Agriculture_ लाल मूली की खेती कैसे करे laal muli: जानकारी के लिए बता दें कि सफेद मूली के मुकाबले लाल मूली ज्यादा महंगी बिकती है। इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण इसे सफेद मूली से बहुत अलग बनाते हैं। अब तक सिर्फ बड़े शहरों तक ही खपत सीमित थी, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में इसकी खेती छोटे शहरों और गांवों में भी की जाती है। किसान चाहें तो उन्नत लाल मूली के बीज ऑनलाइन मंगवा सकते हैं। लाल मूली की एक किस्म पूसा मृदुला-लाल भी भारत में पैदा होती है। यह लाल मूली 25 से 40 दिनों के भीतर में 135 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है। इस स्तर पर उत्पादन लेलने के लिए आपके पास उस लेवल की मिटटी और हवामान होना चाइये । मिट्टी और जलवायु लाल मूली उगाने के लिए जीवाश्म मिट्टी सबसे अच्छी होती है। अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी में इसकी अच्छी पैदावार की जा सकती है। किसान चाहे तो विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार दोमट और चिकनी मिट्टी पर लाल रंग की फसल लगा सकता है। ध्यान रहे कि मिट्टी की पीएम वैल्यू 6.5 से 7.5 के बीच ही होनी चाहिए। आपको बता दें कि लाल मूली सर्दियों का मौसम होता है, जिसमें सितंबर से फरवरी तक रोपण का सबसे अच्छा समय होता है। खेत की तैयारी वैसे आपके जानकारी के लिए बतात दे की लाल मूली को फ्रेंच मूली भी कहा जाता है, जो की सब्जियों मैं उच्चतम सब्जी मानी जाती है। कम समय में बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए आप लाल मूली का संरक्षित खेती या फिर पारंपरिक खेती भी अच्छे से कर सकते हैं। लाल मूली की बुवाई कृषि विशेषज्ञों की मानें तो मेड़ों पर लाल मूली की बुवाई करने के लिये करीब 8 से 10 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है. इसकी बुवाई के लिये कतार विधि का प्रयोग करना चाहिये, ताकि फसल में निराई-गुड़ाई, निगरानी और बाकी कृषि कार्य आसानी से कियो जा सकें. लाल मूली से मुनाफा मिट्टी की जांच, खेती की सही तकनीक और सही समय पर लाल मूली की बुवाई करके किसान काफी अच्छी पैदावार ले सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2021 में पादरी बाजार, गोरखपुर के अविनाश कुमार ने भी लाल मूली की फसल लगाई थी। उन्होंने बताया कि लाल मूली की फसल बुवाई के 40-45 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है, जिससे 135 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं। Published: 1-2-2023 Article By.- VikramMarket. सभी मार्किट भाव https://www.vikrammarket.com/2023/01/30/10-सब्जिया-जो-गर्मियों-मैं-ल/ Home https://www.vikrammarket.com/खेती-की-जानकारी/
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यह सब्जी 12 महीने लगा सकते है !
यह सब्जी 12 महीने लगा सकते है ! Radish Farming: मूली कई रोगों की रामबाण औषधि है। मूली को हम कच्चा भी खा सकते हैं। मूली के साथ-साथ मूली के हरे पत्तों का प्रयोग सब्जियों में भी किया जाता है। मूली के हरे पत्ते और फलीदार सब्जियां बनाई जाती हैं, मूली का सलाद बनाया जाता है। मूली के हरे पत्ते विटामिन ए और के से भरपूर होते हैं। मूली में चूना, फास्फोरस, पोटेशियम और कुछ विटामिन ‘ए’ और ‘के’ जैसे खनिज होते हैं। आयुर्वेद में मूली का पौधा महत्वपूर्ण है। जड़ में कई गुण छिपे होते हैं। हम इस फसल की खेती के लिए उपयुक्त भूमि और जलवायु के बारे में पूरी जानकारी जानने जा रहे हैं। कैसे लागवड करे ? मूली : मूली की व्यावसायिक खेती मुख्यतः रबी के मौसम में की जाती है। रबी सीजन के लिए सितंबर से जनवरी तक बीज बोना चाहिए। गर्मी के मौसम के लिए मार्च-अप्रैल में और खरीफ सीजन के लिए जून से अगस्त में बीज बोना चाहिए। मूली लगाते समय दो पंक्तियों के बीच की दूरी 30 से 45 सेमी. और 2 पौधों के बीच की दूरी 8 से 10 सेमी. मैं। रखा जाना चाहिए । मूली की खेती समतल भाप या बारानी मिट्टी में की जाती है। दो वरमों के बीच की दूरी मूली की किस्म पर निर्भर करती है।बुवाई से पहले मिट्टी नम होनी चाहिए। मूली के रोपण की दूरी मूली की किस्म, उसकी वृद्धि और मौसम पर निर्भर करती है। हालांकि, कम दूरी पर रोपण करने से मध्यम आकार की जड़ों के साथ अधिक उपज मिलती है। एक हेक्टेयर मूली के लिए 10 से 12 किलो बीज की आवश्यकता होती है। खाद प्रबंधन चूंकि मूली की फसल कम समय में पैदा होती है, इसलिए अधिक उपज प्राप्त करने के लिए इस फसल में उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। भूमि की जुताई करते समय, अच्छी तरह गाय के गोबर को 25 टन प्रति हेक्टेयर भूमि में मिलाना चाहिए। मूली की फसल को प्रति हेक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 50 किलो पलाश देना चाहिए। फास्फोरस और पलाश की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई से पहले डालें। नत्रजन की बची हुई आधी मात्रा बीज के अंकुरण के बाद यानि बुवाई के 20 से 25 दिन बाद देनी चाहिए। मूली को सूखी मिट्टी में नहीं बोना चाहिए।बीज बोने के बाद हल्का पानी दें। फसल काटना मूली की किस्म के आधार पर रोपण के 40 से 45 दिनों के बाद, जड़ें कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। जड़ों को तब काटा जाना चाहिए जब जड़ें कोमल और नयी हों। अगर मूली ज्यादा देर तक जमीन में रहती है तो वह सख्त, तीखी और पीली हो जाती है। मूली की कोर सड़ जाती है और फट जाती है। मूली निकलने से पहले खेत में पानी देना चाहिए और जड़ों को हाथ से बाहर निकालना चाहिए। फिर मिट्टी को हटा दें और जड़ों को पानी से धो लें। सड़ी हुई, रोगग्रस्त जड़ों को अलग से हटा देना चाहिए। पत्तियों सहित जड़ों को हटाकर बाद मैं आप उसे मार्किट मैं ले जाकर बेच सकते है । उत्पाद कितना होगा ? नुकसान से बचने के लिए पत्तियों और जड़ों को टोकरियों या बक्सों में ठीक से भर कर बिक्री के लिए भेजा जाना चाहिए। मूली की उपज मूली की किस्म और खेती के मौसम पर निर्भर करती है। आमतौर पर रबी सीजन में मूली की पैदावार 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर होती है। मूली को बाजार में अच्छी मांग है। ये फसल आप अपने खेत मैं लगा के आप अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है। पढ़िए -: लाल मूली की खेती-सफ़ेद की तुलना मैं ज्यादामांग Article By.- VikramMarket. https://www.vikrammarket.com/2022/11/05/सबसे-ज्यादा-दूध-देने-वाली/
लाल मूली की खेती-सफ़ेद की तुलना मैं ज्यादामांग
लाल मूली की खेती Red Radish Farming भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान) द्वारा विकसित लाल मूली की ओर कदम बढ़ाया ,क्योंकि यह सफेद मूल्य से अधिक महंगा बेचा जाता है और स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह आंखों की रोशनी के लिए अच्छा है कैंसर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होने का दावा किया जाता है। यह विटामिन से भरपूर होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, लाल मूली में सफेद की तुलना में लगभग 50-125% अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। बांध पर किसी भी फसल के साथ बुवाई की जा सकती है। लाल मूली की खेती करके किसान अधिक कमा सकते हैं। क्योंकि इसे बाजार में सफेद मूली से ज्यादा दाम मैं बेचा जा रहा है। यह किस्म सिर्फ 40-45 दिनों में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर बांध पर बुवाई के लिए लगभग 8-10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसकी पत्तियों के साथ प्रति हेक्टेयर कुल उपज लगभग 600-700 प्रति क्विंटल है। शरद ऋतु में लाल मूली के लिए बलुई दोमट मिट्टी कारगर होती है। बांध पर किसी भी फसल के साथ बुवाई की जा सकती है। इस मूली में पेलार्गोनिडिन नामक एंथोसायनिन होता है, जो इसे लाल बनाता है। यह स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक खजाना है। इसका उपयोग सलाद में किया जाता ह। इसमें पाए जाने वाले बायोकेमिकल एंथोसायनिन कई तरह की बीमारियों से लड़ने में भी उपयोगी होते हैं। मूली खाने का फायदा – Radish: Health Benefits, Nutrition हम पहले ही मूली का सलाद, मूली की सब्जियां, मूली के परांठे का स्वाद चख चुके हैं। लेकिन कई लोगों को मूली पसंद नहीं होती है। लेकिन मूली खाने के फायदे बहुत हैं।अन्य सब्जियों की तरह आपको भी यह सब्जियां खानी चाहिए। इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। लेकिन मूली खाने के कई फायदे हैं जो हम जानेंगे। मूली को पीलिया का प्राकृतिक उपचार माना जाता है। इसका एक मजबूत विषहरण प्रभाव होता है, जो रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। पीलिया से पीड़ित लोगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाकर लाल रक्त कोशिका (आरबीसी) की क्षति को रोकना। कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद करता है। यह लाल मूली सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं बल्कि आपकी खूबसूरती को बढ़ाने वाली त्वचा के लिए भी फायदेमंद होती है। त्वचा संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में मूली भी उतनी ही फायदेमंद होती है। Article By.- VikramMarket.