40 हजार रुपए Kg बिकने वाला “मसाला” Asafoetida Farming: यदि हम भारत में हिंग के उत्पादन पर विचार करें, तो हमारे पास बहुत कम उत्पादन होता है और हमारी हिंग की आवश्यकता आयात से पूरी होती है। यह स्थिति हींग की खेती के माध्यम से भारी धन कमाने का अवसर प्रदान कर रही है। यह एक मसालेदार व्यंजन है और खाना पकाने में हींग का उपयोग किया जाता है। हींग की खेती सबसे पहले भारत में हिमाचल प्रदेश से की गई थी। हींग के बाजार भाव पर गौर करें तो भारत में शुद्ध हींग की कीमत 35000 से 40 हजार रुपये प्रति किलो के बीच है। हींग एक मसाले के रूप में महत्वपूर्ण है लेकिन दुनिया के कई देशों में दवा के रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।हींग की कुल वैश्विक खपत का लगभग 40% भारत में खपत होता है। तो हमारा भारत हिंग का एक बड़ा बाजार है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हिंग का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है । इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण और फायदेमंद होते हैं।भारत में 2020 में पहली बार हिमाचल प्रदेश से हींग की खेती शुरू हुई। हींग इतना महंगा क्यों है? hing ki kheti: हींग का पौधा गाजर और मूली के पौधों की श्रेणी में आता है. ठंडे और शुष्क वातावरण में इसका उत्पादन सबसे अच्छा होता है।पूरी दुनिया में हींग की क़रीब 130 किस्में हैं। इनमें से कुछ किस्में पंजाब, कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में उपजाई जाती है लेकिन इसकी मुख्य किस्म फेरुला एसाफोइटीडा भारत में नहीं पाई जाती है। हालांकि बीज बोने के बाद चार से पांच साल लगेंगे वास्तविक उपज पाने में. एक पौधे से क़रीब आधा किलो हींग निकलता है और इसमें क़रीब चार साल लगते हैं। इसलिए हींग की क़ीमत इतनी ज़्यादा होती है। हींग की क़ीमत इस पर भी निर्भर करती है कि इसे कैसे पैदा किया जा रहा है. भारत में शुद्ध हींग की क़ीमत अभी क़रीब 35 से 40 हज़ार रुपये है. हींग से कितना कमा सकते है ? हींग की खेती की लागत पर विचार करें तो एक हेक्टेयर के लिए तीन लाख रुपये खर्च होते हैं। अगले पांच वर्षों की आय पर विचार करें तो इस पद्धति से दस लाख रुपये तक का वित्तीय लाभ प्राप्त किया जा सकता है।इस माध्यम से प्राप्त होने वाली आर्थिक आय पर विचार करें तो बाजार में एक किलो हिंग की कीमत 35000 से 40 हजार रुपये प्रति किलो है। इस हिसाब से अगर आप महीने में पांच किलो हींग बेचते हैं तो भी आप आसानी से दो लाख रुपए कमा सकते हैं। Article By.- VikramMarket.
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#trend_गेहूं-चावल-प्याज-दाल-तेल – दाम “कम” ज्यादा
इस आर्टिकल मैं हम बाजार मैं घट रही जानकारी कम शब्दों मैं आपको देंगे । #trend_गेहूं-चावल-प्याज-दाल-तेल – दाम “कम” ज्यादा Farmer Market Trend गेहूं सस्ता-चावल महंगा | Wheat: प्रतिबंध के बाद भी सनसुदी में गेहूं की कीमत में चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि बासमती चावल की कीमत में 12 फीसदी की कमी आई है. बासमती चावल को छोड़कर अन्य चावल पांच फीसदी सस्ते हुए हैं। प्याज के दाम ठीक ठाक | Onion OnionPrice: भंडारण क्षमता में सुधार के साथ-साथ उत्पादन में वृद्धि के कारण प्याज ने इस साल अक्टूबर-दिसंबर के दौरान प्याज लगाने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा कमा के दिया है। हलाकि किसानों की मनपसंद कीमत तो नहीं पर जितना अभी हाल फ़िलहाल प्याज के दाम है वे भी ठीक है। लासलगांव बाजार में प्याज के दाम पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी कम हैं। प्याज की मौजूदा कीमत 1,220 रुपये प्रति क्विंटल है। पिछले साल यह 2,354 रुपये था। दिवाली की वजह से दाल की कीमत मैं बढ़ोत्तरी Diwali: दिवाली से पहले दालों के दाम बढ़ गए हैं। अरहर दाल की कीमत में पिछले एक हफ्ते में चार से पांच रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही उड़ीद दाल और खाद्य तेल की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। दाल कीमतों का असर थोक बाजार समेत खुदरा बाजार पर दिखने लगा है। देखा जा सकता है कि उत्पादन घटने की आशंका से दालों के दाम बढ़ रहे हैं। इस साल भारी बारिश से दाल वाली फसलों को काफी नुकसान हुआ है। संभावना है कि आने वाले समय में दाल उत्पादन में कमी आएगी। इसलिए दालों के दाम अभी से बढ़ना शुरू हो गए हैं। तुर दाल की कीमत बढ़ी Tur Dal: पिछले आठ दिनों में अरहर दाल के भाव में चार से पांच रुपए का इजाफा हुआ है। फिलहाल तुर दाल का थोक बाजार भाव 110 रुपये प्रति किलो है। खुदरा बाजार में अरहर दाल की कीमत 125 से 130 रुपये प्रति किलो हो गई है। उड़ीद दाल की कीमत बढ़ी Urad Dal: उड़ीद की दाल 97 से 100 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रही थी. लेकिन दिवाली से पहले उड़ी दाल की कीमत 105 रुपये से 110 रुपये तक पहुंच गई है। तेल की कीमत मैं बढ़ोतरी साथ ही खाद्य तेल की कीमतों में तेजी की भी आशंका है। खाद्य तेल 3 से 4 रुपए महंगा हो गया है। आशंका जताई जा रही है कि इसमें और इजाफा होगा। Article By.- VIkramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/10/07/goat-milk_बकरी-का-दूध-है-सेहतमंद/ Tag : The Trend Of Farmers’ Markets In India Indian Farming Market Farmers’ Markets – Agricultural Marketing kheti kheti news Farming News in Hindi खेती की ताज़ा खबरे हिन्दी में खेती News, खेती की ताज़ा ख़बर, खेती हिंदी न्यूज़ Latest Kheti Kisani News in Hindi खेती समाचार | खेती की ताजा खबर, लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट, खेती की ताज़ा ख़बर, ब्रेकिंग न्यूज़ एग्रीकल्चर न्यूज़ हिंदी में: कृषि की ताजा खबरें
@Aprajita_ऐसा फूल जिससे बनती है चाय , लाखों मैं कमाई
@Aprajita_ऐसा फूल जिससे बनती है चाय , लाखों मैं कमाई | Asian pigeonwings Farming Aparajita Cultivation: औषधीय फसलों की खेती देश में किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय हो रही है। वाजह भी साफ है – अन्य फसलों के मुकाबले औषधीय फसलों मैं अधिक मुनाफा मिल रहा है। और इसमें ज्यादा मात्रा मैं फ़र्टिलाइज़र भी इस्तमाल नहीं होता , जिसे की उनकी खेती मैं लगने वाला खर्च कम भी कम आता है । तो आयी आज हम आपको ऐसे फसल के बारे मैं बतायनेगे , जिसे करकर आपकी आय दुगुनी हो जाएँगी । Aprajita Flower Farming : इस औषिधीय वनस्पति का नाम अपराजिता है ।अपराजिता याने की तितली मटर एक औषधीय फसल होने के साथ-साथ दलहनी और चारा फसल भी है । इसके-मटर और फलियां जहां भोजन बनाने में काम आती हैं। वहीं, इसके फूलों से ब्लू टी यानी नीली चाय बनाई जाती है। इस नीली चाय को डायबिटीज जैसी बीमारियों के खिलाफ फायदेमंद है। वहीं, इस पौधे के बाकी बचे भाग को आप पशु चारे के तौर पर उपयोग कर सकते हैं. यानी एक फसल तीन काम और तीन गुना ज्यादा मुनाफा। अपराजिता खेती कैसे की जाती है ? World Famous Blue Tea :- अपराजिता यानी तितली मटर एक सदाबहार औषधीय फसल है, जो सर्दी, गर्मी या सूखे जैसी परिस्थितियों में बढिया उत्पादन देती है. मौसम की अनिश्चितताओं, जोखिमों और खारी जमीन में भी ये विकसित हो जाती है।अपराजिता की फसल गर्मी से लेकर सूखे जैसी स्थितियों में भी बढ़िया तरीके से विकास करती हैं। मिट्टी और जलवायु का इसपर कोई खास असर नहीं पड़ता है। इसकी खेती से पहले बीजों का उपचार कर लेना चाहिये. विशेषज्ञों के अनुसार, बुवाई 20 से 25 × 08 या 10 सेमी की दूरी एवं ढ़ाई से तीन सेमी की गहराई पर करनी चाहिए। इसकी फलियों की तुड़ाई वक्त रहते कर लें, वरना इसकी फलियां जमीन पर गिरकर खराब हो जाती हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं तो आराम से 1 से 3 टन सूखा चारा और 100 से 150 किलो बीज प्रति हेक्टेयर का उत्पादन हासिल कर सकते हैं। वहीं, सिंचाई वाले इलाकों में इसके उत्पादन में 8 से 10 टन सूखा चारा और 500 से 600 किलो बीजों का उत्पादन लिया जा सकता है. कई देशों में इसके फूलों और प्रोडक्ट की निर्यात भी किया जाता है. ऐसे में किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा हासिल कर सकता है। बोहत सरे देशों मैं अपराजिता की खेती की जाती है Asian Pigeonwings Farming :- आपके जानकारी के लिए बता दें कि भारत के अलावा इसकी खेती अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों में बड़े पैमाने पर की जाती है। Article By. – VikramMarket.
Weather Today_ 15 जुलाई तक रेड अलर्ट
15 जुलाई तक रेड अलर्ट | Today Maharashtra Weather Weather Today :- पिछले 10 दिनों से राज्य में शुरू हुई बारिश से उन्हें कब राहत मिलेगी, हर कोई यही सोच रहा है. लेकिन मौजूदा मूसलाधार बारिश से राहत पाने के लिए आपको और 3 दिन इंतजार करना होगा। क्योंकि मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का वातावरण तैयार हुवा है, जबकि पश्चिमी तट पर द्रोणिय की स्थिति राज्य में मानसून को प्रभावित करेगी। इसलिए 15 जुलाई तक रेड अलर्ट जारी किया गया है। 11 Jul,बंगालच्या उपसागरातील कमी दाबाचे क्षेत्र,पश्चिम किनार्यावरील द्रोणिय स्थिती,20°N पूर्व-पश्चिम शियर,मान्सून ट्रफ त्याच्या सामान्य स्थितीच्या दक्षिणेकडे स्थित;परिणामी ह्या ४-५ दिवसात कोकण (मुंबई ठाण्यासह),मध्य महाराष्ट्र व विदर्भात काही ठिकाणी मुसळधार पाउस,मराठवाड्यातही जोर pic.twitter.com/mYMZNxDk9U — K S Hosalikar (@Hosalikar_KS) July 11, 2022 महाराष्ट्र प्रदेश के चारों भागों में अब मानसून सक्रिय है। न केवल सक्रिय बल्कि मौसम विभाग द्वारा किए गए पूर्वानुमान के अनुसार भी जुलाई में बारिश ने अपना अंदाज भी बदल लिया है। हालांकि जून में मानसून अनिश्चित देखा गया, सभी जुलाई में राज्य में भारी बारिश हो रही है। अगले तीन से चार दिनों तक यही स्थिति रहने की संभावना है। Maharashtra Manson Report कोंकण, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों और पूर्वी विदर्भ में भारी बारिश हो रही है। अन्य जगहों पर हल्की बारिश हो रही है। बारिश ने कुछ जगहों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है और नदियां उफान पर हैं। मौसम विभाग ने आज और कल कोंकण, मध्य महाराष्ट्र और पूर्वी विदर्भ में भारी बारिश की चेतावनी दी है । Article By.- VikramMarket.
फर्टिलाइजर ( खादों ) की कीमतों मैं बढ़ोतरी | Russia Ukraine War Impact On Fertilizer
फर्टिलाइजर की कीमतों में आ सकता है तेज उछाल | Russia Ukraine War Impact Fertilizer * किसानों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से उर्वरकों खादों ( Fertilizer) कीमतों में 10 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। रशिया दुनिया का एक प्रमुख (Fertilizer Suppliers ) फर्टिलाइजर सप्लायर है , यूक्रेन के साथ युद्ध करने के चलते अमेरिका सहित अन्य देशों ने रूस पर काफी ज्यादा हाडा तक प्रतिबंद लगा दिए है । इसका सीधा असर ऑइल, पेट्रोल , इ. चीज़ों पर देखा जा सकता है , इसमें फ़र्टिलाइज़र ( Agriculture_Farming) भी शामिल है , जो हम बड़े पैमाने पर रूस से मंगवाते है । रूस – यूक्रेन युद्ध (russia Rkraine War )के चलते उर्वरकों ( खादों ) की सप्लाई बाधित हो रही है। * रशिया सालाना 5 करोड़ टन उर्वरक का उत्पादन करता है , जो दुनिया के कुल उत्पादन का लगभग 13 प्रतिशत है। रूस सिंथेटिक फर्टिलाइजर ( synthetic fertilizer) का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक ( Exporter) है, जो यूरिया (urea) के पांचवें हिस्से से अधिक की आपूर्ति करता है। * भारत सरकार ने उर्वरक सब्सिडी पर 19 अरब डॉलर खर्च करती है , भारत में अधिकांश उर्वरक रूस से आते हैं । रूस दुनिया में उर्वरक का सबसे बड़ा निर्यातक (exporter )है . उर्वरक बनाने के लिए आपको प्राकृतिक गैस ( natural gas )की आवश्यकता होती है – और वै ज्यादातर रूस में है। * उर्वरक के उत्पादन में पोटाश ( potash) की एक बड़ी भूमिका होती है। भारत बड़ा मात्रा में पोटाश का आयात करता है, रूस ( russia) , यूक्रेन ( Ukrain )और बेलारूस पोटाश के सबसे बड़े निर्यातक हैं। युद्ध के कारण इन देशों से पोटाश की सप्लाई ठप पड़ी है, भारत अपने कुल उर्वरक आयात का 10-12 फीसदी हिस्सा रूस, यूक्रेन और बेलारूस से मंगवाता है। इसके अलावा पोटाश उत्पादन करने वाले अन्य देश जैसे कनाडा अपना उत्पादन बढ़ाने को सहमत नहीं हैं और इसी कारण वैश्विक बाजार में इसके दाम अधिक हैं. Fertilizer Rates : जानकार बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष में पोटाश का आयात करीब 280 डॉलर प्रति मिट्रिक टन के दाम पर किया जा रहा है, आपूर्ति संकट के कारण इसके दाम 500 से 600 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो सकते हैं , अब यह दाम काफी बढ़ गया है, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। इस साल भारत सरकार फ़र्टिलाइज़र की मैं 40 बिलियन डॉलर की सब्सिडी बढ़ाने वाला था , पर अब शायद किसानों के लिए ये सब्सिडी मिला कर भी खादों के दाम काफी ज्यादा होंगे । Article By.- VikramMarket. Tag:- Agriculture News | sheti batamya in marathi | Agriculture Latest News | Agriculture News in Hindi | Breaking Agriculture Live News Update | इफको डीएपी की कीमत 2022 | Kheti kisani Samachar | Kheti kisani Samachar खेती किसानी की जानकारी और ख़बरें | खेती News, खेती की ताज़ा ख़बर, खेती हिंदी न्यूज़