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पॉलीहाउस में सब्जियों के साथ “मधुमक्खी पालन”

पॉलीहाउस में सब्जियों के साथ “मधुमक्खी पालन” beekeeping

पॉलीहाउस में सब्जियों के साथ “मधुमक्खी पालन“ Beekeeping:- भारत शुरवात से ही  कृषी प्रधान देश बना रहा है। भारत में खेती अब पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीक से भी की जाती है। कृषि के क्षेत्र में हर दिन नए बदलाव हो रहे हैं। कृषि में मशीनीकरण गति पकड़ रहा है। इससे कृषि की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी। ऐसा ही एक आधुनिक विकल्प ICAR-IIHR के वैज्ञानिकों ने ईजाद किया है। जिसमें किसान फल, फूल और सब्जियों के साथ-साथ मधुमक्खियों से भी उपज प्राप्त कर सकते हैं। अब तक किसान खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन, मछली पालन आदि व्यवसाय कर अतिरिक्त पैसा कमा रहे थे। लेकिन अब किसान शहद बेचकर अतिरिक्त पैसा कमा सकते हैं। क्योंकि आईसीएआर-आईआईएचआर के वैज्ञानिकों ने पॉलीहाउस से फसलों से शहद पैदा करने का तरीका ढूंढ लिया है। इसके माध्यम से किसान मधुमक्खियों से शहद निकाल सकते हैं और अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। पॉलीहाउस मैं मधुमक्खी पालन कैसे संभव है ?  beekeeping business: अब तक किसान खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन, मछली पालन आदि व्यवसाय कर अतिरिक्त पैसा कमा रहे थे। लेकिन अब किसान शहद बेचकर अतिरिक्त पैसा कमा सकते हैं। क्योंकि आईसीएआर और आईआईएचआर के वैज्ञानिकों ने पॉलीहाउस से फसलों से शहद पैदा करने का तरीका ढूंढ लिया है। इसके माध्यम से किसान मधुमक्खियों से शहद निकाल सकते हैं और अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। पॉलीहाउस को फसलों के लिए सुरक्षा कवच के रूप में जाना जाता है। क्योंकि पॉलीहाउस फसलों को बारिश, हवा, कीड़ों, बीमारियों से बचाता है। यह फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करता है। आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया ह। जिसमें खरबूजे और ककड़ी की फसलों के लिए एक पॉलीहाउस में ‘एपिस सेराना’ और डंक रहित मधुमक्खी ‘टेट्रागोनुला इरिडिपेनिस’ की एक युनिट लगाई गई थी। मधुमक्खी के छत्ते की युनिट इस तरह से स्थापित की गई थी कि मधुमक्खियों के लिए अंदर और बाहर निकलना आसान था। मधुमक्खी पालन युनिट कैसे स्थापित करें? | beekeeping India  Polyhouse Farming: पॉलीहाउस मधुमक्खी पालन और फसल परागण पर शोध करने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने मधुमक्खी के डिब्बे को पॉलीहाउस की छत से लटका दिया और 8 फ्रेम बॉक्स इस तरह से लगा दिए कि मधुमक्खियां उसमें से आगे-पीछे हो सकें। इस समय मधुमक्खियां परागण शुरू करती हैं और शहद और मोम के छर्रों को बनाने के लिए छत्ते में लौट आती हैं। इस प्रकार मधुमक्खियां एक स्थान पर बंद रहते हुए शहद एकत्र करती हैं। मधुमक्खी पालन अब देश में लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि इसका किसान की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मधुमक्खियों के बारे मैं जानकारी | Information About Bees मधुमक्खी पालन से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। एक खेत में गर आप एक पेटी रखते हो तो , उसमैं से आप एक वर्ष में 50 किलो शहद और 2 से 3 मधुमक्खियों के बॉक्स भरकर कर नए मधुमक्खियों मिल सकती है। ये नई मधुमक्खियां से आप अपना मधुमक्खियों का व्यवसाय और बढ़ा सकते है। एक पेटी में कुल 3 तरह की मधुमक्खियां रखी जाती हैं। इन तीन प्रकार की मधुमक्खियों में रानी मधुमक्खियाँ, नर मधुमक्खियाँ और श्रमिक मधुमक्खियाँ शामिल हैं। एक बॉक्स में कार्यकर्ता मधुमक्खियों की संख्या 30,000 से 1 लाख तक होती है – ये वही मधुमक्की होती है जो शहद जमा कर के लाती है । नर मधुमक्खियों की संख्या लगभग 100 है। इसमें रानी मधुमक्खियों की संख्या मात्र 1 होती है। विभिन्न प्रकार की मधुमक्खियों का जीवन काल अलग-अलग होता है। एक रानी मधुमक्खी 1 वर्ष तक जीवित रहती है, एक नर मधुमक्खी 6 महीने तक जीवित रहती है और एक श्रमिक मधुमक्खी लगभग डेढ़ महीने तक जीवित रहती है। Article By.- VikramMarket.  

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