@Farmers Market Report_टोमेटो और प्याज की आवक बढ़ी- दाम गिर कृषि :- जुलाई के महीने में मक्का, मूंग और तूर के दाम बढ़ रहे थे। कपास, चना, सोयाबीन, प्याज और टमाटर की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। 4 फरवरी से देश में कपास के आयात में गिरावट आ रही है। हल्दी, चना और अरहर की अवाक् भी मार्किट मैं लगातार बढ़ रही है। 3 जून से मक्का की आवक लगातार बढ़ रही है। मूंग की आवक 8 जुलाई तक बढ़ रही थी, जिसके बाद यह नीचे आ रही है। 13 मई से सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के बाद से निवेश में तेजी आई है। प्याज की साप्ताहिक आवक 22 अप्रैल के बाद तीन से चार लाख टन पर बनी हुई है। 6 मई के बाद टमाटर की आवक लगातार बढ़ रही है। Tomato Market Rates टोमेटो की आवक -: टमाटर की कीमतों में एक बार फिर गिरावट शुरू हो गई है। टमाटर की आवक जून और जुलाई के महीनों में बढ़ रही है। इसका प्रमुख स्रोत कर्नाटक (40 प्रतिशत) है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की भागीदारी 10-10 प्रतिशत की है। #AgricultureNewsToday Onion Market Price Today प्याज के भाव और आवक -: पिछले सप्ताह प्याज का मुख्य भाव पिंपलगांव जो प्याज का बोहत बड़ा मार्किट है , उस मैं 1,३०० रु. था। इस सप्ताह यह दर 1.3 प्रतिशत गिरकर रु. 1,238 आ गया है। जुलाई के महीने में प्याज की कीमतों में गिरावट आती दिखाई दी है , अब देखना यह है ,”की” इस महीने याने ऑगस्ट मैं ये और गिरेंगे या बढ़ेंगे ? सभी मार्किट भाव Soybean Market Price सोयाबीन के भाव और आवक -: सोयाबीन का मुख्य भाव जून में गिर रहा था। जुलाई के महीने में भी गिरावट का सिलसिला जारी रहा । इस सप्ताह सोयाबीन की कीमत रु. 6,451 मि रहा है। सोयाबीन की गारंटीड ( तय कीमत ) कीमत रु. 4,300 की घोषणा की गई है। व्यापरियों का कहना है , यह दर कुछ दिनों तक स्थिर रहेंगे। Corn Market Price मक्का के भाव और अवाक -: मक्का की जून मैं कीमते बढ़ती रही । जुलाई के महीने में भी मक्का का भाव बढ़ रहा था । इस सप्ताह हाजिर कीमतें रु. 2,300 पर स्थिर हैं। फ्यूचर्स (अगस्त डिलीवरी) की कीमतें रु. 2,307 आए हैं। अक्टूबर वायदा भाव रु. 2,328 आए हैं। मक्का प्रति क्विंटल का गारंटीड मूल्य रु. 1,962 है। ये भी पढ़िए – Sahiwal Cow_साहिवाल गाय – लाखों की कमाई Article By .- VikramMarket.
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सूरजमुखी तेल की भारी कमी – Shortage of सुंफ्लोवेर oil | Agriculture की खबरें
सूरजमुखी तेल की कमी | Sunflower Seed Oil Latest Price भारत में हर साल करीब 220 से 225 लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है। यह 25 लाख टन से अधिक सूरजमुखी तेल की खपत करता है। खाद्य तेल की टोकरी में सूरजमुखी का तेल पाम तेल, सोयाबीन तेल और सरसों के तेल के बाद चौथे स्थान पर है। हर साल 22 से 25 लाख टन सूरजमुखी तेल की जरूरत होती है। इसमें से देश केवल 50,000 टन के बीच उत्पादन करता है। बाकी का सूरजमुखी तेल आयत किया जाता है। ( Indian Sunflower Oil ) रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व स्तर पर सूरजमुखी के तेल की भारी कमी पैदा कर दी है। जैसा कि आप जानते हैं, यूक्रेन सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है और रूस दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। हालांकि, युद्ध ने दोनों देशों के बीच निर्यात को बाधित किया। यूक्रेन के अधिकांश बंदरगाहों को निर्यात ठप है। यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूरजमुखी के तेल की कमी है। भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देश संकट में हैं। दुनिया भर के सुपरमार्केट सूरजमुखी के तेल की कमी का सामना कर रहे हैं। जिन क्षेत्रों में सूरजमुखी तेल उपलब्ध है, वहां दरें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। सूरजमुखी के तेल की दक्षिण भारत में भी काफी मांग है लेकिन वर्तमान में यहां सूरजमुखी का तेल भी उपलब्ध नहीं है। ब्रिटेन में सूरजमुखी के तेल की कमी के कारण उपभोक्ता खरीद सीमित थी। यहां के दाम बढ़ने से उपभोक्ता भी परेशान हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया। इससे पहले देश में तेल टैंकर मार्च में पहुंचे थे। इसलिए मार्च में सूरजमुखी के तेल की कोई कमी नहीं रही। भारत ने मार्च में 200,000 टन सूरजमुखी तेल का आयात किया। हालांकि अप्रैल में आयात 1 लाख टन से कम हो सकता है। इसलिए देश में खाद्य तेल की कीमतों में मई में और सुधार हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक रूस-यूक्रेन युद्ध बंद नहीं होगा, सूरजमुखी की आपूर्ति नहीं बढ़ेगी। शिया-यूक्रेन युद्ध ( Russia Ukrain War ) ने विश्व स्तर पर सूरजमुखी के तेल की भारी कमी पैदा कर दी है। भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देश संकट में हैं। Article By.- VikramMarket