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Maize Price_कुछ दिनों मैं मक्का ३००० रूपये ?

Maize Price_कुछ दिनों मैं मक्का ३००० रूपये ? Kheti ki news

Makka Rate Today_कुछ दिनों मैं मक्का ३००० रूपये ? MAIZE मक्का देश में लगातार दूसरे साल रिकॉर्ड मक्का उत्पादन हासिल किया गया। अच्छी बारिश और उपजाऊ वातावरण के कारण मक्का का उत्पादन बढ़ा। फसल वर्ष में जुलाई 2020 से जून 2021 तक देश में 331 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यहां आपूर्ति बंद कर दी गई । सोयाबीन की कीमतों में तेजी रही। नतीजतन, पोल्ट्री और पशु चारा में मक्का का उपयोग बढ़ गया। नतीजतन, मक्का की मांग बढ़ गयी और कीमतों मैं बढ़ोत्तरी हुयी। सरकार ने मक्का के लिए 1870 रुपये हमीभाव की घोषणा की है।हालांकि, मक्का खुले बाजार में 2,500 रुपये से 2,600 रुपये के बीच बेचा जा रहा है। क्या मक्का के दाम और बढ़ेंगे ? Maize Mandi prices Maize Rate-: अगर रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते और कुछ दिनों तक मक्का की कमी रही , तो दरें और बढ़ सकती हैं। पहले गेहू , फिर चावल और अब मक्का की दुनिया भर मैं कमी _ बोहत बढ़ी भुखमरी की और विश्व की राह तय कर रही है । ऐसा ही चलता रहा तो बोहत जल्द खाने के लिए जंगे होने लगेगी , और इनके परिणाम बोहत भयनंकर होंगे । हाल फ़िलहाल मक्का की स्थिति को देखकर, विशेषज्ञों ने संभावना जताई है कि अगले कुछ महीनों में दरें 2,800 रुपये से 3,000 रुपये तक पहुंच जाएंगी। अगर ऐसा होता है तो देश के मक्का उत्पादकों को फायदा हो सकता है। रूस और उक्रैन युद्ध का मक्का पर भी असर  Russia Ukrain War Impact :- यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका समेत कुछ देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन इसके बावजूद रूस तुर्की के जरिए गेहूं और मक्का का निर्यात कर रहा है। विश्व बाजार में मक्का की मांग है। इसलिए रूस ने 13 से 19 जुलाई की अवधि के लिए मक्का निर्यात शुल्क में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। पहले मक्के के निर्यात पर निर्यात शुल्क 2 हजार 196 रूबल प्रति टन था। अब इसे बढ़ाकर 3 हजार 75 रूबल कर दिया गया है। रूबल रूस की मुद्रा है। ( 1 रूबल यानि =1.37 भारतीय रुपया )| Article.By- VikramMarket

Aeroponic Farming : हवा में भी आलू उगा पाएंगे किसान

Aeroponic Farming : हवा में भी आलू उगा पाएंगे किसान Vik 28

Aeroponic Farming : हवा में भी आलू उगा पाएंगे किसान Potato Farming :- सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन अब आलू हवा में उगाए जा सकेंगे और  यह संभव हुआ है । Aeroponic Potato Farming तकनीक से। इस तकनीक के जरिए आलू उगाने के लिए अब जमीन और मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी। ICAR_ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ICAR  के अंतर्गत केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान पिछले कई साल से आलू के बीज उत्पादन की इस तकनीक पर अनुसंधान कर रहा था। इस तकनीक का नाम ‘एरोपोनिक फार्मिंग’ है। एरोपोनिक फार्मिंग में बीजों के अंकुरित होने के बाद उसे बनाए गए छोटे-छोटे खांचों में रख दिया जाता है जिसकी जड़ें नीचे हवा में झूलती हैं। इन जड़ों पर पोषक तत्वों का छिड़काव मिस्टिंग के रूप में किया जाता है जिससे आलू की फसल खराब नहीं होती और पैदावार अच्छी होती है। बता दें इस अनुबंध पर केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र काफी वक्त से इस तकनीक पर काम कर रहा था। अब इस अनुबंध के साथ मध्य प्रदेश बागवानी विभाग को इस तकनीक का लाइसेंस देने का अधिकार दिया है. जिसके बाद आलू उत्पादन के क्षेत्र में अच्छा-खासा विकास देखने की उम्मीद जताई जा रही है। क्या है एरोपोनिक तकनीक? What Is Aeroponic Farming बहुत से लोग अक्सर एरोपोनिक खेती और हाइड्रोपोनिक खेती को एक जैसा समझते है। हालांकि खेती के ये दोनों रूप हाल-फिलहाल के सालों में ही काफी लोकप्रिय हुए हैं। दोनों विधियां समान हैं, क्योंकि इनमें  मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन जिस तरह से इन विधियों में पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचाया जाता है वह बहुत अलग है। हाइड्रोपोनिक में, पौधों को पूरे समय पानी में रखा जाता है, जबकि Aeroponic Potato Farming में पानी स्प्रे करके पोषक तत्व दिए जाते हैं। हवा में किया जाएगा आलू बीज का उत्पादन आलू के पौधे को एक बंद वातावरण में उगाया जाता है, जिसमें पौधा ऊपर की ओर रहता है और जड़ें नीचे की और अँधेरे में रहती हैं।  नीचे की और  पानी के फव्वारे लगे रहते हैं, जिससे पानी में न्यूट्रीएंट्स मिलाकर जड़ों तक पहुंचाए जाते हैं। यानी ऊपर पौधे को सूरज की रौशनी मिलती है और नीचे से पोषक तत्व और इससे पौधे का विकास होता रहता है।” एरोपोनिक तकनीक के माध्यम से पोषक तत्वों को धुंध के रूप में जड़ों में छिड़का जाता है. पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा और प्रकाश में रहता है. इस तकनीक से आलू उगाने के दौरान मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाता है. ऐसे में फसल में मिट्टी जनित रोगों के लगने की संभावना भी कम रहती है, जिससे किसानों का नुकसान काफी हद तक कम हो सकता है. Minister of Agriculture India केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी का कहना है _ कि यह नई तकनीक आलू के बीज की आवश्यकता को महत्वपूर्ण रूप से पूरा करेगी साथ ही देश में आलू के उत्पादन में वृद्धि भी होगी । केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने हवा में आलू के बीज उत्पादन की यह अनूठी तकनीक विकसित की है। इसके अंतर्गत ग्वालियर में म.प्र. की पहली लैब स्थापित होगी।   Article By.- VikramMarket   Tag.- Agriculture News in हिंदी – Aeroponic Potato फार्मिंग – Agriculture की ताज़ा खबरे हिन्दी में | ब्रेकिंग

कब तक है बारिश – महाराष्ट्र के कोनसे हिस्से मैं बारिश

कब तक है बारिश – महाराष्ट्र के कोनसे हिस्से मैं बारिश sheti batamya in marathi

Agriculture News In Hindi  फिलहाल राज्य के कई हिस्सों में चना और गेहूं निकालने की तैयारी चल रही है. बारिश इस काम में बाधा डाल सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक ७ तारीख से 10 तारीख तक राज्य में बारिश की संभावना है. गरज के साथ बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के प्रमुख का Tweet मराठी का अनुवाद: देश के मध्य भाग में पूर्वी हवाओं के संगम और पूर्वी हवाओं में गर्त के कारण: महाराष्ट्र, गुजरात में 7 से 10 मार्च, पश्चिम. राजस्थान और पूर्वी मध्य प्रदेश में गरज के साथ हवा के झोंके और गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश। 8 और 9 मार्च: मध्य महाराष्ट्र में मूसलधार बारिश की संभावना है।   * 8 और 9 मार्च – धुले, जलगांव, नंदुरबार, नासिक, औरंगाबाद, अहमदनगर, पुणे, सतारा, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग, बुलढाणा, परभणी, जालना, बीड, परभणी, वाशिम, हिंगोली, अकोला, अमरावती, यवतमाल, वर्धा, नागपुर, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, भंडारा और गोंदिया जिले में भारी बारिश की संभावना है। * 10 मार्च – बुलढाणा, अकोला, वाशिम, यवतमाल, अमरावती, वर्धा, नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा, गोंदिया और गढ़चिरौली जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है। जलगांव, औरंगाबाद, अहमदनगर, पुणे, सतारा, नासिक, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग और धुले में हल्की बारिश की संभावना है। इस बीच, महाराष्ट्र, गुजरात, पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश में तारीख 7 से 10 तारीख तक कुछ इलाकों में हल्की बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ेंगी। * Nashik News in Hindi इस अनचाही बारिश की वजह से नाशिक मैं अंगूर के बागों का बोहत ही बढ़ी हानि हो सकती है । पहले ही बोहत दिक्क्तों से अंगूर उत्पादक किसान गुजर रहे है , और अब बारिश भी दस्तक दे रही है । ऐसा पिछले 4 साल से हो रहा है , सब परशानी से जूझकर किसान अंगूर तो संभाल लेता है पर बारिश का क्या मुकाबला …. ऐसा ही चलता रहा तो अंगूर उत्पादक किसान बचेगा ही नहीं – हर साल उसके ऊपर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है – वे फल तो फुला लेते है पर उनके  जेब मैं कुछ नहीं आता । लाखों का माल आँखों के सामने बारिश मैं बह जाता है , और साथ साथ उम्मीद भी । सरकार को इस विषय मैं ध्यान देने की जरुरत है , कर्ज माफ़ करने की जरुरत है , इनके लिए योजनाए लाने की जरुरत है । अगर ऐसा नहीं हुवा तो इनकी हालत बद से बद्द्तर हो जायगी । Writer -: Vikram Shinde ArticleBy- VikramMarket.

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