moti ki kheti: मोती की खेती कैसे करे ? Pearl Farming : मोती पालन का व्यवसाय आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। जिस तरह से मछली पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन को मुनाफे के रोजागर के रूप में जाना जाता है ठीक उसी तरह से मोती की खेती (moti ki kheti) करके बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है। मोती को समुद्र से निकालना अब पुराने जमाने की बात हो गई है, प्रशिक्षण हासिल करके मोती पालन का काम सीखा जा सकता है। कम निवेश ज्यादा मुनाफा मोती की खेती : मोती की खेती के लिए बहुत ज्यादा धन की आवश्यकता नहीं हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, सिर्फ 25 हजार के निवेश से किसान 3 लाख तक का बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. बता दें कि मोती से कई तरह के महंगे आभूषण बनाए जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह करोड़ों में बिकते हैं। ऐसे बनता है मोती मोती की खेती : मोती एक प्राकृतिक रत्न है जो सीप के भीतर बनता है। सीप यानी घोंघे का घर। घोंघा जब भोजन करने के लिए सीप से अपना मुंह बाहर निकलता है तब अनचाहे परजीवी भी उसके साथ चिपककर सीप के अंदर प्रवेश कर जाते हैं जिनसे छुटकारा पाने के लिए घोंघा अपने ऊपर रक्षा कवच बनाना शुरू कर देता है जो आगे चलकर मोती का रूप धारण करता है, ये प्राकृतिक प्रक्रिया होती है मोती के बनने की। इसी प्रक्रिया को जब कृत्रिम तरीके से कराया जाता है तब इसे मोती पालन (moti palan) या पर्ल कल्चर कहा जाता है। आपको बता दें, एक मोती की कीमत दो सौ से दो हजार तक की होती है और अगर मोती उच्च गुणवत्ता का है तब इसकी कीमत लाखो तक हो सकती है। कैसे होती है मोती की खेती? मोती की खेती : किसान सीप के सहारे मोती उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए वे 500 वर्गाकार फीट का तालाब या टैंक का चुनाव कर लें. सबसे पहले सीपों को घर पर ही बनाए गए छोटे तालाब में वातावरण के अनुकुल ढालने के लिए 10 दिन तक छोड़ देते हैं. फिर सर्जरी करके उनमें न्यूक्लीयस डालकर तीन दिन एंटीबाॅडी में रखा जाता है. जिसके बाद सभी सीपों को 12-13 माह तक तालाब में छोड़ दिया जाता है. सीप से मोती निकालने के काम में तीन गुना तक का मुनाफा हो जाता है. मोती की कीमत कितनी है? मोती की खेती : एक मोती की कीमत आकार व चमक के अनुसार 1 हजार से 50 हजार तक होती है। मोती की खेती के फायदे 1 ) मोती पालन से न सिर्फ आर्थिक लाभ होते हैं बल्कि यह पर्यावरण की दृष्टि से भी हितकारी है। मोती से जल प्रदूषण जैसी समस्या से निजात पाया जा सकता है, यह जल को साफ करने का काम करता है जिससे पानी को गंदा होने से बचाया जा सकता है। 2 ) आज जहां किसान बाढ़, सूखे जैसी समस्याओं से जूझ रहा हैं वहां मोती पालन, मछली पालन जैसे वाणिज्यिक खेती को पारम्पारिक खेती के साथ विस्थापित करके बढ़िया कमाई कर सकते हैं। 3 ) इन सब के इतर मोती एक रत्न है जिसका उपयोग आभूषण बनने में किया जाता है जिसका बाज़ार में अच्छी कीमत है। मोती की खेती की ट्रेनिंग कहां होती है ? मोती की खेती : तालाब में करीब 100 सीपियों को पालकर भी बढ़िया उत्पादन ले सकते हैं. हालांकि, इसके लिए सही ट्रेनिंग होना भी जरूरी है. इसकी खेती के लिये कई सरकारी और प्राइवेट संस्थानों द्वारा ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाते हैं. इन ट्रेनिंग्स का फायदा उठाकर किसान मुनाफा बढ़ा सकते हैं। किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। मोती पालन की ट्रेनिंग से किसानों को बहुत फायदा मिलता है। इसके लिए आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। मोती पालन का प्रशिक्षण कई संस्थान कराते हैं जिनमें ओडिशा स्थित ‘केंद्रीय जल संस्थान’ एक प्रमुख संस्थान है। यहां लगभग 15 दिन की मोती पालन विषय पर ट्रेनिंग दी जाती है जिसे सीखने के बाद कोई भी मोती पालन (moti farming) का काम शुरू कर सकता है। Article By.-VikramMarekt. कृषि व्यवसाय [recent_post_slider design=”design-1″] सभी मार्किट भाव