Tag: काले अंगूर

आखिरकार अंगूर चले विदेश | नाशिक के अंगूर दो देशों की मांग ? | Grapes Export

आखिरकार अंगूर चले विदेश | नाशिक के अंगूर दो देशों की मांग ? | Grapes Export nashik angur

आखिरकार अंगूर की पहली गाडी निकली परदेस …… इस साल वरुण देवता अंगूर की खेती करने वाले किसानों पर ज्यादा खुश नहीं थे , फिर भी किसानों ने हार नहीं मानी और अपने अंगूर के बाग़ काफी अच्छे बनाये । अंगूर की खेती आसान नहीं , पहले दिन से ही खासा दयान देना पड़ता है । जैसे तैसे अंगूर बड़े मुश्किल से बनाकर बेचने का वक्त आता ही_ है” ‘ तो मौसम धावा बोल देता है । साल भर की मेहनत बर्बाद हो जाती है , इसी महीने याने जनवरी को नाशिक जो अंगूर उत्पादन का गड मानी जाती है , वह पर जनवरी से ही अंगूर उत्पादन शुरू हो जाता है । जो की इस साल भी हुवा , किन्तु मौसम उनकी परीक्षा ले रहा है । महीने 2 बार महाराष्ट्र मैं बारिश हो चुकी है – और यही हालत आगे भी जारी है ।  Grapes Export किसानों की इतनीही इच्छा है की जल्द से जल्द अच्छे दामों मैं अंगूर के बाग़ खली हो जाये । और उनके जोली मैं कुछ रूपये आये , और आज इसी का आगाज हुवा । अंगूर को अच्छा दाम तभी मिलता है जब उनके अंगूर बाहर के देशों मैं जाये । और ये मांग भी पूरी होने जा रही है , मतलब की आज सवेरे ही नासिक जिले से नीदरलैंड और बेल्जियम को 7 कंटेनरों से 89 मीट्रिक टन अंगूर का निर्यात किया है। इसलिए साल भर संकट में फंसे किसानों को थोड़ी राहत मिली है। विदेशी मुद्रा से अधिक लाभ कमाने की आशा में निर्यात किया जाता है। हालांकि इस साल अनुकूल माहौल नहीं रहा। फसल कटाई तक बेमौसम बारिश के खतरे से किसान चिंतित थे और आखिरकार अंगूर की निर्यात शुरू हो गई  है। पिछले साल  2020-21  – : 2 लाख 46 हजार 107 मीट्रिक टन 2 हजार 298 करोड़ का एक्सपोर्ट किया गया था , किसानों को आशा है की इस साल भी इससे अधिक अंगूर की निर्यात किया जाये । Article By. –  Vikram Market .  

Nashik Grapes मांग बढ़ते ही आसमान छूने लगे अंगूर के दाम

Nashik Grapes मांग बढ़ते ही आसमान छूने लगे अंगूर के दाम Nashik Grapes Vik

अंगूर खेती का नुकसान – और उनकी बढ़ती मांग  अनचाहे बारिश की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र आम और अंगूर के बाग हैं। नासिक, सांगली और सोलापुर जिलों में अंगूर के बागों को 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उत्पादन में सीधे तौर पर 50 फीसदी की गिरावट आई है। इसका परिणाम अंगूर के बाजारपेठ पर ही दिखा –  इस साल बारिश की वजह से अंगूर का बोहत बड़े स्तर नुकसान हुवा है , जिसका सिदा असर अंगूर के उत्पादन पर होने वाला है , अंगूर उत्पादन जो पहले बड़े स्तर पर होने वाला था। ” डिमांड और सप्लाय ” इस गणित पर ही मार्किट के दाम तय होते है , इसका मतलब की अंगूर की खेती का नुकसान होने के चलते – बचे अंगूर के दाम बढ़ने वाले है । प्रमुखता फेब्रुवारी मैं अंगूर की निर्यात शुरू होती है , और हलिये हालत देखते हुए  जानकारों का कहना है की शुरवात से ही अंगूर के दाम बढ़ते ही जाएगा, एक माह मैं यही स्थिति बरकार रहने की आशा की जाती है , और फिर मार्च महीने मैं इनके दाम मैं गिरवाट आने की कयास लगाई जा रही है । अंगूर के काम उत्पादन की वजह से जो अंगूर की बाहरी देशों मैं निर्यात की जाती है उनके दाम मैं काफी हद तक बढ़तोरि होगी । और इसका असर स्थानिक बाजारों मैं भी दिखेगा , मतलब के उन तीन दिन की बारिश का प्रहार किसानों के साल भर की मेहनत पर बोहत जोर से पड़ा । पिछले साल महाराष्ट्र राज्य से अंगूर का एक्सपोर्ट 2 लाख 46 हजार 535 मेट्रीक टन का हुवा था । इस साल भी उतनेही निर्यात की होने की संभावना जताई जाती है । नासिक जिले से 90% अंगूर निर्यात महाराष्ट्र ( maharashtra grape) के अंगूरों की एक अलग ही मिठास होती है। यही कारण है कि देश में अंगूर के कुल निर्यात का 90 प्रतिशत अकेले महाराष्ट्र से निर्यात किया जाता है। महाराष्ट्र से अकेले नासिक जिले में 90% अंगूर निर्यात किए जाते हैं (Nasik district of Maharashtra is world famous for grapes cultivation and exports of Grapes )। अब मराठवाड़ा में अंगूरों का रकबा भी बढ़ रहा है। हालांकि, हर साल अंगूर उत्पादकों पर प्रकृति की मार पड़ती है। भारत देश इंग्लैंड, नीदरलैंड, जर्मनी, फिनलैंड सहित अन्य देशों को भी निर्यात करता है। -VikramMarket.     सभी मार्किट भाव   Home Onion Price : सस्ता और मेहेंगा प्याज किस देश मैं है Peru ki kheti: अमरूद की खेती कैसे करे PM: 2 सरकारी योजना, होगा पैसों का लाभ डेयरी फार्मिंग [ शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी ] डेयरी फार्म बिज़नेस | Dairy farming  

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