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कम समय मैं लखपति_वनीला खेती

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कम समय मैं लखपति – वनीला की खेती Vanilla Farming :  कम समय मैं आप भी लखपति बनाना चाहते हो तो वनीला की खेती आपके लिए ही है । हाल ही मैं वनीला की खेती की तरफ किसान बेहद तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। बता दें कि 50 हजार रुपये किलो बिकने वाली ये फसल किसानों को कम समय में अमीर बना सकती है।इसके फलों का आकार कैप्सूल की तरह होता है। इसका इस्तेमाल केक, परफ्यूम और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में किए जाते हैं। वनीला का इस्तमाल  वनीला की खेती बेलदार पौधों के लिए की जाती है | जिसमे निकलने वाले फलो का आकार कैप्सूल की तरह होता है, तथा सूखे हुए फूलो से अधिक खुशबु आती है | इसके एक फल से कई गोलाकार बीज प्राप्त हो जाते है | भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार पूरे विश्व में बनने वाली आइसक्रीम में वनीला फ्लेवर का उपयोग लगभग 40 प्रतिशत तक होता है | आइसक्रीम के अलावा वनीला का इस्तेमाल कोल्ड्रिंक, केक, परफ्यूम और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स को बनाने में करते है | वनीला की खेती कैसे करे ?  Vanilla Cultivation :  हर फसल की तरह वनीला की खेती करने से पहले मिट्टी की जांच जरूर करवानी चाहिये, जिससे जरूरत के हिसाब से खाद-बीज का इस्तेमाल कर सकें। वनीला की खेती के लिये जैविक पदार्थों वाली भुरभुरी मिट्टी सोने से कम नहीं होती है। वनीला उगाने के दो तरीके होते हैं, जिसमें बीज से पौधे तैयार करना और दूसरी कटिंग या ग्राफ्टिंग विधि होती है। जल्द से जल्द अच्छी पैदावार लेने के लिये ज्यादातर लोग बेल की ग्राफ्टिंग करके ही इसकी खेती करना पसंद करते हैं। दूसरी कारण ये भी है कि वनीला के बीज थोड़े सख्त होते हैं, जिनकी बुवाई के बाद अंकुरण और पौधा बनने में काफी समय लग जाता है। कटिंग या ग्राफ्टिंग विधि से वनीला की खेती करने के लिये नमी की जरूरत होती है, क्योंकि इस दौरान कटिंग वाली बेल तेजी से बढ़ती है। किसान चाहें तो जुलाई-अगस्त में वनीला की खेती कर सकते हैं। ग्राफ्टिंग विधि से वनीला की बुवाई  वनीला की फसल लगाने से पहले खेत की तैयारी करें और बुवाई से पहले गड्ढे खोद लें । इन गड्ढों में गोबर की खाद और नीम की खली भर दें, जिससे फसल को पोषण और सुरक्षा कवच मिल सके । वनीला की बेल को कम से कम 8 फीट की लंबाई पर काट लें और इसे गड्ढे में कम गहराई में लगायें। ग्राफ्टिंग करके वनीला का तना लगाने के बाद तने को पत्ते या पुआल से ढंक दें । रोपाई के तुरंत बाद बेल को पानी दें और खेत में फव्वारा या टपक सिंचाई की व्यवस्था करें । अच्छी पैदावार के लिये खेत में जरूरत के हिसाब से गोबर की खाद, केंचुए की खाद और नीम केक डालते रहें। किसान चाहें तो एनपीके की 1 किलो मात्रा को 100 लीटर पानी में घोलकर भी छिड़क सकते हैं। जाहिर है कि वनीला एक बेलदार फसल है, इसलिये ध्यान रखें कि बेल जमीन को छुयें। इसके लिये गड्ढे में कम से कम 7 फीट का लकड़ी का पोल भी लगायें, जिस पर बेल को लपेटकर बढ़ाया जा सके। विशेषज्ञों के मुताबिक वनीला की बेल 150 सेमी. से ज्यादा लंबी नहीं होनी चाहिये. इसकी लंबाई मैनेज करने के लिये ऊपर से कटाई-छंटाई करते रहें। वनीला की स्मार्ट फार्मिंग वनीला की बेहतर क्वालिटी की पैदावार लेने के लिये ह्यूमिडिटी, छाया और मध्यम तापमान वाले इलाकों में ही इसकी खेती करनी चाहिये। किसान चाहें तो पॉली हाउस या ग्रीन हाउस में वनीला की स्मार्ट फार्मिंग कर सकते हैं, इसमें फव्वारा सिंचाई पद्धति का प्रयोग किया जाता है, जिससे पानी की काफी बचत होती है। वनीला की खेती से अधिक आमदनी लेने के लिये किसान इसके साथ दूसरी सब्जी-औषधीय फसलों की खेती भी कर सकते हैं। एक बार बुवाई-रोपाई के बाद वनीला की फसल से 3 साल बाद पहली फसल मिलती है, इसके बाद सही देखभाल करने पर जल्द ही इसकी उपज मिलने लगती है। वनीला की प्रोसेसिंग  रिपोर्ट्स के मुताबिक वनीला की रोपाई के बाद इसके फल और फूलों को पकने में करीब 9-10 महीने लग जाते हैं, जिसके बाद इसकी प्रोसेसिंग करके कई स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सिर्फ 1 किलो वनीला के बीजों को 40-50 हजार रुपये के भाव पर बेचा जाता है. खाद्य पदार्थ बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां वनीला के मुंह मांगे दाम देती है. भारतीय मसाला बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व में बिकने वाली ज्यादातर आइसक्रीम में 40% हिस्सा अकेला वनीला का होता है. इतना ही नहीं, कई कंपनियां वनीला से केक, कोल्ड ड्रिंक, परफ्यूम और लक्जरी ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाती हैं। स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद वनीला की बींस में एक वनैलिन नामक सक्रिय रासायनिक तत्व मौजूद होता है. यह शरीर में मौजूद बैड कोलेस्ट्राल से लड़ता है और गुड कोलेस्ट्राल को बढ़ाता है. कैंसर जैसे रोगों के भी खिलाफ इसके फल और बीज बेहद प्रभावी माने जाते हैं. साथ ही, पेट को साफ रखने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और जुखाम, बुखार जैसी छोटी बीमारियों के खिलाफ भी ये फायदेमंद है. 50 हजार रुपये प्रति किलो विशेषज्ञों के मुताबिक, एक एकड़ खेत में वनीला की 2400 से 2500 बेल लगती हैं. बेल में जब फूल-फलियां पकने लगती हैं तो पौधों से बीजों को निकालने की प्रकिया शुरू कर दी जाती है. इन बीजों को अलग-अलग प्रोसेसिंग से होकर गुजारा जाता है. फिर इन बीजों को 50 हजार रुपये प्रति किलो तक में बेचा जाता है. Article By.- VikramMarket. [recent_post_slider design=”design-1″] सभी मार्किट भाव कृषि व्यवसाय पशुपालन

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