Bamboo_बांस की खेती-50 सब्सिडी
Bamboo_बांस की खेती-50 सब्सिडी
Bamboo Farming: वर्तमान समय में देश में पारम्परिक खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और अब इसके साथ-साथ किसान नकदी फसलों और औषधीय पौधों की भी खेती कर रहे हैं। बांस भी एक गुणकारी पौधा है।चीन के बाद बांस की खेती के मामले में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि किसान बांस की खेती करने से कतरा रहे हैं।ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रीय बांस मिशन योजना (https://nbm.nic.in/) के तहत इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।सरकार इस योजना के अंतर्गत किसानों को बांस की खेती करने पर 50 हजार रुपये की सब्सिडी देती है और छोटे किसान को एक पौधे पर 120 रुपये की सब्सिडी देने का प्रावधान है।(Bamboo Farming)
* बांस की पौध की कीमत पौधे की किस्म पर निर्भर करती है। इस खेती के लिए कुछ खास नहीं किया जाता है, इसकी खेती हल जोत कर की जा सकती है। इसमें एक एकड़ में बांस के 100 पौधे लगाए जा सकते हैं। भारत में बांस के लिए माहौल अच्छा है। बांस की खेती कश्मीर को छोड़कर सभी क्षेत्रों में की जा सकती है। यदि बांस लगाते समय मिट्टी का पीएच 5 से 6 के बीच हो तो बांस का सफलतापूर्वक उत्पादन किया जा सकता है। रेतीली मिट्टी में बाँस नहीं लगाना चाहिए ।(Bamboo Farming)
* बाँस में प्रकाशीय श्वसन तेजी से होता है। निकली हुई कार्बन डाई-ऑक्साइड का पुनः उपयोग कर लिया जाता है। बाँस में 5 गुना अधिक कार्बन डाई-ऑक्साइड के अवशोषण की क्षमता होती है, वही बाँस का एक हेक्टेयर जंगल एक वर्ष में एक हजार टन का अवशोषण कर लेता है। इससे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव कम होता है। बाँस की जड़े कटाई के बाद भी कई दशक तक मिट्टी को बांधे रखती है और मिट्टी के कटाव को रोकती है। बाँस से अन्य पेड़ों की तुलना में दस गुना अधिक उत्पाद बनाये जा सकते हैं, जिससे अन्य पेड़ों पर निर्भरता कम होती है।
Article By.- VikramMarket.
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