10 औषधीय पौधों की खेती_ ज्यादा कमाई Medicinal plants: भारत मैं आयुर्वेद कई युग पुराणा है । और तब कोई मेडिकल औषदीय नहीं होती थी , तब हमारे चिकिस्तक आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों और औषदीय पौधों का खूब इस्तमाल करते थे । तब से लेकर आज तक यह कला भारतीय जीवन का अभिन्न अंग रही है । एक सर्वेक्षण के हिसाब से आज के दिन भारत मैं करीब 8000 पेड़-पौधे ऐसे हैं, जिनका उपयोग औषधीय रुप से किया जाता है। इनके जरिये उत्पाद और दवाइयों की दूसरे देशों में बोहत ज्यादा मांग रहती है । अगर आप औषदीय पौधों की खेती करते है – तो अन्य फसल के मुकाबले यकींन ज्यादा कमाई प्राप्त होगी , और आपकी खेती आर्गेनिक फार्मिंग मैं भी गिनी जाएगी , और साथ साथ आपकी खेती की लगत भी कम होगी और मुनाफा ज्यादा । तो चलिए जानते है 10 ऐसे औषदीय पौधों के बारे मैं जिसकी खेती आप कर सकते है और माला माल हो सकते है । ( 10 medicinal plants ) 1. बेल की खेती बेल, भारत का अति प्राचीन एवं औषधीय गुणों से परिपूर्ण फल वृक्ष है। इसे वैदिक साहित्य में ‘दिव्यवृक्ष’ का नाम भी दिया गया। इसके पंचांग (जड़, छाल, पत्ते, शाख एवं फल) को औषधि के रूप में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए बहुत उपयोगी पाया गया है। बेल के औषधीय गुणों का वर्णन यजुर्वेद, जैन साहित्य, उपवन विनोद, चरक संहिता, वृहत संहिता तथा अन्य आयुर्वेद साहित्य में विस्तृत रूप से मिलता है। इसके विशिष्ट गुणों जैसे कि विपरीत परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता, जननद्रव्यों में विविधता, प्रति इकाई उच्च उत्पादकता, विभिन्न प्रकार की भूमि एवं जलवायु में उगाने के लिए उपयुक्तता, कम देखभाल, पोषण तथा औषधीय गुण तरह-तरह के परिरक्षित पदार्थ बनाने के लिए उपयोगिता आदि का विशेष महत्व है। अधिक समय तक भंडारण क्षमता के कारण यह फल वृक्ष शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में बारानी खेती के लिए लाभकारी पाया गया है। 2 अश्वगंधा अश्वगंधा को असगंध के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम विथेनिया सोम्नीफेरा (Withania somnifera) है। विथेनिया की 26 प्रजातियां हैं, जिनमें से सॉम्नीफेरा तथा कोएग्मूलेंस भारत में पायी जाती हैं। व्यापारिक तौर पर खरीफ फसल के रूप में इसकी खेती राजस्थान, गुजरात एवं पश्चिमी मध्यप्रदेश में की जाती है। 3 करेला करेला औषधीय गुणों से युक्त सब्जी हैं जो सम्पूर्ण भारत में उगाई जाती है। करेले में उत्कृष्ट औषधीय गुण होते हैं। यह प्रतिकारक, ज्वारहरी, टॉनिक, क्षुधावर्धक, पाचक और पित्तनाशक होता है। इसमें सभी विटामिन और खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में होत्र हैं, जैसे – विटामिन ए, बी – 1, बी – 2, सी और लौह। इसका सेवन कई रोगों, जैसे उच्च रक्तचाप, आँख का रोग, तंत्रिका शोथ और कार्बोहाइड्रेट की दोषपूर्ण मेटाबौलिज्म को कम करता है। यह संक्रमण के विरूद्ध शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसकी खेती आपके लिए काफी फायदेमंद रहेगी । 4 कमरख कमरख एक विदेशी फल है और यह मुख्य रूप से श्रीलंका, मलेशिया, इण्डोनेशिया, बांग्लादेश और फिलीपींस में पाया जाता है। वर्तमान समय में भारत में भी इसका प्रचलन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कमरख के फल के औषधीय गुण मानव स्वस्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। इसीलिए इसके स्वाद व औषधीय गुणों के कारण इसे अत्यधिक पसंद किया जाता है। 5 इसबगोल इसबगोल एक छोटा पौधा है, जिसका स्वास्थ्य की दृष्टि से बड़ा ही महत्त्व है| मानव में होने वाले कई प्रकार के रोगों में इसबगोल पौधे का इस्तेमाल बहुत ही लाभकारी माना गया है| इस पौधे का उत्पत्ति स्थान मिस्र तथा ईरान है| लेकिन अब यह पौधा मालवा, पंजाब और सिन्ध में भी लगाया जाने लगा है| 6 कॉस्टस कॉस्टस (कॉस्टस स्पेशिओसस) जिंजेबरेसी कुल का बारहमासी पौधा है। इसका उत्पत्ति स्थल इंडोमालयन क्षेत्र है। यह पौधा डायोसजेनिन नामक तत्व का स्रोत है, जिसका उपयोग व्यापक रूप से स्टेरॉयड हार्मोन के व्यावसायिक उत्पादन में किया जाता है। 7 तुलसी भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है, धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। 8 ब्राह्मी ब्राह्मी का पौधा पूरी तरह से औषधीय है। यह पौधा भूमि पर फैलकर बड़ा होता है। इसके तने और पत्तियां मुलायम, गूदेदार और फूल सफेद होते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम बाकोपा मोनिएरी है। ब्राह्मी के फूल छोटे, सफेद, नीले और गुलाबी रंग के होते हैं। -यह पौधा नम स्थानों में पाया जाता है, तथा मुख्यत: भारत ही इसकी उपज भूमि है। 9 सफेद मूसली सफेद मूसली एक बहुत ही उपयोगी पौधा है, जो कुदरती तौर पर बरसात के मौसम में जंगल में उगता है| इस की उपयोगिता को देखते हुए इस की कारोबारी खेती भी की जाती है| सफेद मूसली की कारोबारी खेती करने वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल व वेस्ट बंगाल वगैरह हैं| सफेद मूसली की जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक और यूनानी दवाएं बनाने में किया जाता है| सफेद मूसली की सूखी जड़ों का इस्तेमाल यौवनवर्धक, शक्तिवर्धक और वीर्यवर्धक दवाएं बनाने में करते हैं| इस की इसी खासीयत के चलते इस की मांग पूरे साल खूब बनी रहती है, जिस का अच्छा दाम भी मिलता है| 10 अश्वगंधा अश्वगंधा को असगंध के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम विथेनिया सोम्नीफेरा (Withania somnifera) है। विथेनिया की 26 प्रजातियां हैं, जिनमें से सॉम्नीफेरा तथा कोएग्मूलेंस भारत में पायी जाती हैं। व्यापारिक तौर पर खरीफ फसल के रूप में इसकी खेती राजस्थान, गुजरात एवं पश्चिमी मध्यप्रदेश में की जाती है। Published: 1-1-2023 Article By.- VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/12/24/agriculture-सफ़ेद-बैंगन-की-खेती/ Home https://www.vikrammarket.com/खेती-की-जानकारी/ Strawberry | स्ट्रॉबेरी की खेती-सिर्फ 40 दिन Top 5 भैंसे – सबसे ज्यादा दूध कम समय मैं लखपति_वनीला खेती