TomatoBhav_टमाटर के दाम क्यों गिरे?
TomatoBhav_टमाटर के दाम क्यों गिरे?
Tomato Rate: पिछले कुछ सालों में आई तेजी के चलते इस साल नासिक में टमाटर उत्पादकों में खासा उत्साह देखने को मिला। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन जारी है, पारंपरिक अंगूर उत्पादकों ने भी बागों को काटकर टमाटर की ओर रुख किया है। इसलिए टमाटर की खेती में निश्चित रूप से वृद्धि हुई। इस साल की भारी बारिश ने चित्रा नक्षत्र में बारिश की वापसी के साथ उत्साह को भी कम कर दिया।
इस दौरान किसानों ने फसल बचाने के लिए पूरा प्रयास किया । इस साल दवा, खाद और श्रम की लागत डेढ़ से दो गुना बढ़ गई। इस स्थिति से बचे टमाटर उत्पादकों को भी राहत मिल रही थी क्योंकि उन्हें प्रति कैरेट 500 से 800 रुपये मिल रहे थे।पिछले पांच दिनों से इस उछाल पर भी रोख लग गया है। टमाटर के दाम अधिकतम 800 रुपये से घटकर 400 रुपये प्रति कैरेट पर आ गए हैं। किसान इस कीमत पर भी समाधानी है _ उनकी बस यही मन्शा है की इससे ज्यादा दाम ना गिरे – अगर इसी कीमत पर वे माल बेचेंगे तो कम से कम उनका खर्चा तो निकल ही आएगा।
कीमतों में गिरावट के पीछे मुख्य कारण हाल ही में बैंगलोर सीजन की शुरुआत के साथ-साथ मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों से स्थानीय टमाटर का आगमन है। पिछले साल, महाराष्ट्र को छोड़कर अन्य राज्यों में टमाटर उत्पादक बेल्ट में भारी बारिश हुई थी। इस वजह से बैंगलोर का सीजन पहले ही खत्म हो चुका था। इसलिए, पूरे देश से, विशेष रूप से नासिक क्षेत्र से, महाराष्ट्र से टमाटर की मांग थी। नतीजतन, टमाटर को अंत में अच्छी कीमत मिली। पर इस वक्त वे दाम गिर गए है | दूसरी और पिछले साल की सीख लेते हुए बेंगलुरू क्षेत्र के उत्पादकों ने देर से बुवाई की।
बंगलदेश मैं टोमेटो की निर्यात घटी
Bangladesh: कर्नाटक क्षेत्र की अधिकांश लाल मिट्टी में उगने वाले स्थानीय टमाटर का रंग एक समान होता है। इसलिए उसे तरजीह दी जा रही है। साथ ही इसकी दरें नासिक के मुकाबले कुछ कम हैं। इसलिए नासिक क्षेत्र के टमाटर खरीदारों ने अपना रुख बेंगलुरू की ओर मोड़ दिया है।बांग्लादेश भारतीय टमाटर का सबसे महत्वपूर्ण खरीदार देश बना हुआ है। दोनों देशों के बीच व्यापार भी पिछले चार-पांच साल से मुश्किल में है। इसके पीछे मुख्य कारण बांग्लादेश द्वारा लगाया गया 34 प्रतिशत आयात शुल्क है। नतीजतन, टमाटर का निर्यात धीमा हो गया है। गिरणारे, पिंपलगांव बसवंत बाजार से बांग्लादेश को होने वाले निर्यात में 70 फीसदी की कमी आई है।इसी स्थिति मैं टोमेटो भारत के अन्य राज्यों में जैसे की गुजरात, मध्य प्रदेश मैं बेचने का विकल्प अपनाया जा रहा है। नतीजन टोमेटो को उतना दाम नहीं मिल पा रहा ।
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