 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है । इस मशीन से दूध निकलना काफी आसान होता है , और इससे समय भी बच जाता है । मिल्किंग मशीन के इस्तमाल से पशुओं के थनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, इस मशीन से थनों की मालिश भी होती है और तो साथ ही दूध की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है दूध में कोई गंदगी भी नहीं आती है। मिल्किंग मशीन के जरिये दूध की मात्रा 10 से 15 फीसदी तक भी बढ़ सकती है । मशीन मिल्किंग के द्वारा हम 1.5 से 2.0 लीटर तक दूध प्रति मिनट दूध निकला जा सकता है. इन बातों का ध्यान रखे मिल्किंग मशीन इस्तमाल के बाद समय समय पर उसकी सफाई करते रहने चाइये अच्छा होगा की आप इसका इस्तमाल पशुओं के पहले ब्यांत से ही करना शुरू करदेना चाइये , ताकि उन्हें इसकी आदत पड़ जाये । दूध निकलते समय दूध आना बंद हो जाने के बाद जल्द ही मशीन निकल देना चाइये । milking मशीन कीमत सिंगल बकेट मशीन – 27,000 – 50,000 डबल बकेट मशीन – 35,000 – 65,000 ट्राली टाइप सिंगल – 65,000 – 105,000 समय के साथ इनके कीमते बदलती रहती है । और अलग अलग कंपनियों के भी कीमते अलग है । Article by- VikramMarket.
तुलसी की खेती | तुलसी | Holy Basil
तुलसी की खेती Holy Basil: तुलसी का उपयोग कई घरेलू उपचारों के साथ-साथ आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी और एलोपैथी में भी किया जाता है। तुलसी की जड़ें, पत्ते, तना सभी गुणकारी होते हैं। तुलसी का उपयोग कोरोना महामारी में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का पौधा लगभग सभी घरों में होता है. हिंदू धर्म को मानने वाले लोग इसकी पूजा भी करते हैं. लेकिन अगर आप चाहें तो इसकी खेती करके भारी मुनाफ़ा कमा सकते हैं. तुलसी की कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स के साथ ही दवाई बनाने वाली सभी कंपनियों को जरूरत होती है. तो आप तुलसी के बिजनेस से काफी पैसा कमा सकते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि इस व्यवसाय को कैसे शुरू किया जाए। तुलसी की खास किस्मे 1. बेसिल तुलसी या फ्रेंच बेसिल स्वीट फेंच बेसिल या बोबई तुलसी कर्पूर तुलसी काली तुलसी वन तुलसी या राम तुलसी जंगली तुलसी होली बेसिल श्री तुलसी या श्यामा तुलसी खेती कब करी जाती है तुलसी लगाने का सबसे अच्छा समय जुलाई है। तुलसी को 45 x 45 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए। यदि आप तुलसी की आरआरएलओसी 12 और आरआरएलओसी 14 किस्में लगा रहे हैं, तो उन्हें 50 X 50 सेमी की दूरी पर लगाया जाना चाहिए। इससे उनका विकास बेहतर होता है। रोपण के बाद उन्हें थोड़ा पानी पिलाया जाना चाहिए। सप्ताह में कम से कम एक बार पानी दें। कटाई से 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। कितनी आती है लागत अगर आप 1 बीघा जमीन पर खेती करते हैं तो 1 किलो बीज की जरूरत पड़ेगी. इसकी बाजार में कीमत तक़रीबन 15 सौ रुपए होगी. 3 से 5 हजार रुपए की खाद लगेगी. सिंचाई का इंतजाम करना होगा. एक सीजन में 2 क्विंटल तक फसल की पैदावार होती है. मंडी में 30 से 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव तक तुलसी के बीज बिक जाते हैं. अगर आप इस बिजनेस को छोटे स्तर पर शुरू करना चाहते हैं तो आप तुलसी के पौधे की नर्सरी शुरू कर सकते हैं। तुलसी को आप छत पर या यार्ड में भी लगा सकते हैं। यह सब आप सिर्फ 5,000 रुपये में कर सकते हैं। अगर आप थोड़ा और पैसा लगा सकते हैं तो 15,000 रुपये में खेती भी कर सकते हैं। आप जमीन किराए पर ले सकते हैं या अनुबंध के आधार पर प्राप्त कर सकते हैं। इसमें ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है। कोई अन्य खर्च नहीं हैं। कैसे बेचें फसल आप मंडी एजेंट्स के जरिए अपना माल बेच सकते हैं. सीधे मंडी में जाकर भी खरीददारों से संपर्क कर सकते हैं. कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग करवाने वाली दवा कंपनियों या एजेंसियों के जरिए खेती कर उन्हें ही अपना माल बेच सकते हैं.तुलसी का तेल न केवल प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है बल्कि रोगों से लड़ने में भी मदद करता है। यह इंफेक्शन से भी बचाता है। तो आप भी तुलसी के पौधे से तेल निकाल कर बेच सकते हैं। इसके लिए समय पर कटाई की आवश्यकता होती है। कटाई उसी समय करनी चाहिए जब पौधे फूलने लगते हैं। इससे पौधों को नई शाखाएं बनाने और अधिक तेल निकालने की सहायता मिलेगी। Article By.- VikramMarket. भिन्डी की खेती | Bhindi ki kheti | Okra
भिन्डी की खेती | Bhindi ki kheti | Okra
भिन्डी की खेती | Bhindi ki kheti | Okra Bhindi ki खेती: हम हरि सब्जी की बात करे तो बाजार में भिन्डी की माग अधिक रहती है क्यो की इसे लोग ज्यादा पसंद करते है इसलिए इस खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है । भिंडी एक उत्कृष्ट फल और सब्जी की फसल है भिंडी का फल कैल्शियम और आयोडीन से भरपूर होता है। महाराष्ट्र में भिंडी के तहत 8190 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की जाती है। भिंडी की कटाई साल भर की जाती है। भिंडी एक लोकप्रिय सब्जी है। सब्जियों में भिंडी का प्रमुख स्थान है जिसे लोग लेडीज फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते हैं। खेती और हवामान भिंडी को हल्की से मध्यम और भारी मिट्टी में उगाया जा सकता है। लेकिन पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए। हालांकि भिंडी को साल भर उगाया जाता है, लेकिन यह खरीफ और गर्मी के मौसम में अच्छा करता है। फसल 20 से 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पनपती है। पानी की कमी के कारण भिंडी की पैदावार अन्य सब्जियों से बेहतर होती है। गर्मियों में जब सब्जियों की कमी हो जाती है तो बाजार में भिंडी की काफी मांग रहती है। भिंडी के लिये दीर्घ अवधि का गर्म व नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। बीज उगने के लिये 27-30 डिग्री सेग्रे तापमान उपयुक्त होता है तथा 17 डिग्री सें.ग्रे से कम पर बीज अंकुरित नहीं होता। यह फसल ग्रीष्म तथा खरीफ, दोनों ही ऋतुओं में उगाई जाती है। भिंडी को उत्तम जल निकास वाली सभी तरह की भूमियों में उगाया जा सकता है। भूमि का पी0 एच मान 7.0 से 7.8 होना उपयुक्त रहता है। भूमि की दो-तीन बार जुताई कर भुरभुरी कर तथा पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए। पूर्व-खेती और रोपण भूमि में एक हल और दो जोतने वाले और तीसरी खुदाई 50 गाड़ियाँ प्रति हेक्टेयर खाद से की जानी चाहिए। खरीफ के मौसम में बुवाई के लिए दो पंक्तियों के बीच की दूरी 60 सेमी होनी चाहिए। और गर्मी में 45 सें.मी. बीज को एक पंक्ति में दो पेड़ों के बीच 30 सेमी की दूरी के साथ बोया जाना चाहिए प्रत्येक स्थान पर दो बीज बोए जाने चाहिए। गर्मियों में वरम्बा के पेट में बीज बोना चाहिए। बुवाई के बाद खेत में बोने के बाद। निंदाई तथा गुडाई भिंडी की फसल में निराई तथा गुडाई बहुत जरुरी है | इससे खेत में खरपतवार नहीं होते हैं तथा उर्वरक देने में आसानी होता है | बुवाई के 15 से 20 दिन बाद प्रथम निंदाई – गुडाई करना चाहिए | कोशिश करें की खरपतवार के लिए कीटनाशक का प्रयोग नहीं करे | अगर कीटनाशक का प्रयोग करते हैं तो फ्ल्यूक्ल्रेलिन की 1.0 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व मात्रा को प्रति हैक्टेयर की दर से पर्याप्त नाम खेत में बीज बोने के पूर्व मिलाने से प्रभावी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है उर्वरक और जल प्रबंधन ( खत ) बुवाई के समय 50-50-50 किग्रा०/हेक्टेयर नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटाश मिट्टी में मिलाना चाहिए तथा नाइट्रोजन की दूसरी किश्त 50 किग्रा/हेक्टेयर की दर से बुवाई के एक माह की अवधि तक देना चाहिए। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें। उसके बाद 5 से 7 दिनों के अंतराल पर पानी देना चाहिए। कीट से पौधों की बचाव प्ररोह एवं फल छेदक :- इसकी लक्ष्ण यह है की इस कीट का प्रकोप वर्षा ऋतु में अधिक होता है। प्रारंभिक अवस्था में इल्ली कोमल तने में छेद करती है जिससे तना सूख जाता है। फूलों पर इसके आक्रमण से फल लगने के पूर्व फूल गिर जाते है। फल लगने पर इल्ली छेदकर उनको खाती है जिससे फल मुड जाते हैं एवं खाने योग्य नहीं रहते है | रोकथाम :- रोकथाम हेतु क्विनॉलफॉस 25 प्रतिशत ई.सी., क्लोरपाइरोफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. अथवा प्रोफेनफॉस 50 प्रतिशत ई.सी. की 2.5 मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी के मान से छिडकाव करें तथा आवयकतानुसार छिडकाव को दोहराएं | हरा तेला, मोयला एवं सफेद मक्खी:- इस कीट का लक्षण यह है की ये सूक्ष्म आकार के कीट पत्तियों, कोमल तने एवं फल से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते है | रोकथाम :- रोकथाम हेतु आक्सी मिथाइल डेमेटान 25 प्रतिशत ई.सी. अथवा डाइमिथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. की 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में अथवा इमिडाइक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. अथवा एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एस. पी. की 5 मिली./ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें एवं आवश्यकतानुसार छिडकाव को दोहराए । रेड स्पाइडर माइट यह माइट पौधे की पत्तियों की निचली सतह पर भारी संख्या में कॉलोनी बनाकर रहता हैं। यह अपने मुखांग से पत्तियों की कोशिकाओं में छिद्र करता हैं । इसके फलस्वरुप जो द्रव निकलता है उसे माइट चूसता हैं। क्षतिग्रस्त पत्तियां पीली पडकर टेढ़ी मेढ़ी हो जाती हैं। अधिक प्रकोप हो ने पर संपूर्ण पौधे सूख कर नष्ट हो जाता हैं। रोकथाम :- इसकी रोकथाम हेतु डाइकोफॉल 18.5 ई. सी. की 2.0 मिली मात्रा प्रति लीटर अथवा घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें एवं आवश्यकतानुसार छिडकाव को दोहराए । भेंडी की कुछ किस्मे कस्तूरी भिंडी की खेती/ kasturi bhindi ki kheti कस्तूरी भिंडी वनों ओर जगलो में पाई जाती है अरब देसो में कस्तूरी भिंडी की सबसे ज्यादा मांग रहती है कस्तूरी भिंडी सुगधित होने के कारण इत्र जगत में प्रचलित है इनके पुष्प पिले रग के पखुडियो के बीच हल्का बैगनी रग अत्यंत आकर्षक लगता है इसकी बुवाई आम भिन्डी की तरह की जाती है वह बुवाई के तुंरत बाद सिचाईं की जरूरत पड़ती है अधिक पैदावार के लिए महीने में 2 बार सिचाईं करनी आवश्यक है इसकी खेती करने में 5000 स्व 6000 तक खर्चा आता है वह औसत पैदावार 40000 स्व 45000 तक हो जाती है उसकी मांग ज्यादातर ओषधिय मार्केट तथा इत्र निर्माताओं में निरतंर बढ़ती जा रही हैं कस्तूरी भिंडी में रोग नियंत्रण ज्यादातर वर्षा काल के बाद तने काटने वाले किटो का प्रकोप बढ़ता है जो ऊपर से मुह को काट देता है वर्षा के बाद पोधे गलने लग जाते हैं इसकी रोकथाम के लिए इफको का EGAO किट नियंत्रण ओर KAGUYA गलने से बचने में प्रयोग किया जाता है लाल भिंडी की खेती/ lal bhindi ki kheti लाल रंग की भिन्डी पोषक
बिना मिट्टी की खेती कैसे करे ? Hydroponic Farming
बिना मिट्टी की खेती इसके लिए जो टर्म इस्तेमाल होती है, वो है हाइड्रोपोनिक फार्मिंग. हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जो दो शब्दों के मेल से बना है- हाइड्रो यानी पानी और पोनोज यानी लेबर. ये मिलकर एक नया शब्द बनता है, जिसका मतलब है बिना मिट्टी के. यानी वो तकनीक, जिसमें मिट्टी के बगैर ही केवल पानी की मदद से पौधे उगाए जा सकते हैं हाइड्रोपोनिक्स कहलाती है. इसमें पौधों के बढ़ने की रफ्तार मिट्टी वाले पौधों से 30-50 प्रतिशत तक तेज होती है. यानी अगर टमाटर की कोई बेल लगभग दो महीने लेती है, तो इस खेती में वो 3 हफ्ते में ही उगने लगेगी. शुरवात हाइड्रोपोनिक या मिट्टी के बगैर खेती की ये तकनीक आज से नहीं, बल्कि सैकड़ों सालों से अपनाई जाती रही. ग्रीन एंड वाइब्रेट वेबसाइट के मुताबिक 600 ईसा पूर्व भी बेबीलोन में हैंगिंग गार्डन (Hanging Gardens of Babylon) मिलते थे, जिसमें मिट्टी के बिना ही पौधे लगाए जाते थे. 1200 सदी के अंत में मार्को पोलो ने चीन की यात्रा के दौरान वहां पानी में होने वाली खेती देखी, जो इसका बेस्ट उदाहरण हैं। बाद से सालों में, खासकर 1950 के बाद, जब दूसरे विश्व युद्ध के बाद देश उथल-पुथल से गुजर रहे थे, तब इस तकनीक को बढ़ावा मिला. फ्रांस, स्पेन, इटली, इंग्लैंड, जर्मनी जैसे यूरोपियन देशों के अलावा रूस और इजरायल ने भी हाइड्रोपोनिक फार्मिंग को बढ़ावा दिया. मिट्टी का उपयोग किए बिना कृषि उपज प्राप्त की जा सकती है। इसे मिट्टी के बिना कृषि कहा जाता है। अंग्रेजी में भी इसे हाइड्रोपोनिक्स कहते हैं। पेड़ को जीवित रहने के लिए मिट्टी की नहीं, तत्वों की जरूरत होती है। और उस तत्व को पेड़ को दूसरे माध्यम से भी दिया जा सकता है। इस प्रकार भी पेड़ जीवित रहता है और फल और फूल देता है। खेती की इस पद्धति का लाभ यह है कि इसमें अधिक मिट्टी या स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। इस विधि का उपयोग करके आप अपनी छत पर यार्ड में या दीवार पर भी सब्जियां उगा सकते हैं। बिना मिट्टी के खेती की विधि सरल और सस्ती है और इससे उगाई जाने वाली फसलें जैसे पालक, टमाटर, मेथी आदि स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं। चूंकि इस विधि में किसी भी रासायनिक औषधि का उपयोग नहीं किया गया था, इसलिए इस विधि से उगाई जाने वाली फसलें स्वाथ्य के लिए अच्छी होती है । बढ़ती जनसंख्या, कृषि में कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से दूषित भूमि तथा भूमि की कमी के कारण इस पद्धति को यथाशीघ्र अपनाया जाना चाहिए। एक विशेषता यह है कि हम बंजर भूमि पर भी फसलें उगा सकते हैं। इसका एक और फायदा यह है कि पौधे की हाइट कम होती है और इसमें फल और फूल जल्दी लगते हैं। हाइड्रोपोनिक दो प्रकार के होते हैं 1} सक्रिय विधि ( Active method) इस विधि में पानी की सहायता से फसल उगाई जाती है। इसका मतलब है कि इसमें पानी के निरंतर पुनर्चक्रण की विधि दोराई जाती है ,ये सक्रिय में आती जाती है। 2} निष्क्रिय विधि (Passive method) इस विधि में हाइड्रोस्टोन और कोको पीट का उपयोग करके फसल उगाई जाती है। दोनों ही मामलों में एक पूर्ण पाचन तंत्र होता है। फायदा देखा गया है कि इस तकनीक से पौधे मिट्टी में लगे पौधों की अपेक्षा 20-30% बेहतर तरीके से बढ़ते हैं. इसकी वजह ये है कि पानी से पौधों को सीधे-सीधे पोषण मिट्टी जाता है और उसे मिट्टी में इसके लिए संघर्ष नहीं करना होता. साथ ही मिट्टी में पैदा होने वाले खतपतवार से भी इसे नुकसान नहीं हो पाता है। VikramMarket.
गेंदे की खेती_Marigold Farming
गेंदा | झेंडू लागवड | Marigold फार्मिंग गेंदा राज्य ही नहीं पूरे देश में एक महत्वपूर्ण फूल है। इन फूलों का व्यापक रूप से माला और सजावट के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, इसे विभिन्न फूलों की व्यवस्था में, सड़क के किनारे के बगीचों में, साथ ही गमलों में लगाया जाता है। गेंदा राज्य में तीनों मौसमों में उगाया जाता है और इसकी उच्च मांग है। गेंदा मुख्य रूप से छुट्टियों के फूलों के लिए उपयोग किया जाता है। गेंदा फूल की पंखुड़ियों से कैरोटीनॉयड रसायन पैदा करता है। ये चिकन फ़ीड में जोड़े जाते हैं, इस प्रकार अंडे की जर्दी की गुणवत्ता में सुधार होता है। इस रंगद्रव्य में ल्यूटिन नामक रसायन होता है। इसका उपयोग प्राकृतिक रंगद्रव्य के रूप में भोजन के साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है। इन पदार्थों का उपयोग कैंसर के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवा में किया जाता है। सब्जियों और फलों में नेमाटोड नियंत्रण के लिए गेंदा का उपयोग किया जाता है। भूमि और जलवायु गेंदा मुख्य रूप से ठंडी जलवायु वाली फसल है। ठंडे मौसम में गेंदे की वृद्धि और फूलों की गुणवत्ता अच्छी होती है। जलवायु परिस्थितियों के आधार पर गेंदा मानसून, सर्दी और गर्मी तीनों मौसमों में उगाया जाता है। फरवरी के पहले सप्ताह के बाद और जुलाई के पहले सप्ताह से पहले अफ्रीकी गेंदा लगाने से उपज और फूलों की गुणवत्ता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए जुलाई के पहले सप्ताह से 15 दिनों के अंतराल पर लगाने से अक्टूबर से अप्रैल तक अच्छी उपज प्राप्त होती है। लेकिन सबसे ज्यादा पैदावार सितंबर में लगाए गए गेंदे से होती है। गेंदा को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। उपजाऊ, जल धारण करने वाली लेकिन अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी ज़ेंडू के लिए अच्छी होती है। गेंदा 7.0 से 7.6 के सतह क्षेत्र वाली मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है। गेंदे की फसल को धूप की बहुत जरूरत होती है। पेड़ छाया में अच्छे से बढ़ते हैं लेकिन फूल नहीं आते। जाति ए) अफ्रीकी गेंदा: इस प्रकार की गेंदा झाड़ी लंबी होती है। झाड़ी कांटेदार है। बरसात के मौसम में झाड़ियाँ 100 से 150 सेकंड। मैं तक बढ़ो। फूल पीले, हल्के पीले, नारंगी रंग के होते हैं। इन प्रकारों में निम्नलिखित प्रजातियां शामिल हैं। जाइंट डबल, अफ्रीकन येलो, ऑरेंज, अर्ली येलो, अर्ली ऑरेंज, गुयाना गोल्ड, क्रैकर जैक, ऑरेंज ट्रेसेंट, बैंगलोर लोकल, डिश सनशाइन, अफ्रीकन टोल डबल, मिक्स्ड, येलो सुप्रीम, हवाई, स्पैन गोल्ड, अलास्का, आदि। बी) फ्रेंच गेंदा: इस प्रकार की गेंदा झाड़ियाँ ऊँचाई में छोटी होती हैं और झाड़ियों की तरह बढ़ती हैं। झाड़ियाँ 30 से 40 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। मैं है। फूल छोटे से मध्यम आकार के होते हैं और इनमें कई रंग के फूल होते हैं। इस प्रकार की किस्म को सड़क के दोनों ओर गमलों, बगीचों में लगाया जाता है, साथ ही फूलों के कालीन बनाने के लिए, हरे किनारों को सुशोभित करने के लिए लगाया जाता है। इस प्रकार में निम्नलिखित प्रजातियां शामिल हैं। येलो बॉय, हार्मनी बॉय, लिटिल डेविल, बाइकलर, बटर स्कॉच, स्प्रे, लेमन ड्वार्फ येलो, रेड मारिता, हार्मनी, रॉयल बंगाल, क्वीन, सोफिया आदि। उन्नत और संकर किस्में पूसा नारंगी, (क्रैकर जैक अगर गोल्डन जुबली): – यह किस्म रोपण के 123-136 दिन बाद फूलती है। झाड़ी 73 सेकंड। मैं लंबा होता है और विकास भी जोरदार होता है। फूल नारंगी रंग के और 7 से 8 सेकंड। मैं व्यास के हैं। हेक्टेयर उत्पादन 35 मी. टन/हेक्टेयर। पूसा बसंती (गोल्डन येलो जारसन जायंट):- यह किस्म 135 से 145 दिनों में फूल जाती है। झाड़ी 59 सेकंड। मैं लंबा और जोरदार बढ़ता है। फूल पीले रंग के और 6 से 9 सेमी. मैं व्यास के हैं। प्रत्येक झाड़ी औसतन 58 फूल पैदा करती है। यह किस्म गमले में लगाने के लिए अधिक उपयुक्त है। म। डी U.1:- झाड़ियाँ मध्यम ऊँचाई की होती हैं। 65 सेमी ऊँचा। मैं तक बढ़ जाता है। झाड़ी में औसतन 97 फूल होते हैं और यह 41 से 45 मई तक बढ़ता है। यह प्रति टन प्रति हेक्टेयर उपज है। फूल नारंगी रंग के और 7 सेमी. मैं व्यास के हैं। रोपण पूर्व तैयारी रोपण से पहले भूमि को 2 से 3 गुना गहरी जुताई करें, 2 से 3 बार जोतें और भूसी और टर्फ को हटा दें। फिर प्रति हेक्टेयर 25 से 30 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद मिलाकर 50 किग्रा एन, 200 किग्रा डालें। फॉस्फोरस और 200 किलो पोटाश को बोने से पहले मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। और फिर 60 सेकंड। मैं थोड़ी दूरी पर साड़ी का वरम्बा तैयार कर लें और फिर साड़ी के नथुने तोड़कर सबूत की सुविधानुसार पानी को वाष्पित होने दें. रोपण गेंदा रोपते समय 60 से. मैं साड़ी के बीच में 30 सेमी की दूरी पर ली गई है। मैं दो पौधों के बीच की दूरी बनाकर रोपण करना चाहिए। 60 x 30 एस। मैं यदि दूरी पर लगाया जाए तो प्रति हेक्टेयर 40,000 पौधे लगते हैं। रोपण भरपूर पानी में और शाम 4 बजे के बाद करना चाहिए। यानी पौधे मरते नहीं हैं। अंतर – फसल पहली निराई बुवाई के 15 दिन बाद करनी चाहिए। उस समय नाइट्रोजन उर्वरक की दूसरी खुराक 50 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए। लगाए गए वरम्बा को तोड़कर दूसरे वरम्बा पर मिट्टी लगाकर बीच में पेड़ लगा लें वहीं, पौधे की चोटी काटने का मतलब है कि गेंदा का पौधा खूब अंकुरित होता है और उपज अच्छी होती है। नर्सरी नर्सरी से पहले 3 x 1 मी. इस आकार का और 20 सेकंड। मैं ऊँचे कद के 20 गद्दे बना लें। 19:19:19 की 50 ग्राम (रासायनिक खाद) और प्रत्येक वफ़ल में 8 से 10 किलो छना हुआ खाद डालें। इसमें 5 ग्राम प्रति वर्गमीटर होता है। मैं इस तरह फेरेट मिलाएं। 10 सेकंड मैं कुदाल की सहायता से दक्षिण-उत्तर रेखाओं से 0.5 सेमी की दूरी पर। मैं दोनों बीजों के बीच 1 इंच का फासला रख कर बीज बोयें। बीज को 2: 1:1 दरदरी मिट्टी, खाद और बालू के मिश्रण से ढक दें। हर सुबह और शाम उस पर पानी छिड़कें और इसे गद्देदार पैड, घास गीली घास या पत्तियों से तब तक ढक दें जब तक कि बीज अंकुरित न हो जाएं। वापसी की स्थिति में भाप को हमेशा नम रखना चाहिए। बहुत अधिक पानी या बहुत कम पानी न दें। रोपाई तैयार होने के बाद, उन्हें जड़ों के साथ हटा दिया जाना चाहिए। जब भाप वापसी की अवस्था में हो तो बीज को हटा देना चाहिए। पानी यदि गेंदा मौसम में उगाया जाता है, तो बारिश के तनाव की स्थिति में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर 1-2 बार पानी दें। सर्दी के मौसम के लिए 8 से 10 दिनों के अंतराल पर
करेले की खेती कैसे करे | Cultivate Bitter Gourd | कारले
करेले की खेती कैसे करे | Cultivate Bitter Gourd | कारले करेला सब्जी की खेती भारत मैं बोहत ही कम होती है , पर करेला सब्जी की मांग बोहत ज्यादा होती है। क्यों की हाल फ़िलहाल भारत मैं और पूरी दनिया मैं जो बिमारियों का सलिसिला शुरू है , उसे रोखने के लिए हमें जितना हो सके उतना पोस्टिक और अच्छी सब्जी का उपयोग हमारे खाने मै करना चाइये । जिसकी वजह से हमारे शरीर मैं इम्युनिटी पावर बढ़ सके , और इम्युनिटी बढ़ने मैं करेला बोहत मदत करता है, इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज ” ए ” और ” सी ” होते हैं। करेला सब्जी को साल भर मार्किट मैं अच्छा भाव होता है , इसलिए इसकी खेती आपको अच्छा मुनाफा करवा सकती है, तो चलिए जानलेते है की करेले की खेती कैसे की जाती है । ये खेती करने वाले किसान बालासाहेब शिंदे – नासिक ( महाराष्ट्र ) के रहने वाले है , वो पिछले 2 सालों से करेले की खेती बोहत ही उन्नत तरीके से कर रहे है । तो चलिए जान लेते है की वो किस तकनीक के साथ इसकी खेती करते है । खेत की जुताई / मौसम करेला खेती की सबसे महत्पूर्ण बात है की यह खेती हर एक जमीन ,उस जगह के मौसम पर निर्भर होती है। पहले खेत की अच्छी से जुताई करले , उसके बाद रोटरी मशीने के सहारे वो मिटटी को नम ( बारीक़ ) कर लेते है , ताकि जब मल्चिंग पेपर लगाने मैं कोई परेशानी न हो । कब लगाते है उनका कहना है की उनके भाग मैं मौसम के चलते वे ‘में ‘महीने के आखरी हफ्ते से लेकर जून महीने के 15 तारीख के बिच लगाना उचित समझते है। तब बारिश भी शुरू होती है और बारिश मैं करेला अच्छे से बढ़ता है । बीज / वैरायटी नासिक साइट मैं प्रमुखता आर्यन , निकिता , अमनश्री इस तरह के वैरायटी वे लगाते है । उनका कहना है की सभी वैरायटी अच्छी होती है , बशर्ते वो मौसम और जगह से चुने । और वे सिर्फ एक ही बीज पे अड़े नहीं रहते उनको कोई अच्छे वैरायटी के बारे मैं पता चले तो वे अवश्य उसमें रूचि लेते है। इस साल उन्होंने निकिता F1 वैरायटी का बीज लगाया है । कैसे लगाए करेले दो प्रकार से लगाया जाता है , 1) मंडप पद्धत 2) नालिया पद्धत ( सरि पद्धत ) शिंदे – मंडप पद्धत से लगाते है – अच्छेसे खेत की मशागत करने के बाद ट्रेक्टर से 6 फुट से 9 फुट का मिटटी के बेड तैयार केर लेते है , मिटटी के बेड तैयार करने के बाद उसके ऊपर गोबर खत ( शेणखत ) एक एकर के हिसाब से 2 ट्रॉली डालते है , साथ मैं हो बेनसल डोस भी डाला जाता है वो एकरी 60 किलो डाला जाता है । उसके बाद मिटटी के बनाये बेड पर पानी के लिए ड्रिप किया जाता है । उर्वरक ( खत ) और ड्रिप करने के बाद मिटटी के बेड पर मल्चिंग पेपर डाला जाता है । उसके बाद 2 दिनों तक उस बेड को सिर्फ पानी से बिघने देते है। करेले का बीज भी लगा सकते है और नर्सरी से लाया पौधा भी , पर इनका मानना है की बीज लगाने से जो व्हायरस का देखा काफी हैट तक टल जाता है , बीज लगाते वक्त सबसे जरुरी बात यह है की उसको मिटटी मैं सिर्फ 1 से 1.50 इंच मिटी मैं बोए, अन्यथा अधिक निचे बोने की वजह से बीज को देरी या फिर न उगने का खतरा बढ़ जाता है । बीज कब तक उगता है अगर आपने अचे से बीज को लगाया हो तो बीज 4 – 5 दिन मैं उगने लगता है , इसमें थोड़ी देर भी हो सगती है , ये भूमि पर निर्भर करता है और हां आपके बोने पर भी अगर आपने बीज को उलटी दिशा से बोया हो तो , वो बीज बेकार हो जाएगा। फल लगना कब शुरू होता है मंडप पद्धत मैं 2 महीने तो लग ही जाते है , शुरू मैं आपको अच्छा करेला लगे न दिखे तो परेशां मत होना शुरुवात मैं कम ही करेला निकालता है , पर समय के साथ इसका उत्पादन बढ़ता चला जाता है । कब तक चलता है अगर आप अच्छेसे इसका रखेंगे तो ये आपको लगातार 3 महीनों तक आपको अच्छा उत्पादन दे सकता है । समय समय पर उर्वरक ( खत ) और खाद देते रहे तो आपको इससे बोहत अच्छा मुनाफा कमा कर दे सकता है ये सब्जी । किटको / वायरस का रोकथाम करेले के ऊपर सबसे पहला जो हमला करता है वो है फल कीड़ा ( फळ माशी ) , वो बोहत ही विषारी होती है – फल कीड़ा सिर्फ फल को अपनी सूंड से काटता है और वो फल पीला पड़ जाता है । उपाय -: उसके ऊपर टॅब यह औषद बोहत अच्छा असरदार है । बाद मैं आते है भूरी और डाउनी इसका उपाय आप अपने खेती तज्ञ् से पूछे। इसमें आप औषद के तोर पर गोमूत्र का इस्तेमाल अवश्य करे , इसका असर फल के आने वाले फूल पर और पत्ती पर अच्छा होगा । आदि इत्यादी कितना माल निकलेगा एक एकर से अंदाजा लगाए तो आपको 130 क्विंटल टन माल निकाल सकते है , तभी जब आप उसका पूरा दयँ रखे । फायदा अगर माल अच्छा हो और मार्किट मैं करेले को अच्छे मांग हो तो आपको एकरी 5 से 6 लाख का फायदा हो सकता है , शायद ज्यादा भी ये आपकी मेहनत और मार्किट के भाव पर निर्भर करती है । Note- ऊपर दी गयी जानकारी उस किसान उस भाग के हिसाब से है । किसान – बालासाहेब शिंदे By – VikramMarket.
जैविक खेती | केंचुवों की सहायता से मिटटी को कैसे अच्छे बनाये | organic farming
प्रस्तावना – जैविक खेती की समज और केंचुवों की सहायता से मिटटी को कैसे अच्छे बना सकते है आज के समय मैं जैविक खेती के महत्व को सभी जानते है , पर जैविक खेती कोई नहीं करना चाहता , और जैविक खेती करना ही आने वाली पीढ़ी को वरदान होगा , अन्यथा रासायनिक खेती उनके लिए शाप बनकर रेहजाएगी, और वो हमें कोसेंगी । ऐसा नहीं की जैविक खेती कोई करता ही नहीं – जैविक खेती बोहत सारे किसान भाई करते है । और कुछ करना चाहते है , पर उनके पास ज्यादा जानकारी नहीं होती । तो आज इसी जैविक खेती और केंचुवों की सहायता से मिटटी को कैसे अच्छे बना सकते है ये जानेंगे । जैविक खेती जैविक खेती ही भारत और मनुष्य की शुरवाती कड़ी रही है जो उसे अपना पेट भरने मैं मदद करती आ रही है । शुरवात से ही भारतवासी खेती पर ही अपना प्रपंच चलता आरहा है , पर समय की परत पर धन की चाहत ने इसे दूषित कर दिया । कहते है की जैविक खेती की यह परम्परागत खेती आजादी तक भारत में की जाती रही है। बाद जनसख्याँ विस्फोट कारण देश में उत्पादन बढ़ाने का दबाव बना जिसके कारण देश रासयनिक खेती की और अग्रसर हुआ और अब इसके बुरे परिणाम सामने आने लगे है । जैसे उम्र से पहले बूढ़े दिखना , 60 – 70 की आयु मैं ही मृत्यु होना । बच्चों की हाइट न बढ़ना , तरह तरह के रोग – बीमारिया होना । ये सब इसी की देन है । रासायनिक खेती हानिकारक के साथ-साथ बहुत महंगी भी पढ़ती है जिससे फसल उत्पादन के दाम बढ़ जाते हैं इसके लिए अब देश दोबारा से जैविक खेती की और अग्रसर हो रहा है क्योंकि जैविक खेती कृषि पद्धति रसायनिक कृषि की अपेक्षा सस्ती, स्वावलम्बी व स्थाई है। केंचुआ और मिटटी का रिश्ता हम सभी अच्छी तरह जानते हैं कि भूमि में पाये जाने वाले केंचुए मनुष्य के लिए बहुपयोगी होते हैं | भूमि में पाये जाने वाले केंचुए खेत में पढ़े हुए पेड़-पौधों के अवशेष एवं कार्बनिक पदार्थों को खा कर छोटी-छोटे गोलियों के रूप में परिवर्तित कर देते हैं जो पौधों के लिए देशी खाद का काम करती है | इस केंचुए से छोटे से स्थान में 2 माह में कई हैक्टेयर के लिए खाद तैयार किया जा सकता है | इस खाद को तैयार करने के लिए केंचुआ, मिटटी तथा खरपतवार की जरुरत पड़ती है , जो आसानी से मिल जाता है | Note-: Some of this information is taken from internet. But it’s all True Article By – Vikram Shinde
अब आलूसे बनेगा दूध | Dug Potato Milk
आलू से बना दूध (Potato Milk ) हालही के दिनों मैं एक कंपनी ने अपना एक अनोखा प्रोडक्ट मार्किट मैं लाया है , उनोहने एक सब्जी की मदद से दूध बना दिया है , जिस सब्जी को हम रोज के भोजन मैं खाते है , और बोहत से ऐसे पक्वान्न है जो उस सब्जी के शिव बन ही नहीं सकते – अप्पने अंदाजा तो लगा लिया ही होगा की वो कोनसी सब्जी होगी । अगर नहीं तो मैं बता देता हु , “आलू ” . मुझे पता है ये सुनने मैं थोड़ा अजीब लगा रहा होगा की आलू से दूध ? ‘ कैसे ? बताते है – वेज ऑफ़ लुंड नाम की एक स्वीडिश कंपनी है – जिसने अपना एक डग ( Dug ) नाम का प्रोडक्ट मार्किट मैं लॉन्च किया है, जो आलू के दूध का बना है । इस कंपनी ले इस प्रोडक्ट लॉन्च के वक्त ही आलू वाला दूध तीन और फ्लेवर मैं लाया है । उनके नाम कुछ इस प्रकार है – 1 ) बरिस्ता पटेटो { barista potato } 2 ) ओरिजनल पटेटो { Original Potato} 3 ) अनस्वीटेंड पटेटो { unsweetened potato}. Indian express News – इंडियन एक्सप्रेस के एक मुलाखत मैं द गार्जियन’ वेज ऑफ लूंड के सीईओ, थॉमस ओलैंडर (Thomas Olander) ने कहा है कि ये ड्रिंक बहुत टिकाऊ है, उनका कहना है की बाकि दूधों की तुलना में आलू दूध के एक लीटर दूध बनाने मैं बोहत ही काम संसाधन लगते है ,थॉमस ओलैंडर ने दावा किया कि ‘इसके उत्पादन के लिए Ots के दूध की तुलना में आधी और बादाम के दूध की तुलना में 56 गुना कम से कम जमीन की जरूरत होती है। जानते है की आलू का दूध कैसे बनता है – how to make potato milk न्यूज़ 18 न्यूज़ आर्टिकल मैं न्यूट्रिशनिस्ट (Nutritionist) आरूषि अग्रवाल (Arooshi Aggarwal) ने कहा कि आलू का दूध आलू को गर्म पानी में उबालकर बनाया जाता है, इसके बाद कैल्शियम, मटर प्रोटीन और कासनी फाइबर के लिए इसे रेपसीड तेल और अन्य फूड आइटम्स के साथ फेंटा जाता है. इसके बाद इसे और भी विभिन्न विटामिन्स और मिनरल्स के साथ तैयार किया जाता है। Article-VikShinde By VikramMarket.
शिमला मिर्च की खेती और उसकी जानकारी | shimla mirch
शिमला मिर्च , मिर्च यह टोमॅटो , बैंगन और आलू ये सोलॅनेसी की ब्रीड है , सबसे पहले हरी मिर्च की खेती दक्षिण और मध्य अमेरिका मैं कीजाती थी। वही से इसका प्रचार प्रसार हुवा। किसान अपने आय मैं सुधार हेतु पारंपारिक खेती से हटकर अलग अलग तरह की फसल अपने खेत मैं लगा रहे है। और इसमें शिमला मिर्च आपको ज्यादातर देखने को मिलेगी । शिमला मिर्च यह ठंड मैं आने वाली सब्जी है , भारत मैं कर्नाटका , महाराष्ट्र , गोवा , पंजाब समेत अन्य राज्यों मैं इसकी खेती की जाती है । शिमला मिर्च की खेती हाल फ़िलहाल ठंड के मौसम मैं की जाती है , किन्तु शिमला मिर्च की हायब्रिड पौद्योंसे ये सब्जी कुछ हद तक कम उष्ण तापमान वाले क्षेत्र मैं की जा सकती है । जिस समय तापमान ३०. डिग्री कम होता है , वह समय शिमला मिर्च के पोषण और बढ़ोत्तरी मैं काफी अच्छा होता है, उसकी शाखा अच्छे से बढ़ पति है , उसकी कली बोहत जल्द बढ़ती है । शिमला मिर्च को 30 डिग्री से कम वाला तापमान काफी भाता है , इससे उसको अच्छे से फूल और फल आते है । किन्तु ज्यादा ठंड वाले तापमान भी उसको रास नहीं आता , मतलब की अगर बोहत ही कम तापमान है तो , तो शिमला मिर्च को आने वाला फल बोहत ही छोटा होता है , अधिक ठंड के कारण उसका आकार बढ़ ही नहीं पता। और उसीके साथ फल काफी सख्त भी होते है , मिर्च को जो फूल होते है उसपर भी इसका गहरा असर दीखता है । खेती कैसे करे शिमला मिर्च की लागवड उसके पौदों के जरिये की जाती है , इसके पौदे आपको आपके नजदीकी वाले नर्सरी से मिल जायेंगे । नासरी से पौधे लाने और लगाने के बाद, उन्हें इमिडाक्लोप्रिड 70% (50 से 60 ग्राम प्रति एकड़) और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (200 से 250 ग्राम प्रति एकड़) के घोल से ड्रीचिंग किया जाना चाहिए। -By VikramMarket.
Nashik Grapes मांग बढ़ते ही आसमान छूने लगे अंगूर के दाम
अंगूर खेती का नुकसान – और उनकी बढ़ती मांग अनचाहे बारिश की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र आम और अंगूर के बाग हैं। नासिक, सांगली और सोलापुर जिलों में अंगूर के बागों को 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उत्पादन में सीधे तौर पर 50 फीसदी की गिरावट आई है। इसका परिणाम अंगूर के बाजारपेठ पर ही दिखा – इस साल बारिश की वजह से अंगूर का बोहत बड़े स्तर नुकसान हुवा है , जिसका सिदा असर अंगूर के उत्पादन पर होने वाला है , अंगूर उत्पादन जो पहले बड़े स्तर पर होने वाला था। ” डिमांड और सप्लाय ” इस गणित पर ही मार्किट के दाम तय होते है , इसका मतलब की अंगूर की खेती का नुकसान होने के चलते – बचे अंगूर के दाम बढ़ने वाले है । प्रमुखता फेब्रुवारी मैं अंगूर की निर्यात शुरू होती है , और हलिये हालत देखते हुए जानकारों का कहना है की शुरवात से ही अंगूर के दाम बढ़ते ही जाएगा, एक माह मैं यही स्थिति बरकार रहने की आशा की जाती है , और फिर मार्च महीने मैं इनके दाम मैं गिरवाट आने की कयास लगाई जा रही है । अंगूर के काम उत्पादन की वजह से जो अंगूर की बाहरी देशों मैं निर्यात की जाती है उनके दाम मैं काफी हद तक बढ़तोरि होगी । और इसका असर स्थानिक बाजारों मैं भी दिखेगा , मतलब के उन तीन दिन की बारिश का प्रहार किसानों के साल भर की मेहनत पर बोहत जोर से पड़ा । पिछले साल महाराष्ट्र राज्य से अंगूर का एक्सपोर्ट 2 लाख 46 हजार 535 मेट्रीक टन का हुवा था । इस साल भी उतनेही निर्यात की होने की संभावना जताई जाती है । नासिक जिले से 90% अंगूर निर्यात महाराष्ट्र ( maharashtra grape) के अंगूरों की एक अलग ही मिठास होती है। यही कारण है कि देश में अंगूर के कुल निर्यात का 90 प्रतिशत अकेले महाराष्ट्र से निर्यात किया जाता है। महाराष्ट्र से अकेले नासिक जिले में 90% अंगूर निर्यात किए जाते हैं (Nasik district of Maharashtra is world famous for grapes cultivation and exports of Grapes )। अब मराठवाड़ा में अंगूरों का रकबा भी बढ़ रहा है। हालांकि, हर साल अंगूर उत्पादकों पर प्रकृति की मार पड़ती है। भारत देश इंग्लैंड, नीदरलैंड, जर्मनी, फिनलैंड सहित अन्य देशों को भी निर्यात करता है। -VikramMarket. सभी मार्किट भाव Home Onion Price : सस्ता और मेहेंगा प्याज किस देश मैं है Peru ki kheti: अमरूद की खेती कैसे करे PM: 2 सरकारी योजना, होगा पैसों का लाभ डेयरी फार्मिंग [ शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी ] डेयरी फार्म बिज़नेस | Dairy farming
ट्री ऑफ़ 40 | एक ही पेड़ पर 40 तरह के फल
Tree Of 40 Fruit विज्ञानं की खोज और खेती मैं हाय- टेक्नोलॉजी की बदौलत आज कल हम वो देख और सुन रहे है जो कभी कल्पना के परे था । समय के साथ इंसान हर क्षेत्र मैं विज्ञान की सहयता से तरक्की की ऊंचाईया छू रहा है । इस दौड़ मैं एग्रीकल्चर भी अपना परचम लेहरहा रहा है – और इसी भागा दौड़ के दरम्यान एक और सफल प्रयोग को अंजाम दिया गया है , मुझे बताइये आप ने एक पेड पर कितने फल देखे या सुने है – एक , दो , चलिए तीन । अगर मैं आपको बताऊ की एक पेड पर तक़रीबन 40 फल लग सकते है तो ? आप शायद यकीन नहीं करेंगे, किन्तु मेरा यकीं कीजिये अभी हल फ़िलहाल एक पेड पर ऐसा प्रयोग किया गया जिसमें एक ही पेड पर 40 अलग अलग तरह के फल को उगाया गया …. हैं ना अविश्वसनीय खोज । * प्रोपेसर सैम वॉन न्यूयॉर्क सिटी के प्रोपेसर सैम वॉन ने इसकी खोज की है । हुवा कुछ यु की एक बार जब प्रोफेसर सैम वॉन एक एग्रीकल्चरल प्रयोग पर काम कर रहे थे तब उनकी नजर एक बगीचे पर गई, बगीचा शानदार था पर गोवेर्मेंट की तरफ से अनदेखा किया गया था । सैम ने बगीचे के महत्व समजा और उसे कुछ सालों के लिए लीज पर ले लिया। * ग्राफि्ंटग प्रोपेसर ने जो बगीचा लीज पर लिया था उसमें कुछ अनोखे और पुराने किसम के पेड मौज थे , प्रोपेसर सैम एक किसान परिवार से होने से उनको कृषि की अच्छी जानकारी थी , और साथ ही ग्राफि्ंटग की भी । एक इंटरव्यू मैं सैम ने बताया की बगीचा लीज पर लेने के बाद उन्होंने सोचा की क्यों ना इन पेड़ों मैं ग्राफि्ंटग करके अलग अलग किस्म के फल उगाये जाए। ग्राफ्टिंग तकनीक से आज तक छोटे स्तर पर ही उपयोग किया जाता था , एक पेड पर 2 फल उगाना। अगर आप अंगूर की खेती करते होंगे तो आप गर्फ्टिंग से भली- भांति वाकिफ होंगे । बस जैसे ही सैम के दिमाग मैं गर्फ्टिंग का ख्याल आया उसने ने निश्चय कर लिया की वो इस गर्फ्टिंग की मदत से एक पेड़ पर 40 तरह- तरह के फल उगाएंगे। ट्री ऑफ़ 40 की सफलता प्रोफेसर सैम वॉन ने इस तकनिक की सहयता से भिन्न- विभिन्न पेड़ो की टहनियों को बगीचे में लगाए एक मुख्य पेड़ से जोडा। ये आप तभी कर सकते है जब मुख्य पेड़ के हल्के फूल आना शुरु हो जाते है। ग्राफ्टिंग प्रयोग मैं पेड की टहनियों पर कई तरह के लेप किए जाते है। इस तरह की प्रक्रिया को ही ग्राफि्ंटग कहा जाता है। प्रोफेसर सैम वॉन को यह प्रयोग सफल बनाने मैं तक़रीबन 8 साल लगे , तब जाकर उनकी मेहनत रंग लाइ – या ये कहना बेहतर होगा की उनकी मेहनत का 40 फल मिला । उन्होंने जिस पेड पर 8 साल मेहनत की अब उस पेड पर 40 अलग अलग तरह के फल आते है। और आज उस एक पेड की कीमत 20 लाख के करीब है । ये खोज एक नए दौर का आगाज है । -ByVikramMarket .
फूलगोभी की नई प्रजातियों की जानकारी
फूलगोभी की नई प्रजातियों की जानकारी Flower-Gobi: मालेगांव तालुका के दाभड़ी के एक युवा किसान महेंद्र निकम ने अपने खेत में बैंगनी कलर और पीली फूलगोभी के उत्पादन का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है, जिस पर संयुक्त राज्य अमेरिका में शोध किया गया है और इसमें अतिरिक्त पोषक तत्व हैं। इस रंगीन फूलगोभी की खेती करने वाला यह पहला प्रयोग है। यह उत्पाद जल्द ही नासिक, पुणे, मुंबई, नागपुर आदि मेट्रो शहरों के मॉल में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। विशेष रूप से, बैंगनी कलर और पीली गोभी में सामान्य गोभी की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं और यह भी दावा किया जाता है कि इसमें विटामिन-सी का स्तर अधिक होता है। हमेशा अपने खेत में सब्जी की खेती के साथ प्रयोग करने वाले निकम को बैंगनी कलर और पीली फूलगोभी की पौष्टिक किस्मों के बारे में पता चला। उन्होंने एक निजी बीज कंपनी से संपर्क कर बीज मंगवाए।कंपनी के विशेषज्ञों और कृषि अधिकारियों के परामर्श से उन्होंने 30 गुंटा के क्षेत्र में प्रायोगिक आधार पर इन जैविक बैंगनी कलर और पीले फूलगोभी को लगाया। फसल को अब रोपण के बाद 60 दिनों की उत्पादन अवधि में काटा जाता है। अभी तक राज्य में केवल सफेद और हरी फूलगोभी (ब्रोकोली) ही उगाई जाती है।चूंकि इस गोभी को मनचाहा दाम नहीं मिल रहा है, इसलिए फूलगोभी की यह नई प्रजाति को अच्छा दाम मिलसकता है । खरीदारों ने पारंपरिक सफेद और हरी गोभी की तुलना में कम से कम 20 रुपये प्रति किलो अधिक भुगतान करने की पेशकश की है, और किसान निकम ने भी मेट्रो शहरों में महानगरों में सामान बेचना शुरू कर दिया है। किसान निकम ने बताया कि इससे हजारों की लागत से लाखों की आय होगी। राज्य के कृषि मंत्री दादा भुसे ने महेंद्र निकम के अनोखे फार्म का दौरा किया था. कृषि मंत्री दादा भूसे ने नए प्रयोग का निरीक्षण करते हुए राज्य सरकार की ‘पिकेल ते विकेल’ योजना के तहत नासिक और ठाणे में बैंगनी और पीली गोभी के स्टाल उपलब्ध कराने का वादा किया था। किसान महेंद्र निकम ने दिखाया है कि पारंपरिक खेती को विभाजित करके और विभिन्न और अनोखे प्रयोगों के माध्यम से हमारी कृषि भूमि का अच्छा उपयोग करके लाखों रुपये कमाना संभव है। Article by – Vikram Market VikramMarket. Watermelon तरबूज की खेती कैसे करें
किशमिश किस तरह की होनी चाहिए | बेदाणे कैसे तैयार करते है | How to make raisins
किशमिश किस तरह की होनी चाहिए भारत मैं अंगूर की खेती बहोत अधिक संख्या मैं की जाती है। उसमें कुछ किसान बचे अंगूर से किशमिश ( बेदाना ) बनाते है और उसे बेचते है , पर वो अचे से ना बनाने की वजह से उसकी खपत बोहत ही कम होती है , इसलिए आज हम आपको बताएँगे की अस्सल मैं किशमिश कैसे बनाते है । किशमिश की ऐसी उपयोगी किस्मों से उचित रूप से तैयार की गई किशमिश में उत्तम विशेषताएं होनी चाहिए। अच्छी गुणवत्ता वाले अंगूर के मामले में किशमिश का चमकीला प्राकृतिक रंग यथासंभव लंबे समय तक चलने की उम्मीद है। हरे अंगूर से बनी पीली किशमिश की अधिक मांग होती है। कुल मिलाकर, अच्छी गुणवत्ता वाली किशमिश के लिए रंग एकरूपता एक महत्वपूर्ण कारक है। किशमिश के आकार में एकरूपता नकल की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। साथ ही किशमिश की मांसल त्वचा भी कॉपी बढ़ने का कारण बनती है। किशमिश की बनावट, चमक और लोच उंगलियों में दबाए जाने के बाद फिर से आकार देने की क्षमता है। घर के बाहर अच्छी गुणवत्ता वाली किशमिश की अच्छी बनावट का मतलब है कि किशमिश में कई महीन झुर्रियाँ होती हैं। लम्बी बड़ी कोणीय झुर्रियाँ कम गुणवत्ता वाली किशमिश का संकेत देती हैं। किशमिश में नमी की मात्रा समान होनी चाहिए और वजन के हिसाब से 13 से 14% होनी चाहिए। इससे किशमिश की शेल्फ लाइफ बढ़ती है और अच्छी बनावट बनी रहती है। कार्बोहाइड्रेट और पेक्टिक पदार्थों जैसे महत्वपूर्ण तत्वों का क्षरण, जो एंजाइमी और गैर-एंजाइमी ब्राउनिंग कोशिकाओं से डरते हैं, किशमिश भंडारण के जीवनकाल को प्रभावित करते हैं। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि ताजे अंगूरों की तुलना में किशमिश के शर्करा-अम्ल अनुपात में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन न हो। अंगूर का प्राकृतिक आकार पाने के लिए ताजी किशमिश को 20 मिनट के लिए 10 डिग्री सेल्सियस पर गर्म पानी में रखना चाहिए। VikramMarket.
अंतरफसल कैसे करें ? अंतरफसल से नितिन ने कमाए पच्चीस लाख
अंतरफसल कैसे करें ? अंतरफसल से नितिन ने कमाए पच्चीस लाख श्रीगोंदे के एक युवा किसान ने दिखा दिया है की अगर आप खेती को व्यपार की तरह ले तो आप बोहत मुनाफा खेती से बना सकते है । उसके लिए एक नियोजन होना चाइये और जानकारी भी , एक वक्त एक ही जगह दो फसल करके आप दोगुना मुनाफा बड़े ही आसानी से कमा सकते है । इसे ही एक युवा किसान ने किया और वो अभी उस गांव और जिल्हे मैं सबसे सफल किसान बन गया है । तेरह एकड़ के बागों सहित सत्रह एकड़ खेत। सालाना 25 लाख रुपये कमाने का लक्ष्य रखने वाले नितिन कड़ी मेहनत करते हैं। चूंकि नितिन को खेती से प्यार है, इसलिए वह आधुनिक खेती करने का तरीका ढूंढ रहा था।चूंकि नितिन को खेती से प्यार है, इसलिए वह आधुनिक खेती करने का तरीका ढूंढ रहा था। उन्होंने मैट्रिक के बाद एग्री-इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और खेती करने मैं जुड़ गए। नितिन तक़रीबन आठ साल से खेत पर पसीना बहा रहा है। जब उसका कॉलेज चल रह था, उसने एक हजार अनार के पौधे लगये थे । हालांकि, कॉलेज के था उन्हें खेती करना मुशिकल हो गया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पहले साल 2015 में उन्होंने अनार, तरबूज और खरबूजे से 25 लाख रुपये का मुनाफा कमाया। नितिन कह रहा था कि उसमें 7.5 लाख रूपये सिर्फ अनार से हो गए थे । इस यश के बाद वे उनके गांव के सबसे सफल युवा किसान है , और उनका मुनाफा दिनबदिन बढ़ ही रहा है। इस लाभ से दो एकड़ अंगूर की खेती की गई। एक एकड़ खेत में खेत तालाब बनवाया, उन्होंने खेती के लिए आवश्यक वाहन भी लिए और एक बार फिर खेती में नए प्रयोग शुरू किए। अंगूर लगाए, उस वर्ष तरबूज और हरी मिर्च को अंतर फसल के रूप में लिया और उसका लाभ भी उठाया। अंतरफसल महत्व नितिन कोठारे हर बड़ी फसल को इंटरक्रॉप ( अंतरफसल ) कर मुनाफा कमा रहे हैं। अब उन्होंने बैंगनी खेती के साथ प्रयोग किया है। उन्होंने फसल नियोजन को महत्व दिया है। आधुनिकता को जोड़ते हुए वे कहते हैं, क्षेत्र में कड़ी मेहनत करने की आदत से लाभ मार्जिन में वृद्धि हुई है। Article By – Vikram Market Watermelon तरबूज की खेती कैसे करें
घर पे ही मिट्टी की उर्वरता ( सुपिकता ) कैसे जाने ? जानने का सबसे आसान तरीका | Soil Testing At Home
सूती कपड़े को मिट्टी में गाड़कर आप मिट्टी की उर्वरता भी जान सकते हैं मिट्टी की उर्वरता और उसमें कौन-कौन से तत्व उपलब्ध हैं, इसकी जांच के लिए एक बड़ी प्रयोगशाला की जरूरत होती है। कुछ छोटे और महत्वपूर्ण घटकों को भी जांचने के लिए आपको मिट्टी-जल परीक्षण किट की आवश्यकता होती है। हालांकि आज हम आपको एक ऐसा आसान तरीका बताने जा रहे हैं जिससे हम भी मिट्टी की उर्वरता और उसमें मौजूद बैक्टीरिया को आसानी से जान सकते हैं। यह वर्तमान में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों में उपयोग किया जाता है। यहां सिटीजन साइंस नाम के प्रोजेक्ट के तहत कई किसानों को मिट्टी में गाड़ने के लिए सूती कपड़े दिए जा रहे हैं और मिट्टी की उर्वरता सूचकांक की जांच की जा रही है. टी-बैग और कपड़ों को जमीन में गाड़ दिया जाता है और फिर जमीन में दबे कपड़ों को एक हफ्ते नहीं बल्कि एक महीने के बाद हटा दिया जाता है। खेती की फर्टिलिटी इस बात से भी स्पष्ट होती है कि कपड़ा कितना नष्ट हुआ है। प्रयोग की प्रक्रिया 1 ] प्रयोग न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों में राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया गया है। इस प्रयोग में किसानों के साथ-साथ स्कूली बच्चों ने भी हिस्सा लिया है। 2 ] सूत या कपास एक प्रकार के सेल्युलोज से बनता है। इसलिए सूती कपड़े को मिट्टी के जीवाणुओं के लिए स्वादिष्ट भोजन कहा जाता है। 3 ] इन कपड़ों पर बैक्टीरिया हमला करते हैं। यह कपड़े को नष्ट करना शुरू कर देता है। यदि कपड़ा नष्ट हो जाता है, तो यह इस बात का संकेत है कि मिट्टी में सभी पोषक तत्व मौजूद हैं। 4 ] जमीन से निकाले गए कपड़े का डिजिटल विश्लेषण भी किया जाता है। यह मिट्टी की गुणवत्ता की जांच करता है और यह कितनी उपजाऊ है इस बात की भी जानकारी मिल जाती है। By VikramMarket.
भात की खेती / चावल की खेती
भात की खेती / चावल की खेती RiceFarming: किसान भाइयों वर्तमान में, चावल की 7000 से भी ज्यादा किस्मों की खेती की जाती है। सफल व्यावसायिक चावल का खेत लगाने के लिए सामान्य नियमानुसार हमें पानी की ज्यादा आपूर्ति और कम श्रम लागतों (या उत्पादन के यांत्रिक साधन) की जरूरत होती है। चावल एक अनाज है। मेरा मतलब है, यह एक तरह की घास है। लेकिन धान की विशेषता यह है कि इसे दो बार बोना पड़ता है। पहले वे धान की बुवाई के लिए जमीन की जुताई करते हैं। मजदूरों द्वारा उस पर धान के बीज फेंके जाते हैं। कुछ दिनों के बाद, अंकुर 6 इंच तक बढ़ जाते हैं। फिर बाद मैं चौकरखेत के एक छोटे से हिस्से मैं छोटा सा तालाब बनाके उसमें निकाले हुए बीज फिरसे लगाए जाते है।यह फसल बरसात के मौसम में आती है इसलिए पौधों को आर्द्रभूमि मिलती है। नहीं तो खेत में सिंचाई करके पानी भरना पड़ता है।साली [चावल की भूसी, या कनीस] सितंबर-अक्टूबर में बनते हैं। इसके बाद लट्ठों को छंटाई और खलिहान से अलग किया जाता है। बीज मवेशियों को खिलाने या खेत में फैलाने के लिए उपयोगी होते हैं। फिर चावल को साली से अलग करने के लिए छील दिया जाता है। इसे हत्सादी चावल कहा जाता है। यह काम अक्सर मजदूर ही करते हैं। लेकिन यह चावल दिखने में भूरा या लाल होता है। पॉलिश किये हुए चावल को व्यापार के लिए मशीन में लें। इसे मशीन से निकाला जाता है और फिर से घुमाया जाता है क्योंकि चावल की भूसी में {चोकर} तेल होता है जो लाल रंग देता है। इस चावल को ब्राउन राइस की तरह पौष्टिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। सफेद चावल पाने के लिए इसे पॉलिश किया जाता है। और तेल फॉलिकल्स से बनता है। वर्तमान में हम इस तेल का उपयोग कम कैलोरी और पौष्टिक भोजन के रूप में करते हैं चावल उगाने के मुख्य रूप से 3 तरीके हैं तराई या धान की खेती (दुनिया भर में ज्यादातर व्यावसायिक चावल की कृषि भूमि)। चावल को ऐसी भूमि पर उगाया जाता है, जो वर्षा या सिंचाई के पानी से लबालब भरी होती है। पानी की गहराई 2 से 20 इंच (5 से 50 सेमी) तक होती है। तैरता हुआ और गहरे पानी का चावल। ऐसी भूमि पर चावल की खेती की जाती है जहाँ बहुत ज्यादा पानी भरा होता है। पानी की गहराई 20 इंच (50 सेमी) से अधिक होती है और 200 इंच (5 मीटर) तक पहुंच सकती है। केवल चावल की कुछ किस्मों को इस तरह उगाया जा सकता है। पहाड़ी चावल की खेती (दुनिया में चावल की कृषि भूमि का बहुत कम प्रतिशत)। चावल को बाढ़ रहित भूमि पर उगाया जाता है, और फसल वर्षा के पानी पर बहुत ज्यादा निर्भर होती है। प्राकृतिक वर्षा इन खेतों की सिंचाई का एकमात्र तरीका है। ऐसे मामले में, हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि 3 से 4 महीने तक लगातार बारिश होनी चाहिए, जो पौधों के सही विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। सामान्य तौर पर, पानी चावल के पौधों को बहुत ज्यादा ठंडी और गर्मी से बचाता है। पानी जंगली घास उगने से भी रोकता है। VikramMarket. Home
पत्ता कोबी | पत्ता गोभी की उन्नत किस्में
पत्ता कोबी | पत्ता गोभी की उन्नत किस्में पत्ता गोभी की फसल से किसान अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। इसे सलाद के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। फाइव स्टार होटल के अलावा विवाह समारोह में भी बड़े पैमाने पर इसकी मांग होती है। किसान उन्नत किस्मों की बिजाई करें। इसमें जो किस्में प्रचलित हैं, इनका उत्पादन 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो जाता है। बड़े शहरों के इर्द-गिर्द किसान इनका उत्पादन लेते हैं और मंडी में बेचते हैं। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक पौधा लगाने के 60-80 दिन तथा देर से तैयार होने वाली किस्म से 100-120 दिन में पत्ता गोभी तैयार हो जाती है। आमतौर पर पत्ता गोभी फसल की अवधि 60-120 दिन होती है। औसत उत्पादन 200-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है । तो चलिए इसके बारे थोड़ी नई जानकारी से आपको मुहैया करवाते है । बुवाई का समय, भूमि खाद व उर्वरक सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफसर उद्यान डाक्टर एसके लोधी ने बताया कि फूल गोभी की मध्यम और पछेती किस्मों की बुवाई 30 अक्टूबर तक कर देनी चाहिए एवं अगेती किस्मों का बीज 600-700 ग्राम एवं मध्यम एवं पछेती किस्मों के लिए 350-400 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। बीज को स्टेप्टोसाइक्लिन का आठ लीटर पानी में घोल बनाकर 30 मिनट तक पानी में डूबाकर उपचारित करें। इसकी रोपाई में कतार से कतार एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 से 45 सेमी और पछेती किस्मों के लिए कतार से कतार एवं पौधे से पौधे की दूरी 60 से 45 सेमी रखनी चाहिए। फूल गोभी की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बलुई दोमट भूमि उत्तम होती है, जिसमें जीवांश की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो। रोपाई से पूर्व खेत की जुताई कर समतल कर देना चाहिए। उपरोक्त खेती के लिए 200-250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर खाद रोपाई के लगभग एक माह पूर्व अच्छी तरह मिला देना चाहिए। इसके अतिरिक्त नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की क्रमश: 120, 60 एवं 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए। नाइट्रोजन की एक तिहाई एवं फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा अंतिम जुताई से पहले खेत में मिला देना चाहिए। शेष नाइट्रोजन की आधी मात्रा दो बराबर भागों में 30 और 45 दिन बाद देनी चाहिए। इसके अतिरिक्त सूक्ष्म तत्वों बोरोन 10 से 15 किग्रा प्रति हेक्टेयर एवं मॉलीब्डेनम की मात्रा एवं 1 से 1.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर दर से मिट्टी में मिला देना चाहिए। उन्नत किस्में अगेती किस्में- अर्ली, कुंआरी, पूसा कातिकी, पूसा दीपाली, समर किंग मध्यम किस्में- पंत सुभ्रा, पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक, पूसा अगहनी, पूसा स्नोबाल पछेती- पूसा स्नोबाल-1, पूसा स्नोबाल-2, पूसा स्नोबाल-16 पत्ता गोभी की उन्नत किस्में एवं उनके आय व्यय की जानकारी समर किंग लगाने का समय फरवरी-मार्च उपयुक्त भूमि निचली जमीन उपयुक्त मिटटी मटियार दोमट औसत उपज 100 क्वीं./हे. संभव उपज 280 क्वीं./हे. वानस्पतिक गुण फूल क्रीमी सफेद तथा गुम्बदाकार होता है। अवधि 55 दिन सिंचाई की आवश्यकता 7 दिनों के अन्तराल पर। विशिष्ट गुण कम अवधि के प्रभेद। लागत रू 60000/-प्रति हे. शुद्ध आमदनी रू 70000/-प्रति हे. हिमरानी लगाने का समय मध्य अगस्त-सितंबर उपयुक्त भूमि मध्यम एवं निचली जमीन उपयुक्त मिटटी अच्छी जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट भूमि जिसमें जीवांश की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो । औसत उपज 250 क्विंटल/हे0 संभव उपज 600 क्विंटल/हे0 वानस्पतिक गुण पौधा- आकर्षक सीधे खडे. पौधे , पत्तियॉं- नीलापन युक्त हरा, फुल- गुम्बदाकार बर्फ सदृश सफेद रंग अवधि 80-85 दिनों तक सिंचाई की आवश्यकता 10 दिनों के अन्तराल पर विशिष्ट गुण खेत मे ठहरने की उत्तम क्षमता । पुष्पा लगाने का समय मध्य अगस्त-सितंबर उपयुक्त भूमि मध्यम एवं निचली जमीन उपयुक्त मिटटी दोमट या बलुई दोमट, जल निकास की समुचित व्यवस्था, भरपुर जीवांश हों। औसत उपज 250 क्विंटल/हे0 संभव उपज 450 क्विंटल/हे0 वानस्पतिक गुण पत्तियॉं- नीलापन युक्त हरा, फूल- गुम्बदाकार, अत्यधिक ठोस रंग-सफेद, वजन-एक से डेढ. किलो ग्राम । अवधि 85-95 दिन सिंचाई की आवश्यकता ग्रीष्मऋतु- 5-7 दिनों के अन्तराल पर। सितम्बर के बादः 10-15 दिनों के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार । विशिष्ट गुण खेत में ठहरने की उत्तम क्षमता है । स्नोबाल 16 (पिछात) लगाने का समय अक्टूबर-नवंबर(पौधशाला में), नवंबर-दिसंबर(खेत में) उपयुक्त भूमि उपरी एवं मध्यम भूमि उपयुक्त मिटटी बलुई दोमट से दोमट औसत उपज 220 क्वीं./हे. संभव उपज 250 क्वीं./हे. वानस्पतिक गुण बाहरी पत्तियॉं सीधी खड़ी होती है। फूल पुष्ट और सफेद होता है। अवधि 90-95 दिन सिंचाई की आवश्यकता 10-15 दिनों पर विशिष्ट गुण फूल का आकार बड़ा होता है। लागत रू. 80000/-प्रति हे. शुद्ध आमदनी रू 90000/-प्रति हे. पूसा शुभ्रा (मध्य) लगाने का समय अगस्त-सितंबर(पौधशाला में), सितंबर-अक्टूबर(खेत में) उपयुक्त भूमि उपरी एवं मध्यम जमीन उपयुक्त मिटटी बलुई दोमट से दोमट औसत उपज 200 क्वीं./हे. संभव उपज 250 क्वीं./हे. वानस्पतिक गुण पौधा सीधा तथा तना लंबा, पत्तियॉं नीली-हरी तथा मोम आवरण से युक्त, फूल पुष्ट तथा सफेद होता है। अवधि 90-95 दिन सिंचाई की आवश्यकता आवश्यकतानुसार विशिष्ट गुण फूल का वजन 700-800 ग्राम होता है। लागत रु.70000/-प्रति हे. शुद्ध आमदनी रू 80000/-प्रति हे. पूसा हिम ज्योति (मध्य) लगाने का समय अगस्त-सितंबर(पौधशाला में), सितंबर-अक्टूबर(खेत में) उपयुक्त भूमि उपरी एवं मध्यम भूमि उपयुक्त मिटटी बलुई दोमट से दोमट औसत उपज 160 क्वीं./हे. संभव उपज 180 क्वीं./हे. वानस्पतिक गुण पौधा सीधा, पत्तियॉं नीली-हरी तथा मोम आवरण से युक्त एवं सफेद होता है। अवधि 60-75 दिन सिंचाई की आवश्यकता आवश्यकतानुसार विशिष्ट गुण फूल का वजन 500-600 ग्राम होता है। लागत रू 65000/-प्रति हे. शुद्ध आमदनी रु. 75000/-प्रति हे. पूसा कतकी (मध्य) लगाने का समय अगस्त-सितंबर(पौधशाला में), सितंबर-अक्टूबर(खेत में) उपयुक्त भूमि उपरी एवं मध्यम जमीन उपयुक्त मिटटी बलुई दोमट से दोमट औसत उपज 120 क्वीं./हे. संभव उपज 150 क्वीं./हे. वानस्पतिक गुण पौधा मध्यम आकार का, पत्तियॉं नीली-हरी तथा किनारा लहरदार होता है। फूल का रंग क्रीमी सफेद होता है। अवधि 60-70 दिन सिंचाई की आवश्यकता आवश्यकतानुसार विशिष्ट गुण अक्टूबर के अंत तक फूल उपलब्ध होने से मूल्य अधिक मिलता है। लागत रू 65000/-प्रति हे. शुद्ध आमदनी रू 75000/-प्रति हे. पूसा अर्ली सिंथेटिक (आगत) लगाने का समय जायद (फरवरी-मार्च), खरीफ (जुन-जुलाई) उपयुक्त भूमि गरमा(मध्यम एवं निचली जमीन) खरीफ (ऊपरी जमीन) उपयुक्त मिटटी जायद (मटियार दोमट), खरीफ (बलुई दोमट) औसत उपज 120 क्वीं./हे. संभव उपज 150
भारत का अनाज निर्यात | कौन है विश्व में सबसे बड़ा अनाज का निर्यातक
भारत का अनाज निर्यात |कौन है विश्व में सबसे बड़ा अनाज का निर्यातक गेहूँ के निर्यात में बढ़ोतरी: हाल ही में अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने वर्ष 2020-21 के लिये भारतीय गेहूँ के निर्यात के पूर्वानुमान को 1 मिलियन टन से बढ़ाकर 1.8 मिलियन टन कर दिया था। भारत विश्व में अनाज का सबसे बड़ा निर्यातक होने के साथ-साथ सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है। महत्त्वपूर्ण अनाजों में गेहूँ, धान, सोरगम, जुआर (बाजरा), जौ और मक्का शामिल हैं। इससे पहले वर्ष 2008 में भारत ने घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिये चावल और गेहूँ आदि के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। भारत में अधिशेष उत्पादन और वैश्विक बाज़ार में भारी मांग को देखते हुए सरकार ने गेहूँ के सीमित निर्यात की अनुमति दी। भारत के कुल अनाज निर्यात में चावल (बासमती और गैर-बासमती सहित) वर्ष 2019-20 में प्रमुख हिस्सेदारी (95.7%) रखता है, जबकि भारत से निर्यात किये गए कुल अनाज में गेहूँ सहित अन्य अनाजों की वर्ष 2019-20 में केवल 4.3% की हिस्सेदारी थी। भारत से गेहूँ का अधिकांश निर्यात (2019-20) नेपाल, बांग्लादेश, UAE, सोमालिया को किया गया। भारत से गैर-बासमती चावल का अधिकांश निर्यात (2019-20) नेपाल, बेनिन, संयुक्त अरब अमीरात, सोमालिया को हुआ। भारत से बासमती चावल का अधिकांश निर्यात (2019-20) ईरान, सऊदी अरब, इराक, संयुक्त अरब अमीरात को किया गया। गेहूं उत्पादन द्वारा देशों की सूची दुनिया भर में प्रति वर्ष 749,467,531 टन गेहूं का उत्पादन होता है। चीन प्रति वर्ष 131,696,392 टन उत्पादन मात्रा के साथ दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है। भारत 93,500,000 टन वार्षिक उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर आता है। गेहूं उत्पादन द्वारा देशों की सूची देश उत्पादन (टन) प्रति व्यक्ति उत्पादन (किलो) एकरेज (हेक्टेयर) उपज (किलोग्राम / हेक्टेयर) चीनी जनवादी गणराज्य 131,696,392 94.483 24,348,396 5,408.8 भारत 93,500,000 69.96 30,230,000 3,093 रूस 73,294,568 499.02 27,312,777 2,683.5 संयुक्त राज्य अमेरिका 62,859,050 191.781 17,761,840 3,539 कनाडा 30,486,700 819.235 9,261,600 3,291.7 फ़्रान्स 29,504,454 438.422 5,562,553 5,304.1 युक्रेन 26,098,830 617.521 6,205,800 4,205.6 पाकिस्तान 26,005,213 128.82 9,143,097 2,844.2 जर्मनी 24,463,800 295.668 3,201,700 7,640.9 ऑस्ट्रेलिया 22,274,514 889.223 11,282,202 1,974.3 तुर्की 20,600,000 254.917 7,609,868 2,707 अर्जेण्टीना 18,557,532 417.075 5,629,213 3,296.6 कज़ाख़िस्तान 14,985,379 820.11 12,373,452 1,211.1 यूनाइटेड किंगडम 14,383,000 217.791 1,823,000 7,889.7 ईरान 11,097,605 135.739 5,681,807 1,953.2 पोलैंड 10,827,902 281.73 2,384,056 4,541.8 मिस्र 9,000,000 92.311 1,368,767 6,575.3 रोमानिया 8,431,131 431.834 2,135,304 3,948.4 इटली 8,037,872 132.997 1,912,418 4,203 उज़्बेकिस्तान 6,940,500 212.547 1,446,300 4,798.8 ब्राज़ील 6,834,421 32.617 2,166,170 3,155.1 स्पेन 6,433,865 137.89 2,078,115 3,096 बुल्गारिया 5,662,721 803.219 1,192,590 4,748.3 चेक गणराज्य 5,454,663 513.944 839,710 6,495.9 हंगरी 4,788,027 490.024 1,055,589 4,535.9 अफ़्गानिस्तान 4,555,110 144.263 2,300,210 1,980.3 इथियोपिया 4,537,852 42.199 1,696,083 2,675.5 डेनमार्क 4,201,500 725.653 583,000 7,206.7 मेक्सिको 3,862,914 30.968 723,559 5,338.8 लिथुआनिया 3,798,430 1,356.225 870,894 4,361.5 इराक़ 3,052,939 77.604 920,096 3,318.1 सीरिया 2,936,783 160.617 1,315,088 2,233.1 सर्बिया 2,884,537 411.992 595,118 4,847 स्वीडन 2,834,500 278.67 448,470 6,320.4 मोरक्को 2,731,123 78.538 2,413,638 1,131.5 अल्जीरिया 2,440,097 57.352 1,442,846 1,691.2 स्लोवाकिया 2,434,213 447.209 416,578 5,843.4 बेलारूस 2,339,950 246.877 710,379 3,293.9 लातविया 2,062,300 1,070.935 479,100 4,304.5 ऑस्ट्रिया 1,970,364 222.938 315,088 6,253.4 दक्षिण अफ़्रीका 1,909,540 33.08 508,365 3,756.2 अज़रबैजान 1,799,859 181.839 590,603 3,047.5 नेपाल 1,736,849 59.443 745,823 2,328.8 चिली 1,731,935 98.551 285,297 6,070.6 यूनान 1,698,031 157.69 612,862 2,770.7 तुर्कमेनिस्तान 1,600,000 273.436 1,477,239 1,083.1 बेल्जियम 1,400,074 122.634 206,284 6,787.1 बांग्लादेश 1,348,186 8.165 445,003 3,029.6 मॉल्डोवा 1,292,921 364.111 370,791 3,486.9 पैराग्वे 1,144,000 162.201 520,000 2,200 नीदरलैण्ड 1,016,479 58.922 127,328 7,983.2 क्रोएशिया 960,081 229.022 168,029 5,713.8 ट्यूनिशिया 926,592 80.951 508,375 1,822.7 ताजिकिस्तान 917,081 102.685 297,479 3,082.8 फ़िनलैंड 823,900 149.314 215,100 3,830.3 जापान 790,800 6.252 214,400 3,688.4 सउदी अरब 765,815 22.919 122,199 6,266.9 उरुग्वे 757,000 215.916 215,000 3,520.9 किर्गिज़स्तान 661,514 104.847 270,439 2,446.1 आयरलैंड 647,700 133.354 67,900 9,539 सूडान 516,000 12.648 216,720 2,381 मंगोलिया 467,053 144.865 355,075 1,315.4 न्यूज़ीलैण्ड 459,349 93.723 49,945 9,197.1 एस्टोनिया 455,543 345.335 164,544 2,768.5 स्विट्ज़रलैंड 386,720 45.534 88,485 4,370.5 आर्मीनिया 350,369 117.977 108,049 3,242.7 बोलिविया 346,242 30.621 241,847 1,431.7 नॉर्वे 308,800 58.129 66,790 4,623.4 बॉस्निया और हर्ज़ेगोविना 306,605 81.018 71,394 4,294.5 मैसिडोनिया 306,433 147.657 79,832 3,838.5 अल्बानिया 275,000 95.808 70,512 3,900 कीनिया 222,400 4.365 153,119 1,452.5 यमन 220,154 7.614 126,833 1,735.8 पेरू 191,108 6.118 127,180 1,502.7 इज़राइल 168,000 18.86 43,700 3,844.4 लीबिया 164,572 25.432 207,111 794.6 स्लोवेनिया 163,165 78.943 31,461 5,186.3 ज़ाम्बिया 159,533 9.447 24,170 6,600.5 लेबनान 147,748 24.247 44,835 3,295.4 जॉर्जिया 126,600 33.945 49,200 2,573.2 म्यान्मार 102,636 1.906 86,548 1,185.9 तंज़ानिया 96,122 1.773 102,736 935.6 पुर्तगाल 90,017 8.747 38,199 2,356.5 रवाण्डा 83,764 6.98 36,358 2,303.9 लक्ज़मबर्ग 70,069 116.393 13,808 5,074.4 नाईजीरिया 60,000 0.304 60,000 1,000 उत्तर कोरिया 56,702 2.214 36,937 1,535.1 ज़िम्बाब्वे 43,294 2.916 23,665 1,829.4 माली 40,137 2.101 4,496 8,927.3 फिलीस्तीनी इलाके 33,004 7.254 17,376 1,899.4 इरित्रिया 31,305 6.034 25,446 1,230.2 जॉर्डन 31,150 3.045 27,761 1,122.1 दक्षिण कोरिया 28,778 0.557 9,383 3,067.1 युगाण्डा 22,951 0.591 14,500 1,582.9 साइप्रस 22,831 26.709 9,082 2,513.9 मोज़ाम्बीक 17,088 0.592 15,623 1,093.8 माल्टा 15,980 33.593 3,304 4,836.8 नामीबिया 13,924 5.769 2,201 6,327.4 नाइजर 8,234 0.384 4,100 2,008.5 कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य 8,208 0.101 6,201 1,323.7 मॉरीतानिया 7,718 1.937 3,593 2,148.1 ताइवान 7,357 0.312 2,619 2,809.4 बुस्र्न्दी 6,815 0.638 9,982 682.7 ईक्वाडोर 6,746 0.395 4,423 1,525 मेडागास्कर 5,000 0.19 2,053 2,435.3 लेसोथो 4,000 1.768 4,583 872.8 अंगोला 3,995 0.137 5,496 726.9 ओमान 2,777 0.554 929 2,989.2 कोलम्बिया 2,721 0.054 1,685 1,615.3 भूटान 2,683 3.69 1,465 1,830.7 मोंटेनेग्रो 2,354 3.782 747 3,150.6 चाड 1,742 0.113 871 2,000 थाईलैण्ड 1,308 0.019 1,311 997.2 हौण्डुरस 1,220 0.135 2,194 556.2 सोमालिया 1,019 0.067 2,560 398 कैमरुन 885 0.037 664 1,331.6 मलावी 797 0.044 717 1,111.6 ग्वाटेमाला 744 0.043 349 2,128.8 स्वाज़ीलैण्ड 577 0.498 331 1,744.3 वेनेज़ुएला 140 0.004 47 2,978.7 बोत्सवाना 104 0.045 130 800 संयुक्त अरब अमीरात 82 0.009 22 3,672.1 कुवैत 45 0.011 9 4,888.2 क़तर 6 0.002 3 2,296.3
टमाटर की खेती | Tamato
टमाटर की खेती टमाटर महाराष्ट्र में किसानों की प्रमुख फल फसल है। नासिक, पुणे, अहमदनगर, नागपुर, सांगली महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण टमाटर उत्पादक जिले हैं। टमाटर विटामिन ए, बी, और सी से भरपूर होते हैं, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, आदि पोषक तत्व भी टमाटर में उपलब्ध हैं। इससे टमाटर का औद्योगिक महत्व बढ़ गया है। लाल खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक होने के कारण पौष्टिक भी है क्योंकि इसमें साइट्रिक एसिड और मैलिक एसिड होता है जो एंटासिड का काम करता है। मौसम टमाटर महाराष्ट्र में उगाई जाने वाली एक बारहमासी फसल है, हालांकि यह एक गर्म फसल है। अत्यधिक ठंड के कारण टमाटर के पौधे की वृद्धि बाधित होती है। टमाटर की फसल साफ, शुष्क होती है, इसमें कम आर्द्रता और अच्छी गर्म जलवायु होती है। फसल 18 से 30 C पर पनपती है। उच्च तापमान, कम आर्द्रता और शुष्क हवाओं के साथ, फसल खिलती है। गर्म तापमान और सूरज की रोशनी के साथ टमाटर के फलों की गुणवत्ता अच्छी है। 10 से कम C फसल के विकास को रोकता है। बीज का अंकुरण 16 16 C से 29 C तक अच्छा होता है। 21 डिग्री से 24 डिग्री सेल्सियस फसल की वृद्धि के लिए अनुकूल है। फूल और फल सेट 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तक अच्छे होते हैं। 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर फलन नहीं होता है।खरीफ – जून, जुलाई में बोना।रब्बी – सितंबर, अक्टूबर के महीने में बोना। ग्रीष्म ऋतु – दिसंबर, जनवरी। बीज दर – टमाटर की फसल को प्रति हेक्टेयर 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। भूमि मध्यम और भारी मिट्टी टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त हैं। लेकिन ऐसी मिट्टी को जैविक खाद की आपूर्ति की बहुत आवश्यकता होती है ताकि फसल अच्छी तरह से विकसित हो सके। फसल की सिंचाई बार-बार करनी चाहिए। हल्की मिट्टी में फसल जल्दी निकल जाती है लेकिन भारी मिट्टी में भुरकाव देर से शुरू होता है। लेकिन पैदावार अधिक होती है। बरसात वाले टमाटर को गहरे मिट्टी में डालने से बचना चाहिए और गर्मियों में टमाटर को हल्की मिट्टी में नहीं लगाना चाहिए।क्षारीय मिट्टी में पानी की निकासी न होने के कारण ऐसी मिट्टी में फसल अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाती है। फसल से पूर्व के मौसम में बैंगन, मिर्च की कटाई नहीं की जानी चाहिए। रोग करपा = यह रोग पौधे की वृद्धि के किसी भी स्तर पर हो सकता है। इस बीमारी में पत्तियों और डंठल पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। फल खाने वाला लार्वा ( अळी ) = यह लार्वा पत्तियों को खाता है। हरे या पके फल को खाकर उनके अंदर प्रवेश करते हैं। नागअळी = ये लार्वा पत्ती की पंखुड़ियों में जाते हैं और हरे भाग को खाते हैं।